"प्राक्कथन"
इस महान उद्देश्य पूर्ण पावन कार्य में हमारे सम्बल और कृष्ण भक्ति के प्रसारक परम सात्विक, सन्त हृदय श्री गोपाचार्य हंस श्री आत्मानन्द जी भी उपस्थित हैं। जिनकी पावन प्रेरणाओं से अनुप्रेरित होकर साधक व्यक्तित्व गोपाचार्य हंस श्री माताप्रसाद एवं गोपाचार्यहंस योगेश कुमार "रोहि" के साथ मार्ग दर्शक की भूमिका में सदैव उपस्थित रहे हैं।
आज के नवीन परिप्रेक्ष्य में वैष्णव वर्ण और तदनुरूप भागवत धर्म की उपयोगिता मानव की आध्यात्मिक पिपासा की तृप्ति के लिए अति आवश्यक है।
प्रस्तावक:- "यादव योगेश कुमार रोहि"
उनको सहृदय- साधुवाद ! -
कृष्ण स्तुति श्लोक-
प्रथम खण्ड सृष्टि सर्जन-की भूमिका
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