बुधवार, 5 दिसंबर 2018

हिन्दी व्याकरण का मानक स्वरूप ।भाग तृतीय

पद-विचार
सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, पर जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह स्वतंत्र नहीं रहता बल्कि व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और प्रायः इसका रूप भी बदल जाता है। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।

हिन्दी में पद पाँच प्रकार के होते हैं-
1. संज्ञा
2. सर्वनाम
3. विशेषण
4. क्रिया
5. अव्यय

Adjective In Hindi-विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण

विशेषण क्या होता है :-
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उसे विशेषण कहते हैं। अथार्त जो शब्द गुण , दोष , भाव , संख्या , परिणाम आदि से संबंधित विशेषता का बोध कराते हैं उसे विशेषण कहते हैं। विशेषण को सार्थक शब्दों के आठ भेदों में से एक माना जाता है। यह एक विकारी शब्द होता है। जो शब्द विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं। जब विशेषण रहित संज्ञा में जिस वस्तु का बोध होता है विशेषण लगने के बाद उसका अर्थ सिमित हो जाता है।

जैसे :- बड़ा , काला , लम्बा , दयालु , भारी , सुंदर , कायर , टेढ़ा – मेढ़ा , एक , दो , वीर पुरुष , गोरा , अच्छा , बुरा , मीठा , खट्टा आदि।

विशेषण के उदाहरण :-
(i) आसमान का रंग नीला है।
(ii) मोहन एक अच्छा लड़का है।
(iii) टोकरी में मीठे संतरे हैं।
(iv) रीता सुंदर है।
(v) कौआ काला होता है।
(vi) यह लड़का बहुत बुद्धिमान है।
(vii) कुछ दूध ले आओ।
(viii) पांच किलो दूध मोहन को दे दो।
(ix) यह रास्ता लम्बा है।
(x) खीरा कडवा है।
(xi) यह भूरी गाय है।
(xii) सुनीता सुंदर लडकी है।

विशेष्य क्या होता है :- जिसकी विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं अथार्त जिस संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेष्य को विशेषण के पहले या बाद में भी लिखा जा सकता है।

जैसे :- विद्वान् अध्यापक , सुंदर गीता , थोडा सा जल लाओ , खीरा कडवा है , सेब मीठा , आसमान नीला है , मोहन अच्छा लड़का है , सुंदर फूल ,काला घोडा , उजली गाय मैदान में खड़ी है आदि।

प्रविशेषण क्या होता है :- जिन शब्दों से विशेषण की विशेषता का पता चलता है उन्हें प्रविशेष्ण कहते हैं।

जैसे :- यह आम बहुत मीठा है , यह लडकी बहुत अच्छी है , मोहित बहुत चालाक है।

उद्देश्य विशेषण किसे कहते हैं :- विशेष्य से पहले जो विशेषण लगते हैं उन्हें उद्देश्य विशेषण कहते हैं।

जैसे :- सुंदर लडकी , अच्छा लड़का , काला घोडा आदि।

विधेय विशेषण किसे कहते हैं :- जो विशेष्य संज्ञा और सर्वनाम आदि के बाद प्रयुक्त होते हैं उसे विधेय कहते हैं।

जैसे :- ये सेब मीठे हैं , वह लडकी सुंदर है आदि।

विशेषण के भेद :-
(क) गुणवाचक विशेषण
(ख) परिणामवाचक विशेषण
(ग) संख्यावाचक विशेषण
(घ) सार्वनामिक विशेषण
(ड) व्यक्तिवाचक विशेषण
(च) प्रश्नवाचक विशेषण
(छ) तुलनाबोधक विशेषण
(ज) संबंधवाचक विशेषण

(क) गुणवाचक विशेषण :- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण के रूप की विशेषता बताते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- कालिदास विद्वान् व्यक्ति थे , वह लम्बा पेड़ है , उसने सफेद कमीज पहनी है , मंजू का घर पुराना है , यह ताजा फल है , पुराने फर्नीचर को बेच दो।

गुणवाचक विशेषण के कुछ रूपों के उदाहरण इस प्रकार हैं :-

रूप = उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(1) गुणबोधक = सुंदर , बलवान , विद्वान् , भला , उचित , अच्छा , ईमानदार , सरल , विनम्र , बुद्धिमानी , सच्चा , दानी , न्यायी , सीधा , शान्त आदि।

(2) दोष बोधक = बुरा , लालची , दुष्ट , अनुचित , झूठा , क्रूर , कठोर , घमंडी , बेईमान , पापी आदि।

(3) रंगबोधक = लाल , पीला , सफेद ,नीला , हरा , काला , बैंगनी , सुनहरा , चमकीला , धुंधला , फीका आदि।

(4) अवस्थाबोधक = लम्बा , पतला , अस्वस्थ ,दुबला , मोटा , भारी , पिघला , गाढ़ा , गीला , सूखा , घना , गरीब , उद्यमी , पालतू , रोगी , स्वस्थ , कमजोर , हल्का , बूढ़ा , अमीर आदि।

(5) स्वादबोधक = खट्टा ,मीठा , नमकीन , कडवा , तीखा , सुगंधित आदि।

(6) आकारबोधक = गोल , चौकोर , सुडौल , समान , पीला , सुंदर , नुकीला , लम्बा , चौड़ा , सीधा , तिरछा , बड़ा , छोटा , चपटा ,ऊँचा , मोटा , पतला , पोला आदि।

(7) स्थानबोधक = उजाड़ , चौरस , भीतरी , बाहरी , उपरी , सतही , पुरबी , पछियाँ , दायाँ , बायाँ , स्थानीय , देशीय , क्षेत्रीय , असमी , पंजाबी , अमेरिकी , भारतीय , विदेशी , ग्रामीण , जापानी आदि।

(8) कालबोधक = नया , पुराना , ताजा , भूत , वर्तमान , भविष्य , प्राचीन , अगला , पिछला , मौसमी , आगामी , टिकाऊ , नवीन , सायंकालीन , आधुनिक , वार्षिक , मासिक , अगला , पिछला , दोपहर , संध्या , सवेरा आदि।

(9) दिशाबोधक = निचला , उपरी , उत्तरी , पूर्वी , दक्षिणी , पश्चिमी आदि।

(10) स्पर्शबोधक = मुलायम , सख्त , ठंडा , गर्म , कोमल , खुरदरा आदि।

(11) भावबोधक = अच्छा , बुरा , कायर , वीर , डरपोक आदि।

(ख) परिणामवाचक विशेषण :– परिणाम का अर्थ होता है – मात्रा। जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा या नाप – तौल के परिणाम की विशेषता बताएं उसे परिणामवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे :- उपर्युक्त वाक्यों में वह और कौन शब्द सार्वनामिक विशेषण हैं। पुरूषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़ बाकी सभी सर्वनाम संज्ञा के साथ प्रयुक्त होकर सार्वनामिक विशेषण बन जाते हैं। जैसे-

1.निश्चयवाचक- यह मूर्ति, ये मूर्तियाँ, वह मूर्ति, वे मूर्तियाँ आदि।
2.अऩिश्चयवाचक- कोई व्यक्ति, कोई लड़का, कुछ लाभ आदि।
3.प्रश्नवाचक- कौन आदमी? कौन लौग?, क्या काम?, क्या सहायता? आदि।
4.सम्बन्धवाचक- जो पुस्तक, जो लड़का, जो वस्तु
व्युत्पत्ति की दृष्टि से सार्वनामिक विशेषण के दो प्रकार हैं-

1.मूल सार्वनामिक विशेषण और
2.यौगिक सार्वनामिक विशेषण।
1.मूल सार्वनामिक विशेषणः जो सर्वनाम बिना किसी रूपांतर के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे मूल सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-

1. वह लड़की विद्यालय जा रही है।
2. कोई लड़का मेरा काम कर दे।
3. कुछ विद्यार्थी अनुपस्थित हैं।
उपयुक्त वाक्यों में वह,कोई और कुछ शब्द मूल सार्वनामिक विशेषण हैं।

2.यौगिक सार्वनामिक विशेषणःजो सर्वनाम मूल सर्वनाम में प्रत्यय आदि जुड़ जाने से विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-

1. ऐसा आदमी कहाँ मिलेगा?
2. कितने रूपये तुम्हें चाहिए?
3. मुझसे इतना बोझ उठाया नहीं जाता।
उपर्युक्त वाक्यों में ऐसा, कितने और इतना शब्द यौगिक सार्वनामिक विशेषण हैं।
यौगिक सार्वनामिक विशेषण निम्नलिखित सार्वनामिक विशेषणों से बनते हैं-
यह से इतना, इतने, इतनी, ऐसा, ऐसी, ऐसे। वह से उतना, उतने, उतनी, वैसा, वैसी, वैसे। जो से जितना, जितनी, जितने, जैसा, जैसी, जैसे।
कौन से कितना, कितनी, कितने, कैसा, कैसी, कैसे।

पदबंध (Phrase) की परिभाषा
पद- वाक्य से अलग रहने पर 'शब्द' और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द 'पद' कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- शब्द विभक्तिरहित और पद विभक्तिसहित होते हैं।

पद-बन्ध- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, 'पदबंध' कहते है।
डॉ० हरदेव बाहरी ने 'पदबन्ध' की परिभाषा इस प्रकार दी है- वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते- पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं।
जैसे-

(1) सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया।
(2) यह लड़की अत्यन्त सुशील और परिश्रमी है।
(3) नदी बहती चली जा रही है।
(4) नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।

उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द पद-बन्ध है।
पहले वाक्य के 'सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र' में पाँच पद है, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का कार्य कर रहे हैं। दूसरे वाक्य के 'अत्यन्त सुशील और परिश्रमी' में भी चार पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं।
तीसरे वाक्य के 'बहती चली जा रही है' में पाँच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं।
चौथे वाक्य के 'कल-कल करती हुई' में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं।

इस प्रकार रचना की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं- एक तो यह कि इसमें एक से अधिक पद होते हैं। दूसरे ये पद इस तरह से सम्बद्ध होते हैं कि उनसे एक इकाई बन जाती है। तीसरे, पदबन्ध किसी वाक्य का अंश होता है।

अँग्रेजी में इसे (phrase)कहते हैं।
इसका मुख्य कार्य वाक्य को स्पष्ट, सार्थक और प्रभावकारी बनाना है।
शब्द-लाघव के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है- खास तौर से समास, मुहावरों और कहावतों में। ये पदबंध पूरे वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य के टुकड़े हैं, किन्तु निश्र्चित अर्थ और क्रम के परिचायक हैं।
हिंदी व्याकरण में इनपर अभी स्वतन्त्र अध्ययन नहीं हुआ है।

पदबंध के भेद
पदबंध के तीन भेद किये गये हैं-
(1) संज्ञा-पदबन्ध-
(2) विशेषण-पदबन्ध-
(3) क्रिया पद -बन्ध
(4) क्रिया विशेषण पद-बन्ध

(1) संज्ञा-पदबन्ध- जब किसी वाक्य में पदसमूह या पदबंध संज्ञा का भाव नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में प्रकट करें तब वे संज्ञा-पदबंध कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में-पदबन्ध का अंतिम अथवा शीर्ष शब्द यदि संज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हो तो वह 'संज्ञा पदबंध' कहलाता है।

जैसे-
(a) चार ताकतवर मजदूर इस भारी चीज को उठा पाए।
(b) राम ने लंका के राजा रावण को मार गिराया।
(c) अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे।
(d) आसमान में उड़ता गुब्बारा फट गया।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'संज्ञा पदबंध' है।

(2) विशेषण-पदबन्ध- जब किसी वाक्य में पदबंध किसी संज्ञा की विशेषता नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में बतायें तब वे विशेषण-पदबंध कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- पदबंध का शीर्ष अथवा अंतिम शब्द यदि विशेषण हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हों तो वह 'विशेषण पदबंध' कहलाता है।

जैसे-
(a) तेज चलने वाली गाड़ियाँ प्रायः देर से पहुँचती हैं।
(b) उस घर के कोने में बैठा हुआ आदमी जासूस है।
(c) उसका घोड़ा अत्यंत सुंदर, फुरतीला और आज्ञाकारी है।
(d) बरगद और पीपल की घनी छाँव से हमें बहुत सुख मिला।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'विशेषण पदबंध' है।

(3) क्रिया -बन्ध- क्रिया पद-बन्ध में मुख्य क्रिया पहले आती है।
उसके बाद अन्य क्रियाएँ मिलकर एक समग्र इकाई बनाती है। यही 'क्रिया पद-बन्ध' है।

जैसे-
(a) वह बाजार की ओर आया होगा।
(b) मुझे मोहन छत से दिखाई दे रहा है।
(c) सुरेश नदी में डूब गया।
(d) अब दरवाजा खोला जा सकता है।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'क्रिया पदबंध' है।

(4) क्रिया विशेषण पदबंध- यह पदबंध मूलतः क्रिया का विशेषण रूप होने के कारण प्रायः क्रिया से पहले आता है। इसमें क्रियाविशेषण प्रायः शीर्ष स्थान पर होता है, अन्य पद उस पर आश्रित होते है।

जैसे-
(a) मैंने रमा की आधी रात तक प्रतीक्षा की।
(b) उसने साँप को पीट-पीटकर मारा।
(c) छात्र मोहन की शिकायत दबी जबान से कर रहे थे।
(d) कुछ लोग सोते-सोते चलते है।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'क्रिया विशेषण पदबंध' है।
__________________________________________
पदबन्ध (Phrase) और उपवाक्य (Clause) में अन्तर
पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर है-
उपवाक्य (Clause) भी पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का समूह है, लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं।
पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है; जैसे-'ज्योंही वह आया, त्योंही मैं चला गया।'
यहाँ 'ज्योंही वह आया' एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण अर्थ की प्रतीति नहीं होती।

दौनों में अन्तर ---उपवाक्य (Clause) की परिभाषा
ऐसा पदसमूह, जिसका अपना अर्थ हो, जो एक वाक्य का भाग हो और जिसमें उदेश्य और विधेय हों, उपवाक्य कहलाता हैं।
उपवाक्यों के आरम्भ में अधिकतर कि, जिससे ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ इत्यादि होते हैं।

उपवाक्य के प्रकार
उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(1) संज्ञा-उपवाक्य (Noun Clause) (2) विशेषण-उपवाक्य (Adjective Clause) (3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य

(1) संज्ञा-उपवाक्य(Noun Clause)- जो आश्रित उपवाक्य संज्ञा की तरह व्यवहृत हों, उसे 'संज्ञा-उपवाक्य' कहते हैं।
यह कर्म (सकर्मक क्रिया) या पूरक (अकर्मक क्रिया) का काम करता है, जैसा संज्ञा करती है। 'संज्ञा-उपवाक्य' की पहचान यह है कि इस उपवाक्य के पूर्व 'कि' होता है। जैसे- 'राम ने कहा कि मैं पढूँगा' यहाँ 'मैं पढूँगा' संज्ञा-उपवाक्य है। 'मैं नहीं जानता कि वह कहाँ है'- इस वाक्य में 'वह कहाँ है' संज्ञा-उपवाक्य है।

(2) विशेषण-उपवाक्य (Adjective Clause)- जो आश्रित उपवाक्य विशेषण की तरह व्यवहृत हो, उसे विशेषण-उपवाक्य कहते हैं।
जैसे- वह आदमी, जो कल आया था, आज भी आया है। यहाँ 'जो कल आया था' विशेषण-उपवाक्य है।
इसमें 'जो', 'जैसा', 'जितना' इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं।

