करता आज पुकार मैं-
दुनियाँँ झूँठी किस्मत रूठी और नइया मझधार में-
मोहन प्यारे तेरे द्वारे ।
करता आज पुकार मैं-
मुखड़ा-
खाटू वाले श्याम निराले ।
जीवन मेरा अब तेरे हबाले-
दीन दु:खियों के ओ रखवाले-
क्यों भटक रहा बेकार मैं-
मोहन प्यारे तेरे द्वारे।
करता आज पुकार मैं-
अन्तरा-१
वृन्दावन की सन्त गलिन में
लेकर आया अन्त: मलिन मैं-
कभी तंज और, तन्हाई को झेला-
सूने पथ पर मैं पथिक अकेला
चलता धीमी रफ्तार में-
अन्तरा २
मोहन प्यारे तेरे द्वारे।
करता आज पुकार मैं-
दुनियाँँ झूँठी किस्मत रूठी और नइया मझधार में-
मोहन प्यारे तेरे द्वारे ।
करता आज पुकार मैं-
चंचल मन है क्षणभंगुर काया
कभी सत्य का मैंने सार न पाया।
दुनियाँ के सब नौटंकी मेले-
करते करते ही समय बिताया।
साँसों को भी बैच दिया
इस गफलत के बाजार में
अन्तर-३
मोहन प्यारे तेरे द्वारे।
करता आज पुकार मैं-
दुनियाँँ झूँठी किस्मत रूठी और नइया मझधार में-
मोहन प्यारे तेरे द्वारे ।
करता आज पुकार मैं-
जज्वा जो मेरे जेहन में समाया।
बदनशींवी के जुल्मत का साया
उम्र का सूरज भी ढलने को आया
तेरी माया का कोई भेद न पाया
समय निकल गया है गुबार में-
मोहन प्यारे तेरे द्वारे।
करता आज पुकार मैं-
दुनियाँँ झूँठी किस्मत रूठी और नइया मझधार में-
मोहन प्यारे तेरे द्वारे ।
करता आज पुकार मैं-
गीतकार- वीरपाल- यादव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें