शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

कर्मों के बदले हमको जो मिले ...

कर्मों के सिले  हम को जो मिले !
अपना ही था इसमें क्या मिले !
  हम सम्हल के ना चले  
इसलिए  फिसले !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें