शुक्रवार, 20 मार्च 2020

लोक-तन्त्र-के वृक्ष में घोटालों की दींम ...

लोकतंत्र के वृक्ष में
        घोटालों की दींम ।

 भ्रष्टाचार की आंधी में 
        हिल गई जिसकी नींम ।

 चोर लुटेरे भ्रष्टों ने 
      थामी सत्ता की डोर ।

 घूसखोर अधिकारी बैठे ,
              मंत्री घपला खोर ।

 भ्रष्टाचार का तीव्र विकिरण 
           और घोटलों का भूकंप ।

व्यभिचारों का विकट सुनामी ,
       आज लोकतंत्र हुआ डम्प ।

जीवन मूल्यों में आया प्रदूषण घनघोर 
  संस्कृति की आड़ में नंग- नाच चहु ओर ।।

दोगले विधान शासन अपंग ।
            और अंधा काना कानून ।

बहता सड़कों पर पानी सा ।
       "रोहि" मजलूमों  का खून ।।

अब अद्भुत देश की हालातें ! 
        हर तरफ करो 'ना की बातें ।।

हवन धवन करते हैं भक्त 
     और मौलाना पढ़ते नातें ।

एक निमोनिया रहस्यमय ! 
    भक्तों में छाया अधिक भय ।। 

पूजा पाठ और तन्त्र- मन्त्र ! 
          गुप चुप रचते षड्यन्त्र ।।

साधु-सन्त कुछ महातमा ।
        विज्ञान ज्ञान से हुए तमा ।।

चिलम भाँग की मण्डली ।
          मची हुई है खलबली ।

हर तरफ देख लो हैं पापी ।
            मारा मारी आपा धापी - 

पाप करम करने में रत 
        सम्मानित होते अभिशापी ।

कुछ भक्त तेज चिल्ला उठे 
          बात कह दी लगी लगी ।

मुलायम राज में दूध मिले 
        अखिलेश राज में घी पगी ।

योगी राज में गोमूत्र मिले 
        भक्त नाक दबाकर के पी ।।

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भक्त जो कहते फेक न्यूज 
  वह करें देख इसको फिर यूज ।।

दासों का दास भक्तों के पास ।

यादव योगेश कुमार 'रोहि

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