गुरुवार, 25 जून 2020

तेरी भक्ति का साहरा चाहता हूँ ...

तेरी भक्ति का साहरा माँगता हूँ।
तेरी भक्ति-- का माँगता चाहता हूँ।

खो गया हूँ ख़ुद में 'कहीं लापता हूँ।
तेरी भक्ति का साहरा माँगता हूँ ।

खो गया हूँ ख़ुद में 'कहीं लापता हूँ।

जानता है तू सब तुझे क्या बताऊँ।
जानता है तू सब तुझे क्या बताऊँ।

क्षमा कर दे भगवन् यदि ,बाख़ता हूँ।
तेरी भक्ति का आसरा  माँगता हूँ।
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मुफ़लिसी के दौरे में, नदेख आ जमाके ।
ग़म ए दिल को तसल्ली ,दे प्रभु तू आके ।

बड़ी राहत 'पाते हैं  हम  गीत तेरे गाके ।
बड़ी राहत 'पाते हैं  हम 'गीत तेरे  गाके ।

पापों का प्रायश्चित कर 
पापों का प्रायश्चित कर ,खुद सुधारता  हूँ।
क्षमा कर दे भगवन् यदि बाख़ता हूँ।

तेरी भक्ति का साहरा माँगता हूँ ।।

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सबकी एक दुनियाँ है , सबकी एक हस्ती है ।
 लालचों की अग्नि में ,जिन्दगी सुलगती है ।

स्वार्थों की मण्डी में, जिन्दगी ये सस्ती है 
जरूरत खूब सूरत मेरी अँखिया तरस्ती हैं ।
तन्हाईयों में अक्सर ..

तन्हाईयों में अक्सर  मैं पुकारता हूँ ।
क्षमा कर दे भगवन् यदि बाख़ता हूँ।
तेरी भक्ति का आसरा माँगता हूँ।
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हम्हें एेसा लगता है कुछ खो गया है ।
जिसने दया की ,कौन महोदया है ।

'न समय पुराना ये 'न कुछ नया है ।
मतलबों के दौरे में आदमी बेहया है ।

रुसबाईयों को पीकर ग़मो को फाँकता हूँ।
क्षमा कर दे भगवन् यदि बाख़ता हूँ ।
तेरी भक्ति का आसरा माँगता हूँ ।
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जिन्दगी में कायम हैं ऐसी हालातें ।
वक्त के थपेड़े हैं , बदनशीं की लातें ।

हीनताओं से भरी हैं  इन सब की बातें
मतलबों से शिरकत सब मतलबों से नाते
मतलबों से शिरकत सब मतलबों से नाते
किस्मत में है जितना ,
किस्मत में है जितना ,
निश्चित मानता हूँ।
 क्षमा कर दे भगवन्, यदि बाख़ता हूँ।
तेरी भक्ति का साहरा माँगता हूँ ।
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अहंकार जन्मों के संचित,
नास्तिकों के करम हैं । 
लाभ लोभ में जिसने देखा ,
नादानों के भरम हैं ।
चमक रही सिकता चाँदी सी ।
चमक चमाचम हैं ।
टूटे काँच के टुकड़े में
टूटे काँच के टुकड़े में मणियों को झाँकता हूँ।
क्षमा कर दे भगवन् यदि बाख़ता हूँ ।
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फिर भी हम जीते लोगो हस्ते गाते।
फिर भी हम जीते लोगो हस्ते गाते ।

किस्मत में जितना ,निश्चित मानता हूँ।
तेरी भक्ति का साहरा चाहता हूँ।
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कर्मों में इच्छा , जैसे अर्थ शब्दों में ।
 दरिया की शोभा है,उसकी सरहदों में।।

 बर्षा में उफान देखे हैं हमने  इन नदों में ।
अहंकार उमड़ते हैं लोगों के पदों में ।
सादिगी के पथ पर 
सादिगी के पथ पर मन को हाँकता हूँ ।
क्षमा कर दे भगवन् यदि बाख़ता हूँ ।
तेरी भक्ति का आसरा माँगता हूँ।
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 भव सागर में विकट हैं लहरें ।
डूब 'न जाऐं हम कहीं गहरे ।

हम नकरे मोज से समझौते ।
मोह के भँवर लोभ के गोते ।।

देकर मुसीबतों को न्योते ।
सब कुछ जीवन का हारता हूँ।

क्षमा कर दे भगवन् यदि बाख़ता हूँ।
तेरी भक्ति का आसरा माँगता हूँ।
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(गीत व  स्वर )
यादव योगेश कुमार 'रोहि'  ।
ग्राम:- आज़ादपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़
8077160219

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