सोमवार, 11 मई 2020

जाट और अहीरों के गौत्र..

जाट संघ के यदुवंशी गौत्र :-
सिनसिनवार ,सहारन ,बरार ,
बराड़, सिद्धू ,भट्टी ,भाटी , धालीवाल ,रंधावा , काजला गोत्र यदुवंशी है :

दिलीप सिंह के अनुसार वृष्णि, अन्धक,  हाला ,शेओखन्दे डागुर ,दीगराना ,खिरवार,बल्हारा , सरन सिनसिनवार ,सोगरवाल छोंकर ,भोज ,हंगा,घनिहार , रावत गौत्र यदुवंशी हैं।


यदुवंश की प्राचीनत्तम शाखा अहीरों के अधिक गोत्र स्थान के नाम पर भी बने हैं जहां पर उनका निवास रहा उसी के नाम पर गौत्र बना लिया ।

प्रसिद्ध पुरुषों के नाम पर प्रचलित इनके गोत्र कम हैं।
 तब भी अहीर गोत्र जाटों के गोत्रों से मिलते हैं। 

जाट गोत्रों से मिलने वाले अहीर गोत्रों के कुछ नाम निम्नलिखित हैं - 

1. कादल 2. लोहचब 3. नैन 4. डागर 5. धालीवाल 6. सिसौदिया 7. रावत 8. कठ 9. ठुकरिला 10. मल्ही 11. नारा 12. बोगदा/बोगदावत 13. बूरा 14. मूण्ड 15. भिण्ड 16. यदु 17. सिकरवाल 18. अत्री 19. बाछिक 20. हाड़ी 21. दाहिया 22. गोर्सी /गोर्जी

(जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत,) पृष्ठान्त-519 पर अहीर और जाटों के गोत्रों की समानता दर्शाते हैं ।


20. देशवाल जैसा अहीर गौत्र दशवार - महाभारत दाशार्ह 21. किंग 22. दहिया 23. झाझड़या 24. मल्ल 25. धारण 26. गहला 27. लाम्बा आदि ।

नोट - भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं में जाटों की भांति अहीर लोग भी मुसलमानधर्मी बन गये।
ब्राह्मणाों से बगावत करके क्योंकि ब्राह्मण वर्ण-व्यवस्था के अन्तर्गत इन्हें शूद्र श्रेणि में व्यवसथित करने में थे ।


पौराणिक ब्राह्मणों ने केवल राजपूतों को शुद्ध क्षत्रिय घोषित कर दिया। 
क्योंकि बौद्ध और जैन धर्म से  ब्राह्मणों का विरोध था 
ब्राह्मण बौद्धों को हराने के लिए राजपूतों को अपना रहे थे 
चारण भाट बंजारे शक सीथियन आदि जन-जातियों 'ने राजपूत संघ में प्रवेश किया।

इसलिए अनेक जातियों के लोग स्वयं को राजपूत और राजपूतवंशी कहलाने में अपनी महत्ता समझने लगे।
ये  सुनार, गडरिये, छीपी, कोरी, कुर्मी, बंजारे, कहार किरार बाच चारण भूभाड़िया आदि जातियां भी अपने को राजपूत कहने लगीं।

 राजपूत शासनकाल और इनके शक्तिकाल में जो दल इनके साथी या सहायक बनते रहे वे सब राजपूत कहलाने लगे।


राजपूत संघ जाट, गुर्जर, अहीर, भारतीय क्षत्रिय आर्यों तथा शक, सीथियन, हूण आदि अनेक जातियों का मिला जुला संघ है।

अंग्रेज लेखकों ने राजपूतों को विदेशी आक्रमणकारी लिखा है जो भारत में आकर बस गये, यह भारत देश के लोग नहीं हैं। 
किन्तु राजपूतों के  बहुत से गोत्र स्पष्ट तौर से प्रमाण देते हैं कि ये लोगों में भी असली क्षत्रिय  हैं जो भारतवर्ष के आदि-निवासी हैं, जो राजपूत कहलाने से पहले जाट, गुर्जर और अहीरो के रूप में थे।

जाट्स दी ऐनशन्ट रूलर्ज लेखक बी० एस० दहिया ने पृ० 113 पर लिखा है कि “दसवीं या ग्यारहवीं शताब्दी में बनी राजपूत जाति, जाट और गुर्जरों का संघ है।”


आगे यही लेखक पृ० 66-67 पर लिखते हैं कि “हम चैलेंज पूर्वक कहते हैं कि भाटों और व्यासों की बहियों (पोथियों) में जाटों को राजपूतों में से होने की जो कथा लिखी हुई है, वह सफेद झूठ है।” 
सभी राजपूत विदेशी नहीं जिनके गौत्र गुर्जर जाट और अहीरों से मिलते हैं वे मूलतः पहले गुर्जर जाट और अहीरों से सम्बद्ध थे ।
यहां केवल जस्टिस कैम्पवेल का मत इस विषय में दिया जाता है ।

जाट्स दी ऐनशन्ट रूलर्ज लेखक बी० एस० दहिया ने राजपूतों के विषय में लिखा है -

यह दशवीं तथा ग्यारहवीं शताब्दी में जाट ,अहीर और गुर्जरों से बना राजपूत संघ है।

भविष्य पुराण में साफ लिखा हुआ है कि “आबू पर्वत का यज्ञ सम्मेलन बौद्धों के विरुद्ध किया गया था जिसका तात्पर्य बौद्धों के विरुद्ध एक नवीन योद्धा संघ बनाने का था।” (भविष्य पुराण, लेखक एस० आर० शर्मा (1970 बरेली)। (पृ० 171, 174, 175)।
भविष्य पुराणों का सम्पादन कार्य अठारह वीं सदी तक चलता रहा है।
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जाट, अहीर, गुर्जर जिन्होंने नवीन हिन्दू / ब्राह्मण धर्म (पौराणिक धर्म) अपना लिया वे राजपूत कहलाए और जो इस धर्म के अनुयायी नहीं बने वे

 जाट, अहीर, गुर्जर नाम से ही कहलाते रहे।

 जाट और राजपूतों के पूर्वपुरुष एक ही थे। 
जाट और राजपूत जाति एक ही पुरखा की संतान हैं। (पृ० 116)

जाट इतिहास अंग्रेजी, लेखक लेफ्टिनेंट रामसरूप जून ने राजपूतों के विषय में लिखा है -

अहीरों के कुछ प्रमुख गौत्र जो विभिन्न राज्यों में हैं ।
गूजरों और जाटों से भी मिलते हैं ।
देखें निम्नलिखित अहीके गौत्र।.👇

महाराष्ट्र:- अहीर, यादव, राधव, ग्वाला, गौल्ला, पंवार, शिर्द भालेकर, धूमल, लटके, घोले, धगे, महादिक, खेडकर, वजहा, नारे, फगबले, डाबरे, मिरटल, काटे, किलाजे, तटकर, चीले, दलाया, बनिया, जांगडे , भारवाड़।


उत्तर प्रदेश:- अहीर, घोसी, कमरिया, ग्वाला, यादव, यदुवंशी इनमें बी बहुत से उप गोत्र हैं विशेषत कमरिया और घोसी अहीरों में | 

अहीरों की शाखाएं हें: वेणुवंशी, भिरगुडी, दोहा, धनधौरी, गद्दी, गोमला, घोड़चढ़ा, घोषी, गूजर, खूनखुनिया, राजोरिया, और रावत |

मध्य युग में यादवों का एक समूह मराठों में, दूसरा जाटों में और तीसरा समूह गूजरों और कुछ राजपूतों में विलीन हो गया| 

जैसलमेर के भाटी अहीर  यादव राजपूत हो गये,
कुछ गूजरों में चले गये ।
 पटियाला, नाभा, आदि के जादम शासक जाट हो गए|

 इसी प्रकार भरतपुर के यादव शासक भी कालांतर में जाट संघ में विलीन होकर जाट कहलाने लगे|

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, व मध्य प्रदेश के जादौन अपने को कृष्ण के वंशज बताते हें पर ठाकुर कहलवाते हें
जादौनों की निकासी मथुरा के यादव शासक ब्रह्मपाल अहीर से  है ।👇


 शिवाजी की माँ जिजाबाई यादव वंश में पैदा हुई थी|
पटियाला के महधिराज का तो विरुद्ध ही था: "यदुकुल अवतंश, भट्टी भूषण|"
मध्य प्रदेश:- अहीर, ग्वाला, ग्वाल, गोलाआ, कंस, ठाकुर, जाधव (जादव), गोप, रापत, राव, घोषी आदि|

इनके दो मुख्य भाग है:- हवेलियों में रहने वाले, तथा बिरचिया- जंगलो में बसनेवाले यादव|

आन्ध्र प्रदेश:- गोल्ला, धनगर, एड्द्यर, कोनार, कुब्र, कुर्वा, यादव, पेरागेल्ला (कुछ अपने नाम के अंत में राव, रेड्डी, रेड्द्य्याह, स्वामी, आदि लगाते है| 

गोत्र/ शाखाए:- फल्ला, पिनयानि, प्रकृति, दुई, सरसिधिदी, सोनानोयाना, नमी, डोकरा, प्रिय्तल, मनियाला, रोमला, बोरी, तुमदुल्ला, खारोड़, कोन एव गुन्तु बोयना|

आसाम, त्रिपुरा, सिक्किम, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल आदि पूर्वी राज्य:- ग्वाला, घोष, गोअल, गोआला, गोप, अहीर, यादव, मंडल, पाल|

आन्दमान तथा निकोबार द्वीप समूह:- यादव, रोलाला, काटू, भाटी एवं कोणार|

बिहार:- यादव, ग्वाला, गोप, अहीर, सदगोप, घोषी, नंदगोप, गोरिया, गोयल, सफलगोप|

मुख्य शाखाएं:- महरोत, सत्मुलिया, किशनोंत, गोरिया या दहिराज तथा धहियारा, मंडल, महतो (महता), गुरुमहता, खिरहरी, मारिक, भंडारी, मांजी, लोदवयन, राय, रावत, नन्दनिया|

गुजरात:- आहिर, अहीर, यादव, ग्वाला|

हरियाणा, चन्दीगढ़, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, एवं देहली के यादव अहीर, ग्वाला, गोवाला, राव तथा यादव कहलाते है|

कर्णाटक:- गौल्ला, गौवली, गोपाल, यादव, अस्थाना, अडवी, गोल्ला, हंबर, दुधिगोला, कोणार, गौडा, गौड़ा|
कन्नड़ गौला की शाखाएं:- हल, हव, कड, कम्पे, उज|
बेलगाँव की शाखाएं:- अडवी अथवा तेलगु, हनम, किशनौत, लेंगुरी, पकनक, और शस्यगौला|
बीजापुर की शाखाएं:- मोरे, पवार, शिंदे, और यादव अथवा जाधव (जादव)

केरल:- यादव, एडायन, एरुमन, कोयला, कोलना, मनियाना, अय्यर, नैयर, उर्लीनैयर, कोणार, पिल्लै, कृष्नावाह, नाम्बियार|

गोवा:- यादव, ग्वलि, ग्वाला, अहीर, गोप, गवली|
तमिलनाडु और पांडिचेरी:- एथियर, एडियर,कोणार, उदयर, यादवन, वडूगा अय्यर, वदुगा एदेअय्यर, गोल्ला, मोंड गोल्ला, कोण, पिल्लै, मंथी, दास, करयालन,

