रविवार, 30 दिसंबर 2018

रचना के आधार पर वाक्य -

संरचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं—– १सरल वाक्य
२ संयुक्त वाक्य
३ मिश्रित वाक्य
१ सरल वाक्य —– जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो ,उसे सरल वाक्य कहते हैं | जैसे …. १ सविता पुस्तक पढ़ती है |
२ नीता नाच -गा रही है |
२ संयुक्त वाक्य — १ जिस वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण अथवा मिश्रित वाक्य स्वतंत्र रूप से समुच्चय बोधक अव्ययों {किन्तु ,परन्तु ,तथा ,एवं ,और }आदि द्वारा जुड़े हों ,वह संयुक्त वाक्य कहलाता है |
जैसे — १ मैं गया और वह आया |
२ मैंने उसे पढाया और नौकरी दिलवाई |
३ मिश्रित वाक्य —- जिस वाक्य में एक मुख्य {प्रधान}उपवाक्य और उसके एक अथवा एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों ,वह मिश्रित वाक्य कहलाता है | जैसे ….
१ तुम जहां से आए थे वहीं चले जाओ |
२ जिसका रंग काला है वही तो कान्हा है |
प्रधान उपवाक्य —- ये उप वाक्य दूसरे उप वाक्य की अपेक्षा स्वतंत्र अर्थ देते हैं और दूसरे वाक्य का अर्थ इन उपवाक्यों के बिना स्पष्ट नहीँ हो सकता | प्रधान उप वाक्य की विशेषताएं —
१ जिस उप वाक्य पर अन्य उपवाक्य आश्रित हो उसे प्रधान उप वाक्य कहते हैं |
जैसे —- मैंनहीं चाहता कि किसी का बुरा करूं | मैं नहीं चाहता —प्रधान उपवाक्य है क्योंकि वह दूसरे वाक्य पर आश्रित नही है २ कभी कभी दोनों उप वाक्य स्वतंत्र होते हैं लेकिन एक का अर्थ दूसरे के बिना पूर्ण नहीं होता |
जैसे — राम चला गया और कभी लौट कर नहीं आया | यह संयुक्त वाक्य है और योजक से जुड़े हैं दोनों का स्वतंत्र अर्थ है लेकिन दसरे वाक्य का अर्थ पहले वाक्य पर निर्भर है|
अत:पहला वाक्य -प्रधान उपवाक्य है |
टिप्पड़ी —प्रधान उपवाक्य संयुक्त और मिश्रित दोनों में लिखा जाता है संयुक्त वाक्य में प्रधान स्वतंत्र उपवाक्य होता है और दूसरा समानाधिकरण होता है जबकि मश्रित वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य एवं दूसरे आश्रित उपवाक्य होते हैं |
आश्रित उपवाक्य —– किसी वाक्य में प्रधान उपवाक्य के अतिरिक्त एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं |
ये तीन प्रकार के होते हैं — १ संज्ञा उपवाक्य —- जिस आश्रित उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की क्रिया के कर्म या पूरक के रूप में प्रयुक्त होता है वह संज्ञा उप वाक्य होता है |
ये अक्सर कि से प्रारम्भ होते हैं| उद्धरण चिह्न “—–” में कहे गए वाक्य भी संज्ञा उप वाक्य होते हैं | उदाहरण —- १ मोहन नए कहा कि वह कल कानपुर जा रहा है | २ कौन कह सकता है कि मैंने परिश्रम नहीं किया | ३ उसका विचार है -“राम सच्चा है ” इन वाक्यों में कि वह कल कानपुर जा रहा है ,कि मैंने परिश्रम नहीं किया ,राम सच्चा है ये संज्ञा उप वाक्य हैं क्योंकि ये प्रधान उप वाक्य की क्रिया के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुए हैं |
२ विशेषण उप वाक्य — जो आश्रित उप वाक्य प्रधान की संज्ञा या सर्व नाम की विशेषता बताता है उसे विशेषण उप वाक्य कहते हैं |
ये प्राय: जिसके ,जिससे ,जिसने ,जिन ,जिसे आदि से प्रारम्भ होते हैं होते हैं |
उदाहरण —– १ जो परिश्रमी होते हैं वे उन्नति करते हैं | २ जिसने प्रथम स्थान प्राप्त किया वह मेरा मित्र है | ३ जिस कवि ने कामायनी लिखी ;वह जय शंकर प्रसाद हैं |
३ क्रिया विशेषण उप वाक्य —- जो आश्रित उप वाक्य प्रधान उप वाक्य की क्रिया की विशेषता बताते हैं,वे क्रिया विशेषण उप वाक्य कहलाते हैं |ये स्थान ,काल ,परिणाम ,प्रकार ,शर्त ,तुलना आदि क्रिया विशेषणों से प्रधान उप वाक्य से जुड़े रहते हैं | उदाहरण — १ जहां बसे वही सुन्दर देश |
—–स्थान २ यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होओगे |—शर्त ३ राधा उतनी ही शैतान है जितनी रीता |