(3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य (Adverb Clause)- जो उपवाक्य क्रियाविशेषण की तरह व्यवहृत हो, उसे क्रियाविशेषण-उपवाक्य कहते हैं।
जैसे- जब पानी बरसता है, तब मेढक बोलते हैं यहाँ 'जब पानी बरसता है' क्रियाविशेषण-उपवाक्य हैं। इसमें प्रायः 'जब', 'जहाँ', 'जिधर', 'ज्यों', 'यद्यपि' इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं। इसके द्वारा समय, स्थान, कारण, उद्देश्य, फल, अवस्था, समानता, मात्रा इत्यादि का बोध होता हैं।

अत्यधिक स्पष्टता के लिए उपवाक्य ( Upvakya )

(1) प्रधान उपवाक्य (Pradhan Upvakya )
(2) आश्रित उपवाक्य (Ashrit Upvakya )

प्रधान उपवाक्य

→ प्रधान उपवाक्य (मुख्य उपवाक्य) किसी दूसरे उपवाक्य पर निर्भर नहीं होता है। वह स्वतंत्र उपवाक्य होता है।

आश्रित उपवाक्य

→ आश्रित उपवाक्य दूसरे उपवाक्य पर आश्रित होता है।
→   आश्रित उपवाक्य क्योंकि, कि, यदि, जो, आदि से आरंभ होते हैं।

आश्रित उपवाक्य के प्रकार

(1) संज्ञा उपवाक्य
(2) विशेषण उपवाक्य
(3) क्रियाविशेषण उपवाक्य

संज्ञा उपवाक्य

→ जब किसी आश्रित उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा के स्थान पर होता तो उसे संज्ञा उपवाक्य कहते है।
→   ‘संज्ञा उपवाक्य’ का प्रारम्भ ‘कि’ से होता है।

जैसे   →  गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो।

→   इस वाक्य में ‘‘कि सदा सत्य बोलो’’ संज्ञा उपवाक्य हैं।

विशेषण उपवाक्य

→ जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के किसी ‘संज्ञा’ या सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाये तो उस उपवाक्य को विशेषण उपवाक्य कहते हैं।

→        विशेषण उपवाक्य का प्रारम्भ जो, जिसका, जिसकी, जिसके में से किसी शब्द से होता है।

जैसे → 1. यह वही लड़का है, जो कक्षा में प्रथम आया था।

विशेषण उपवाक्य → जो कक्षा में प्रथम आया था।

यह वही फि़ल्म है जिसे अवाॅर्ड मिला था।
विशेषण उपवाक्य → जिसे अवाॅर्ड मिला था।

क्रियाविशेषण उपवाक्य ( Kriyavisheshav Upvakya )

→ जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताये या सूचना दे, उस आश्रित उपवाक्य को क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते है।

→        क्रिया विशेषण उपवाक्य यदि, जहाँ, जैसे, यद्यपि, क्योंकि, जब, तब आदि में से किसी शब्द से शुरू होता है।

जैसे →    1. यदि मोहन मेहनत करता, तो अवश्य उत्तीर्ण होता।

क्रियाविशेषण उपवाक्य →  तो अवश्य उत्तीर्ण होता।

श्याम को गाड़ी नहीं मिली, क्योंकि वह समय पर नहीं गया।
क्रियाविशेषण उपवाक्य →  क्योंकि वह समय पर नहीं गया।

वाक्यों में उपवाक्यों का समायोजन ----

रचना के अनुसार वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद हैं ==>

१ - सरल वाक्य ।
२ - संयुक्त वाक्य ।
३ - मिश्र वाक्य ।

१ - सरल वाक्य ==> जिस वाक्य में केवल एक ही क्रिया हो, वह सरल या साधारण वाक्य कहलाता है।
जैसे==>

चिड़िया उड़ती है ।  श्रेयांश पतंग उड़ा रहा है ।      गाय घास चरती है ।

२ - संयुक्त वाक्य ==> जब दो अथवा दो से अधिक सरल या साधारण वाक्य किसी सामानाधिकरण योजक  (और - एवम् - तथा , या - वा -अथवा, लेकिन -किन्तु - परन्तु आदि) से जुड़े होते हैं, तो वह संयुक्त वाक्य कहलाता हैं।

जैसे==>

(अ) - चन्दन खेल कर आया और सो गया ।

(ब) - मैंने उसे बहुत मनाया परन्तु वह नहीं मानी ।

(स) - कम खाया करो अन्यथा मोटे हो जाओगे ।

३ - मिश्र वाक्य ==> जब दो अथवा दो से अधिक सरल या संयुक्त वाक्य किसी व्यधिकरण योजक  (यदि...तो , जैसा...वैसा, क्योंकि...इसलिए , यद्यपि....तथापि ,कि आदि ) से जुड़े होते हैं, तो वह मिश्र या मिश्रित वाक्य कहलाता है।
ऐसे वाक्य में एक प्रधान (मुख्य) उपवाक्य और एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं।

जैसे ==>

(अ) - यदि अधिक दौड़ोगे तो थक जाओगे।

(ब) -यद्यपि मैंने उसे बहुत मनाया तथापि वह नहीं    माना।

(स) - जैसा काम करोगे वैसा फल मिलेगा।

(द) - क्षितिज ने बताया कि वह पटना जाएगा ।

मिश्र या मिश्रित वाक्य के दो भेद होते हैं ==>

(क) प्रधान  उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो उपवाक्य किसी पर आश्रित नहीं होता अर्थात् स्वतंत्र होता है एवम् उसकी क्रिया मुख्य होती है , वह मुख्य या प्रधान उपवाक्य कहलाता है।

