सोमवार, 23 मार्च 2020

कोरोना का अवतार इक्कीस वीं सदी में ...

आज इक्कीस वीं सदी की पूर्व वेला में भी एक बार फिर से  यह प्रमाणित हो गया कि आज भी ये वही देश है ।
जहाँ हनुमान सूर्य को मीठा फल समझकर  गाल में रख लेते हैं 
युग सहस्र योजन पर भानू ।
लील्यो ताय मधुर फल जानू "
( तुलसी रचित हनुमान चालीसा )

 जहाँ वैज्ञानिक या  दार्शनिक बुद्धिजीवियों का सदीयों से हो या न हो पर अब भी अकाल है ।

श्रृद्धा भी अन्धी और भटकने वाली रह जाती जब मनु का साथ 'न मिले तो हमारे देश के लोग और शासन सत्ताओं पर आरूढ़ बाबा ब्राण्ड लोग हर बीमारी का कारण और निदान तन्त्र मन्त्र और षड्यंत्रों से कर लेते हैं ।

वे कभी कोरोना को भगाने के लिए घण्ट तो कभी थाली और ताली भी बजवा रहे हैं ।



आज हमारे देश में बहुतायत लोगों की मान्यता है कि यहाँ मन्दिरों में ही भगवान रहते हैं ।
यहाँ पत्थर की  मूर्तियों को दूध पिलाना और मिष्ठान्नों का भोग लगाना बड़ा सुलभ  है।

भयानस बीमारीयों को  भगाने के लिए अब भी सुदूर  ग्रामीण अँचलों में प्रतिध्वनित होने लगी हैं थाली और वेला के  करकश स्वर या 'कहें' कि शोर ।

लोग केवल हाड़ी या तन्त निकलवा रहे हैं ।
गुसाँई सरसों पढ़कर फूँक मार रहे हैं ।
पण्डित तिलकधर शर्मा इधर  गाँव की महिलाओं को ग्रहों की दशा विपरीत बता रहे हैं ;
और शमन क्रिया के लिए 2000 रूपए की भेंट की माँग कर रहे हैं ।

महिलाएें आपस में कह रहीं कि " अरी दीदी मेरठ से अभ फोन आओ है  कि नन्द और नन्दोई को कपड़ा पह राओ"

 कहीं शहर तो कहीं गाँव में  में थाली पीटने और शंख बजाने की आवाजें  निरन्तर गूंज रही हैं। 

ताकि कोरोना वायरस की अधिष्ठात्री देवी सुरसा वहां से पलायन कर जाए ।

सदीयों से हम विना विचारे अपने दुर्भाग्य का  भार श्रृद्धा- पूर्वक निर्वहन करते चले आ रहे हैं ।
  और आज भी ...

 वास्तव में इस देश की साधारण  जनता भेड़ों के झुण्ड की तरह हो चुकी हैं,जिसे हाँकने के लिए केवल एक कुशल या चालाक भेड़पालक की आवश्यकता है।
और उसे आपूर्ति को हमारे देश के नेता लोग कर रहे हैं ।

यह भी जहालत का सुनहरा दौर है ।
जब हमारे देश के नुमाइन्दों का केवल अन्ध-विश्वास पर जोर  ।।
झाड़ फूक टोना टोटका हर बीमारी का समाधान नहीं ।
उन्मादों नहीं करनी चाहिए इन वर्तमान हालातों और नेताओं की बातों को सुनकर कि हम कभी सत्य के युग में भी प्रतिष्ठित होंगे ।

यद्यपि प्राचीनत्तम मनीषियों ने आध्यात्मिक और दारशनिसता के उच्चत्तम बिन्दुओं का स्पर्श कर लिया था 
'परन्तु आज तो निहायत जहालत का ही दौर है ।

'हम स्पष्ट कर दें कि कभी धर्म या अध्यात्म विरोध में नहीं रहे  हम , केवल पाखण्डीयों और अन्धविश्वाशीयों के ही  विरुद्ध हैं और रहेंगे भी ।
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अब बात करते हैं सामयिक विश्व समस्या कोरोना वायरस की ----

ध्यान देना आवश्यक कि प्रत्येक कार्य के दो कारक होते हैं ।
एक आध्यात्मिक और दूसरा भौतिक या प्राकृतिक 
दौनों कारक एक दूसरे के पूरक बन कर शब्द में अर्थ के समान जुड़े हुए हैं।

साधारण लोग केवल स्थूल कारक ही देखते हैं।
शूक्ष्म या आध्यात्मिक कारक नहीं देखते 
 जो उनकी बौद्धिक अपंगता ही है- ।

सत्य पूछा जाए तो प्रत्येक रोग या बीमारी पहले  मानसिक स्तर पर ही उदय होती है ; और जो शरीर पर कालान्तरण में  प्रतिबिम्बित होती है ।

हमारे मनस्तर में कमजोरी हैं हमारे अन्दर रोग प्रतिरोधक क्षमताऐं समाप्त हो गयीं हैं । 
 और हम आलसी और निकम्मे भी निरन्तर होते जा रहे हैं 
वातावरण भी अॉक्सीजन के अनुपात से निम्न होता जा रहा है । 

हम्हें तत्काल सर्दी, गर्मी , जुकाम और अन्त: संक्रमण जकड़ लेते हैं । 

 आज जिस बीमारी ने इन्सान को भयाक्रान्त कर दिया है-  
वह है कोरोना वायरस जनित बीमारी श्वसन तन्त्र के संक्रमण से सम्बद्ध रहस्यमय निमोनिया या श्वसन इन्फेक्शन ...

जिसमें कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा श्वसन तन्त्र ही नहीं  फुफ्फुस ( फैंफड़े) किडनी आदि अपना कार्य स्थगित कर देते हैं ।
इसकी प्रारम्भिक चरण जुकाम से है ।
पर हर जुकाम कोरोना वायरस के संक्रमण से नहीं 
जुकाम तो केवल रेनो वायरस से होता हैं जो नाम में ही होता है ।
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साधारणतः जुकाम (कॉमन कोल्ड) अनेक प्रकार के विषाणु द्वारा होता है ; जिसमें कोरोना वायरस (Corona virus)और रेनो(Rhino Virus) वायरस प्रमुख हैं ।

इसमें 75% श्वसन बीमारी में रेनो वायरस तथा शेष में कोरोना वायरस की भूमिका है।

यह मौसम में बदलाव के समय होता है विशेषत: वर्षा तथा सर्दियों में ।

दक्षिणी अफ्रीकी देशों तथा भूमध्यरेखीय देशों में अधिक तापमान के कारण यह विषाणु अधिक समय तक जीवित नही रहता है ।

यूरोपीय या मध्य-शीतप्रधान देशों में यह अधिक समय तक जीवित रहता है ।

इस रोग के प्रमुख लक्षणों के अन्तर्गत श्वसन मार्ग की म्यूकस झिल्ली में सूजन तथा नासिका कोष में कड़ापन तथा नाक बहना ,निरन्तरछीकें आना,और गले में खराश आदि हैं ।

रेनो वायरस में जहाँ मनुष्य या जीवधारी की नासिका प्रभावित होती है वहीं कोरोना वायरस में श्वसन तन्त्र होता है ।
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कोराना वायरस के संक्रमण से श्वसन नली की म्यूकस झिल्ली में सूजन आ जाने से प्राणी की श्वाँस रुक जाती है जो उसकी मृत्यु का कारण है ।

कोरोना वायरस की आकृति मुकुट के समान होने से ही इसे क्राउन  (Crown virus ) कहा जाता है ।
कोरोना एक विषाणु परिवार है । 

---जो मुकुटाकार अथवा सूर्य के आभा-मण्डल के समान गोल  होते हैं ।

सूर्य के आभा-मण्डल के सदृश्य पर ही इस वायरस का नाम और चित्र निर्धारित किया गया है

इसका संक्रमण लगभग  एक सप्ताह तक रहता है यदि खांसी है तो दो सप्ताह तक भी रह सकता है ।

 इस रोग का संक्रमण छींकने से वायु में मुक्त बिन्दु कणों द्वारा होता है इसके अतिरिक्त यदि संक्रमित व्यक्ति दरवाजों के हैंडल गुड़ियों खम्भों आदि को छूता है।

 तो यह वायरस  संक्रमण करके वहां पर लग जाते हैं और वहां से स्वस्थ व्यक्ति में स्पर्श करने पर चले जाते  हैं ।

इस संक्रमण क्रिया को (Fomite born infection) फोमाइट वर्न इंफेक्शन के नाम से जना जाता है ।

