शनिवार, 28 अप्रैल 2018

शुद्धिकरण के नाम पर ....एक प्रथा यह भी        दक्षिण भारत केरल कर्नाटक तमिलनाण्डु आदि के एक ब्राह्मण समुदाय में पिता के द्वारा अपनी नवविवाहित पुत्री के साथ पहली सुहागरात मनाने का चलन रहा है।

शुद्धिकरण के नाम पर ....एक प्रथा यह भी
       दक्षिण भारत केरल कर्नाटक तमिलनाण्डु आदि के एक ब्राह्मण समुदाय में पिता के द्वारा अपनी नवविवाहित पुत्री के साथ पहली सुहागरात मनाने का चलन रहा है।
सामान्य भाषा में इसे कन्या के शरीर व योनि का शुद्धिकरण भी कहा जाता है। पिता द्वारा अपनी बेटी से हनीमून मनाने के बाद और वर द्वारा निवेदन करने के बाद कन्या को विदा किया जाता है।
ब्राह्मणों की मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री सरस्वती के साथ सम्भोग किया था ।
और हम ब्राह्मण ब्रह्मा जी के मुख से उत्पन्न हैं ।
अत: ये प्रथाऐं धार्मिक हैं ।
   अगर लड़की के पिता का देहान्त हो गया हो तो नवविवाहिता के साथ पहली सुहागरात , उसी समुदाय के चक्रवर्ती ब्राहमणों के द्वारा मनाई जाती थी।

पिता बुड्ढा होने या किसी कारण से असमर्थ होने पर पिता अपनी नवविवाहित बेटी को अपनी जांघों पर बिठाकर अपने सनातन-धर्म का पालन करते हैं।
  उत्तर-पश्चिम-भारत में हिन्दूओं की अधिकांश जातियों में भी वर-वधू द्वारा अग्नि के फेरे के नाम पर अग्निपरीक्षा देने के बाद पिता अपनी नवविवाहित बेटियों का शुद्धिकरण कर्मकाण्डी पण्डितों से करवा कर ब्राहमणों के ब्रह्मा धर्म की प्रथाओं का पालन करते हुए आज भी देखे जा सकते हैं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ये तो केवल बकवास है,जैसे भीमटो को उनके अब्बा आज्ञा देते हैं वैसे ही भ्रम फैलाते हैं

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  2. इस लेखक की माता और बहन तथा इसके परिवार की अन्य महिला सदस्यों के साथ यही सब हुआ होगा बेचारा इस लिए अच्छे से जान रहा है। अपनी आपबीती सुना रहा है।

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