पश्चिमी बंगाल:- अहीर, गोल्ला, गोप, सदगोप, घोष, यादव, मंडल, ग्वार, पाल, दास, महतो, मासिक, फाटक, गुरुमहता, कपास|
(कुछ घोष कायस्थों के संघ में समाहित हो गये )

उड़ीसा:- प्रधान, गोला, गोल्ला, गोप, सदगोप, अहीर, गौर्र, गौडा, मेकल, गौल्ला, यादव, पाल, भुतियाँ, रावत, गुर्भोलिया,महतो|

दादरा एवं नागर हवेली:- अहीर/ आहिर, भखाद, यादव
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गोत्र उन लोगों को संदर्भित करता है जिनका वंशज एक आम पुरुष पूर्वज से अटूट क्रम में जुड़ा है।

व्याकरण के प्रयोजनों के लिये पणिनी में की गोत्र परिभाषा है 'अपत्यम् पौत्रप्रभृति गोत्रम्' (4.1.162), अर्थात 'गोत्र शब्द का अर्थ हैे पुत्र के पुत्र के साथ प्रारम्भ होने वाली सन्तान से है ।

अष्टाध्यायी के अनुसार "अपत्यं प्रभृति यद गोत्रम् पौत्र", एक पुरखा के पोते, पडपोते आदि जितनी संतान होगी वह एक गोत्र की कही जायेगी।

 मुख्य रूप से चार वंश है
जाट संघ में गोत अधिक हैं इनकी संख्या दश हजार तक भी है।
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चंद्रवंशी मूल के जाट

आर्यों में क्षत्रिय जो चन्द्रमा की पूजा करते थे अथवा -जो सैमेटिक थे । 

भागवतपुराण के अनुसार ब्रह्मा के एक अत्रि पुत्र थे जिनके पुत्र (चन्द्र) सोम थे. सोम के बुध पुत्र थे. 

मनु - पुत्री 'इला' का विवाह 'बुध' के साथ हुआ.
 इन दोनों से चन्द्रवंश का चलन होना बताया गया है.
 इनका पहला पुरूरवा पुत्र था इनका बेटा 'नहुष' और नहुष का ययाति. 

जाट जाति का सम्बन्ध 'ययाति' की संतानों के साथ है. श्रीकृष्ण का जन्म भी चन्द्रवंश में हुआ था. 
जाटों में अधिकांश समूह चंद्रवंशियों के हैं.
वंशज चन्द्र भी आग ये चल कर कुछ भागो में बट गया
व्यक्ति के नाम पर  जगह के नाम पर

चन्द्रवंश ( यदुवंश)

