शनिवार, 21 अप्रैल 2018

रचना वादी


सीखना एक सतत ,सहज ,निरंतर चलने वाली एक सामाजिक प्रक्रिया है ,जिसमे सीखने वाला अपने वातावरण से परस्पर अंत:क्रिया करते हुए अपने अनुभवों से स्वयं सीखता है । बच्चे अपने आस पास की चीजो से जुड़े रहते है । खोजबीन करना , सबाल पूछना ,करके देखना ,अपने अर्थ बनाना बच्चो की स्वाभिक प्रकृति  होती है । रचनावाद (Constructivism ) सीखने सिखाने के इसी सिद्धांत को कहते है जिसमे, विद्यार्थी अपने ज्ञान की रचना अथवा निर्माण वातावरण से अंत:क्रिया करते हुए अपने अनुभवों से स्वयं करता है । रचनावाद को सीखने का प्राकर्तिक या स्वाभाविक सिद्धांत कहें तो शायद ज्यादा सटीक होगा ।बच्चा स्वभाविक रूप से ही अपने आप को दूसरो से जोड़ कर देखता है जिससे उसकी समझ विकसित होती है, और अपने इन्ही अनुभवों के आधार पर वह अपने जीवन के कार्य कर पाता है । ज्ञान के सृजन की इसी प्राकृतिक विधा को शिक्षा शास्त्र में रचनावाद कहा गया है ।

       रचनावाद बाल-केन्द्रित शिक्षा शास्त्र का मुख्य आधारभूत सिद्धांत है । इस व्यवस्था में बच्चों के अनुभवों , उनकी जिज्ञासाओं और उनकी सक्रिय सहभागिता को केंद्र में रख कर पठन पाठन हेतु वातावरण तैयार किया जाता है । बाल केन्द्रित व्यवस्था में शिक्षक एक सुगमकर्ता के रूप में बच्चो को सीखने हेतु यथोचित सामग्री , सीखने की सहज परिस्थितियों को उपलब्ध कराने और निरंतर उनका सतत और व्यापक मूल्यांकन करते हुए उन्हें अपनी क्षमताओ के विकास के अवसर उपलब्ध कराने की महती भूमिका का निर्वहन करता है ।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत में शिक्षा के सार्वभौमिक और गुणवत्तापरक होने के विषय में कई प्रयास किये गए । कोठारी आयोग की सिफ़ारिशो की बात हो या फिर 1986 की नई शिक्षा नीति की , सभी सरकारी आयोग और नीति पत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को एक अहम् मुद्दे की तरह प्रस्तुत किया गया है । और हो भी क्यों न , बिना गुणवत्ता के शिक्षा एक औपचारिकता मात्र है, जो बच्चो के कोमल मन पर एक भार की तरह विराजित हो जाती है । और कितने ही नौनिहाल अर्थहीन शिक्षा के बोझ तले सीखने की अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति को खो देते है और खो देते है ऐसे न जाने कितने अवसर, जहाँ वे अपने अंदर छिपी क्षमताओं और ढेरों संभावनाओं से अपना और देश का सुनहरा भविष्य गढ़ सकते थे ।

‘रचनावाद’ गुणवत्तापरक और सार्थक शिक्षा का वह स्वाभाविक व आनंदमयी सिद्धांत है जिसमे बच्चा अपना सर्वश्रेष्ठ विकास कर सकता है और वास्तविक जीवन में अपने ज्ञान का सही मायनों में प्रयोग करते हुए कुशलता पूर्वक जीवन यापन कर सकता है । शिक्षा व्यबस्था का वास्तविक सरोकार बच्चो को सार्थक अनुभव देने वाली शिक्षा प्रदान करने का है जिससे वे अपने अनुभव से उस यथार्थ और व्यबहारिक ज्ञान का सृजन करे जो उन्हें कुशलता पूर्वक जीवन यापन करने योग्य बनाये ।

शिवानी यादव

शिक्षक प्रशिक्षक

भारत

गुणा क्या है प्राथमिक स्तर पर इसे कैसे सिखाऐंगे?
गुणा करने का लघुरुप---- 25×25={2×(2+1)}(5×5)

  =625
45×45={4×(4+1)}(5×5)

  =2025
गुणासंपादित करें
जब किसी संख्या अथवा अंक में उसी संख्या अथवा अंक को एक या एक से अधिक बार जोड़ा जाता है तो उसे गुणा (en:Multiplication) कहते हैं। संख्या अथवा अंक को जितनी बार जोड़ा जाता है वह उतनी ही बार गुणा होता है। गुणा को x चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है।

उदाहरणः २ x ४ = ८

गुणा करने में संख्या के स्थान से कोई अंतर नहीं पड़ता है। ऊपर के उदाहरण के अनुसार :

२ + २ + २ + २ = ८

(२ को ४ बार जोड़ने पर उत्तर ८ आता है)

या

४ + ४ = ८

(४ को २ बार जोड़ने पर उत्तर ८ आता है)

गणित
1
गणित
वह क्रिया जिससे यह पता चलता है कि किसी अंक को एक से अधिक बार जोड़ने पर कितना प्राप्त होता है (जैसे—8 को 4 से गुणा करना

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गुणा : भाग तीन
By At Right Angles | दिसम्बर 22, 2014
Resource Info
बुनियादी जानकारी
गुणा को लेकर कुछ सवाल हैं :  क्‍या बच्‍चे गुणा के टेबिल याद रखते हैंॽ गुणा दर्शाने के लिए आसान और सुविधाजनक तरीका क्‍या है ॽक्‍या गुणा  करने की प्रक्रिया भर पढ़ाना पर्याप्‍त हैॽ  जब हम इन सवालों पर विचार करेंगे तो पाएँगे कि ज्ञान के निमार्ण की  आवश्‍यकता क्‍यों है। अगर हम देखना चाहते हैं कि बच्‍चे इस बात को समझें कि तथ्‍य किस तरह से प्राप्‍त किए जाते हैं, प्रक्रियाएँ कैसे बनती हैं और अवधारणाएँ कैसे सामने आती हैं तो हमारी तरीका समझदारी भरा होगा। यहॉं इसी उद्देश्‍य से कुछ गतिविधियॉं दी गई हैं।

गतिविधि एक से चार तक के लिए इस लिंक पर जाऍं  गुणा : भाग एक

गतिविधि  चार से नौ तक के लिए इस लिंक पर जाऍं गुणा : भाग दो

अवधि :
(दिन )
गतिविधि चरण:
गतिविधि 9
उद्देश्य: इबारत वाले सवाल और दिए गए गुणात्‍मक तथ्‍यों के लिए कहानी बनाना

जरूरी सामग्री: चौकोर जाली वाले कागज, सादे कागज, बिन्‍दुओं वाले कागज, बीज

गुणा के अलग-अलग सभी सन्‍दर्भों का इस्‍तेमाल करें।

बराबर समूह: 4 कटोरे हैं, हर कटोरे में 5 सेब हैं तो कुल कितने सेब हुए?

दर: हर बच्‍चे को 2 पेंसिलों की जरूरत है तो 24 बच्‍चों के लिए कितनी पेंसिलें चाहिए?

श्रेणियाँ: 3 पंक्तियाँ हैं और हर पंक्ति में 4 पौधे हैं तो कितने पौधे हुए?

नाप-तौल: एक लड़के के पास 4 किताबें हैं, उसके भाई के पास उससे 3 गुना किताबें हैं तो उसके भाई के पास कितनी किताबें हुईं?

कार्तीय गुणन: एक लड़के के पास 3 टीशर्ट हैं (लाल, पीली, सफेद) और निक्‍कर हैं (नीली व काली)। इनके जोड़े बनाकर पहनने के कितने तरीके हो सकते हैं?

