शनिवार, 15 दिसंबर 2018

विशेषण और पूरक का सम्बन्ध ---- प्रस्तुति-करण यादव योगेश कुमार "रोहि"

विशेषण संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द हैं -
वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं।
जैसे - पागल कुत्ता। इस वाक्य में 'पागल' विशेषण है। जिस शब्द (संज्ञा अथवा सर्वनाम) की विशेषता बतायी जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। उपरोक्त वाक्य में 'कुत्ता' विशेष्य है।

जिस विकारी शब्द से संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित होती है, उसे भी विशेषण कहते हैं।
जैसे- मेहनती विद्यार्थी सफलता पाते हैं।
वृन्दावन स्वच्छ नगर है। वह पीला है। ऐसा आदमी कहाँ मिलेगा?  इन वाक्यों में मेहनती, नीला, लाल, अच्छा, स्वच्छ, पीला और ऐसा शब्द विशेषण हैं।
जो क्रमशः विद्यार्थी, वृन्दावन, वह और आदमी की विशेषता बताते हैं।
विशेषण शब्द जिसकी विशेषता बताये, उसे विशेष्य कहते हैं, अतः विद्यार्थी, वृन्दावन, वह और आदमी शब्द विशेष्य हैं।

विशेषण के प्रकार ----
(1) गुणवाचक विशेषण (Adjective of Quality)
(2)संख्यावाचक विशेषण (Adjective of Number)
(3)परिमाणवाचक विशेषण (Adjective of     Quantity)
(4)संकेतवाचक विशेषण (Demonstractive Adjective)
(5)व्यक्तिवाचक विशेषण (Proper Adjective)
परन्तु कुछ भाषा विश्लेषक केवल चार विशेषण Adjective निर्धारित करते हैं ।
विशेषण के चार प्रकार हैं:-
(१) गुणवाचक विशेषण (२) संख्यावाचक विशेषण
(३) परिमाणवाचक विशेषण (४) सार्वनामिक विशेषण। गुणवाचक विशेषण:-
जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के गुण, रूप, रंग आदि का बोध होता है, उसे गुण वाचक विशेषण कहते हैं। जैसे- बगीचे में सुंदर फूल हैं।
वृन्दावन स्वच्छ नगर है।
स्वस्थ बच्चे खेल रहे हैं। उपर्युक्त वाक्यों में सुंदर, स्वच्छ,  और स्वस्थ शब्द गुणवाचक विशेषण हैं।
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गुण का अर्थ अच्छाई ही नहीं, किन्तु कोई भी विशेषता।
अच्छा, बुरा, खरा, खोटा सभी प्रकार के गुण इसके अन्तर्गत आते हैं।

समय सम्बन्धी- 🌹
नया, पुराना, ताजा, वर्तमान, भूत, भविष्य, अगला, पिछला आदि।

स्थान सम्बन्धी-🌹 लम्बा, चौड़ा, ऊँचा, नीचा, सीधा, बाहरी, भीतरी आदि।

आकार सम्बन्धी-🌹 गोल. चौकोर, सुडौल, पोला, सुंदर आदि। दशा संबंधी- दुबला, पतला, मोटा, भारी, गाढ़ा, गीला, गरीब, पालतू आदि।
वर्ण संबंधी- 🌹 लाल, पीला, नीला, हरा, काला, बैंगनी, सुनहरी आदि।
गुण सम्बन्धी- 🌹भला, बुरा, उचित, अनुचित, पाप, झूठ आदि।
संज्ञा सम्बन्धी- 🌹मुंबईया, बनारसी, लखनवी आदि।

संख्यावाचक विशेषण-- जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- 1. कक्षा में चालीस विद्यार्थी उपस्थित हैं।
2. दोनों भाइयों में बड़ा प्रेम हैं।
3. उनकी दूसरी लड़की की शादी है।
4. देश का हरेक बालक वीर है। उपर्युक्त वाक्यों में चालीस, दोनों, दूसरी और हरेक शब्द संख्यावाचक विशेषण हैं।
संख्यावाचक विशेषण के भी दो प्रकार है-🌹 1.निश्चित संख्यावाचक- 🌸
जैसे, एक, पाँच, सात, बारह, तीसरा, आदि। 2.अनिश्चित संख्यावाचक- 🌸
जैसे, कई, अनेक, सब, बहुत आदि।

निश्चित संख्यावाचक के छः भेद हैं- 🌷
1.पूर्णांक बोधक- जैसे, एक, दस, सौ, हजार, लाख आदि।
2.अपूर्णांक बोधक-, जैसे, पौना, सवा, डेढ, ढाई आदि। 3.क्रमवाचक- जैसे, दूसरा, चौथा, ग्यारहवाँ, पचासवाँ आदि।
4.आवृत्तिवाचक- जैसे, दुगुना, तिगुना, दसगुना आदि। 5.समूहवाचक-, जैसे, तीनों, पाँचों, आठों आदि। 6.प्रत्येक बोधक- जैसे, प्रति, प्रत्येक, हरेक, एक-एक आदि।

अनिश्चित संख्यावाचक:- इन विशेषणों से अधिकतर बाहुल्य का बोध होता है। जैसे- 1.सारे आम सड़ गए। 2.पुस्तकालय में असंख्य पुस्तकें हैं।
3.लंका में अनेक महल जल गए।
4.सुनामी में बहुत सारे लोग मारे गए।
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निश्चित संख्यावाचक के अंतर्गत आनेवाले पूर्णांक बोधक विशेषण के पहले लगभग या करीब और बाद में एक या ओं प्रत्यय लगाने से अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण हो जाता है।

जैसे- 1.लगभग पचास लोग आएँगे।
2.करीब बीस रूपए चाहिए।
3.सैंकड़ों लोग मारे गए।
कभी-कभी दो पूर्णांक बोधक साथ में आकर अनिश्चय वाचक बन जाते हैं। 🌲

जैसे- 1.चालीस-पचास रूपये चाहिए।
2.काम में दो-तीन घंटे लगेंगे।
परिमाणवाचक विशेषण :- जिस विशेषण से किसी वस्तु की नाप-तौल का बोध होता है, उसे परिमाण-वाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- 1.मुझे दो मीटर कपड़ा दो।
2.उसे एक किलो चीनी चाहिए।
3.बीमार को थोड़ा पानी देना चाहिए। उपर्युक्त वाक्यों में दो मीटर, एक किलो और थोड़ा पानी शब्द परिमाण-बोधक विशेषण हैं।
परिमाण-बोधक विशेषण के दो प्रकार हैं- 1. निश्चित परिमाण-बोधकः- जैसे, दो सेर गेहूँ, पाँच मीटर कपड़ा, एक लीटर दूध आदि।
2. अनिश्चित परिमाण-बोधकः- जैसे, थोड़ा पानी और अधिक काम, कुछ परिश्रम आदि।
परिमाण-बोधक विशेषण अधिकतर भाववाचक, द्रव्यवाचक और समूहवाचक संज्ञाओं के साथ आते हैं।

