गुरुवार, 31 मई 2018

______________________________ अरे! तुमने ही इनकी धी बेटीयों के. यौवन को मसल के रौंदा था. पैरों से कुचले गये थे ये. तुम्हारा क्या ऊँचा औहदा था ? सनातन के सरित् - प्रवाह को . बदला क्यों दूषित नाली में . पक्षाघात और असंगतियाँ हैं पूरी हिन्दुत्व प्रणाली में .

📚📘📚📘💥💫✨✏..........विश्व सांस्कृतिक अन्वेषणों के पश्चात् अभी कुछ समय पूर्व भारतीय संस्कृति ही नही अपितु विश्व की प्राचीन संस्कृति के प्रमाण लब्ध विशेषज्ञ योगेश कुमार रोहि .के दीर्घ कालीन अनुसन्धानों के द्वारा भारतीय वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के सम्पूर्ण तथ्य प्रमाणित हो गये हैं !
जिस वर्ण व्यवस्था को मनु द्वारा स्थापित ईश्वर का विधान बता कर भारतीय संस्कृति के प्राणों में प्रतिष्ठित किया गया है ?
उसकी प्राचीनता उसी प्रकार संदिग्ध है ,जैसे इस वर्ण व्यवस्था के विधान का असामाजिक प्रतिपादन करने बाले ग्रन्थ मनु स्मृति की प्राचीनता संदिग्ध है !
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केवल मिथ्यी वादीयों द्वारा इसे ईश्वरीय विधान घोषित करके
भारतीय समाज को केवल विखण्डन और विकृति की ओर ही अग्रसर किया गया है !
परन्तु उन स्वयंभू धर्म अध्यक्षों की यह पूर्व दुराग्रह पूर्ण मान्यता सम्पूर्ण भारतीय समाज के लिए अवैज्ञानिक  तथा अमानवीय सिद्ध हुई है !!
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..इन्हीं विकृतियों का काव्यात्मक रूप में  मात्र कुछ पंक्तियों के द्वारा योगेश कुमार रोहि ने मार्मिक शैली में वर्णन किया है
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क्या आज याद आयी है तुमको.
??????????????????????
अपनों को घर बुलाने की.!
अरे! तुमने ही उन्हें भगाया था !
स़ाजिश थी उन्हेंमिटाने की.
ज़र जोरू उनकी ज़मीन, नीयत थी जब़रन पाने की............

ज्ञान धर्म संस्कार से वञ्चित.छीना था तुमने अधिकार.
उनको यह कर्तव्य बताया .
सवर्णों की तुम करो बेगार .*
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तुम तो अब भी कहते हो अक्सर.
ये वर्ण विधान था .ईश्वर कृत.
शूद्रों का जीवन सेवा है.
वे धारण कर लें सेवा का व्रत.
इनकी मनु स्मृति यह भी कहती है.
अशुभ है शूद्रों का स्पर्श.
विद्या धर्म का अधिकार नहीं इन्हें .!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
इन  पर मत करना कोई तरस .
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यदि भूल से  ओ३म् कहें ये .
इनकी जिह्वा का उच्छेदन हो .
वेद मन्त्र   भूल से सुन लें.
कर्ण विवर का भेदन हो .
रोहि हर स्तर से इनका शोषण.
पानी नहीं प्यास बुझाने को.
अन्न भी इनका छीन लिया था.
जो मोहताज थे .दाने दाने को .
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अरे! तुमने ही इनकी धी बेटीयों के.
यौवन को मसल के रौंदा था.
पैरों से कुचले गये थे ये.
तुम्हारा क्या ऊँचा औहदा था ?
सनातन के सरित् - प्रवाह को .
बदला क्यों दूषित नाली में .
पक्षाघात और असंगतियाँ हैं
पूरी हिन्दुत्व प्रणाली में .
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क्या वर्ण व्यवस्था के नाम पर.
दोगले विधान थे .ईश्वर के .
पहले क्यों भगा दिए ? तुमने !
जो लोग थे अपने ही घर के .
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🀄🀄🀄🀄🀄🀄🀄🀄🀄🀄तथा - कथित हिन्दु धर्म के स्वयंभू ठेकेदारो यह एक ज्वलन्त प्रश्न है !!इसका  फौरन जबाव दो ...हम प्रतीक्षा करेंगे !!!!
अगली सुबह होने तक *************************.
🌄🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄🌅🌄कृपया इस सन्देश को धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों तक अवश्य प्रेषित करें....
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                        योगेश कुमार रोहि ग्राम आजा़दपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़---के सौजन्य से----
   सम्मर्क - सूत्र--- 8077160219....

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