 इससे जनित रोग के उपचार हेतु  एस्पिरिन( Aspirin) तथा एण्टी-हिष्टेमीन (anti- histemine) यथा नाजल स्प्रे ( Nasal spray ) आदि एलोपैथिक औषधियाँ लाभ- प्रद हैं ।

यह एक रहस्यमय  निमोनिया कारक विषाणु है और इसका जो काम है वह केवल श्वसन तन्त्र में संक्रमण द्वारा सूजन   है । 
सामान्यत: तीन प्रकार के विषाणु हैं जो निमोनिया के कारक हैं

 जिसमें पहला जो कारक है वह "इन्फ्लूएंजा" है 
इन्फ्लूएंजा के जो मुख्य लक्षण है उसमें "ठंड लगना "सिर दर्द" बुखार "छीकना "खाँंसना तथा सामान्य पेशीय दर्द है।

 यह लक्षण के वायरस  के संक्रमण 1 से 3 दिन के उद्- भवन काल से प्रारम्भ होकर होकर 3 से 7 दिन तक बने रहते हैं इसके उपचार के लिए एलोपैथिक दवाई है :-एमेण्टाडीन (Amantadine)
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Coronaviruses ara A large family .
of viruses that cause illness ranging from the common cold to more severe diseases like pneumonia, MERS and SARS ...

Severe symtoms .

High fever .

100.4°F or higher .

Pneumonia .

Kidney failure .

Death .

Transmission .
Coughs And sneezes from infection persion or touching cantaminated objects  ..

Common symtoms 

Fever 

2to 7 days develop A dry cough
Mild breathing difficulties at the outset 
Gastrointestinal issues 

Diarrhea 
General body aches ...

एक बड़ा परिवार।
वायरस जो आम सर्दी से लेकर निमोनिया, MERS और SARS जैसी गंभीर बीमारियों तक का कारण बनते हैं ...

गंभीर सहानुभूति।

उच्च बुखार ।

100.4 ° F या उच्चतर।

निमोनिया ।

किडनी खराब ।

मौत ।

संचरण।
खांसी और छींक संक्रमण से या छावनी वस्तुओं को छूने से ..

आम सहानुभूति

बुखार

2 से  7 दिनों में एक सूखी खाँसी विकसित होती है
जो शुरुआत में सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न करती है ।
•गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मुद्दे
•दस्त
•सामान्य शरीर में दर्द ...

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वस्तुतः इस वाइरस  के निदान के लिए गो -दुग्ध आवश्यक  और लाभ कारी तो हो सकता है । 
'परन्तु गो-मूत्र या गोमल ( गोबर ) कदापि नहीं  जैसा कि रूढ़िवादीयों अन्धविश्वाशी साधू महातमाओं  द्वारा प्रचारित प्रसारित भी किया जा रहा है ।

कि कोरोना से बचें के लिए सभी गो-मूत्र सेवन करो! 
 और गाय का गोवर रोटी के साथ खाओ ।

 आपको विदित हो कि  गो मूत्र में केवल यूरिया तथा यूरिक अम्ल हैं ।
जो एक मनुष्य के मूत्र में भी होते हैं ।

यह सत्य है कि गाय का मल मूत्र  कृषि खाद के लिए ही उपयोगी है।
मनुष्य इसका सेवन करे श्रृद्धा में अन्धभक्त बनकर तो यह 
दु:खद ही है- ।

'परन्तु यह मल -मूत्र अवशिष्ट पदार्थ होने से त्याज्य ही है- 
सेवन के योग्यता नहीं ।
ये गो दुग्ध से अधिक महत्वपूर्ण नही है- ।

गाय का मल मूत्र सेवन करने से संक्रमण और भी बड़ सकता है- ।

हाँ अन्य मासाहारी या सर्वाहारी जानों की अपेक्षा गाय और भैंस को मल मूत्र स्वच्छ है ।
इसमें सन्देह नहीं !
'परन्तु इसका सेवन मूर्खता ही है- ।

कोरोना वायरस के आतंक ने दुनियाँ को कितना भयभीत किया है- ।
 यह सर्व विदित है- इसने इतिहास में स्वरणाक्षरों में अपना नाम भयपूर्वक नाम दर्ज करा दिया है- ।
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कोरोना नामकरण कैसे हुआ? इसकी कथा भी भक्त गण श्रवण करले ताकि उनके पाप -ताप शान्त ---हे जाऐं ।

ईस्वी सन् (2019) के नोवल कोरोना-वायरस की उत्पत्ति और विकास का श्रेय चीन देश के प्राप्त हो गया है- ।

चीन के वुहान  शहर में इसका वास्तविक जन्म  हुआ।
चीनी- व्यक्तियों का खान- पान समुद्रीय जीवों पर आधारित है- ही  इसके अतिरिक्त वे जंगली तथा स्तनधारी जन्तुओं जैसे  चमकादड़ , कुत्ते  बिल्ली आदि जन्तुओं के मास का सेवन भी नियमित करते हैं ।

इन जन्तुओं के मास और रक्त के सड़ने के संक्रमण से ही कोरोना परिवार के विषाणुओं का जन्म हुआ है।
आज इसने अपनी ताकत से दुनियाँ को कम्पित कर दिया है ।


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 कोरोनावायरस रोग (2019-nCoV या COVID-19) ने हाल ही में वुहान (चीन) से दुनियाँ को प्रस्थान किया है, जिसमें थाईलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका आदि में इस वाइरस से जनित बीमारी के मामलों की पुष्टि की गई है।

वह भी एक नए कोरोनोवायरस के रूप में 
कोरोना वायरस 19 के नाम से ...

 2019- में इस कोरोना वायरस ने सैकड़ों मनुष्यों को संक्रमित किया है और कई घातक मामलों का कारणभी  बना है।

2019-nCoV के हाल ही में जारी जीनोमिक डेटा के (phylogenomic) विश्लेषण के आधार पर, वैज्ञानिकों ने दिखाया कि यह (2019-nCoV 2 ) वायरस है अर्थात् गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS)-

जैसा कोरोना वायरस अनुक्रमों से सबसे अधिक निकटता से संबंधित है जो 2015 से 2017 के दौरान चमगादड़ में अलग-थलग विद्यमान थे।

 वैज्ञानिक यह सुझाव देते हुए कहते हैं कि चमगादड़ का CoV और मानव 2019-nCoV एक सामान्य पूर्वज से  साझा होते हैं।
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इसलिए, 2019-nCoV को SARS- जैसे वायरस के रूप में माना जा सकता है और इसका नाम SARS-CoV-2 है।
क्यों की यह sever acute Reispiratory syndrome ( गम्भीर तीव्र श्वसन संक्रमण) से सम्बद्ध है 

 2015, 2017  से झोउशान, झेजियांग प्रांत, चीन में 2 चमकादड़ के  वायरस एकत्र किए गए थे।

ऐसी अटकलें हैं कि 2019-nCoV की उत्पत्ति ज़ूशान या कहीं और भी हो सकती है।

 नए कोरोनवायरस को पहले स्टॉलहोल्डर्स से अलग किया गया था, जो वुहान में साउथ चाइना सी-फूड मार्केट में काम करते थे।

यह बाजार जंगली जानवरों या स्तनधारियों को भी फूड प्रोडक्ट के तौर पर बेचता है ।

यह अनुमान लगाया गया है कि मध्यवर्ती मेजबानों द्वारा (जंगली स्तनधारियों) को वुहान में समुद्री भोजन के तौर पर बाजार में बेचा गया था।
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 वैज्ञानिकों ने इस वायरस की आकृति  क्राउन या कोरोन  अर्थात् मुकुटाकार अथवा सूर्य के आभा-मण्डल के समान गोल रूप में देखी और इसे नाम दिया कोरोना वायरस (विषाणु)

2019-nCoV को लाल रंग में लेबल किया गया है।
और यही  आकृति पुस्तकों में उपयोग की गई
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 संकेताक्षर: 2019-nCoV, 2019 नोवल कोरोनावायरस; सार्स,( गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम)है ।

 और ये सभी वुहान में लोगों से मिलने या संपर्क करने वाले लोगों में मौजूद थे।

 वे संभवतः दक्षिण चीन समुद्री खाद्य बाजार में बेचे जाने वाले जीवित स्तनधारियों हैं।

 इसलिए, जंगली स्तनधारियों की निगरानी को मजबूत करना भविष्य में मनुष्यों को संक्रमित करने वाले समान वायरस को रोकने के लिए एक आवश्यक उपाय है।

  वर्तमान में इसका वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के चीन में 1000 से अधिक पुष्ट मामले सामने आए हैं। 

चीन, साथ ही अन्य देशों में प्रांतों और शहरों की संख्या, पुष्ट मामलों के साथ लगातार बढ़ रही है। 
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आज यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी को और अधिक मजबूत करना आवश्यक है कि ये वायरस उपभेद 2003 SARS "के वैश्विक प्रकोप जैसी बीमारियों का कारण नहीं बनेंगे।

 इसका विषाणु के नामकरण के मूल व मुख्य बिन्दु ----👇

1 : the projecting part of a classic cornice

2 : something suggesting a crown: such as

a plural coronae\ kə-​ˈrō-​(ˌ)nē  \ also coronas

(1) : a usually colored circle often seen around and close to a luminous body (such as the sun or moon) caused by diffraction produced by suspended droplets or occasionally particles of dust....

(2) : the tenuous outermost part of the atmosphere of a star (such as the sun)

(3) : a circle of light made by the apparent convergence of the streamers of the aurora borealis...

b : the upper portion of a bodily part (such as a tooth or the skull)

c : an appendage or series of united appendages on the inner side of the corolla in some flowers (such as the daffodil, jonquil, or milkweed)

d : a faint glow adjacent to the surface of an electrical conductor at high voltage

3 [from Latin Corona, a trademark] : a long cigar having the sides straight to the end to be lit and being roundly blunt at the other end
Corona geographical name
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Co·​ro·​na | \ kə-ˈrō-nə  \
Definition of Corona (Entry 2 of 2)
city in southern California east of Los Angeles population 152,374
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Noun
a corona 2c
In the meaning defined above
Examples of corona in a Sentence
Recent Examples on the Web: Noun

The corona is one million degrees Kelvin, while the surface is around 6,000 Kelvin.

— Ashley Strickland, CNN, "First detailed images of a turbulent surface of the sun, thanks to new telescope," 29 Jan. 2020
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The name of coronavirus comes from its (crown,s)shape, 
which resembles a crown or solar corona when imaged using an electron microscope.
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— Haitao Guo, BostonGlobe.com, "Snakes could be the original source of the new coronavirus outbreak in China," 24 Jan. 2020

These example sentences are selected automatically from various online news sources to reflect current usage of the word 'corona.' 

Views expressed in the examples do not represent the opinion of Merriam-Webster or its editors.
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borrowed from Latin corōna "garland worn on the head as a mark of honor or emblem of majesty, halo around a celestial body, top part of an entablature" — 

more at CROWN entry 1
Keep scrolling for more
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1: यह एक क्लासिक कंगनी का प्रोजेक्टिंग हिस्सा

2: इसके आकार को देखकर कुछ एक मुकुट का सुझाव: जैसे
बहुवचन coronae \ kə- uralr (- (ē) n also \ _ भी कोरोनस 

(1): आमतौर पर रंगीन चक्र को अक्सर चमकदार बूंदों या कभी-कभी धूल के कणों द्वारा उत्पन्न विवर्तन के कारण चमकदार शरीर (जैसे सूर्य या चंद्रमा) के आस- पास जो आभा-मण्डल देखी जाता है उसके समान इस वायरस की आकृति है ।

(२): कुछ के अनुसार तारे के वातावरण का सबसे बाहरी हिस्सा (जैसे सूर्य)

(3): अरोरा बोरेलिस के स्ट्रीमरों के स्पष्ट अभिसरण द्वारा बनाए गए प्रकाश का एक चक्र कोरोना होता है ।

b: शारीरिक भाग का ऊपरी भाग (जैसे दांत या खोपड़ी)

ग: कुछ फूलों (जैसे डैफोडिल, जोंक्विल, या मिल्कवीड) में कोरोला के अंदरूनी हिस्से पर एकजुट उपांगों की एक उपांग या श्रृंखला

डी: उच्च वोल्टेज पर एक विद्युत कंडक्टर की सतह से सटे एक बेहोश चमक या स्फुलिंग ..
जैसे
3 [ला कोरोना से, एक ट्रेडमार्क]: एक लंबा सिगार जिसके किनारे सीधे होते हैं और दूसरे छोर पर गोल-गोल कुंद होते हैं।

कोरोना भौगोलिक नाम

लॉस एंजिल्स की आबादी के पूर्व दक्षिणी कैलिफोर्निया में शहर 152,374

कोरोना एक मिलियन डिग्री केल्विन है, जबकि सतह लगभग 6,000 केल्विन है।

- एशले स्ट्रिकलैंड, सीएनएन, "सूरज की एक अशांत सतह का पहला विस्तृत चित्र कोरोना है ।

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कोरोना-वायरस का नाम इसके आकार से आता है, जो एक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके
( imaged) होने पर एक मुकुट या सौर कोरोना जैसा दिखता है।
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कोरोना का पहला ज्ञात उपयोग
संज्ञा

कोरोना के लिए इतिहास और व्युत्पत्ति
संज्ञा -करण

 यह शब्द लैटिन भाषा के कोरोना से उधार लिया गया है- जिसका अर्थ"सम्मान की निशानी के रूप में सिर पर पहना जाने वाला माला या महिमा का प्रतीक,  मुकुट है ।

दूसरा भाव सदृश्य से अर्थ हुआ एक खगोलीय पिंड के चारों ओर प्रभामंडल, एक अतिशयोक्ति का शीर्ष भाग" - मुकट है  इसे सबका शिरोमणि विषाणु कहना उचित है- 

दूसरा अध्याय --


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Coronaviruses and Acute Respiratory Syndromes (COVID-19,
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( MERS, and SARS)
By Brenda L. Tesini, MD, University of Rochester School of Medicine and Dentistry
Last full review/revision Mar 2020 ।

Corona viruses are enveloped (RNA) viruses that cause respiratory illnesses of varying severity from the common cold to fatal pneumonia. 👇

Numerous coronaviruses, first discovered in domestic poultry in the 1930s, 

cause respiratory, gastrointestinal, liver, and neurologic diseases in animals. 

Only 7 coronaviruses are known to cause disease in humans. 

Four of the 7 coronaviruses most frequently cause symptoms of the common cold.

 Coronaviruses 229E and OC43 cause the common cold; 
the serotypes NL63 and HUK1 have also been associated with the common cold.

 Rarely, severe lower respiratory tract infections, including pneumonia, can occur, primarily in infants, older people, and the immunocompromised.

Three of the 7 coronaviruses cause much more severe, and sometimes fatal, respiratory infections in humans than other coronaviruses and have caused major outbreaks of deadly pneumonia in the 21st century:

 SARS-CoV2 is a novel coronavirus identified as the cause of coronavirus disease 2019 (COVID-19) that began in Wuhan, China in late 2019 and spread worldwide.
_____👍
 MERS-CoV was identified in 2012 as the cause of Middle East respiratory syndrome (MERS).

 SARS-CoV was identified in 2002 as the cause of an outbreak of severe acute respiratory syndrome (SARS).

These coronaviruses that cause severe respiratory infections are zoonotic pathogens, 

which begin in infected animals and are transmitted from animals to people.
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COVID-19
Middle East Respiratory Syndrome (MERS)

Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS)

Common Cold Influenza 
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OTHER TOPICS IN THIS CHAPTER
Respiratory Viruses...

Influenza is a viral respiratory infection
 causing fever, coryza, cough, headache, and malaise.

 Mortality is possible during seasonal epidemics, particularly among high-risk patients 
(eg, those who are institutionalized, at the extremes of age, have cardiopulmonary insufficiency, or are in late pregnancy);

 during pandemics, even healthy, young patients may die. 
👃
Diagnosis is usually clinical and depends on local epidemiologic patterns.

 The influenza vaccine should be given annually to everyone aged 
≥ 6 months who does not have a contraindication.

 Antiviral treatment reduces the duration of illness by about 1 day and should be specifically considered for high-risk patients.

Influenza refers to illness caused by the influenza viruses, but the term is commonly and incorrectly used to refer to similar illnesses caused by other viral respiratory pathogens.

 Influenza viruses are classified as type A, B, or C by their nucleoproteins and matrix proteins.

 Influenza C virus infection does not cause typical influenza illness and is not discussed here.
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कोरोनवीरस और एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (COVID-19)

( MERS, और SARS)
ब्रेंडा. एल. टेसेनी, एमडी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ रोचेस्टर स्कूल ऑफ़ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री से उद्धृत ...
अंतिम पूर्ण समीक्षा / संशोधन मार्च 2020 |
 सामग्री अंतिम मार्च 2020 को संशोधित

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कोरोनाविरस (आर.एन.ए) वायरस से आच्छादित होते हैं, जो सामान्य सर्दी से घातक निमोनिया की बदलती बीमारियों का कारण बनते हैं।

सन् (1930 )के दशक में पहली बार घरेलू कुक्कुटों (मुर्गों) में खोजे गए कई कोरोना विषाणु थे ।

ये विषाणु जानवरों में श्वसन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, (आन्त्र-विकृति) यकृत और न्यूरोलॉजिक रोग पैदा करते हैं।

केवल 7 कोरोना वायरस को मनुष्यों में बीमारी का कारण माना जाता है।

7 कोरोना-वायरस में से चार सबसे आम सर्दी के लक्षणों का कारण बनते हैं।

 कोरोना वायरस 229 (ई )और (ओ) (सी )43 आम सर्दी का कारण बनते हैं;।

सीरोटाइप्स एन.एल 63 और एच.यू.के 1 को भी आम सर्दी से जोड़ा गया है।

 शायद ही कभी, निमोनिया सहित गंभीर निचले श्वसन पथ के संक्रमण हो सकते हैं, मुख्य रूप से शिशुओं, वृद्ध लोगों और प्रतिरक्षाविज्ञानीयों  में।

7 कोरोनवीरस में से तीन बहुत अधिक गंभीर होते हैं, और कभी-कभी घातक होते हैं, ।
अन्य कोरोना वायरस की तुलना में मनुष्यों में श्वसन संक्रमण और 21 वीं सदी में घातक निमोनिया के प्रमुख प्रकोप होते हैं:

( SARS-CoV2) कोरोनोवायरस रोग (2019) (COVID-19) के कारण के रूप में पहचाने जाने वाला एक नोवल कोरोनवायरस है।

 जो 2019 के अंत में वुहान शहर चीन में शुरू हुआ और वहीं से  दुनिया भर में फैल गया।
_____ 👍
 MERS-CoV की पहचान 2012 में (Middle East Respiratory Syndrome) (मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS) के कारण के रूप में हुई थी।

 SARS-CoV की पहचान 2002 में (Severe Acute Respiratory Syndrome ) गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) के प्रकोप के कारण के रूप में की गई थी।

श्वसन संबंधी गंभीर संक्रमण का कारण बनने वाले ये कोरोनावायरस ज़ूनोटिक रोगजनक हैं,

जो संक्रमित जानवरों में शुरू होते हैं और जानवरों से लोगों में प्रेषित होते हैं।
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COVID -19
मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS)

गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS)

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 सामान्यत  कोल्ड इन्फ्लुएंजा

इस अध्याय में अन्य विषय
श्वसन वायरस ...

इन्फ्लुएंजा एक वायरल श्वसन संक्रमण है
जिसके  बुखार, कोरिज़ा, खांसी, सिरदर्द और अस्वस्थता का कारण।

 मौसमी महामारी के दौरान मृत्यु दर संभव है, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले रोगियों के बीच
(उदाहरण के लिए, जो संस्थागत रूप से उम्र के चरम पर पहुँच गये हैं, जैसे जिनमें कार्डियोपल्मोनरी अपर्याप्तता है, या जो महिलाएें देर से गर्भावस्था में हैं);

 महामारी के दौरान, यहां तक ​​कि स्वस्थ, युवा रोगियों की मृत्यु हो सकती है। 

  रोग का विश्लेषण (diagnosis) आमतौर पर नैदानिक ​​है और यह स्थानीय महामारी विज्ञान के पैटर्न पर निर्भर करता है।👃

 इन्फ्लुएंजा का टीका हर उम्र के व्यक्ति को दिया जाना चाहिए
≥ 6 महीने जिनके पास एक  विपरीत -संकेत (contraindication) नहीं है।

 एण्टीवायरल उपचार बीमारी की अवधि को लगभग 1 दिन कम कर देता है और विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए विचार किया जाना चाहिए।

इन्फ्लूएंजा:-  इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाली बीमारी को संदर्भित करता है, लेकिन यह शब्द आमतौर पर और गलत तरीके से अन्य वायरल श्वसन रोगजनकों के कारण होने वाली बीमारियों को भी संदर्भित करता है।

 इन्फ्लुएंजा वायरस को उनके न्यूक्लियो-प्रोटीन और मैट्रिक्स -प्रोटीन द्वारा (ए), (बी,) या (सी) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
 इन्फ्लुएंजा( सी )वायरस संक्रमण के कारण विशिष्ट इन्फ्लूएंजा बीमारी नहीं होती है और इसलिए उसकी यहां चर्चा नहीं की जाती है।

आगे भी जानकारी करते रहेंगे 
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प्रस्तुति-करण :- यादव योगेश कुमार 'रोहि'

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