 वर्गीकृत मुख्य जाट इस गोत्र प्रकार हैं: आभीर,(आहिर) अहलावत, ओहलावत, अका, ओहर,(आभीर) अजमेरिया, अजमीडिया, अंजुरिया, अनजिया, अधरान,अंदार, अंधला, अंधरा, औद्ध, औधरान, ओद्र, ओध्र, ओंद, ओक, आंध्र, आंध्राणा, अंग, अंजना, आनव, बल, बल, बलयाण, बाल्यान, चीमा, चीना, छीना, अर्क, अत्री, आत्रेय, बल्ल, बलारिया, बल्दवा, ठकुरेला, बनगा, बाना, भादू, भाटू, (भाटी,) बलहारा, भोज, भूरी, भूरिया, बमरौलिया, मिटाण, बुधवार, बधवार, बोध, बोधा, चकोरा, चंधारी, चवेल, (दहिया), दोहन, दाहन, दुहन, दनीवाल, दरद, दराल, दार, दियार, ओरा, ओरे, दुसाध, दोसांझ, गौदल, गठवाल, कठवाल, कठिया, कटवार, गठोये, गठोने, गथवाल, गथना, गादड, गंधार, गंधारी, गांधार, गंडीला, गडीर, गैना, गैणा, गेना, गैन्धर, गैन्धल, गैन्धु, हंस, हांस, हंसावत, हरचतवाल, हुदाह, ऐचरा, जाखड़, जग्गल, जानू, जोहे, (लोधा), कल्हन, खिरवार, खिरवाल, खिनवाल, खिरवाली, खरे, कितावत, करमी, किरम, किचार, कुंतल, खुटैल, खुंटेल, खुंतल, कौंटेल, कुंठळ, कुंडळ, कैरु, कौरव, कसवां, लम्बोरिया, (मधु,) मदेरणा, मद्रक, मद्र मद्रेणा, मधान, मद्, मध, मल्ल, मल्ला, मालय, महला, महलावत, महलान, महलानिया, मल्ली, महलवार, मेहला, मेला, (मावलिया, मावला, मोटसरा, न्योल , नूहनियाँ, नोहर, यटेसर, नलवा, नौहवार, नववीर, नव, नेतड़ा, नेतड़ा, यौधेय, नृग, पाण्डु, पाँडुर, परसवाळ, फरसवाळ, पौरुसवाल, पोरस, पोरसवाल, पौरूस, पनहार, पनही, (पुण्डीर) फोर, (पवार), पोंवार , पोर, पौरिया, पुनरिया, राठी, सरावग, सिनमार, शिवी, सिबी, सिबिया, शिवाज, शूर, सूरा, श्याम, श्योकंद, शॉकीन, श्योराण, सोगरिया, सोगरवाल, सुराहे, दोहन, दाहन, दनीवाल, सुवाल, सेवा सेवलिया, , सियाल, स्याल, तलान, तालान, ताहलाण, तालियान, याट, बसातिया, बसाति, वसु, वैस, बैसवार, वैसोरा, वासोड़ा, बोचल्या, व्रसोली, जोहिया, जोहिल, कुलहरी, खीचड़, माहिल, यटेसर,
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हैमेटिक या 
सूर्यवंशी मूल के जाट
यद्यपि वैदिक कालीन पात्र सुमेरियन बैबीलॉनियन मिथकों में भी है जैसे रामऔर इनके पूर्वज जैसे तशरत, राम-सिन, बरत सुन, सिता परशुराम, विश्वामित्र आदि आदि ।

आर्यों में क्षत्रिय जो सूर्य की पूजा करते थे  ब्रह्मा के मारीच पुत्र से कश्यप ऋषि पैदा हुए. 

कश्यप की पत्नी आदिति (दक्ष की पुत्री) से विवस्वान (सूर्य) पैदा हुए एवं उसके मनु पुत्र से इक्षवाकु पैदा हुए जिनसे सूर्यवंश चला. 

राम और लक्ष्मन का जन्म सूर्यवंश में हुआ. 
जाटों में कुछ कम संख्या में समूह सूर्यवंशियों के हैं.

राम के बेटो के नाम पर
सूर्यवंश में वर्गीकृत मुख्य जाट इस गोत्र प्रकार हैं:

 अजमेदिया, असरोध, बुरडक, भारूका, विर्क, वृक, वरिक, चट्ठा, धरतवाल, धनोये, दगोलिया, गरुड़, गोरा, घरूका, गहलोत, गहलावत, गोहिल, इनतर, काक, काकरान, काकराना, कक्कुर, काकतीय, कलसमान, कंग, कांग, कंगरी, कास्या, काश्य, काशिया, कास्यण, कश्यप, कछवाहा, कछवाला, कुश, कसवां, कुसवां, कसुवां, कुसुमा, कुशमान, (कुषाण), कुशवाह, कोयड़, खोये मौर्य मौर्य, , मौरी, भडाडरा, लांगल, लाङ्गा, लांगर, लावा, लांबा, लामवंशी, मान, मीया, म्यां, मियाला, गोलिया, मांगा, बाजवा, महार, महरया, महेरिया, नलवा, नेहरा, यौधेय, नृग, रघुवंशी, राज्यान, राजन राजेन, रोहितिक, वसु, वारसिर, यजानिया, जुनावा, लौर, खत्री

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