जैसे-    मोदी जी ने कहा कि अच्छे दिन आएँगे।

इस वाक्य में ‘मोदी जी ने कहा’ प्रधान उपवाक्य है।

(ख) आश्रित उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो उपवाक्य दूसरे उपवाक्य पर निर्भर होता है अर्थात् स्वतंत्र नहीं होता है एवम् किसी न किसी व्यधिकरण योजक से जुड़ा होता है , वह आश्रित उपवाक्य कहलाता है।

जैसे- 

      मोदी जी ने कहा कि अच्छे दिन आएँगे।
इस वाक्य में ‘अच्छे दिन आएँगे।’ आश्रित उपवाक्य है।

आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैं ==>
(अ) - संज्ञा आश्रित उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो आश्रित उपवाक्य किसी दूसरे (प्रधान) उपवाक्य की संज्ञा हो अथवा कर्म का काम करता हो , वह संज्ञा आश्रित उपवाक्य कहलाता है।
यह ‘कि’ योजक से जुड़ा रहता है।

जैसे-

       रामदेव बाबा ने कहा है कि प्रतिदिन योग करना चाहिए।
इस वाक्य में ‘प्रतिदिन योग करना चाहिए।’ संज्ञा आश्रित उपवाक्य है। क्योंकि यह उपवाक्य ‘कि’ योजक से तो जुड़ा ही है , साथ ही प्रधान उपवाक्य ‘रामदेव बाबा ने कहा है’ के ‘क्या कहा है?’ का जवाब भी है , अर्थात् कर्म भी है। अत: यह संज्ञा आश्रित उपवाक्य है।

(ब) - विशेषण आश्रित उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो आश्रित उपवाक्य किसी दूसरे (प्रधान) उपवाक्य के संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता हो ,वह विशेषण आश्रित उपवाक्य कहलाता है।
यह ‘जो ,जिस, जिन’ योजकों से आरम्भ होता है।

जैसे-
(अ) - जो दुबला - पतला लड़का है उसे कमज़ोर मत समझो ।

(ब) - जिस लड़के का (जिसका) मन पढ़ाई में नहीं लगता, वह मेरा दोस्त नहीं हो सकता।
(स) - जिन लोगों ने (जिन्होंने) मेहनत किया , वे अवश्य सफल होंगे।

इन वाक्यों में ‘जो ,जिस जिन’  से आरम्भ होनेवाले उपवाक्य अर्थात् ‘जो दुबला - पतला लड़का है’ , ‘जिस लड़के का (जिसका) मन पढ़ाई में नहीं लगता’ तथा ‘जिन लोगों ने (जिन्होंने) मेहनत किया’ अंशवाले उपवाक्य विशेषण आश्रित उपवाक्य हैं।

(स) - क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो आश्रित उपवाक्य किसी दूसरे(प्रधान) उपवाक्य के क्रिया की विशेषता बताता हो , वह क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य कहलाता है।
यह ‘जब , जहाँ, जैसे , जितना’ योजकों से आरम्भ होता है।

जैसे-

(अ) - जब घटा घिरने लगी , तब मोर नाचने लगा

(ब)-जहाँ बस रुकती है,वहाँ बहुत लोग खड़े रहते हैं।

(स)- जैसे ही पाकिस्तान हारा,लोग टीवी तोड़ने लगे ।

(द) - जितना कहा जाय , उतना ही किया करो।

इन वाक्यों में ‘जब , जहाँ, जैसे , जितना’ से आरम्भ होनेवाले उपवाक्य अर्थात् ‘जब घटा घिरने लगी,’ ‘जहाँ बस रुकती है’ , ‘जैसे ही पाकिस्तान हारा’ तथा ‘जितना कहा जाय’ अंशवाले उपवाक्य क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य हैं।      

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि वाक्य क्या है । एक विचार को पूर्ण रूप से प्रकट करने वाला शब्द-समूह वाक्य कहलाता है ।
जैसे- मैं दो दिन से बीमार हूं ।

इसी तरह, किसी वाक्य के विभिन्न घटकों (पदों या पदबंधों) को अलग-अलग करके उनके परस्पर संबंध को बताना वाक्य विश्लेषण कहा जाता है ।
इस प्रक्रिया को वाक्य विग्रह भी कहते हैं ।
वाक्य-विग्रह

वाक्य के प्रमुख दो खंड हैं-

1. उद्देश्य- जिनके विषय में कुछ कहा जाए ।

2.  विधेय- उद्देश्य (कर्ता) जो कुछ करता है वह विधेय है ।

जैसे-

वाक्य
उद्देश्य (कर्ता)
विधेय

कबूतर डाल पर बैठा है ।
कबूतर
डाल पर बैठा है ।

मैं दो दिन से बीमार हूं ।
मैं
दो दिन से बीमार हूं ।

उद्देश्य का विस्तार- कई बार वाक्य में उसका परिचय देने वाले अन्य शब्द भी साथ आए होते हैं । ये अन्य शब्द उद्देश्य का विस्तार कहलाते हैं ।

जैसे- काला साँप पेड़ के नीचे बैठा है।

इनमें काला शब्द उद्देश्य का विस्तार हैं ।

वाक्य के भेद

रचना के अनुसार वाक्य के निम्नलिखित भेद हैं-

1.  साधारण वाक्य

2.  संयुक्त वाक्य

3.  मिश्रित वाक्य

1. साधारण वाक्य

जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य (कर्ता) और एक ही समापिका क्रिया हो,  वह साधारण वाक्य कहलाता है ।

जैसे- लड़का खेलता है । इसमें लड़का उद्देश्य है और खेलता है विधेय ।

इसमें कर्ता के साथ उसके विस्तारक विशेषण और क्रिया के साथ विस्तारक सहित कर्म एवं क्रिया-विशेषण आ सकते हैं ।

जैसे- अच्छे लड़के अच्छी तरह खेलते हैं । यह भी साधारण वाक्य है ।

2. संयुक्त वाक्य

दो अथवा दो से अधिक साधारण वाक्य जब ‘पर,  किन्तु,  और,  या’ इत्यादि से जुड़े होते हैं,  तो वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं ।

ये चार प्रकार के होते हैं –

(i)  संयोजक- जब एक साधारण वाक्य दूसरे साधारण या मिश्रित वाक्य से संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा होता है । जैसे- गीता गई और सीता आई ।

(ii)  विभाजक- जब साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का परस्पर भेद या विरोध का संबंध रहता है ।
       जैसे- वह मेहनत तो बहुत करता है पर फल नहीं मिलता ।
(iii)  विकल्पसूचक- जब दो बातों में से किसी एक को स्वीकार करना होता है।
        जैसे- या तो उसे मैं अखाड़े में पछाड़ूँगा या अखाड़े में उतरना ही छोड़ दूँगा ।

(iv)  परिणामबोधक- जब एक साधारण वाक्य दसूरे साधारण या मिश्रित वाक्य का परिणाम होता है ।
        जैसे- आज मुझे बहुत काम है इसलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकूँगा ।

3. मिश्रित वाक्य

जब किसी विषय पर पूर्ण विचार प्रकट करने के लिए कई साधारण वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य की रचना करनी पड़ती है तब
ऐसे वाक्य मिश्रित वाक्य कहलाते हैं ।

इन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य और एक अथवा अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो समुच्चयबोधक अव्यय(‘पर,  किन्तु,  और,  या’) से जुड़े होते हैं ।
मुख्य उपवाक्य की पुष्टि,  समर्थन,  स्पष्टता या विस्तार हेतु ही आश्रित वाक्य आते हैं ।
आश्रित वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(i)  संज्ञा उपवाक्य
(ii)  विशेषण उपवाक्य
(iii)  क्रिया-विशेषण उपवाक्य

   संज्ञा उपवाक्य- जब आश्रित उपवाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम के स्थान पर आता है तब वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है।
वह चाहता है कि मैं यहाँ कभी न आऊँ ।
             यहाँ कि मैं कभी न आऊँ, यह संज्ञा उपवाक्य है।

विशेषण उपवाक्य- जो आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की संज्ञा शब्द अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाता है वह विशेषण उपवाक्य कहलाता है ।
जो किताब मेज पर रखी है वह मुझे इनाम में मिली है ।

यहाँ जो किताब मेज पर रखी है यह विशेषण उपवाक्य है ।

क्रिया-विशेषण उपवाक्य- जब आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बतलाता है तब वह क्रिया-विशेषण उपवाक्य कहलाता है ।
जब वह मेरे पास आया तब मैं कहीं गया था ।

यहाँ पर जब वह मेरे पास आया यह क्रिया-विशेषण उपवाक्य है ।


वाक्य-परिवर्तन

सरल वाक्य से मिश्र वाक्य

सरल वाक्य
मिश्र वाक्य
मैं तुम्हारे साथ खेलना चाहता हूं ।
मैं चाहता हूं कि तुम्हारे साथ खेलूँ ।

उसके बैठने की जगह कहां है ?
वह जगह कहां है जहां वह बैठे ?

यह किसी बुरे आदमी का काम है ।
वह कोई बुरा आदमी है जिसने यह काम किया है ।

सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य

सरल वाक्य
संयुक्त वाक्य
पानी बरसता हुआ देखकर बच्चे ने एक मकान में शरण ली ।
बच्चे ने पानी बरसता हुआ देखा और एक मकान में शरण ली ।
वह खाना खाकर सो गया ।
उसने खाना खाया और सो गया ।

परिश्रम करके सफलता हासिल करो ।
परिश्रम करो और सफलता हासिल करो ।

वाक्य
सरल वाक्य
जल्दी करो, नहीं तो ट्रेन चली जाएगी ।
जल्दी नहीं करने पर ट्रेन छूट जाएगी ।

वह अमीर है फिर भी सुखी नहीं है ।
वह अमीर होने पर भी सुखी नहीं है ।

न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसूरी ।
बाँस और बाँसूरी दोनों नहीं रहेंगे ।

मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

मिश्र वाक्य
सरल वाक्य
ज्यों ही मैं वहां पहुंचा त्यों ही वह भागा ।
मेरे वहां पहुंचते ही वह भागा ।

तुम्हारे लौटकर आने पर मैं ऑफिस जाऊँगा ।
जब तुम लौटकर आओगे तब मैं ऑफिस जाऊँगा ।

अगर मानसून नहीं बरसा तो फसल चौपट हो जाएगी  ।
मानसून नहीं बरसने से फसल चौपट हो जाएगी ।

मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य

मिश्र वाक्य
संयुक्त वाक्य
मुझे यकीन है कि गलती तुम्हारी है ।
गलती तुम्हारी है और इसका मुझे यकीन है ।

मुझे वह कलम मिल गई जो गुम हो गई थी ।
वह कलम खो गई थी लेकिन मुझे मिल गई ।

जैसा बोओगे, वैसा काटोगे ।
जो जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा ।

संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्य
मिश्र वाक्य
काम पूरा करो नहीं तो वेतन कटेगा ।
अगर काम पूरा नहीं करोगे तो वेतन कटेगा ।

रमेश या तो स्वयं आएगा या फिर चिट्ठी भेजेगा ।
यदि रमेश स्वयं नहीं आया तो चिट्ठी भेजेगा ।

वक्त निकल जाता है पर बात याद रहती है ।
भले ही वक्त निकल जाता है लेकिन बात याद रहती है ।

विधि वाक्य से निषेध वाक्य

विधि वाक्य
निषेध वाक्य
तुम सफल हो जाओगे ।
तुम्हारी सफलता में कोई संदेह नहीं है ।

यह प्रस्ताव सभी को मान्य है ।
इस प्रस्ताव पर कोई विरोधाभास नहीं है ।

शिवाजी एक बहादुर बादशाह थे ।
शिवाजी से बहादुर कोई बादशाह नहीं था ।

निश्चयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक

निश्चय वाचक
प्रश्नवाचक
सुभाषचंद्र बोस का नाम सबने सुना होगा ।
सुभाषचंद्र बोस का नाम किसने नहीं सुना ?

तुम्हारी चीजें मेरे पास नहीं हैं ।
तुम्हारी चीजें मेरे पास कहां हैं ?

विस्मयादि बोधक वाक्य से विधि वाक्य

विस्मयादि बोधक
विधि वाक्य
काश ! उसके दिल में मैरे लिए प्यार होता ।
मैं चाहता हूं कि उसके दिल में मेरे लिए प्यार हो ।

कितना सुंदर नजारा है !
बहुत ही सुंदर नजारा है !

संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त वाक्य
सरल वाक्य
जल्दी करो, नहीं तो ट्रेन चली जाएगी ।
जल्दी नहीं करने पर ट्रेन छूट जाएगी ।

वह अमीर है फिर भी सुखी नहीं है ।
वह अमीर होने पर भी सुखी नहीं है ।

न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसूरी ।
बाँस और बाँसूरी दोनों नहीं रहेंगे ।

मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

मिश्र वाक्य
सरल वाक्य
ज्यों ही मैं वहां पहुंचा त्यों ही वह भागा ।
मेरे वहां पहुंचते ही वह भागा ।

तुम्हारे लौटकर आने पर मैं ऑफिस जाऊँगा ।
जब तुम लौटकर आओगे तब मैं ऑफिस जाऊँगा ।

अगर मानसून नहीं बरसा तो फसल चौपट हो जाएगी  ।
मानसून नहीं बरसने से फसल चौपट हो जाएगी ।

मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य

मिश्र वाक्य
संयुक्त वाक्य
मुझे यकीन है कि गलती तुम्हारी है ।
गलती तुम्हारी है और इसका मुझे यकीन है ।

मुझे वह कलम मिल गई जो गुम हो गई थी ।
वह कलम खो गई थी लेकिन मुझे मिल गई ।

जैसा बोओगे, वैसा काटोगे ।
जो जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा ।

संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्य
मिश्र वाक्य
काम पूरा करो नहीं तो वेतन कटेगा ।
अगर काम पूरा नहीं करोगे तो वेतन कटेगा ।

रमेश या तो स्वयं आएगा या फिर चिट्ठी भेजेगा ।
यदि रमेश स्वयं नहीं आया तो चिट्ठी भेजेगा ।

वक्त निकल जाता है पर बात याद रहती है ।
भले ही वक्त निकल जाता है लेकिन बात याद रहती है ।

विधि वाक्य से निषेध वाक्य

विधि वाक्य
निषेध वाक्य
तुम सफल हो जाओगे ।
तुम्हारी सफलता में कोई संदेह नहीं है ।

यह प्रस्ताव सभी को मान्य है ।
इस प्रस्ताव पर कोई विरोधाभास नहीं है ।

शिवाजी एक बहादुर बादशाह थे ।
शिवाजी से बहादुर कोई बादशाह नहीं था ।

निश्चयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक

निश्चय वाचक
प्रश्नवाचक
सुभाषचंद्र बोस का नाम सबने सुना होगा ।
सुभाषचंद्र बोस का नाम किसने नहीं सुना ?

तुम्हारी चीजें मेरे पास नहीं हैं ।
तुम्हारी चीजें मेरे पास कहां हैं ?

विस्मयादि बोधक वाक्य से विधि वाक्य

विस्मयादि बोधक
विधि वाक्य
काश ! उसके दिल में मैरे लिए प्यार होता ।
मैं चाहता हूं कि उसके दिल में मेरे लिए प्यार हो ।

कितना सुंदर नजारा है !
बहुत ही सुंदर नजारा है !

संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त वाक्य
सरल वाक्य
जल्दी करो, नहीं तो ट्रेन चली जाएगी ।
जल्दी नहीं करने पर ट्रेन छूट जाएगी ।

वह अमीर है फिर भी सुखी नहीं है ।
वह अमीर होने पर भी सुखी नहीं है ।

न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसूरी ।
बाँस और बाँसूरी दोनों नहीं रहेंगे ।


मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

मिश्र वाक्य
सरल वाक्य
ज्यों ही मैं वहां पहुंचा त्यों ही वह भागा ।
मेरे वहां पहुंचते ही वह भागा ।

तुम्हारे लौटकर आने पर मैं ऑफिस जाऊँगा ।
जब तुम लौटकर आओगे तब मैं ऑफिस जाऊँगा ।

अगर मानसून नहीं बरसा तो फसल चौपट हो जाएगी  ।
मानसून नहीं बरसने से फसल चौपट हो जाएगी ।


मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य

मिश्र वाक्य
संयुक्त वाक्य
मुझे यकीन है कि गलती तुम्हारी है ।
गलती तुम्हारी है और इसका मुझे यकीन है ।

मुझे वह कलम मिल गई जो गुम हो गई थी ।
वह कलम खो गई थी लेकिन मुझे मिल गई ।

जैसा बोओगे, वैसा काटोगे ।
जो जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा ।


संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्य
मिश्र वाक्य
काम पूरा करो नहीं तो वेतन कटेगा ।
अगर काम पूरा नहीं करोगे तो वेतन कटेगा ।

रमेश या तो स्वयं आएगा या फिर चिट्ठी भेजेगा ।
यदि रमेश स्वयं नहीं आया तो चिट्ठी भेजेगा ।

वक्त निकल जाता है पर बात याद रहती है ।
भले ही वक्त निकल जाता है लेकिन बात याद रहती है ।


विधि वाक्य से निषेध वाक्य

विधि वाक्य
निषेध वाक्य
तुम सफल हो जाओगे ।
तुम्हारी सफलता में कोई संदेह नहीं है ।

यह प्रस्ताव सभी को मान्य है ।
इस प्रस्ताव पर कोई विरोधाभास नहीं है ।

शिवाजी एक बहादुर बादशाह थे ।
शिवाजी से बहादुर कोई बादशाह नहीं था ।
 
निश्चयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक

निश्चय वाचक
प्रश्नवाचक
सुभाषचंद्र बोस का नाम सबने सुना होगा ।
सुभाषचंद्र बोस का नाम किसने नहीं सुना ?

तुम्हारी चीजें मेरे पास नहीं हैं ।
तुम्हारी चीजें मेरे पास कहां हैं ?


विस्मयादि बोधक वाक्य से विधि वाक्य

विस्मयादि बोधक
विधि वाक्य
काश ! उसके दिल में मैरे लिए प्यार होता ।
मैं चाहता हूं कि उसके दिल में मेरे लिए प्यार हो ।

कितना सुंदर नजारा है !
बहुत ही सुंदर नजारा है !

_________________________________________
                       " कर्म का स्वरूप "
साधारण बोलचाल की भाषा में कर्म का अर्थ होता है 'क्रिया'।
व्याकरण में क्रिया से निष्पाद्यमान फल के आश्रय को कर्म कहते हैं। "हरि घर जाता है' इस उदाहरण में "घर" गमन क्रिया के फल का आश्रय होने के नाते "जाना क्रिया' का कर्म है।

_______________________________________ कारण-वाचक क्रिया (Causative Verb)

In Hindi, causative verbs are used very frequently. Though the uses of causative verb is very simple. The verb that indicate an action which is directly not done by the subject but indirectly done by the third party is called causative verb.
(वैसा क्रिया जो किसी तीसरे के माध्यम से कार्य पूरा हो इसलिए उसे कारण-वाचक क्रिया कहते है।)

Identification of causative verb is to add "Vana" word of the intransitive verb word.
(कारण-वाचक क्रिया की पहचान जिस शब्द के अंत मे "वाना" जुङा हो वो शब्द कारण-वाचक शब्द होता हैं।)

Table Below:
Intransitive VerbCausative Verb
पकाना  (Pakana - to be cooked)पकवाना - (Pakvana - to cause to cook)
खाना (Khana - to be eat)खिलवाना -(Khilavana - to cause to eat).
पीना (Peena - to be drink)पिलवाना - (Pilvana - to cause to drink).
सिखना (Sikhana - to be learn)सिखवाना - (Sikhvana - to cause to learned)
जीतना (Jeetna -to be win)जीतवाना - (Jeetvana - to cause to success)
चलना (Chalna - to be walk)चलवाना - (Chalvana - to cause to walked)
पीटना (Peetna - to be beat)पिटवाना - (Pitvana - to cause to beaten)
मिलना (Milna - to be meet)मिलवाना - (Milvana - to cause to meet)
पढना (Padna - to be read)पढवाना - (Padvana - to cause to read)
करना (Karna - to be do)करवाना – (Karvana – to cause to do)
उठना (Uthna -  to be rise)उठवाना – (Uthvana – to cause to raised)
जलना (Jalna – to be burned)जलवाना – (Jalvana – to cause to burn)

Note: These verbs also depends on the gender:
For Masculine “वाना” changes to “वाया”
For Feminine “वाना” changes to “वाई”

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें