गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

कुछ राज पूत और रूढ़ि वादी ब्राह्मण आज भी अहीरों के विषय में यह तर्क देते हैं कि अहीर 1922 से पहले यादव नहीं लिखते थे । ये बाद में यादव लिखने लगे और यादव हो गये । परन्तु इनकी मूर्खों को कोई शास्त्रीय ज्ञान तो है नहीं यदु के वंशजों की वंश मूलक उपाधि यादव है । और यदु गोप अथवा गायों से घिरे रहने वाले गोपालन वृत्ति (व्यवहार) करने वाले थे । गोपों को ही हिब्रू और भारतीय परम्पराओं में घुमक्कड़ और उनकी निर्भीक प्रवृत्ति के कारण अभीर कहलाए अभीर शब्द का अण् समूह अथवा सन्तान वाची प्रत्यय करने से आभीर कहते गये हिन्दुस्तान की प्राकृत भाषाओं में अहीर शब्द विकसित हुआ क्योंकि जन्म से ही परिस्थितियों के साँचे में वीरता के गुण इनमें विकसित हो जाते हैं । अत: अहीर विशेषण इनकी निर्भीकता और वीरता का सूचक है । हिब्रू भाषा में अबीर (Abeer) का अर्थ सामन्त अथवा वीर या यौद्धा से है । ____________________________________________

हर काल में  इतिहास पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर लिखा गया आधुनिक इतिहास हो या फिर प्राचीन इतिहास अथवा पौराणिक आख्यानकों में अहीरों को (Criminal tribe ) अापराधिक जन-जाति के रूप में दुर्दान्त हत्यारे और लूटेरे ही कहा गया है।
पता नहीं इतिहासकारों की कौन सी भैंस अहीरों ने चुरा ली थी  ।
इतिहास कार भी विशेष समुदाय वर्ग के ही थे ।
अहीरों के विषय में ऐसा ऐैतिहासिक विवरण पढ़ने वाले भी प्राय: गधों से अधिक कुछ नहीं हैं।
अहीर क्रिमिनल ट्राइब कदापि  नही हैं अपितु विद्रोही ट्राइब अवश्य रही है ; वो भी अत्याचारी शासन व्यवस्थाओं  के खिलाफ ,
क्योंकि इतिहास भी शासन के प्रभाव में ही लिखा जाता था। और कोई शासक विद्रोहियों को सन्त तो कहेगा नहीं
क्योंकि वे शासकों की शोषण नीति- के विरुद्ध हैं ।
परन्तु जनता भी सत्य को नहीं समझ पाती है ।
ये सारी काल्पनिक बाते होती हैं ।
ऐसी ऊटपटांग बातें आजादी के बाद यादवों के बारे में वर्ण-व्यवस्था के अनुमोदकों ने ही पूर्व-दुराग्रहों से ग्रसित होकर लिखीं ।
परन्तु यथार्थोन्मुख सत्य तो ये है ; कि यादवों ने ना कभी कोई  अापराधिक कार्य अपने स्वार्थ या अनुचित माँगों को मनवाने के लिए किया  और नाहीं किसी की दासता स्वीकार की ! और एेसा भी इतिहास नहीं कि कभी
कोई तोड़ फोड़  की हो ! और ना ही -गरीबों की -बहिन बेटीयों  को सताया हो ।
केवल कुकर्मीयों , व्यभिचारीयों के खिलाफ विद्रोह अवश्य किया, वो भी हथियार बन्ध होकर ,
यादवों का विद्रोह शासन और उस  शासक के खिलाफ रहा हमेशा से , जिसने समाज का शोषण किया ना की आम लोगों के खिलाफ !
जनता को सोचना-समझना चाहिए ! न कि बोगस  लोगो के कहने पर विश्वास करने चाहिए
जिस प्रकार से आज समाज में अहीरों के खिलाफ सभी रूढ़ि वादी समुदाय एक जुट हो गये हैं ।
यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है

कुछ राज पूत और रूढ़ि वादी ब्राह्मण आज भी अहीरों के विषय में यह तर्क देते हैं कि अहीर 1922 से पहले यादव नहीं लिखते थे । ये बाद में यादव लिखने लगे और यादव हो गये ।
परन्तु इनकी मूर्खों को कोई शास्त्रीय ज्ञान तो है नहीं
यदु के वंशजों की वंश मूलक उपाधि यादव है ।
और यदु गोप अथवा गायों से घिरे रहने वाले गोपालन वृत्ति (व्यवहार) करने वाले थे । गोपों को ही हिब्रू और भारतीय परम्पराओं में घुमक्कड़ और उनकी निर्भीक प्रवृत्ति के कारण अभीर कहलाए अभीर शब्द का अण् समूह अथवा सन्तान वाची प्रत्यय करने से आभीर कहते गये हिन्दुस्तान की प्राकृत भाषाओं में अहीर शब्द विकसित हुआ क्योंकि जन्म से ही परिस्थितियों के साँचे में वीरता के गुण इनमें विकसित हो जाते हैं ।
अत: अहीर विशेषण इनकी निर्भीकता और वीरता का सूचक है । हिब्रू भाषा में अबीर (Abeer) का अर्थ सामन्त अथवा वीर या यौद्धा से है ।
____________________________________________
जय श्री कृष्णा !
विचारक :- वी० कुमार यादव
वञ्चित समाज के उत्थान में अहर्निश संघर्ष करने वाले
साम्यवादी मसीहा ! हमारा मसीहा ।
ग्राम-आज़ादपुर
पत्रालय- पहाड़ीपुर
जनपद- अलीगढ़---उ०प्र०

अनुमोदक - यादव योगेश कुमार 'रोहि' , अहीर वेदान्त दाहिया एवम् परेश अहीर और समस्त -यादव समुदाय

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें