★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
गुरुवार, 22 मई 2025
संस्कारों से जो उच्चकुलीन है।
संस्कारों से जो उच्चकुलीन।
धैर्यवान बड़े उदार लीन।।
स्वभाव क्रूर सब रसों से हीन।
धनिक होकर भी रहे दीन ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें