मुझे इस तस्वीर से आपत्ति है... मुझे तस्वीर में दर्शाया गया झूठ से आपत्ति है !
द्रौपदी को दांव पर लगाया गया यह सच है. लेकिन भरी सभा में भरी दरबार में उसे नग्न किया गया यह सरासर झूठ है !
ध्यान रखना भरी सभा में द्रौपदी, युवराज सूर्योधन को कटघरे में नही खड़ी कर रही है. द्रौपदी अपने जेष्ठ पति जुआरी युधिष्ठिर को कटघरे में खड़ी कर रही है. द्रौपदी के कुछ वाजिब सवाल ?
1 - क्या दांव पर लगाने से पहले पांचों भाईयों ने उससे स्वीकृति ली ?
2 - जो व्यक्ति खुद हार गया हो, जीतने वाले का दास गुलाम बन गया हो. भला एक हारा हुआ व्यक्ति किसी दूसरे को कैसे दांव पर लगा सकता है ?
प्रश्न तो मेरे मन में भी उठ रहा है. शराबी जुआड़ी युधिष्ठिर ने केवल द्रौपदी को क्यों दांव पर क्यों लगाया ?. युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी देविका को क्यों नही दांव पर लगाया. चलो मान लेते हैं द्रौपदी को जुआ में हार गया. द्रौपदी को हारने के बाद देविका, बलंधरा, करेनुमाती, विजया, सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा को क्यों नही दांव पर लगाया ?
युधिष्ठिर ने यह क्यों कहा जुआ में दांव पर लगाने के लिए अब उसके पास कुछ नही है !
भीम की पत्नी - बलंधरा. नकुल की पत्नी - करेनुमाती. सहदेव की पत्नी - विजया. अर्जुन की पत्नी - सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा थी. इन पांचों भाइयों ने दूसरी तीसरी ना जाने कितनी शादियां की थी !
पांचों भाईयों ने द्रौपदी के अलावा अन्य किसी महिला को साझा नही किया. इसका अर्थ है पांचों की नजर में द्रौपदी रखैल थी. जिसकी कोई इज्जत नही, जिसकी इज्जत जाने से कोई फर्क ना पड़ता हो !
पांचों भाई कोई दूध पीते बच्चे तो नही थे. उन्हें भली भांति पता था जुआ में किसी स्त्री को हरने का अर्थ है जितने वाला पुरुष जीती हुई स्त्री से संभोग करेगा, बलात्कार करेगा. यह सब करने के लिए स्त्री को नग्न करना आवश्यक है !
लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही. द्रौपदी जुआ के दांव पेंच में हार गई यह हक़ीक़त है. इस हक़ीक़त को ब्राह्मण लेखकों सही से लिखा इसमें मिलावट हो ही नही सकती. परंतु हारने के बाद दुख यातना पर लिखने के लिए लेखक को यहां थोड़ी स्वतंत्रता मिल जाती है. इसी फायदा ब्राह्मण लेखकों ने उठाया !
अपनी कलम से द्रौपदी को भरी सभा में दुशासन के हाथों नग्न कर दिया. द्रौपदी तो उसी वक़्त नग्न कर दी गई जब पांचों जुआड़ी भाइयों ने अपनी अपनी पत्नियों की रक्षा कर द्रौपदी को दांव पर लगा दिया !
युवराज सूर्योधन के बिनती पर सम्राट धृतराष्ट्र ने पांचों भाईयों को हारा हुआ सब कुछ, अस्त्र शस्त्र धन संपत्ति सब लौटा दिया !
जिन्होंने इन पांचों भाईयों, इनकी आने वाली पीढ़ी को गुलामी प्रथा से आज़ाद कर दिया. उस परिवार का एहसानमंद होने के बजाय राज्य धन संपत्ति के लिए खून के प्यासे बन गए !
महाभारत भारत के इतिहास का एक खंड है।
* इस रहस्यमयी ग्रंथ में उलझे हुए रिश्तों की कहानियां है।
* जानिए द्रौपदी के पुत्र और पांडवों के अन्य पुत्र एवं पत्नियों के नाम।
* द्रौपदी ने पांच पांडवों से विवाह किया था।
* उन्होंने एक-एक वर्ष के अंतराल से पांचों पांडव के एक-एक पुत्र को जन्म दिया था।
* द्रौपदी से जन्मे युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य था। द्रौपदी से जन्मे भीमसेन से उत्पन्न पुत्र का नाम सुतसोम था।
* द्रौपदी से जन्मे अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था।
* द्रौपदी से जन्मे नकुल के पुत्र का नाम शतानीक था। और
* द्रौपदी से जन्मे सहदेव के पुत्र का नाम श्रुतसेन था।
''पांच पांडवों की अन्य पत्नियां''
1. युधिष्ठिर :
युधिष्ठिर की दूसरी पत्नी देविका थी। देविका से धौधेय नाम का पुत्र जन्मा।
2. अर्जुन :
द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक तीन और पत्नियां थीं।
सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावत, चित्रांगदा से वभ्रुवाहन नामक पुत्रों का जन्म हुआ।
3. भीम :
द्रौपदी के अलावा भीम की हिडिम्बा और बलन्धरा नामक दो और पत्नियां थीं।
हिडिम्बा से घटोत्कच और बलन्धरा से सर्वंग का जन्म हुआ।
4. नकुल :
द्रौपदी के अलावा नकुल की करेणुमती नामक पत्नी थीं।
करेणुमती से निरमित्र नामक पुत्र का जन्म हुआ।
5. सहदेव :
सहदेव की दूसरी पत्नी का नाम विजया था जिससे इनका सुहोत्र नामक पुत्र
pandavo ne bhi teri gand mari hai lagta hai ya to karn ka choda hai isiliye jal raha hi
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