शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

क्षत्रिय अभीर हैं ।

देखिए क्षत्रिय शब्द का अर्थ क्षत् क्षण --भावे सप० क्विप(  हनने २ विदारणे ३ पीडने च क्षत्त्रम् ) त्रायति इति क्षत्त्र
से त्राण करने वाला  वीर अथवा यौद्धा और यह कोई जातिगत उपाधि नहीं है। इस अर्थ में अहीर तो सबसे पहले क्षत्रिय ही हैं सुमेरियन पुरातन कथाओं में खत्री या खत्ती (हिट्टी) जैसे शब्द भी हैं तथा यूनानी शब्द  भी सम्मूलक है ।
और पुराणों में प्राय: कथाओं का सृजन वेदों के अर्थ अनुमानों से ही किया गया है ।
फिर आप अहीरों को किस रूप में मानते हो ? आप भी बताऐं !
     "  एवमाश्वास्य पितरौ भगवान् देवकी सुत:।
मातामहं तु उग्रसेनयदूनाम् अकरोतन्नृपम्।१२
आह चास्मान् महाराज प्रज्ञाश्चाज्ञप्तुमर्हसि ।
ययाति शापाद् यदुभिर्नासितव्यं नृपासने ।।१३
श्रीमद्भागवत पुराण दशम् स्कन्ध ४५ वाँ अध्याय
देवकी नन्दन भगवान श्री कृष्ण ने इस प्रकार अपने माता पिता को सान्त्वना देकर अपने नाना उग्रसेन को यदुवंशीयों का राजा बना दिया ।१२। और उनसे कहा कि महाराज हम आपकी प्रजा हैं । आप हम लोगो पर शासन कीजिए क्योंकि राजा ययाति का शाप होने के कारण यदुवंशी राज सिंहासन पर नहीं बैठ सकते हैं ।
यद्यपि उग्रसेन भी यदु वंशी थे तो फिर यह तथ्य असंगत ही है ।
कि यादव राज सिंहासन पर नहीं बैठ सकते हैं।

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