सोमवार, 8 जुलाई 2024

प्राक्कथन-

                   "प्राक्कथन"

जिस परमात्मा के अनन्त गुण और स्वरूप हों , तथा जिसको देव मुनि और गन्धर्व और ऋषि गण भी पूर्ण रूप से न जान सके हों। तो उस परमात्मा के सम्पूर्ण गुणों एवं चरित्रों को मेरे जैसा सामान्य मानवीय जीव कैसे जान सकता है? फिर उस परमात्मा की अनुकम्पा व गुरुजनों की प्रेरणा से परमात्मा श्रीकृष्ण के गुणों  एवं चरित्रों को हम दो लेखक ( गोपाचार्य हंस - योगेश कुमार "रोहि" एवं गोपाचार्यहंस माताप्रसाद- इस "गोपेश्वरश्रीकृष्णस्य पञ्चंवर्ण" नामक ग्रन्थ में दर्शाने का एक नम्र प्रयास किया है।

इस महान उद्देश्य पूर्ण पावन कार्य में हमारे सम्बल और कृष्ण भक्ति के प्रसारक परम सात्विक, सन्त हृदय श्री गोपाचार्य हंस श्री आत्मानन्द जी भी उपस्थित हैं। जिनकी पावन प्रेरणाओं से अनुप्रेरित होकर साधक व्यक्तित्व गोपाचार्य हंस श्री माताप्रसाद एवं गोपाचार्यहंस योगेश कुमार "रोहि" के साथ मार्ग दर्शक की भूमिका में सदैव उपस्थित रहे हैं।


आज के नवीन परिप्रेक्ष्य में वैष्णव वर्ण और तदनुरूप भागवत धर्म की उपयोगिता मानव की आध्यात्मिक पिपासा की तृप्ति के लिए अति आवश्यक है।

प्रस्तावक:- "यादव योगेश कुमार रोहि"

उनको सहृदय- साधुवाद ! - 




कृष्ण स्तुति श्लोक-

प्रथम खण्ड सृष्टि सर्जन-की भूमिका


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