शनिवार, 15 दिसंबर 2018

संज्ञा(Noun)की परिभाषा (संज्ञा प्रकरण)


यया कम् सम्यक् ज्ञापयते इति सञ्ज्ञा (संज्ञा) कथ्यते :- अर्थात् जिससे द्वारा किसी को पूर्ण रूपेण जाना जाए 'वह संज्ञा है ।

संज्ञा स्त्री लिंग रूप है :- १. चेतना। होश। २. बुद्धि। अक्ल। ३. ज्ञान। ४. किसी पदार्थ आदि का बोधक शब्द। नाम। आख्या। ५. व्याकरण में वह बिकारी शब्द जिससे किसी यथार्थ या कल्पित वस्तु का बोध होता है। जैसे,—मकान, नदी, घोड़ा, राम, कृष्ण, खेल, नाटक आदि।

संज्ञाकरण =
(१) नामकरण। (नाम धरना)।
संसार में किसी भी  तथ्य को दो रूपों में ही जाना जा सकता है । नाम के द्वारा और उसके स्वरूप के द्वारा
अर्थात् उसके अस्तित्व का निर्धारक है कि 'वह  प्रकाशित (दृश्य) हो या ध्वनित ।

संज्ञा  (Noun) :- की परिभाषा --
संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के अस्तित्व का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में- किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है। जैसे- प्राणियों के नाम- मोर, घोड़ा, अनिल, किरण, जवाहरलाल नेहरू आदि। वस्तुओ के नाम- अनार, रेडियो, किताब, सन्दूक, आदि। स्थानों के नाम- कुतुबमीनार, नगर, भारत, मेरठ आदि भावों के नाम- वीरता, बुढ़ापा, मिठास आदि यहाँ 'वस्तु' शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है, जो केवल वाणी और पदार्थ का वाचक नहीं, वरन उनके धर्मो का भी सूचक है। साधारण अर्थ में 'वस्तु' का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता।
अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं। इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद किये गये हैं।
संज्ञा के भेद संज्ञा के पाँच भेद होते है- (1)व्यक्तिवाचक ( proper noun ) (2)जातिवाचक (common noun) (3)भाववाचक (abstract noun) (4)समूहवाचक (collective noun) (5)द्रव्यवाचक (material noun)

(6)संख्यात्मक संज्ञा ( Numerical Noun )

