शुक्रवार, 29 मई 2020

वेदों में कृष्ण और इन्द्र का युद्ध ...

ऋग्वेद के अष्टम् मण्डल के सूक्त संख्या 96 के ऋचा- (13,14,15,)पर असुर अथवा अदेव कृष्ण का युद्ध इन्द्र से हुआ; ऐसा वर्णित है।
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आवत् तमिन्द्र: शच्या धमन्तमप स्नेहितीर्नृमणा अधत्त । 
द्रप्सम पश्यं विषुणे चरन्तम् उपह्वरे नद्यो अंशुमत्या: न भो न कृष्णं अवतस्थि वांसम् इष्यामि । 
वो वृषणो युध्य ताजौ ।14। 

अध द्रप्सम अंशुमत्या उपस्थे८धारयत् तन्वं तित्विषाण: विशो अदेवीरभ्या चरन्तीर्बृहस्पतिना युज इन्द्र: ससाहे ।।15।।   

अर्थात्‌  कृष्ण नामक असुर अथवा अदेव जो देवों को नहीं मानता है वह अंशुमती अर्थात् यमुना नदी के तटों पर दश हजार सैनिको (ग्वालो)के साथ गायें चराते हुए रहता है ।
और इन्द्र ने  उसकी सम्पूर्ण सेना तथा गोओं का हरण कर लिया । 

इन्द्र कहता है कि कृष्ण नामक असुर को मैंने देख लिया है जो यमुना के एकान्त स्थानों पर गायें चराता है ।
अब आप -विचार करो कि यह कौन सा कृष्ण है ।
क्या आपको भारतीय पुराणों में कृष्ण द्वारा देवों की पूजा बन्द कराया जाना याद है ।
इन्द्र से कृष्ण युद्ध के पौराणिक सन्दर्भ भी हैं।
वेदों का प्रणयन ई०पू० १२वीं सदी से ई०पू० अष्टम सदी तक हुआ ।
और कृष्ण का समय ईसा० पूर्व नवम सदी है ।

अब बताओ !

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