—तुलना

रचना के आधार पर वाक्य के भेद
( Rachna ke aadhar par Vakya ke bhed )

सरल वाक्य
संयुक्त वाक्य
मिश्रित वाक्य
(1)  सरल वाक्य →

→   जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य तथा एक ही विधेय  होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं |

जैसे → राम ने रावण को मारा

उद्देश्य  =    राम ने

विधेय   =    रावण को मारा |

→   अमित खाना खा रहा है |

उद्देश्य  =    अमित

विधेय   =    खाना खा रहा है |

(2)  संयुक्त वाक्य →

जिस वाक्य में दो-या-दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य योजक या समुच्चयबोधक अव्यय द्वारा जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं |

उदाहरण
(1)  हमने फिल्म का टिकट खरीदा और सिनेमा हॉल चले गए |

(2) पिताजी बाजार गए और हमारे लिए मिठाई लाए |

(3)  मिश्रित वाक्य →

जिस वाक्य में एक से अधिक सरल वाक्य इस प्रकार जुड़े हो कि उनमें एक प्रधान उपवाक्य तथा अन्य आश्रित उपवाक्य हों | उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं |

जैसे →  वेदांत ने कहाँ कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा |

प्रधान उपवाक्य =      वेदांत ने कहाँ

आश्रित उपवाक्य =     कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा |

(2)  वे सफल होते हैं जो परिश्रम करते है |

प्रधान उपवाक्य =      वे सफल होते हैं

आश्रित उपवाक्य =     जो परिश्रम करते है |

रचना के आधार पर वाक्यों में परिवर्तन

(क)  सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य

सरल वाक्य                            

चाय या कॉफी में से कोई पी लेंगे |

माँ ने गोलू को डाँटकर सुलाया |

संयुक्त वाक्य

चाय पी लेंगे या कॉफी पी लेंगे

माँ ने गोलू को डाँटा और सुला दिया |

(ख)  सरल वाक्य से मिश्र वाक्य

सरल वाक्य                            

लापरवाह मजदूर छत से गिर गया |

ईमानदार व्यक्ति का सभी आदर करते हैं |

मिश्र वाक्य

जो मज़दूर लापरवाह था, वह छत से गिर गया |

जो व्यक्ति ईमानदार होता है, सभी उसका आदर करते हैं |

(ग)  संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त वाक्य                          

शालू आई और पढ़ने लगी |

घबराओ मत और कविता सुनाओ |

सरल वाक्य

शालू आकर पढ़ने लगी |

बिना घबराए कविता सुनाओ |

(घ)  संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्य                          

घंटी बज गई और बच्चे कक्षा में जाने लगे |

राधा आई तो रेखा चली गई |

मिश्र वाक्य

जब घंटी बज तो बच्चे कक्षा में जाने लगे |

जब राधा आई तब रेखा चली गई |

(ङ)  सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य तथा मिश्र वाक्य

(1)  कक्षा में अध्यापक आते ही सभी शांत हो गए |   (सरल वाक्य)

कक्षा में अध्यापक आया और सभी शांत हो गए |     (संयुक्त वाक्य)

जैसे ही कक्षा में अध्यापक आया वैसे ही सब शांत हो गए|    (मिश्र वाक्य)

(2)  माँ के आते ही दोनों बच्चे उनसे लिपट गए |    (सरल वाक्य)

माँ आई और दोनों बच्चे उनसे लिपट गए |   
  (संयुक्त वाक्य)

ज्यों ही माँ आई दोनों बच्चे उनसे लिपट गए |
  (मिश्र वाक्य)

प्रधान उपवाक्य (Pradhan Upvakya )
(2) आश्रित उपवाक्य (Ashrit Upvakya )

प्रधान उपवाक्य

→ प्रधान उपवाक्य (मुख्य उपवाक्य) किसी दूसरे उपवाक्य पर निर्भर नहीं होता है। वह स्वतंत्र उपवाक्य होता है।

आश्रित उपवाक्य

→ आश्रित उपवाक्य दूसरे उपवाक्य पर आश्रित होता है।
→   आश्रित उपवाक्य क्योंकि, कि, यदि, जो, आदि से आरंभ होते हैं।

आश्रित उपवाक्य के प्रकार

(1) संज्ञा उपवाक्य
(2) विशेषण उपवाक्य
(3) क्रियाविशेषण उपवाक्य

संज्ञा उपवाक्य ( Sangya Upvakya )

→ जब किसी आश्रित उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा के स्थान पर होता तो उसे संज्ञा उपवाक्य कहते है।
→   ‘संज्ञा उपवाक्य’ का प्रारम्भ ‘कि’ से होता है।

जैसे   →  गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो।

→   इस वाक्य में ‘‘कि सदा सत्य बोलो’’ संज्ञा उपवाक्य हैं।

विशेषण उपवाक्य ( Visheshan Upvakya )

→ जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के किसी ‘संज्ञा’ या सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाये तो उस उपवाक्य को विशेषण उपवाक्य कहते हैं।

→        विशेषण उपवाक्य का प्रारम्भ जो, जिसका, जिसकी, जिसके में से किसी शब्द से होता है।

जैसे → 1. यह वही लड़का है, जो कक्षा में प्रथम आया था।

विशेषण उपवाक्य → जो कक्षा में प्रथम आया था।

यह वही फि़ल्म है जिसे अवाॅर्ड मिला था।
विशेषण उपवाक्य → जिसे अवाॅर्ड मिला था।

क्रियाविशेषण उपवाक्य ( Kriyavisheshav Upvakya )

→ जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताये या सूचना दे, उस आश्रित उपवाक्य को क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते है।

→        क्रिया विशेषण उपवाक्य यदि, जहाँ, जैसे, यद्यपि, क्योंकि, जब, तब आदि में से किसी शब्द से शुरू होता है।

जैसे →    1. यदि मोहन मेहनत करता, तो अवश्य उत्तीर्ण होता।

क्रियाविशेषण उपवाक्य →  तो अवश्य उत्तीर्ण होता।

श्याम को गाड़ी नहीं मिली, क्योंकि वह समय पर नहीं गया।
क्रियाविशेषण उपवाक्य →  क्योंकि वह समय पर नहीं गया।

_________________________________________
वाक्य विश्लेषण

रचना के आधार पर बने वाक्यों को उनके अंगों सहित अलग कर उनका परस्पर सम्बन्ध बताना वाक्य विश्लेषण कहलाता है।

1. सरल/साधारण वाक्य का विश्लेषण
( Saral Sadharan Vakya ka Visletion )

→        सबसे पहले इसमें वाक्य के दो अंग – उद्देश्य तथा विधेय को बताना होता है।

→        उद्देश्य के अंग – कर्ता व कर्ता का विस्तार

→        विधेय के अन्तर्गत कर्म व कर्म का विस्तारक, पूरक, पूरक का विस्तारक।

जैसे → मेरा भाई तरुण धार्मिक बहुत पुस्तके पढ़ता है।

                      विधेय Predicate

मेरी बहन राधा धार्मिक पुस्तकें बहुत पढ़ती है।

3. मिश्र या मिश्रित वाक्य का विश्लेषण  ( Mishr ya Mishrit Vakya ka Visletion ) →

मिश्रित या मिश्र वाक्य के विश्लेषण में उसके प्रधान तथा आश्रित उपवाक्य एवं उसके प्रकार का उल्लेख किया जाता है।

जैसे →  1. वेदान्त ने कहा कि मैं दिल्ली नहीं जाऊँगा।

जो परिश्रम करते हैं, वे सफल होते हैं।

3. संयुक्त वाक्य का वाक्य विश्लेषण ( Sanyukt Vakya ka Vakya Visletion )