सार्वनामिक विशेषण:----🌸
जब कोई सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्द से पहले आए तथा वह विशेषण शब्द की तरह संज्ञा की विशेषता बताये, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे- 1.वह आदमी व्यवहार से कुशल है।
2.कौन छात्र मेरा काम करेगा ?
उपर्युक्त वाक्यों में वह और कौन शब्द सार्वनामिक विशेषण हैं।
पुरूषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़ कर अन्य सभी सर्वनाम संज्ञा के साथ प्रयुक्त होकर सार्वनामिक विशेषण बन जाते हैं। जैसे-
1.निश्चयवाचक- यह मूर्ति, ये मूर्तियाँ, वह मूर्ति, वे मूर्तियाँ आदि।
2.अनिश्चयवाचक- कोई व्यक्ति, कोई लड़का, कुछ लाभ आदि।
3.प्रश्नवाचक- कौन आदमी? कौन लौग?, क्या काम?, क्या सहायता? आदि।
4.सम्बन्ध वाचक- जो पुस्तक, जो लड़का, जो वस्तु व्युत्पत्ति की दृष्टि से सार्वनामिक विशेषण के दो प्रकार हैं-
1.मूल सार्वनामिक विशेषण और
2.यौगिक सार्वनामिक विशेषण।
1.मूल सार्वनामिक विशेषणः जो सर्वनाम बिना किसी रूपान्तरण के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे मूल सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
1. वह लड़की विद्यालय जा रही है।
2. कोई लड़का मेरा काम कर दे।
3. कुछ विद्यार्थी अनुपस्थित हैं।
उपयुक्त वाक्यों में वह,कोई और कुछ शब्द मूल सार्वनामिक विशेषण हैं।

2.यौगिक सार्वनामिक विशेषणः-🌲
जो सर्वनाम मूल सर्वनाम में प्रत्यय आदि जुड़ जाने से विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे- 1. ऐसा आदमी कहाँ मिलेगा? 2. कितने रूपये तुम्हें चाहिए ?
3. मुझसे इतना बोझ उठाया नहीं जाता।
उपर्युक्त वाक्यों में ऐसा, कितने और इतना शब्द यौगिक सार्वनामिक विशेषण हैं।

यौगिक सार्वनामिक विशेषण निम्नलिखित सार्वनामिक विशेषणों से बनते हैं-
यह-- से इतना, इतने, इतनी, ऐसा, ऐसी, ऐसे।
वह-- से उतना, उतने, उतनी, वैसा, वैसी, वैसे। जो से जितना, जितनी, जितने, जैसा, जैसी, जैसे।
कौन से कितना, कितनी, कितने, कैसा, कैसी, कैसे।
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विशेषण क्या होता है :-
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उसे विशेषण कहते हैं।
अथार्त जो शब्द गुण , दोष , भाव , संख्या , परिणाम आदि से संबंधित विशेषता का बोध कराते हैं उसे विशेषण कहते हैं।
विशेषण को सार्थक शब्दों के आठ भेदों में से एक माना जाता है। यह एक विकारी शब्द होता है।
जो शब्द विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं। जब विशेषण रहित संज्ञा में जिस वस्तु का बोध होता है विशेषण लगने के बाद उसका अर्थ सिमित हो जाता है।

जैसे :- बड़ा , काला , लम्बा , दयालु , भारी , सुंदर , कायर , टेढ़ा – मेढ़ा , एक , दो , वीर पुरुष , गोरा , अच्छा , बुरा , मीठा , खट्टा आदि।

विशेषण के उदाहरण :-
(i) आसमान का रंग नीला है।
(ii) मोहन एक अच्छा लड़का है।
(iii) टोकरी में मीठे संतरे हैं।
(iv) रीता सुन्दर है।
(v) कौआ काला होता है।
(vi) यह लड़का बहुत बुद्धिमान है।
(vii) कुछ दूध ले आओ।
(viii) पांच किलो दूध मोहन को दे दो।
(ix) यह रास्ता लम्बा है।
(x) खीरा कडवा है।
(xi) यह भूरी गाय है।
(xii) सुनीता सुन्दर लडकी है।

विशेष्य क्या होता है :- जिसकी विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं अथार्त जिस संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेष्य को विशेषण के पहले या बाद में भी लिखा जा सकता है।

जैसे :- विद्वान् अध्यापक , सुन्दर गीता , थोडा सा जल लाओ , खीरा कडवा है , सेब मीठा , आसमान नीला है , मोहन अच्छा लड़का है , सुंदर फूल ,काला घोडा , उजली गाय मैदान में खड़ी है आदि।

प्रविशेषण क्या होता है :- जिन शब्दों से विशेषण की विशेषता का पता चलता है उन्हें प्रविशेष्ण कहते हैं।

जैसे :- यह आम बहुत मीठा है , यह लडकी बहुत अच्छी है , मोहित बहुत चालाक है।

उद्देश्य विशेषण किसे कहते हैं :- विशेष्य से पहले जो विशेषण लगते हैं उन्हें उद्देश्य विशेषण कहते हैं।

जैसे :- सुन्दर लडकी , अच्छा लड़का , काला घोडा आदि।

विधेय विशेषण किसे कहते हैं :- जो विशेष्य संज्ञा और सर्वनाम आदि के बाद प्रयुक्त होते हैं उसे विधेय कहते हैं।

जैसे :- ये सेब मीठे हैं , वह लडकी सुन्दर है आदि।

विशेषण के भेद :-
(क) गुणवाचक विशेषण
(ख) परिणामवाचक विशेषण
(ग) संख्यावाचक विशेषण
(घ) सार्वनामिक विशेषण
(ड) व्यक्तिवाचक विशेषण
(च) प्रश्नवाचक विशेषण
(छ) तुलनाबोधक विशेषण
(ज) संबंधवाचक विशेषण

(क) गुणवाचक विशेषण :- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण के रूप की विशेषता बताते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- कालिदास विद्वान् कवि थे , वह लम्बा पेड़ है , उसने सफेद कमीज पहनी है , मंजू का घर पुराना है , यह ताजा फल है , पुराने फर्नीचर को बेच दो।

गुणवाचक विशेषण के कुछ रूपों के उदाहरण इस प्रकार हैं :-

रूप = उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(1) गुणबोधक = सुंदर , बलवान , विद्वान् , भला , उचित , अच्छा , ईमानदार , सरल , विनम्र , बुद्धिमानी , सच्चा , दानी , न्यायी , सीधा , शान्त आदि।

(2) दोष बोधक = बुरा , लालची , दुष्ट , अनुचित , झूठा , क्रूर , कठोर , घमंडी , बेईमान , पापी आदि।

(3) रंगबोधक = लाल , पीला , सफेद ,नीला , हरा , काला , बैंगनी , सुनहरा , चमकीला , धुंधला , फीका आदि।

(4) अवस्थाबोधक = लम्बा , पतला , अस्वस्थ ,दुबला , मोटा , भारी , पिघला , गाढ़ा , गीला , सूखा , घना , गरीब , उद्यमी , पालतू , रोगी , स्वस्थ , कमजोर , हल्का , बूढ़ा , अमीर आदि।