(1)व्यक्तिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- व्यक्ति का नाम-रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि।
वस्तु का नाम- कार, टाटा चाय, कुरान, गीता रामायण आदि। स्थान का नाम-ताजमहल, कुतुबमीनार, जयपुर आदि।
दिशाओं के नाम- उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व। देशों के नाम- भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा। राष्ट्रीय जातियों के नाम- भारतीय, रूसी, अमेरिकी। समुद्रों के नाम- काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।
नदियों के नाम- गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु। पर्वतों के नाम- हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम। नगरों, चौकों और सड़कों के नाम- वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग। पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम- रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, इण्डियन नेशन, आर्यावर्त। ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम- पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति। दिनों, महीनों के नाम- मई, अक्तूबर, जुलाई, सोमवार, मंगलवार। त्योहारों, उत्सवों के नाम- होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।
(2) जातिवाचक संज्ञा :- बच्चा, जानवर, नदी, अध्यापक, बाजार, गली, पहाड़, खिड़की, स्कूटर आदि शब्द एक ही प्रकार प्राणी, वस्तु और स्थान का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये 'जातिवाचक संज्ञा' हैं। इस प्रकार- जिस शब्द से किसी जाति के सभी प्राणियों या प्रदार्थो का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे- लड़का, पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि। 'लड़का' से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी 'लड़कों का बोध होता है। 'पशु-पक्षयों' से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है। 'वस्तु' से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है। 'नदी' से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है। 'मनुष्य' कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है। 'पहाड़' कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।
(3)भाववाचक संज्ञा :-थकान, मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, हँसी, चढ़ाई, साहस, वीरता आदि शब्द-भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये 'भाववाचक संज्ञाएँ' हैं। इस प्रकार- जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में 'उत्साह'से मन का भाव है। 'ईमानदारी' से गुण का बोध होता है।
'बचपन' जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं। हर पदार्थ का धर्म होता है। पानी में शीतलता, आग में गर्मी, मनुष्य में देवत्व और पशुत्व इत्यादि का होना आवश्यक है। पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता। घोड़ा है, तो उसमे बल है, वेग है और आकार भी है। व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है। 'धर्म, गुण, अर्थ' और 'भाव' प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। इस संज्ञा का अनुभव हमारी इन्द्रियों को होता है और प्रायः इसका बहुवचन नहीं होता। भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय शब्दों से बनती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना जातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञााजातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञाा स्त्री-स्त्रीत्वभाई-भाईचारा मनुष्य-मनुष्यतापुरुष-पुरुषत्व, पौरुष शास्त्र-शास्त्रीयताजाति-जातीयता पशु-पशुताबच्चा-बचपन दनुज-दनुजतानारी-नारीत्व पात्र-पात्रताबूढा-बुढ़ापा लड़का-लड़कपनमित्र-मित्रता दास-दासत्वपण्डित-पण्डिताई अध्यापक-अध्यापनसेवक-सेवा
(2) विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना विशेषणभाववाचक संज्ञाविशेषणभाववाचक संज्ञा लघु-लघुता, लघुत्व, लाघववीर-वीरता, वीरत्व एक-एकता, एकत्वचालाक-चालाकी खट्टा-खटाईगरीब-गरीबी गँवार-गँवारपनपागल-पागलपन बूढा-बुढ़ापामोटा-मोटापा नवाब-नवाबीदीन-दीनता, दैन्य बड़ा-बड़ाईसुंदर-सौंदर्य, सुंदरता भला-भलाईबुरा-बुराई ढीठ-ढिठाईचौड़ा-चौड़ाई लाल-लाली, लालिमाबेईमान-बेईमानी सरल-सरलता, सारल्यआवश्यकता-आवश्यकता परिश्रमी-परिश्रमअच्छा-अच्छाई गंभीर-गंभीरता, गांभीर्यसभ्य-सभ्यता स्पष्ट-स्पष्टताभावुक-भावुकता अधिक-अधिकता, आधिक्यगर्म-गर्मी सर्द-सर्दीकठोर-कठोरता मीठा-मिठासचतुर-चतुराई सफेद-सफेदीश्रेष्ठ-श्रेष्ठता मूर्ख-मूर्खताराष्ट्रीयराष्ट्रीयता
(3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना क्रियाभाववाचक संज्ञाक्रियाभाववाचक संज्ञा खोजना-खोजसीना-सिलाई जीतना-जीतरोना-रुलाई लड़ना-लड़ाईपढ़ना-पढ़ाई चलना-चाल, चलनपीटना-पिटाई देखना-दिखावा, दिखावटसमझना-समझ सींचना-सिंचाईपड़ना-पड़ाव पहनना-पहनावाचमकना-चमक लूटना-लूटजोड़ना-जोड़ घटना-घटावनाचना-नाच बोलना-बोलपूजना-पूजन झूलना-झूलाजोतना-जुताई कमाना-कमाईबचना-बचाव रुकना-रुकावटबनना-बनावट मिलना-मिलावटबुलाना-बुलावा भूलना-भूलछापना-छापा, छपाई बैठना-बैठक, बैठकीबढ़ना-बाढ़ घेरना-घेराछींकना-छींक फिसलना-फिसलनखपना-खपत रँगना-रँगाई, रंगतमुसकाना-मुसकान उड़ना-उड़ानघबराना-घबराहट मुड़ना-मोड़सजाना-सजावट चढ़ना-चढाईबहना-बहाव मारना-मारदौड़ना-दौड़ गिरना-गिरावट कूदना-कूद l




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