संयुक्त वाक्य के विश्लेषण में साधारण या प्रधान उपवाक्य के उल्लेख के साथ उन्हें जोड़ने वाले योजक शब्द के विषय में नहीं बताना होता है।

जैसे → कृष्ण बाँसुरी बजाते थे और राधा नाचती थी।

साधारण वाक्य/प्रधान उपवाक्य

→ (अ) कृष्ण बाँसुरी बजाते थे
(ब) राधा नाचती थी।

वाक्य संश्लेषण

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वाक्य संश्लेषण का अर्थ है – भिन्न वाक्यों को एक वाक्य में मिलाना।

→  अलग-अलग वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य बनाना वाक्य संश्लेषण कहलाता है।
Make a sentence Complexing different sentences,
is called synthesis.

जैसे →

राधा मेरी दीदी हैं।
वे मेरे पास आईं।
मुझे कहानी सुनाईं।
वाक्य संश्लेषण – मेरी राधा दीदी ने मेरे पास आकर मुझे कहानी सुनाईं।

राम लौट रहा था।
राम ने भिखारी की ओर देखा वह रो रहा था।
वाक्य संश्लेषण – राम ने लौटते हुए भिखारी को रोते हुए देखा।

अनेक सरल वाक्यों को एक सरल वाक्य में संश्लेषण करने के कुछ नियम→

सभी वाक्यों में से किसी एक वाक्य की क्रिया को मुख्य क्रिया के रूप में छाँट लेना चाहिए।
अन्य वाक्यों की क्रियाओं को पूर्वकालिक क्रिया, विशेषण पदबंध में बदल लेना चाहिए।
आवश्यकता पड़ने पर प्रत्यय और उपसर्गों के योग से नए शब्द का निर्माण कर लेना चाहिए।
जैसे →

रात के दस बजे।
दुकानदार ने दुकान बंद की
दुकानदार घर चला गया।
वाक्य संश्लेषण – रात के दस बजे दुकानदार दुकान बंद करके घर चला गया।

राम उठा।
उसने साइकिल उठाई
वह बाजार चल दिया।
वाक्य संश्लेषण = राम उठकर साइकिल से बाजार चला गया।

पद-परिचय ( Pad Parichay )

पद परिचय ( Pad Parichay ) – वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद परिचय- पद व्याख्या या पदान्वय कहते है। पद परिचय में उस शब्द के भेद, उपभेद, लिंग, वचन, कारक आदि के परिचय के साथ, वाक्य में प्रयुक्त अन्य पदो के साथ उसके सम्बन्ध का भी उल्लेख किया जाता है।

राजेश ने रमेश को पुस्तक दी

राजेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’ के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’ के साथ

रमेश → संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक

पुस्तक → संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक

संज्ञा शब्द का पद परिचय

(Sangya Shabd Ka Pad Parichay)

किसी भी संज्ञा पद के पद परिचय हेतु निम्न 5 बाते बतलानी होती है

(1) संज्ञा का प्रकार
(2) उसका लिंग
(3)  वचन
(4)  कारक तथा
(5) उस शब्द का क्रिया के साथ सम्बन्ध

संज्ञा शब्द का क्रिया के साथ सम्बन्ध ‘कारक’ के अनुसार जाना जा सकता है।

राम पुस्तक पढ़ता है।

उक्त वाक्य में राम तथा ‘पुस्तक’ शब्द संज्ञाएँ हैं। यहाँ इनका पद परिचय उक्त पाँचों बातों के अनुसार निम्नानुसार होगा-

राम       :    व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एक वचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता है’ क्रिया का कर्ता।

पुस्तक     :    जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘पढ़ता है’ क्रिया का कर्म।

सर्वनाम शब्द का पद परिचय

(Sarvanam Shabd Ka Pad Parichay)

किसी सर्वनाम के पद परिचय में भी उन्हीं बातों का उल्लेख करना होगा, जिनका संज्ञा शब्द के पद-परिचय में किया था।

अर्थात्      1  सर्वनाम का प्रकार पुरुष सहित,      2  लिंग,  3   वचन  4 कारक तथा       5 क्रिया के साथ सम्बन्ध आदि।

यह उसकी वही कार है, जिसे कोई चुराकर ले गया था।

इस वाक्य में ‘यह’, ‘उसकी’, ‘जिसे’, तथा ‘कोई’ पद सर्वनाम है। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा-

यह    :    निश्चयवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, स्त्रीलिंग, एक वचन, सम्बन्ध कारक, ‘कार’ संज्ञा शब्द से सम्बन्ध।

जिसे : सम्बन्धवाचक सर्वनाम, स्त्रीलिंग, एकवचन कर्मकारक, ‘चुराकर ले गया’ क्रिया का कर्म।

कोई : अनिश्चयवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग एकवचन, कर्ता कारक, ‘चुराकर ले गया क्रिया का कर्ता।

विशेषण शब्द का पद परिचय

(Visheshan Shabd Ka Pad Parichay)

किसी विशेषण शब्द के पद परिचय हेतु निम्न बातों का उल्लेख करना होता है 1 विशेषण का प्रकार 2  अवस्था 3 लिंग 4 वचन तथा 5 विशेष्य व उसके साथ सम्बन्ध।

वीर राम ने सब राक्षसों का वध कर दिया।

उक्त वाक्य में ‘वीर’ तथा ‘सब’ शब्द विशेषण हैं, इनका पद-परिचय निम्नानुसार होगा-

वीर       :    गुणवाचक विशेषण, मूलावस्था, पुल्लिंग, एकवचन, ‘राम’ विशेष्य के गुण का बोध कराता है।

सब       :    संख्यावाचक विशेषण, मूलावस्था, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘राक्षसों’ विशेष्य की संख्या का बोध कराता है।

क्रिया शब्द का पद परिचय

(Kriya Shabd Ka Pad Parichay)

क्रिया शब्द के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, लिंग, वचन, वाच्य, काल तथा वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दांे के साथ सम्बन्ध को बतलाया जाता है।

जैसे – राम ने रावण को मारा।

मारा-क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल।

‘मारा’ क्रिया का कर्ता राम तथा कर्म रावण।

– सवेरे मैं उठा।

उठा-क्रिया, अकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। उठा क्रिया का कर्ता मैं, कर्म अन्वित।

अव्यय शब्द का पद परिचय

(Avyay Shabd Ka Pad Parichay)

अव्यय शब्द चूंकि लिंग, वचन, कारक आदि से प्रभावित नहीं होता अतः इनके पद परिचय में केवल अव्यय शब्द के प्रकार, उसकी विशेषता या सम्बन्ध ही बताया जाता है।

(1) क्रियाविशेषण – क्रियाविशेषण के भेद (रीतिवाचक, स्थानवाचक, कालवाचक, परिमाणवाचक) उस क्रिया का उल्लेख, जिसकी विशेषता बताई जा रही हो।

जैसे – मैं भीतर बैठी थी और बच्चे धीरे-धीरे पढ़ रहे थे।

भीतर – क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘बैठी’ क्रिया के स्थान की विशेषता।

धीरे-धीरे- क्रियाविशेषण, रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘पढ़ रहे थे’ क्रिया की रीति की विशेषता।

(2) संबंधबोधक –    संबंधबोधक के भेद, किस संज्ञा/सर्वनाम से संबंद्ध है।

जैसे – कुरसी के नीचे बिल्ली बैठी है।

के बीच – संबंधबोधक, ‘कुरसी’ और ‘बिल्ली’ इसके संबंधी शब्द हैं।

(3) समुच्चयबोधक   –  भेदों का उल्लेख, जुड़ने वाले पदों का उल्लेख।

जैसे – तुम काॅपी और किताब ले लो लेकिन फाड़ना नहीं।

और – समुच्चयबोधक (समानाधिकरण) काॅपी-किताब शब्दों का संबंध करने वाला।

लेकिन – भेद दर्शक (विरोध-दर्शक) तुम…………ले लो तथा ‘फाड़ना नहीं’ इन दो वाक्यों को जोड़ता है।

(4) विस्मयादिबोधक – भेदों और भावों का उल्लेख।

जैसे – वाह! कितना सुन्दर दृश्य !

जैसे – वाह! कितना सुंदर बग़ीचा है। ठीक! मैं रोज़ आऊँगा

वाह! – विस्मयादिबोधक, हर्ष – उल्लास

ठीक! – विस्मयादिबोधक, स्वीकार बोधक

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