(5) स्वादबोधक = खट्टा ,मीठा , नमकीन , कडवा , तीखा , सुगंधित आदि।

(6) आकारबोधक = गोल , चौकोर , सुडौल , समान , पीला , सुंदर , नुकीला , लम्बा , चौड़ा , सीधा , तिरछा , बड़ा , छोटा , चपटा ,ऊँचा , मोटा , पतला , पोला आदि।

(7) स्थानबोधक = उजाड़ , चौरस , भीतरी , बाहरी , उपरी , सतही , पुरबी , पछियाँ , दायाँ , बायाँ , स्थानीय , देशीय , क्षेत्रीय , असमी , पंजाबी , अमेरिकी , भारतीय , विदेशी , ग्रामीण , जापानी आदि।

(8) कालबोधक = नया , पुराना , ताजा , भूत , वर्तमान , भविष्य , प्राचीन , अगला , पिछला , मौसमी , आगामी , टिकाऊ , नवीन , सायंकालीन , आधुनिक , वार्षिक , मासिक , अगला , पिछला , दोपहर , संध्या , सवेरा आदि।

(9) दिशाबोधक = निचला , उपरी , उत्तरी , पूर्वी , दक्षिणी , पश्चिमी आदि।

(10) स्पर्शबोधक = मुलायम , सख्त , ठंडा , गर्म , कोमल , खुरदरा आदि।

(11) भावबोधक = अच्छा , बुरा , कायर , वीर , डरपोक आदि।

(ख) परिणामवाचक विशेषण :– परिणाम का अर्थ होता है – मात्रा। जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा या नाप – तौल के परिणाम की विशेषता बताएं उसे परिणामवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- चार किलो दूध , थोडा रुपया , एक किलो घी , कम लोग , थोडा आटा , चार किलो चावल , कम तेल , सेर भर दूध , तोला भर सोना , कुछ पानी , सब धन , मुझे थोड़ी चाय दीजिये आदि।

परिणामवाचक विशेषण के भेद :-
1. निश्चित परिणामवाचक विशेषण
2. अनिश्चित परिणामवाचक विशेषण

1. निश्चित परिणामवाचक विशेषण :– जहाँ पर वस्तु की नाप तौल का निश्चित ज्ञान होता है उसे निश्चित परिणामवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- पांच लिटर घी , दस किलो आलू , सवा दो मीटर कपड़ा , दस हाथ की जगह , चार गज मलमल , चार किलो चावल , एक लीटर पानी , दस किलोमीटर , दस किलो गेंहूँ , एक एकड़ जमीन आदि।

2. अनिश्चित परिणामवाचक विशेषण :- जहाँ पर वस्तु की नाप -तौल का निश्चित ज्ञान न हो उसे अनिश्चित परिणामवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- थोडा पानी , कुछ आटा , मेले में बहुत आदमी है , बहुत दूध , थोडा धन , कुछ आम , थोडा नमकीन , बहुत चिड़िया , कुछ दाल , ढेर सारा पैसा , वहाँ कोई था , बहुत मिठाई , बहुत घी , थोड़ी चीनी आदि।

(ग) संख्यावाचक विशेषण :- संख्या की विशेषता का बोध कराने वाले शब्दों को संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। अथार्त जिन संज्ञा और सर्वनाम शब्दों से प्राणी , व्यक्ति , वस्तु की संख्या की विशेषता का पता चले उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- एक ,दो , द्वितीय , दुगुना , चौगुना , पाँचों , दस ,अनेक , कई , चार , कुछ , सात , पाँच , तीन , बीस , तीसरा , तृतीय आदि।

उदाहरण :- (i) मन्दिर में दो पुजारी हैं।
(ii) अभिषेक दौड़ में प्रथम आया।
(iii) इस घर में सत्रह लोग रहते हैं।
(iv) मुझे एक पुस्तक दे दो।
(v) मंजू के चार मित्र हैं।
(vi) कुछ लोग वहाँ पर हैं।

संख्यावाचक विशेषण के भेद :-
1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण
2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
3. विभागबोधक संख्यावाचक विशेषण

1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिन संज्ञा , सर्वनाम शब्दों से किसी प्राणी , व्यक्ति , वस्तु आदि की संख्या का निश्चित ज्ञान हो उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- चार कलम , दो लोग , पहला लड़का , तीस साल , दस किताब , चार मित्र ,दसवाँ भाग , तीन कलम , चार किताब , पाँच केले , चार वृक्ष , तीन कलम , एक , दो , तीन , आठ गाय , एक दर्जन पेंसिल , पाँच बालक , दस आम आदि।

उदाहरण :- (i) दो पुस्तक मेरे लिए ले आना।
(ii) मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।
(iii) डाली पर दो चिड़िया बैठी हैं।

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के प्रकार :-

1. पूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
2. अपूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
3. क्रमवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
4. आवृतिवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
5. समुदायवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
6. प्रत्येकबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
7. समुच्चवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण

1. पूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिन शब्दों से संख्या की पूर्ण विशेषता का पता चले उसे पूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इन्हें गणनावाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण भी कहते हैं।

जैसे :- एक , दो , तीन , दस लडके , एक पाव चावल , एक , दो , तीन आदि।

उदाहरण :- (i) एक लड़का स्कूल जा रहा है।
(ii) चार आम लाओ।
(iii)पच्चीस रूपए दो।

2. अपूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्या की पूर्ण विशेषता का पता न चले उसे अपूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- आधा (1/2) , पोन (3/4) , पाव (1/4) , सवा आदि।

3. क्रमवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्या के क्रम में आने का पता चले उसे क्रमवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- पहला , दूसरा , तीसरा , सातवाँ , आठवाँ , चतुर्थ आदि।

(ड) व्यक्तिवाचक विशेषण :-

उदाहरण :-(i) पहले लड़के यहाँ आओ।
(ii) राम कक्षा में प्रथम रहा।
(iii) वह दो लडके हैं।
(iv) राम तृतीय आया।
(v) राम कक्षा में प्रथम रहा।

4. आवृतिवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्या की आवृति का पता चले उसे आवृतिवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- दूना , तिगुना , चौगुना , दुगुना ,पांच गुना आदि।

उदाहरण :- (i) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।
(ii) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।
(iii) राम तिगुना वजन उठा सकता है।

5. समुदायवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्याओं में समूह या समुदाय का पता चले उसे समुदायवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- दर्जन , चालीसा , बत्तीसी , तीनों लोक , चारों घर , पाँचों भाई , दोनों , तीनों , चारों आदि।

6. प्रत्येक बोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों के प्रयोग से संख्या के हर एक का पता चले उसे प्रत्येक बोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- हर , प्रत्येक , हर एक , एक-एक , दो-दो , सवा-सवा आदि।

7-समुच्चवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों के प्रयोग से समुच्च संख्या का पता चले उसे समुच्चवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- दर्जन , जोड़ी , सतसई , शताब्दी आदि।

2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिन शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध न हो उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- सब , कुछ , कई , थोडा , सैंकड़ों , अनेक , चंद , अनगिनत , हजारों आदि।

उदाहरण :-(i) कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।
(ii) थोडा सा खाना ले आओ।
(iii) कुछ फल खाने से मेरी भूख मिट गई।
(iv) कुछ देर बाद हम चले गये।

3. विभागबोधक संख्यावाचक विशेषण :- जिन शब्दों से संख्या में विभाग का होना पाया जाये उसे विभाग बोधक संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- चार-चार लोग , दस-दस हाथी , प्रत्येक नागरिक आदि।

(घ) सार्वनामिक विशेषण :- जो सर्वनाम संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता की ओर संकेत करते हैं उन्हें सार्वनामिक विशेषण भी कहते हैं अथार्त जो सर्वनाम संज्ञा से पहले लगकर संज्ञा की विशेषता की तरफ संकेत करें उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।

जैसे :- मेरी पुस्तक , कोई बालक , किसी का महल , वह लड़का , वह बालक , वह पुस्तक , वह आदमी , वह लडकी आदि।

सार्वनामिक विशेषण के भेद :-

1. संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण
2. अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण
3. प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण
4. संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण
5. मौलिक सार्वनामिक विशेषण
6. यौगिक सार्वनामिक विशेषण

1. संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जब यह , वह , इस , उस आदि शब्द संज्ञा के शब्दों की विशेषता बताते हैं उसे संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
इसे निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण भी कहते हैं।

जैसे :- (i) उस कुर्सी को यहाँ लाओ।
(ii) क्या यह कलम तुम्हारी है।
(iii) उस पेन को यहाँ रख दो।
(iv) वे लडके सब जानते हैं।

2. अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जहाँ पर कोई और कुछ जैसे शब्द अनिश्चयवाचक के रूप में आते हैं उसे अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- (i) कोई लडकी बाहर खड़ी है।
(ii) घर में खाने को कुछ चीज नहीं है।
(iii) कोई कवि आया है।
(iv) कुछ मित्र मेरे घर आने वाले हैं।

3. प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जहाँ पर कौन , क्या , किस , कैसे जैसे शब्दों के रूप में आते हैं उसे प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- (i) तुम क्या चाहते हो।
(ii) कौन जा रहा है।
(iii) किस आदमी से बात कर रहे हो।
(iv) तुम्हे क्या मिला है।

4. संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जहाँ पर मेरा , हमारा , तेरा , तुम्हारा , इसका , उसका , जिसका , उनका जैसे शब्द के रूप में सर्वनाम संज्ञा शब्दों की विशेषता बताता है उसे संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- (i) तुम्हारा सूंट सिल गया है।
(ii) मेरा भाई घर पहुंच गया है।
(iii) मेरा नाम राधा है।
(iv) वह आदि मुझे जानता है।

5. मौलिक सार्वनामिक विशेषण :-
जो शब्द अपने मूल रूप में संज्ञा के आगे लगकर संज्ञा की विशेषता बताते है उसे मौखिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- यह घर , वह लड़का , कोई नौकर , यह लडकी , कुछ काम आदि।

6. यौगिक सार्वनामिक विशेषण :-
जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं। सर्वनाम का रूपांतरित रूप जो संज्ञा की विशेषता बताता है उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- ऐसा आदमी , कैसा घर , जैसा देश , उतना काम आदि।

(ड) व्यक्तिवाचक विशेषण :- जो शब्द विशेषण शब्दों की रचना करते हैं और व्यक्तिवाचक संज्ञा से बने होते हैं उसेव्यक्तिवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- इलाहबाद से इलाहाबादी , जयपुर से जयपुरी , बनारस से बनारसी , लखनऊ से लखनवी आदि।

(च) प्रश्नवाचक विशेषण :- जिन शब्दों की वजह से संज्ञा या सर्वनाम के बारे में जानने के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं उसे प्रश्नवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- कौन सी पुस्तक है , कौन आदि आया था , वह क्या है ? आदि।

(छ) तुलना बोधक विशेषण :- विशेषण शब्द किसी भी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। लेकिन विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण , दोष कम या ज्यादा होते हैं। जब गुणों और दोषों की तुलना की जाती है तबी उनके कम या ज्यादा होने का पता चलता है। इसी ढंग को तुलनात्मक विशेषण कहते हैं।

तुलना बोधक विशेषण की अवस्था :-

1. मूलावस्था
2. उत्तरावस्था
3. उत्तमावस्था

1. मूलावस्था :- जब किसी व्यक्ति के गुण दोष बताने के लिए विशेषण का प्रयोग किया जाता है उसे मूलावस्था कहते हैं। इसमें किसी भी वस्तु या व्यक्ति की तुलना नहीं की जाती है।

जैसे :- सुन्दर , कुरूप , अच्छा , बुरा , बहादुर , कायर ,

उदाहरण :- (i) कमल सुन्दर फूल है।
(ii) राम मोहन से अधिक समझदार है।
(iii) सूर्य तेजस्वी है।
(iv) सुरेश अच्छा लड़का है।

2. उत्तरावस्था :- जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुणों दोषों की तुलना आपस में की जाती है तथा उसमें से एक को श्रेष्ठ माना जाता है उसे उत्तरावस्था कहते हैं।

जैसे :- (i) रविन्द्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है।
(ii) सविता रमा से अधिक सुन्दर है।
(iii)रघु मधु से बहुत चालाक है।
(iv) वह तुम से सबसे अच्छी लडकी है।

3. उत्तमावस्था :- जो विशेष्य अन्य विशेष्यों की तुलना में सिर्फ एक को अधिक गुणवान बताता है और दूसरे को दोषी उसे उत्तमावस्था कहते हैं।

जैसे :- (i) तुम सबसे सुन्दर हो।
(ii) वह सबसे अच्छी लडकी है।
(iii) पंजाब में अधिकतम अन्न होता है।
(iv) संदीप निकृष्टतम बालक है।

तुलना बोधक विशेषण के उदाहरण इस प्रकार है :-

मूलावस्था = उत्तरावस्था = उत्तमावस्था के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(1) अच्छी = अधिक अच्छी = सबसे अच्छी
(2) चतुर = अधिक चतुर = सबसे अधिक चतुर
(3) बुद्धिमान = अधिक बुद्धिमान = सबसे अधिक बुद्धिमान
(4) बलवान = अधिक बलवान = सबसे अधिक बलवान
(5) उच्च = उच्चतर = उच्चतम
(6) कठोर = कठोरतर = कठोरतम
(7) गुरु = गुरुतर = गुरुतम
(8) महान = महानतर,महत्तर = महानतम,महत्तम
(9) न्यून = न्यूनतर = न्यनूतम
(10) लघु = लघुतर = लघुतम
(11) तीव्र = तीव्रतर = तीव्रतम
(12) विशाल = विशालतर = विशालतम
(13) उत्कृष्ट = उत्कृष्टर = उत्कृटतम
(14) सुंदर = सुंदरतर = सुंदरतम
(15) मधुर = मधुरतर = मधुतरतम
(16) अधिक = अधिकतर = अधिकतम
(17) वृहत् = वृहत्तर = वृहत्तम
(18) कोमल = कोमलतर = कोमलतम
(19) प्रिय = प्रियतर = प्रियतम
(20) निम्न = निम्नतर = निम्नतम
(21) शुभ्र = शुभ्रतर = शुभ्रतम
(22) निकृष्ट = निकृष्टतर = निकृष्टतम
(23) प्रिय = प्रियतर = प्रियतम
(24) महत् = महत्तर = महत्तम

(ज) सम्बन्धवाचक विशेषण :- जिन शब्दों से एक वस्तु की विशेषता का संबंध दूसरी वस्तु से बताया जाये उसे संबंध वाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- दयामय , बाहरी , गला आदि।

विशेषण शब्दों की रचना :-
(1) संज्ञा से विशेषण बनाना :-

संज्ञा + प्रत्यय = उदाहरण इस प्रकार हैं :-

(i) अंश , धर्म , अलंकार , नीति , अर्थ , दिन , इतिहास , देव + इक = आंशिक , धार्मिक , अलंकारिक , नैतिक , आर्थिक , दैनिक , ऐतिहासिक , दैविक आदि।

(ii) अंक , कुसुम , सुरभि , ध्वनि , क्षुधा , तरंग + इत = अंकित , कुसुमित , सुरभित , ध्वनित , क्षुधित , तरंगित आदि।

(iii) जटा , पंक , फेन , उर्मी + इल = जटिल , पंकिल , फेनिल , उर्मिल आदि।

(iv) स्वर्ण , रक्त + इम = स्वर्णिम , रक्तिम आदि।

(v) रोग , भोग + ई = रोगी , भोगी आदि।

(vi) कुल + ईन = कुलीन आदि।

(vii) ग्राम + ईण = ग्रामीण आदि।

(viii) आत्मा , जाति + ईय = आत्मीय , जातीय आदि।

(ix) श्रद्धा , ईर्ष्या + आलू = श्रद्धालु , ईर्ष्यालु आदि।

(x) मनस , तपस + वी = मनस्वी , तपस्वी आदि।

(xi) सुख , दुःख + मय = सुखमय , दुखमय आदि।

(xii) रूप , गुण + वान = रूपवान , गुणवान आदि।

(xiii) गुण , पुत्र + वती = गुणवती , पुत्रवती आदि।

(xiv) बुद्धि , श्री + मान = बुद्धिमान , श्रीमान आदि।

(xv) श्री , बुद्धि + मति = श्रीमती , बुद्धिमती आदि।

(xvi) धर्म , कर्म +रत = धर्मरत , कर्मरत आदि।

(xvii) समीप , देह + स्थ = समीपस्थ , देहस्थ आदि।

(xviii) धर्म , कर्म + निष्ठ = धर्मनिष्ठ , कर्मनिष्ठ आदि।

सर्वनाम से विशेषण बनाना :-

सर्वनाम = विशेषण के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(i) वह = वैसा
(ii) यह = ऐसा
(iii) अलंकार = अलंकारिक आदि।

क्रिया से विशेषण बनाना :-

क्रिया = विशेषण के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(i) पत = पतित
(ii) पूज = पूजनीय
(iii) पठ = पठित
(iv) वंद = वन्दनीय
(v) भागना = भागने वाला
(vi) पालना = पालने वाला आदि।

विशेषणों के निम्नलिखित उदाहरण इस प्रकार हैं :-
विशेष्य = विशेषण के उदाहरण इस तरह से हैं :-
1. अंक = अंकित
2. अग्नि = आग्नेय
3. अर्थ = आर्थिक
4. अधिकार = अधिकारिक
5. अंचल = आंचलिक
6. अपेक्षा = अपेक्षित
7. अध्यात्म = आध्यात्मिक
8. अनुवाद = अनुदित
9. अनुशासन = अनुशासित
10. अपमान = अपमानित

संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण :-
वस्तुत उपर्युक्त विवेचन में संकेत वाचक को ही हमने सार्वनामिक विशेषण को रूप में स्वीकृत किया है ।
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते है या जो शब्द सर्वनाम होते हुए भी किसी संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते है।

दूसरे शब्दों में- ( मैं, तू, वह ) के सिवा अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं, तब वे 'संकेतवाचक' या 'सार्वनामिक विशेषण' कहलाते हैं।

सरल शब्दों में- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग संज्ञा के आगे उनके विशेषण के रूप में होता है, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे- वह नौकर नहीं आया; यह घोड़ा अच्छा है।
यहाँ 'नौकर' और 'घोड़ा' संज्ञाओं के पहले विशेषण के रूप में 'वह' और 'यह' सर्वनाम आये हैं। अतः, ये सार्वनामिक विशेषण हैं।

Visheshan(Adjective)(विशेषण)

विशेष्य और विशेषण में सम्बन्ध

विशेषण संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताता है और जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतायी जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं।
वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है- कभी विशेषण विशेष्य के पहले आता है और कभी विशेष्य के बाद।

प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद है-
(1) विशेष्य-विशेषण (2) विधेय-विशेषण

(1) विशेष्य-विशेष- जो विशेषण विशेष्य के पहले आये, वह विशेष्य-विशेष होता हैं।
जैसे- रमेश 'चंचल' बालक है। सुनीता 'सुशील' लड़की है।
इन वाक्यों में 'चंचल' और 'सुशील' क्रमशः बालक और लड़की के विशेषण हैं, जो संज्ञाओं (विशेष्य) के पहले आये हैं।

(2) विधेय-विशेषण- जो विशेषण विशेष्य और क्रिया के बीच आये, वहाँ विधेय-विशेषण होता हैं।
जैसे- मेरा कुत्ता 'काला' हैं। मेरा लड़का 'आलसी' है। इन वाक्यों में 'काला' और 'आलसी' ऐसे विशेषण हैं,
जो क्रमशः 'कुत्ता'(संज्ञा) और 'है'(क्रिया) तथा 'लड़का'(संज्ञा) और 'है'(क्रिया) के बीच आये हैं।

यहाँ दो बातों का ध्यान रखना चाहिए- (क) विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग, वचन आदि के अनुसार होते हैं। जैसे- अच्छे लड़के पढ़ते हैं। आशा भली लड़की है। राजू गंदा लड़का है।

(ख) यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों तो विशेषण के लिंग और वचन समीपवाले विशेष्य के लिंग, वचन के अनुसार होंगे; जैसे- नये पुरुष और नारियाँ, नयी धोती और कुरता।

विशेषण शब्दों की रचना
हिंदी भाषा में विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि शब्दों के साथ उपसर्ग, प्रत्यय आदि लगाकर की जाती है।

संज्ञा से विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञाविशेषणसंज्ञाविशेषण
कथनकथितराधाराधेय
तुंदतुंदिलगंगागांगेय
धनधनवानदीक्षादीक्षित
नियमनियमितनिषेधनिषिद्ध
प्रसंगप्रासंगिकपर्वतपर्वतीय
प्रदेशप्रादेशिकप्रकृतिप्राकृतिक
बुद्धबौद्धभूमिभौमिक
मृत्युमर्त्यमुखमौखिक
रसायनरासायनिकराजनीतिराजनीतिक
लघुलाघवलोभलुब्ध/लोभी
वनवन्यश्रद्धाश्रद्धेय/श्रद्धालु
संसारसांसारिकसभासभ्य
उपयोगउपयोगी/उपयुक्तअग्निआग्नेय
आदरआदरणीयअणुआणविक
अर्थआर्थिकआशाआशित/आशान्वित/आशावानी
ईश्वरईश्वरीयइच्छाऐच्छिक
इच्छाऐच्छिकउदयउदित
उन्नतिउन्नतकर्मकर्मठ/कर्मी/कर्मण्य
क्रोधक्रोधालु, क्रोधीगृहस्थगार्हस्थ्य
गुणगुणवान/गुणीघरघरेलू
चिंताचिंत्य/चिंतनीय/चिंतितजलजलीय
जागरणजागरित/जाग्रततिरस्कारतिरस्कृत
दयादयालुदर्शनदार्शनिक
धर्मधार्मिककुंतीकौंतेय
समरसामरिकपुरस्कारपुरस्कृत
नगरनागरिकचयनचयनित
निंदानिंद्य/निंदनीयनिश्र्चयनिश्चित
परलोकपारलौकिकपुरुषपौरुषेय
पृथ्वीपार्थिवप्रमाणप्रामाणिक
बुद्धिबौद्धिकभूगोलभौगोलिक
मासमासिकमातामातृक
राष्ट्रराष्ट्रीयलोहालौह
लाभलब्ध/लभ्यवायुवायव्य/वायवीय
विवाहवैवाहिकशरीरशारीरिक
सूर्यसौर/सौर्यहृदयहार्दिक
क्षेत्रक्षेत्रीयआदिआदिम
आकर्षणआकृष्टआयुआयुष्मान
अंतअंतिमइतिहासऐतिहासिक
उत्कर्षउत्कृष्टउपकारउपकृत/उपकारक
उपेक्षाउपेक्षित/उपेक्षणीयकाँटाकँटीला
ग्रामग्राम्य/ग्रामीणग्रहणगृहीत/ग्राह्य
गर्वगर्वीलाघावघायल
जटाजटिलजहरजहरीला
तत्त्वतात्त्विकदेवदैविक/दैवी
दिनदैनिकदर्ददर्दनाक
विनतावैनतेयरक्तरक्तिम

सर्वनाम से विशेषण शब्दों की रचना

सर्वनामविशेषणसर्वनामविशेषण
कोईकोई-साजोजैसा
कौनकैसावहवैसा
मैंमेरा/मुझ-साहमहमारा
तुमतुम्हारायहऐसा
क्रिया से विशेषण शब्दों की रचना

क्रियाविशेषणक्रियाविशेषण
भूलनाभुलक्क़ड़खेलनाखिलाड़ी
पीनापियक्कड़लड़नालड़ाकू
अड़नाअड़ियलसड़नासड़ियल
घटनाघटितलूटनालुटेरा
पठपठितरक्षारक्षक
बेचनाबिकाऊकमानाकमाऊ
उड़नाउड़ाकूखानाखाऊ
पत्पतितमिलनमिलनसार
अव्यय से विशेषण शब्दों की रचना

अव्ययविशेषणअव्ययविशेषण
ऊपरऊपरीपीछेपिछला
नीचेनिचलाआगेअगला
भीतरभीतरीबाहरबाहरी
विशेषण की अवस्थायें या तुलना (Degree of Comparison)
जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें 'तुलनाबोधक विशेषण' कहते हैं।

तुलनात्मक दृष्टि से एक ही प्रकार की विशेषता बतानेवाले पदार्थों या व्यक्तियों में मात्रा का अन्तर होता है।

तुलना के विचार से विशेषणों की तीन अवस्थाएँ होती हैं-
(i)मूलावस्था (Positive Degree)
(ii)उत्तरावस्था (Comparative Degree)
(iii)उत्तमावस्था (Superlative Degree)

(i)मूलावस्था :-किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण-दोष बताने के लिए जब विशेषणों का प्रयोग किया जाता है, तब वह विशेषण की मूलावस्था कहलाती है।

इस अवस्था में किसी विशेषण के गुण या दोष की तुलना दूसरी वस्तु से नही की जाती।
इसमे विशेषण अन्य किसी विशेषण से तुलित न होकर सीधे व्यक्त होता है।

कमल 'सुंदर' फूल होता है।
आसमान में 'लाल' पतंग उड़ रही है।
ऐश्वर्या राय 'खूबसूरत' हैं।
वह अच्छी 'विद्याथी' है। इसमें कोई तुलना नहीं होती, बल्कि सामान्य विशेषता बताई जाती है।

(ii)उत्तरावस्था :- जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण की उत्तरावस्था कहते हैं।

इसमें दो व्यक्ति, वस्तु अथवा प्राणियों के गुण-दोष बताते हुए उनकी आपस में तुलना की जाती है।
जैसे- अंशु आशु से अच्छी लड़की है।
आशु अंशु से सुन्दर है।

उत्तरावस्था में केवल तत्सम शब्दों में 'तर' प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे-
सुन्दर + तर >सुन्दरतर
महत् + तर >महत्तर
लघु + तर >लघुतर
अधिक + तर >अधिकतर
दीर्घ + तर > दीर्घतर

हिन्दी में उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए 'से' और 'में' चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
बच्ची फूल से भी कोमल है।
इन दोनों लड़कियों में वह सुन्दर है।

विशेषण की उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए 'के अलावा', की तुलना में', 'के मुकाबले' आदि पदों का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे-
पटना के मुकाबले जमशेदपुर अधिक स्वच्छ है।
संस्कृत की तुलना में अंग्रेजी कम कठिन है।
आपके अलावा वहाँ कोई उपस्थित नहीं था।

(iii)उत्तमावस्था :- यह विशेषण की सर्वोत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण की उत्तमावस्था कहलाती है।

इसमें विशेषण द्वारा किसी वस्तु अथवा प्राणी को सबसे अधिक गुणशाली या दोषी बताया जाता है।
जैसे- कपिल सबसे या सबों में अच्छा है।
दीपू सबसे घटिया विचारवाला लड़का है।
तुम 'सबसे सुन्दर' हो।
हमारे कॉंलेज में नरेन्द्र 'सबसे अच्छा' खिलाड़ी है।

तत्सम शब्दों की उत्तमावस्था के लिए 'तम' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे-
सुन्दर + तम > सुन्दरतम
महत् + तम > महत्तम
लघु + तम > लघुतम
अधिक + तम > अधिकतम
श्रेष्ठ + तम > श्रेष्ठतम

'श्रेष्ठ', के पूर्व, 'सर्व' जोड़कर भी इसकी उत्तमावस्था दर्शायी जाती है। जैसे-
नीरज सर्वश्रेष्ठ लड़का है।

फारसी के 'ईन' प्रत्यय जोड़कर भी उत्तमावस्था दर्शायी जाती है। जैसे-
बगदाद बेहतरीन शहर है।

अन्य उदाहरण

मूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
लघुलघुतरलघुतम
अधिकअधिकतरअधिकतम
कोमलकोमलतरकोमलतम
सुन्दरसुन्दरतरसुन्दरतम
उच्चउच्चतरउच्त्तम
प्रियप्रियतरप्रियतम
निम्रनिम्रतरनिम्रतम
निकृष्टनिकृष्टतरनिकृष्टतम
महत्महत्तरमहत्तम
विशेषण की रूप रचना
विशेषणों की रूप-रचना निम्नलिखित अवस्थाओं में मुख्यतः संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया में प्रत्यय लगाकर होती है-

विशेषण की रचना पाँच प्रकार के शब्दों से होती है-

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा से- गाजीपुर से गाजीपुरी, मुरादाबाद से मुरादाबादी, गाँधीवाद से गाँधीवादी।

(2) जातिवाचक संज्ञा से- घर से घरेलू, पहाड़ से पहाड़ी, कागज से कागजी, ग्राम से ग्रामीण, शिक्षक से शिक्षकीय, परिवार से पारिवारिक।

(3) सर्वनाम से- यह से ऐसा (सार्वनामिक विशेषण), यह से इतने (संख्यावाचक विशेषण), यह से इतना (परिमाणवाचक विशेषण), जो से जैसे (प्रकारवाचक विशेषण), जितने (संख्यावाचक विशेषण), जितना (परिमाणवाचक विशेषण), वह से वैसा (सार्वनामिक विशेषण), उतने (संख्यावाचक विशेषण), उतना (परिमाणवाचक विशेषण)।

(4) भाववाचक संज्ञा से- भावना से भावुक, बनावट से बनावटी, एकता से एक, अनुराग से अनुरागी, गरमी से गरम, कृपा से कृपालु इत्यादि।

(5) क्रिया से- चलना से चालू, हँसना से हँसोड़, लड़ना से लड़ाकू, उड़ना से उड़छू, खेलना से खिलाड़ी, भागना से भगोड़ा, समझना से समझदार, पठ से पठित, कमाना से कमाऊ इत्यादि।

कुछ शब्द स्वंय विशेषण होते है और कुछ प्रत्यय लगाकर बनते है। जैसे -

(1)'ई' प्रत्यय से = जापान-जापानी, गुण-गुणी, स्वदेशी, धनी, पापी।
(2) 'ईय' प्रत्यय से = जाति-जातीय, भारत-भारतीय, स्वर्गीय, राष्ट्रीय ।
(3)'इक' प्रत्यय से = सप्ताह-साप्ताहिक, वर्ष-वार्षिक, नागरिक, सामाजिक।
(4)'इन' प्रत्यय से = कुल-कुलीन, नमक-नमकीन, प्राचीन।
(5)'मान' प्रत्यय से = गति-गतिमान, श्री-श्रीमान।
(6)'आलु'प्रत्यय से = कृपा -कृपालु, दया-दयालु ।
(7)'वान' प्रत्यय से = बल-बलवान, धन-धनवान।
(8)'इत' प्रत्यय से = नियम-नियमित, अपमान-अपमानित, आश्रित, चिन्तित ।
(9)'ईला' प्रत्यय से = चमक-चमकीला, हठ-हठीला, फुर्ती-फुर्तीला।

विशेषण का पद-परिचय
(i)मूलावस्था :-किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण-दोष बताने के लिए जब विशेषणों का प्रयोग किया जाता है, तब वह विशेषण की मूलावस्था कहलाती है।

इस अवस्था में किसी विशेषण के गुण या दोष की तुलना दूसरी वस्तु से नही की जाती।
इसमे विशेषण अन्य किसी विशेषण से तुलित न होकर सीधे व्यक्त होता है।

कमल 'सुंदर' फूल होता है।
आसमान में 'लाल' पतंग उड़ रही है।
ऐश्वर्या राय 'खूबसूरत' हैं।
वह अच्छी 'विद्याथी' है। इसमें कोई तुलना नहीं होती, बल्कि सामान्य विशेषता बताई जाती है।

(ii)उत्तरावस्था :- जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण की उत्तरावस्था कहते हैं।

इसमें दो व्यक्ति, वस्तु अथवा प्राणियों के गुण-दोष बताते हुए उनकी आपस में तुलना की जाती है।
जैसे- अंशु आशु से अच्छी लड़की है।
आशु अंशु से सुन्दर है।

उत्तरावस्था में केवल तत्सम शब्दों में 'तर' प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे-
सुन्दर + तर >सुन्दरतर
महत् + तर >महत्तर
लघु + तर >लघुतर
अधिक + तर >अधिकतर
दीर्घ + तर > दीर्घतर

हिन्दी में उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए 'से' और 'में' चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
बच्ची फूल से भी कोमल है।
इन दोनों लड़कियों में वह सुन्दर है।

विशेषण की उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए 'के अलावा', की तुलना में', 'के मुकाबले' आदि पदों का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे-
पटना के मुकाबले जमशेदपुर अधिक स्वच्छ है।
संस्कृत की तुलना में अंग्रेजी कम कठिन है।
आपके अलावा वहाँ कोई उपस्थित नहीं था।

(iii)उत्तमावस्था :- यह विशेषण की सर्वोत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण की उत्तमावस्था कहलाती है।

इसमें विशेषण द्वारा किसी वस्तु अथवा प्राणी को सबसे अधिक गुणशाली या दोषी बताया जाता है।
जैसे- कपिल सबसे या सबों में अच्छा है।
दीपू सबसे घटिया विचारवाला लड़का है।
तुम 'सबसे सुन्दर' हो।
हमारे कॉंलेज में नरेन्द्र 'सबसे अच्छा' खिलाड़ी है।

तत्सम शब्दों की उत्तमावस्था के लिए 'तम' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे-
सुन्दर + तम > सुन्दरतम
महत् + तम > महत्तम
लघु + तम > लघुतम
अधिक + तम > अधिकतम
श्रेष्ठ + तम > श्रेष्ठतम

'श्रेष्ठ', के पूर्व, 'सर्व' जोड़कर भी इसकी उत्तमावस्था दर्शायी जाती है। जैसे-
नीरज सर्वश्रेष्ठ लड़का है।

फारसी के 'ईन' प्रत्यय जोड़कर भी उत्तमावस्था दर्शायी जाती है। जैसे-
बगदाद बेहतरीन शहर है।

अन्य उदाहरण

मूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
लघुलघुतरलघुतम
अधिकअधिकतरअधिकतम
कोमलकोमलतरकोमलतम
सुन्दरसुन्दरतरसुन्दरतम
उच्चउच्चतरउच्त्तम
प्रियप्रियतरप्रियतम
निम्रनिम्रतरनिम्रतम
निकृष्टनिकृष्टतरनिकृष्टतम
महत्महत्तरमहत्तम
विशेषण की रूप रचना
विशेषणों की रूप-रचना निम्नलिखित अवस्थाओं में मुख्यतः संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया में प्रत्यय लगाकर होती है-

विशेषण की रचना पाँच प्रकार के शब्दों से होती है-

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा से- गाजीपुर से गाजीपुरी, मुरादाबाद से मुरादाबादी, गाँधीवाद से गाँधीवादी।

(2) जातिवाचक संज्ञा से- घर से घरेलू, पहाड़ से पहाड़ी, कागज से कागजी, ग्राम से ग्रामीण, शिक्षक से शिक्षकीय, परिवार से पारिवारिक।

(3) सर्वनाम से- यह से ऐसा (सार्वनामिक विशेषण), यह से इतने (संख्यावाचक विशेषण), यह से इतना (परिमाणवाचक विशेषण), जो से जैसे (प्रकारवाचक विशेषण), जितने (संख्यावाचक विशेषण), जितना (परिमाणवाचक विशेषण), वह से वैसा (सार्वनामिक विशेषण), उतने (संख्यावाचक विशेषण), उतना (परिमाणवाचक विशेषण)।

(4) भाववाचक संज्ञा से- भावना से भावुक, बनावट से बनावटी, एकता से एक, अनुराग से अनुरागी, गरमी से गरम, कृपा से कृपालु इत्यादि।

(5) क्रिया से- चलना से चालू, हँसना से हँसोड़, लड़ना से लड़ाकू, उड़ना से उड़छू, खेलना से खिलाड़ी, भागना से भगोड़ा, समझना से समझदार, पठ से पठित, कमाना से कमाऊ इत्यादि।

कुछ शब्द स्वंय विशेषण होते है और कुछ प्रत्यय लगाकर बनते है। जैसे -

(1)'ई' प्रत्यय से = जापान-जापानी, गुण-गुणी, स्वदेशी, धनी, पापी।
(2) 'ईय' प्रत्यय से = जाति-जातीय, भारत-भारतीय, स्वर्गीय, राष्ट्रीय ।
(3)'इक' प्रत्यय से = सप्ताह-साप्ताहिक, वर्ष-वार्षिक, नागरिक, सामाजिक।
(4)'इन' प्रत्यय से = कुल-कुलीन, नमक-नमकीन, प्राचीन।
(5)'मान' प्रत्यय से = गति-गतिमान, श्री-श्रीमान।
(6)'आलु'प्रत्यय से = कृपा -कृपालु, दया-दयालु ।
(7)'वान' प्रत्यय से = बल-बलवान, धन-धनवान।
(8)'इत' प्रत्यय से = नियम-नियमित, अपमान-अपमानित, आश्रित, चिन्तित ।
(9)'ईला' प्रत्यय से = चमक-चमकीला, हठ-हठीला, फुर्ती-फुर्तीला।

विशेषण के पद-परिचय में संज्ञा और सर्वनाम की तरह लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए।

उदाहरण- यह तुम्हें बापू के अमूल्य गुणों की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य करायेगा।
इस वाक्य में अमूल्य और थोड़ी-बहुत विशेषण हैं। इसका पद-परिचय इस प्रकार होगा-

अमूल्य- विशेषण, गुणवाचक, पुंलिंग, बहुवचन, अन्यपुरुष, सम्बन्धवाचक, 'गुणों' इसका विशेष्य।
थोड़ी-बहुत- विशेषण, अनिश्र्चित संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, कर्मवाचक, 'जानकारी' इसका विशेष्य।

विशेषणों का रूपान्तर
विशेषण का अपना लिंग-वचन नहीं होता। वह प्रायः अपने विशेष्य के अनुसार अपने रूपों को परिवर्तित करता है। हिन्दी के सभी विशेषण दोनों लिंगों में समान रूप से बने रहते हैं; केवल आकारान्त विशेषण स्त्री० में ईकारान्त हो जाया करता है।

अपरिवर्तित रूप

(1) बिहारी लड़के भी कम प्रतिभावान् नहीं होते।
(2) वह अपने परिवार की भीतरी कलह से परेशान है।
(3) उसका पति बड़ा उड़ाऊ है।

परिवर्तित रूप

(1) अच्छा लड़का सर्वत्र आदर का पात्र होता है।
(2) अच्छी लड़की सर्वत्र आदर की पात्रा होती है।
(3) हमारे वेद में ज्ञान की बातें भरी-पड़ी हैं।
(4) विद्वान सर्वत्र पूजे जाते हैं।
(5) राक्षस मायावी होता था।
(6) राक्षसी मायाविनी होती थी।

जिन विशेषण शब्दों के अन्त में 'इया' रहता है, उनमें लिंग के कारण रूप-परिवर्तन नहीं होता। जैसे-
मुखिया, दुखिया, बढ़िया, घटिया, छलिया।
दुखिया मर्दो की कमी नहीं है इस देश में।
दुखिया औरतों की भी कमी कहाँ है इस देश में।

उर्दू के उम्दा, ताजा, जरा, जिंदा आदि विशेषणों का रूप भी अपरिवर्तित रहता है। जैसे-
आज की ताजा खबर सुनो।
पिताजी ताजा सब्जी लाये हैं।

सार्वनामिक विशेषणों के रूप भी विशेष्यों के अनुसार ही होते हैं। जैसे-
जैसी करनी वैसी भरनी
यह लड़का-वह लड़की
ये लड़के-वे लड़कियाँ

जो तद्भव विशेषण 'आ' नहीं रखते उन्हें ईकारान्त नहीं किया जाता है। स्त्री० एवं पुं० बहुवचन में भी उनका प्रयोग वैसा ही होता है। जैसे-
ढीठ लड़का कहीं भी कुछ बोल जाता है।
वहां के लड़के बहुत ही ढीठ हैं।

जब किसी विशेषण का जातिवाचक संज्ञा की तरह प्रयोग होता है तब स्त्री०- पुं० भेद बराबर स्पष्ट रहता है। जैसे-
उस सुन्दरी ने पृथ्वीराज चौहान को ही वरण किया।
उन सुन्दरियों ने मंगलगीत प्रारंभ कर दिए।

परन्तु, जब विशेषण के रूप में इनका प्रयोग होता है तब स्त्रीत्व-सूचक 'ई' का लोप हो जाता है। जैसे-
उन सुन्दर बालिकाओं ने गीत गाए।
चंचल लहरें अठखेलियाँ कर रही है।

जिन विशेषणों के अंत में 'वान्' या 'मान्' होता है, उनके पुंल्लिंग दोनों वचनों में 'वान्' या 'मान्'और स्त्रीलिंग दोनों वचनों में 'वती' या 'मती' होता है। जैसे-
गुणवान लड़का : गुणवान् लड़के
गुणवती लड़की : गुणवती लड़कियाँ
बुद्धिमान् लड़का : बुद्धिमान् लड़के
बुद्धिमती लड़की : बुद्धिमती लड़कियाँ
__________________________________________
पूरक (Complement )

पूरक -  कुछ क्रियाएँ अपने अर्थ को पूरा करने के लिए पूरक रखती है तथा वाक्य में कथन को पूरा करने का   काम पूरक करता है ।

जैसे -
१-गाँधी जी राष्ट्रपिता थे ।
('राष्ट्रपिता', पूरक है )
२- मोहन एक वकील है ।
वस्तुत पूरक प्राय: वाक्य में प्रयुक्त कर्ता की ही उपाधि मूलक विशेषण होता है ।
जैसे राष्ट्रपिता होना गाँधी जी की विशेषता है  और वकील होना मोहन की उपर्युक्त विवेचन में राष्ट्रपिता तथा  वकील गाँधी तथा मोहन के प्रतीक हैं ।
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