बहुत से बच्‍चों को इबारत वाले सवालों को समझने में कठिनाई होती है। यह कठिनाई आगे की कक्षाओं में भी जारी रहती हैं जब उन्‍हें रेखीय समीकरण या प्रतिशत के इस्‍तेमाल वाले इबारत के सवाल हल करने होते हैं। इबारत वाले सवालों को हल करने के लिए मॉडलिंग तकनीक (नमूनों का इस्‍तेमाल करके पढा़ने की तकनीक) के जरिए पढा़ना पाठ्यपुस्‍तकों व अधिकांश शिक्षकों द्वारा नकारा जाता है। पढ़ाते समय सवालों का परिचय सन्‍दर्भ के साथ कराया जाना चाहिए और हमें बच्‍चों को विभिन्‍न मॉडलिंग तकनीकों से परिचित करवाना चाहिए।

एक माली ने हर क्‍यारी में 9 पौधे लगाए। हर बगीचे में 4 क्‍यारियाँ हैं तो कितने पौधे हुए? शुरुआती स्‍तर पर बच्‍चों को इस सवाल को हल करने के लिए नमूनों के तौर पर बीजों या फिर बीजों और क्‍यारियों को दर्शाने के‍ लिए बिन्‍दुओं वाले कागज का इस्‍तेमाल करने दें।
रसोई की एक दीवाल पर टाइल्‍स लगाई जानी हैं। यदि हर पंक्ति में 8 टाइल्‍स हों और मिस्‍त्री के हिसाब से ऐसी 7 पंक्तियाँ बनाई जानी हों तो कितनी टाइल्‍स की जरूरत पड़ेगी? इसके लिए बच्‍चे चौकोर टुकड़ों या चौकोर जाली वाले कागज का इस्‍तेमाल नमूनों के तौर पर कर सकते हैं।
एक गली के शुरू से लेकर आखिर तक 5-5 मीटर की दूरी पर पेड़ लगाए गए हैं। यदि गली में 8 पेड़ लगे हैं तो गली की लम्‍बाई कितनी होगी? इस स्थिति को दिखाने के लिए बच्‍चे संख्‍या रेखा का इस्‍तेमाल कर सकते हैं और इसकी मदद से जवाब पता कर सकते हैं।
नाप-तौल वाले सवालों को वे ग्राफ पर दर्शा सकते हैं।

कार्तिय गुणन वाले सवालों के लिए वे ट्री डाइग्राम या एक नेटवर्क बना सकते हैं।

गुणात्मक तथ्‍यों के लिए कहानी लिखना

6×5 = 30 इस गुणात्‍मक तथ्‍य के लिए बच्‍चों को एक कहानी लिखने को कहें। इससे उनकी समझ या गलत धारणा का पता चल सकेगा। मैंने देखा है कि यह अभ्‍यास हमेशा ही बच्‍चों की समझ की वास्‍तविक स्थिति से वाकिफ कराता है। इससे मुझे अपनी शिक्षण पद्धति को सुधारने का मौका मिलता है। जिस भी तरह का सन्‍दर्भ वे इस्‍तेमाल करते हैं उससे हमें अपने द्वारा इस्‍तेमाल किए गए उदाहरणों पर फीडबैक भी मिलता है।

गतिविधि 10
उद्देश्‍य: 1 और 0 से गुणा

जरूरी सामग्री: छडि़याँ या नलियाँ

बच्‍चों को यह कैसे बताएँ कि n x1 =n और  n x 0 = 0?

इस सवाल का विश्‍वसनीय जवाब देना आसान नहीं होता। यदि जवाब के तौर पर बार-बार एक ही व्‍याख्‍या   को दोहराया जाए तो यह एक तरह से कहने पर जोर देना होगा कि 2 बार 2 आया तो हुआ 4 (2 गुणा 2=4) और 1 बार 2 आया तो हुआ 2 (1 गुणा 2= 2)। लेकिन इस स्थिति में यह कैसे बताएँगे कि 0 गुणा 2 कितना होगा?

एक तरीका है छडि़यों का उपयोग करना और जोड़ वाले बिन्‍दुओं को गिनकर उल्‍टी दिशा में फ्लो तकनीक का इस्‍तेमाल करना।

हम छडि़यों का इस्‍तेमाल करके 5×2 को दर्शाते हैं और फिर बारी-बारी से एक-एक छड़ी को हटाते जाते हैं और हर बार जोड़ वाले बिन्‍दुओं की संख्‍या को गिनते हैं: 5×2 (10 जोड़ वाले बिन्‍दु), 4×2 (8 जोड़ वाले बिन्‍दु),
आज आपको गुना करने के बहुत ही आसान ट्रिक बताऊंगा जिसकी मदद से आप सवाल बहुत जल्दी हल कर सकते हो, जो ट्रिक्स आपको बताई जाये उनकी प्रैक्टिस बहुत जरूरी है , हर रोज उनकी प्रैक्टिस करे कंप्यूटर सामान्य ज्ञान की जानकारी

ये कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है जो आप के सामान्य ज्ञान के लिए जरुरी है .और साथ ही साथ ये सब जानकारी एग्जाम मे भी पूछी जाती है .तो इन्हें अच्छे से याद करे और दुसरो के साथ इसे शेयर करे . और अगर आपके पास भी है कोई खास जानकारी  तो हमें कमेंट्स में बताये .

गुणा करने का आसान तरीका
1. जिस संख्याओं का अंतर 10 हों और आखिर का अंक 5 हो

उनकी गुना करने के लिए आखिर में हमेशा 75 आएगा और शुरू में बड़ी संख्या के वर्ग में से 1 कम करके शुरू में लिखे दे.

15 X 25 = (2)2-1    (75 )= 375

यंहा 1 व 2 में से 2  बडा है ,इसलिए 2 का वर्ग 4 -1  =3  और आखिर में 75

25 X 35 =875      35 X 45 = 1575            85 X 95 =8075               95 X 105 = 9975

2. जिस संख्या के आखिर के अंक एक जैसे हो  और आखिर के अंक का जोड़ 10 हो

उनकी गुना करने के लिए शुरू वाले अंक को गिनती में उसके बाद आने वाले अंक से गुना करते है और आखिरी वाले अंको का गुना कर देते है

11 X 19 = 209

इसमें पहला अंक 1 है तो 1 से अगला 2 से गुना करेंगे तो 2 आएंगे और आखिर वालो की गुना करेंगे तो 09

3. जिस संख्या के आखिर के अंक एक जैसे हो  और आखिर के अंक का जोड़ 5 हो

उनकी गुना करने के लिए आखिर वाले अंकों की आपस में गुना और शुरू वाले अंक का वर्ग करके उस अंक का आधा उस में जोड़ देते है

सम संख्या (Even Number)

62 X 63 = 3906

6 का वर्ग 36 और इसका आधा 3 इसमें जोड़े तो 39, और आखिर वालो की गुना 6 है तो ये हुआ 3906

विषम संख्या  (Odd Number)

71 X 74 = 5254

7 का वर्ग 49 और इसका आधा 3.5 जोड़े तो 52.5 होगा तो इसे हम 525 लिखेंगे और आखिर के अंको की गुना 4 और लगा देंगे तो ये हुआ 5254

3. किसी संख्या को 5 से गुना करनी हो तो

उस संख्या का आधा करके 0 लगा दे

286 X 5 = 1430

286 Ka Adha 143 Hota Hai Ab Iske Piche 0 Or Laga De

286 का आधा 143 होता है अब इसके पीछे 0 और लगा दे

4. किसी संख्या को 25 से गुना करनी हो तो

उस संख्या को 4 से भाग करके  उसके पीछे दो 00 लगा दे

24 X 25 =600

5. किसी संख्या को 75 से गुना करनी हो तो 

उस संख्या को 4 से भाग करके 3 से गुना करके दो 00 लगा दो

76 X 75 = 5700

76 को 4 से भाग किया तो 19 आया फिर 3 से गुणा किया तो 57 अब दो 00 और लगे तो 5700
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