सोमवार, 2 मार्च 2020

देश आज फिर घायल है , झूँठी अपवाह विवादों में "

क्या मूल्य हैं जहाँ  किसी की शहादत के 'रोहि'
 अपनों के द्वारा अपनों की इज्जत को 
 जब नीलाम किया जाता है ।।

रिश्तो का रोहि दरख़्त !
रहता है हरा और सख्त !!

 जब लगता मुलाकातों 
का पानी !
अनुभूतियों की धूप, छाया सी यादें पुरानी ।।

 और उपहारों का खाद
 मेहमानी के  वक्त !

देश आज फिर घायल है । 
झूँठे अपवाह विवादों में ।। 

ऊँच नीच और छुआछूत । 
है अहंकार संवादों में । 

हिन्दू हो या मुसलमान , 
अब नेकी नहीं इरादों में । 

सब एक वृक्ष के पौधे थे । 
था एक सूत्र परदादों में ।। 

विचार ,उम्र और , समान सम्पदा ।
 ये सम्बन्ध सफल है सर्वदा ।। 

समय ,परिस्थिति और देश में , 
उसूल बदल जाते हैं सदा । 

मेरी है अपनी एक तमन्ना , 
सम्बन्ध हो सीधे सादों में ।। 

जाति पाँति और छुआछूतू , 
ये शुमार हैं सब उन्मादों में । 

मेल करो अपने जैसों से ,
 हर चीज नहीं मिलती पैसों से ।।

 उमर ,विचार और समाज का स्तर ।
 मिल जाऐं तो चुनो हमसफर ।।

 हम ये प्रयोग करके देखेंगे , 
चाहें गिने जाऐं बर्बादों में ।। 

आज अपने मन की भी सुना दूँ । 
क्यों रूढ़ियों का भार 'मैं लादूँ ।। 

बस कुछ समय बाद ऐसा ही होगा।
 कोई सार नहीं हैं फसादों में ।

 'मैं मुरीद उन इन्सानों का हूँ । 
अमन है जिनकी फरियादों में।। 

वे रुकसत नहीं होंगे दुनियाँ से । 
जो जिन्दा हैं हमारी यादों में ।। _______________________________

 यादव योगेश कुमार 'रोहि' संवाद सूत्र:-8077160219

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