मंगलवार, 20 जून 2017

मनु एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य ... यथार्थ के धरातल पर

📖📓📕📗 मनु की ऐतिहासिकता !
मनुस्मृति ,और वर्ण- व्यवस्था के अस्तित्व पर एक वृहद् विश्लेषण •••••••••••
यद्यपि यह एक सांस्कृतिक समीकरण मूलक पर्येष्टि है,
जिसमें तथ्य समायोजन भी "योगेश कुमार रोहि"  के सांस्कृतिक अनुसन्धान श्रृंखला की एक कणिका है। ~~~~~~~जिनका Whatsapp - सम्पर्क 8077160219•••• है ।
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मनु के विषय में सभी धर्म - मतावलम्बी अपने अपने पूर्वाग्रह से ग्रस्त मिले , किसी ने मनु को  अयोध्या का आदि पुरुष कहा , तो किसी ने हिमालय का अधिवासी कहा है ।
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..परन्तु सत्य के निर्णय निश्पक्षता के सम धरातल पर होते हैं , न कि पूर्वाग्रह के -ऊबड़ खाबड़ स्थलों पर "
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विश्व की सभी महान संस्कृतियों में मनु का वर्णन किसी न किसी रूप में अवश्य हुआ है  !
परन्तु भारतीय संस्कृति में यह मान्यता अधिक प्रबल तथा पूर्णत्व को प्राप्त  है ।
इसी आधार पर काल्पनिक रूप से ब्राह्मण समाज द्वारा
वर्ण-व्यवस्था का समाज पर आरोपण कर दिया गया , जो..
वैचारिक रूप से तो सम्यक् था ।
परन्तु जाति अथवा जन्म के आधार पर दोष-पूर्ण व अवैज्ञानिक ही था ...
इसी वर्ण-व्यवस्था को ईश्वरीय विधान सिद्ध करने के लिए काल्पनिक रूप से ब्राह्मण समाज ने मनु-स्मृति
की रचना की ...
जिसमें तथ्य समायोजन इस प्रकार किया गया कि
स्थूल दृष्टि से कोई बात नैतिक रूप से मिथ्या प्रतीत न हो ।
यह कृति पुष्यमित्र सुंग  (ई०पू०१८४) के समकालिक,
उसी के निर्देशन में ब्राह्मण समाज द्वारा रची गयी है ।
परन्तु...
मनु भारतीय धरा की विरासत नहीं थे ।
और ना  हि  अयोध्या उनकी जन्म भूमि थी ।
प्राचीन काल में एशिया - माइनर ---(छोटा एशिया), जिसका ऐतिहासिक नाम करण अनातोलयियो के रूप में भी हुआ है ।
यूनानी इतिहास कारों विशेषत: होरेडॉटस् ने  अनातोलयियो के लिए एशिया माइनर शब्द का प्रयोग किया है ।
जिसे आधुनिक काल में तुर्किस्तान अथवा टर्की नाम से भी जानते हैं ।
.. यहाँ की पार्श्व -वर्ती संस्कृतियों में मनु की प्रसिद्धि उन सांस्कृतिक-अनुयायीयों ने अपने पूर्व- जनियतृ { Pro -Genitor }के रूप में स्वीकृत  की  है !
मनु को पूर्व- पुरुष मानने वाली जन-जातियाँ
प्राय: भारोपीय वर्ग की भाषाओं का सम्भाषण करती रहीं  हैं ।
वस्तुत:
भाषाऐं सैमेटिक वर्ग की हो अथवा हैमेटिक वर्ग की अथवा भारोपीय , सभी भाषाओं मे समानता का कहीं न कहीं सूत्र अवश्य है ।
जैसा कि मिश्र की संस्कृति में मिश्र का प्रथम पुरूष जो देवों का  का भी प्रतिनिधि था , वह मेनेस् (Menes)अथवा मेनिस् Menis संज्ञा से अभिहित था
मेनिस ई०पू० 3150 के समकक्ष मिश्र का प्रथम शासक था , और मेंम्फिस (M
emphis) नगर में जिसका निवास था , मेंम्फिस...
प्राचीन मिश्र का महत्वपूर्ण नगर जो नील नदी की घाटी में आबाद है ।

तथा यहीं का पार्श्वर्ती देश फ्रीजिया (Phrygia)के मिथकों में ....मनु का वर्णन मिअॉन (Meon)के रूप में है ,।
मिअॉन अथवा माइनॉस का वर्णन ग्रीक पुरातन कथाओं में क्रीट के प्रथम राजा के रूप में है ,
जो ज्यूस तथा यूरोपा का पुत्र है ।
.............
और यहीं एशिया- माइनर के पश्चिमीय
समीपवर्ती लीडिया( Lydia) देश वासी भी इसी मिअॉन (Meon) रूप में मनु को अपना पूर्व पुरुष मानते थे।
इसी मनु के द्वारा बसाए जाने के कारण लीडिया देश का प्राचीन नाम मेअॉनिया Maionia भी था .
ग्रीक साहित्य में  विशेषत: होमर के काव्य  में ---
मनु को (Knossos) क्षेत्र का का राजा बताया गया है ... ........................... .
कनान देश की कैन्नानाइटी(Canaanite )
संस्कृति में बाल -मिअॉन के रूप में भारतीयों के बल और मनु (Baal- meon)और यम्म (Yamm) देव के रूप मे वैदिक देव यम  से साम्य विचारणीय है-
.............
यम:----  यहाँ भी भारतीय पुराणों के समान यम का उल्लेख यथाक्रम नदी ,समुद्र ,पर्वत तथा न्याय के अधिष्ठात्री देवता के रूप में हुआ है
....कनान प्रदेश से ही कालान्तरण में सैमेटिक हिब्रु परम्पराओं का विकास हुआ था ।
स्वयम् कनान शब्द भारोपीय है , केन्नाइटी भाषा में कनान शब्द का अर्थ होता है मैदान अथवा जड्.गल यूरोपीय कोलों अथवा कैल्टों की भाषा पुरानी फ्रॉन्च में कनकन (Cancan)आज भी जड्.गल को कहते हैं ।
और संस्कृत भाषा में कानन =जंगल..
परन्तु कुछ बाइबिल की कथाओं के अनुसार
कनान हेम (Ham)की परम्पराओं में
एनॉस का पुत्र था  ।

जब कैल्ट जन जाति का प्रव्रजन (Migration)
बाल्टिक सागर से भू- मध्य रेखीय क्षेत्रों में हुआ..
तब ...
    मैसॉपोटामिया की संस्कृतियों में कैल्डिया के रूप में इनकी दर्शन हुआ ...
तब यहाँ जीव सिद्ध ( जियोसुद्द )अथवा नूह के रूप में
मनु की किश्ती और प्रलय की कथाओं की रचना हुयी ...
.......और तो क्या ? यूरोप का प्रवेश -द्वार कहे जाने वाले ईज़िया तथा क्रीट( Crete )की संस्कृतियों में मनु आयॉनिया के आर्यों के आदि पुरुष माइनॉस् (Minos)के रूप में प्रतिष्ठित हए ।

भारतीय पुराणों में मनु और श्रृद्धा का सम्बन्ध
वस्तुत: मन के विचार (मनु) और हृदय की आस्तिक भावना (श्रृद्धा ) का मानवीय-करण (personification) रूप है |

शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु को श्रृद्धा-देव कह कर सम्बोधित किया है ।
तथा श्रीमद्भागवत् पुराण में वैवस्वत् मनु तथा श्रृद्धा से ही मानवीय सृष्टि का प्रारम्भ माना गया है ।
सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में " मनवे वै प्रात: "वाक्यांश से घटना का उल्लेख आठवें अध्याय में मिलता है ।
सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु को श्रृद्धा-देव कह कर सम्बोधित किया है;--श्रृद्धा देवी वै मनु
(काण्ड-१--प्रदण्डिका १)
श्रीमद्भागवत् पुराण में वैवस्वत् मनु और श्रृद्धा से मानवीय सृष्टि का प्रारम्भ माना गया है--
"ततो मनु: श्राद्धदेव: संज्ञायामास भारत
श्रृद्धायां जनयामास दशपुत्रानुस आत्मवान"
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(९/१/११)
छन्दोग्य उपनिषद में मनु और श्रृद्धा की विचार और भावना मूलक व्याख्या भी मिलती  है ।
"यदा वै श्रृद्धधाति अथ मनुते  नाSश्रृद्धधन् मनुते "
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जब मनु के साथ प्रलय की घटना घटित हुई
तत्पश्चात् नवीन सृष्टि- काल में --असुर पुरोहितों की प्रेरणा से ही मनु ने पशु-बलि दी ...
" किल आत्आकुलीइति ह असुर ब्रह्मावासतु:।
तौ हो चतु: श्रृद्धादेवो वै मनु: आवं नु वेदावेति।
तौ हा गत्यो चतु:मनो वाजयाव तु इति।।
असुर लोग वस्तुत: मैसॉपोटमिया के अन्तर्गत असीरिया के निवासी थे ।
बाइबिल के अनुसार असीरियन लोग यहूदीयों के सहवर्ती सैमेटिक शाखा के थे ।
सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु की वर्णित कथा
हिब्रू बाइबिल में यथावत है ---
देखें---एक समानता
....
बाइबिल उत्पत्ति खण्ड (Genesis)-
"नूह ने यहोवा (ईश्वर) रहने पर एक वेदी बनायी ;
और सब शुद्ध पशुओं और सब शुद्ध पक्षियों में से कुछ की वेदी पर होम-बलि चढ़ाई।।
                                 (उत्पत्ति-8:20)
" And Noah builded an alter unto the Lord Jehovah
and took of the every clean beast, and of every clean fowl or birds, and offered ( he sacrificed ) burnt offerings on the alter
_______________Genesis-8:20 in English translation...
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हृद् तथा श्रृद्  वैदिक भाषा में मूलत: एक रूप में ही हैं
रोम की सांस्कृतिक भाषा लैटिन आदि में
क्रेडॉ credo ---मैं विश्वास करता हूँ ।
तथा क्रिया रूप में credere---to believe
लैटिन क्रिया credere--- का सम्बन्ध भारोपीय धातु
* Kerd-dhe---to believe साहित्यिक रूप -हृदय में धारण करना(to put On's heart--
पुरानी आयरिश भाषा में क्रेटिम cretim ---
वेल्स भाषा में (credu )
संस्कृत भाषा में श्रृद्धा(Srad-dha)---faith, Confidence, Devotion ..
प्राचीन भारोपीय (Indo-European) रूप कर्ड (kerd)--हृदय
ग्रीक भाषा में श्रृद्धा का रूप  Kardia लैटिन Cor आरमेनियन रूप ---Sirt   पुरातन आयरिश भाषा में--- cride   वेल्स भाषा में ---craidda हिट्टी ---kir लिथुअॉनियन --.sirdis      रसियन --- serdce पुरानी अंग्रेज़ी --- heorte. जर्मन--herz     गॉथिक --hairto " heart"  ब्रिटॉन---- kreiz "middle"
स्लेवॉनिक---sreda--"middle "............

इस विवरण के लिए देखें यूनानी ग्रन्थ "इलियड तथा ऑडेसी "महा काव्य ...
आश्चर्य इस बात का है कि ..आयॉनियन शब्द माइनॉस् तथा वैदिक शब्द मनु की व्युत्पत्तियाँ (Etymologies).भी समान हैं ।
जो कि माइनॉस् और मनु की एकरूपता(तादात्म्य) की सबसे बड़ी प्रमाणिकता है ,
क्रीट (crete) माइथॉलॉजी में माइनॉस् का विस्तृत विवेचन है, जिसका अंग्रेजी रूपान्तरण प्रस्तुत है !
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.. Minos and his brother Rhadamanthys ...जिसे भारतीय पुराणों में रथमन्तः कहा है ! And sarpedon wereRaised in the Royal palace of Cnossus-... Minos Marrieged pasiphae-----
जिसे भारतीय पुराणों में प्रस्वीः प्रसव करने वाली कहा है !
शतरूपा भी इसी का नाम था ,यही प्रस्वीः या पैसिफी सूर्य- देव हैलिअॉस् (Helios) की पुत्री थी ।Pasiphae is the Doughter of the sun god (helios )हैलीअॉस् के विषय में एक तथ्य और स्पष्ट कर दें कि यूनानीयों का यही हैलीअॉस् मैसोपॉटामियाँ की पूर्व सैमेटिक भाषाओं ---हिब्रू आरमेनियाँ तथा अरब़ी आदि में "ऐल " (El) के रूप में है ।

इसी शब्द का हिब्रू भाषा में बहुवचन रूप ऐलॉहिम Elohim )है ।
इसी से अरब़ी में  " अल् --इलाह के रूप में अल्लाह शब्द का विकास हुआ है ।
भारतीय वैदिक साहित्य में " अरि " शब्द का प्राचीनत्तम अर्थ ईश्वर है ।
वेद में अरि शब्द के अर्थ हैं ईश्वर तथा घर "और लौकिक संस्कृत में अरि शब्द केवल शत्रु के अर्थ में रूढ़ हो  गया .
ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के १३६ वें सूक्त का ५वाँ श्लोक
"अष्टौ अरि धायसो गा:
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पूर्ण सूक्त इस प्रकार है ...
पूर्वामनु प्रयतिमा ददे वस्त्रीन् युक्ताँ
अष्टवरि धायसो गा: ।
सुबन्धवो ये विश्वा इव व्रा अनस्वन्त:  श्रव एेषन्त पज्रा:
-----------------------------------------ऋ०2/126/5/

कुछ भाषा -विद् मानते हैं कि ग्रीक भाषा के हेलिअॉस् (Helios)का सम्बन्ध भारोपीय धातु स्वेल *(sawel )
से प्रस्तावित करते हैं ।
अवेस्ता ए जेन्द़ में ----हवर (hvar )--सूर्य , प्रकाश तथा स्वर्ग...----लिथुऑनियन सॉले (Saule )गॉथिक-- सॉइल (sauil)    वेल्स ---हॉल(haul) पुरानी कॉर्निश-- हिऑल (heuul)--
परन्तु यह भाषायी प्रवृत्ति है ।
कि संस्कृत भाषा में अर् धातु हृ धातु के रूप में पृथक विकसित हुयी.. वैदिक अरि का रूप लौकिक संस्कृत भाषा में हरि हो गया ... कैन्नानाइटी संस्कृति में
यम एल का पुत्र है ।
और भारतीय पुराणों में सूर्य अथवा विवस्वत् का पुत्र..
इसी लिए भी हेलिअॉस् हरिस् अथवा अरि: का रूपान्तरण है ।।
अरि से हरि और हरि से सूर्य का भी विकास सम्भवत है
जैसे वीर: शब्द आर्य रूप में विकसित हुआ है
    जिसमें अज् धातु का संयोजन है ।
अज् धातु अर् (ऋ) धातु का ही विकास क्रम  है ।
जैसे वीर्य शब्द से बीज शब्द विकसित हुआ.
संस्कृत साहित्य में सूर्य को समय का चक्र (अरि)
कह कर वर्णित किया गया है...
वैदिक सूक्तों में अरिधामश् शब्द का अर्थ अरे: ईश्वरस्य धामश् लोकं इति अरिधामश्-
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वास्तव में पैसिफी और माइनॉस् दौनों के पिता सूर्य ही थे ।
ऐसी प्राचीन सांस्कृतिक मान्यताऐं थी ,
ओ३म् (अमॉन्) रब़ तथा ऐल जिससे अल्लाह शब्द का विकास हुआ. केवल सूर्य के ही वाचक थे ।
आज अल्लाह शब्द को लेकर मुफ़्ती और मौलाना लोग फ़तवा जारी करते हैं ।
कि यह एक इस्लामीय अरब़ी शब्द है ।
परन्तु यह वैदिक अरि का असीरियन रूप है ।
मनु के सन्दर्भ में ये बातें इस लिए स्पष्ट करनी पड़ी हैं कि क्योंकि अधिकतर संस्कृतियों में मनु को मानवों का आदि तथा सूर्य का ही पुत्र माना गया है ।
यम और मनु को भारतीय पुराणों में सूर्य (अरि)
का पुत्र माना गया है।
.क्रीट पुराणों में इन्द्र को (Andregeos) के रूप में मनु का ही छोटा भाई और हैलीअॉस् (Helios) का पुत्र कहा है|
.. इधर चतुर्थ सहस्राब्दी ई०पू० मैसॉपोटामियाँ दजला- और फ़रात का मध्य भाग अर्थात् आधुनिक ईराक की प्राचीन संस्कृति में मेनिस् (Menis)अथवा मेैन (men) के रूप में एक समुद्र का अधिष्ठात्री देवता है ।
यहीं से मेनिस का उदय फ्रीजिया की संस्कृति में हुआ था l
यहीं की सुमेरीयन सभ्यता में यही मनुस् अथवा  नूह के रूप में उदय हुआ, जिसका हिब्रू परम्पराओं नूह के रूप वर्णन में भारतीय आर्यों के मनु के समान है ..मनु की नौका और.नूह की क़िश्ती दोनों प्रसिद्ध हैं ..🏊🎣🏊🎣🍺🎣🏊🏄🐟🐠🐟🐠🐬🐳🐋🏄🏊🏄. .जर्मन वर्ग की प्राचीन सांस्कृतिक भाषों में क्रमशः यमॉ Yemo- (Twice) -जुँड़वा यमल तथा मेन्नुस Mannus- मनन (Munan )करने वाला अर्थात् विचार शक्ति का अधिष्ठाता .फ्राँस भाषा में यम शब्द (Jumeau )के रूप में है ।

रोमन इतिहास कारों में टेकट्टीक्स (Tacitus)
जर्मन जाति से सम्बद्ध इतिहास पुस्तक "जर्मनिका "
में लिखता है ।
" अपने प्राचीन गाथा - गीतों में वे ट्युष्टो अर्थात् ऐसा ईश्वर जो पृथ्वी से निकल कर आता है ।
मैनुस् उसी का पुत्र है
वही जन-जातिों का पिता और संस्थापक है । जर्मनिक जन-जातियाँ उसके लिए उत्सव मनाती हैं ।
मैनुस् के तीन पुत्रों को वह नियत करते हैं ।
जिनके पश्चात मैन (Men)नाम से बहुत से लोगों को पुकारा जाता है |
                       ( टेकट्टीक्स (Tacitus).. जर्मनिका अध्याय 2.
100ईसवी सन् में लिखित ग्रन्थ....
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यम शब्द....
रोमन संस्कृति में यह शब्द (Gemellus )है , जो लैटिन शब्द (Jeminus) का संक्षिप्त रूप है.
....रोमन मिथकों के मूल-पाठ (Text )में मेन्नुस् (Mannus) ट्युष्टो (Tuisto )का पुत्र तथा जर्मन आर्य जातियों के पूर्व पुरुष के रूप में वर्णित है --
A. roman text(dated) ee98) tells that Mannus the Son of Tvisto Was the Ancestor of German Tribe or Germanic people ".
........ इधर जर्मन आर्यों के प्राचीन मिथकों "प्रॉज़एड्डा आदि में "में उद्धरण है ...Mannus progenitor of German tribe son of tvisto in some Reference identified as Mannus "****** उद्धरण अंश (प्रॉज- एड्डा ).....
वस्तुतः ट्युष्टो ही भारतीय आर्यों का देव त्वष्टा है ,जिसे विश्व कर्मा कहा है ..जिसे मिश्र की पुरा कथाओं में तिहॉती ,जर्मन भाषा में प्रचलित डच (Dutch )का मूल त्वष्टा शब्द है ।
गॉथिक शब्द (Thiuda )के रूप में भी त्वष्टा शब्द है ।
प्राचीन उच्च जर्मन में सह शब्द (Diutisc )तथा जर्मन में (TTeuton )है ... और मिश्र की संस्कृति में (tehoti) के रूप में वर्णित है.
.जर्मन पुराणों में भारतीयों के समान यम और मनु सजातीय थे ।
.भारतीय संस्कृति में मनु और यम दोनों ही विवस्वान् (सूर्य) की सन्तान थे ,इसी लिए इन्हें  वैवस्वत् कहा गया ...यह बात जर्मन आर्यों में भी प्रसिद्ध थी.
.,The Germanic languages have lnformation About both ...Ymir
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यमीर( यम)and (Mannus) मनुस् Cognate of Yemo and Manu"..मेन्नुस् मूलक मेन Man शब्द भी डच भाषा का है जिसका रूप जर्मन तथा ऐंग्लो - सेक्शन भाषा में मान्न Mann रूप है ।
प्रारम्भ में जर्मन आर्य मनुस् का वंशज होने के कारण स्वयं को मान्न कहते थे ।

मनु का उल्लेख ऋग्वेद काल से ही मानव -सृष्टि के आदि प्रवर्तक एवम् समग्र मानव जाति के आदि- पिता के रूप में किया गया है।
वैदिक सन्दर्भों मे प्रारम्भिक चरण में मनु तथा यम का अस्तित्व अभिन्न था कालान्तरण में मनु को जीवित मनुष्यों का तथा यम को मृत मनुष्यों के लोक का आदि पुरुष माना गया ...
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जिससे यूरोपीय भाषा परिवार में मैन (Man) शब्द आया ..
.•••••••••••••••••••••••••••• मैने प्रायःउन्हीं तथ्यों का पिष्ट- पेषण भी किया है .जो मेरे बलाघात का लक्ष्य है ।
और मुझे अभिप्रेय भी जर्मन माइथॉलॉजी में यह तथ्य प्रायः प्रतिध्वनित होता रहता है ! "
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"The ancient Germanic tribes believeb that they had acmmon origin all of them Regarding as their fore father * mannus the son of god tuisco mannus was supposed to have and three sons from whom had sprung the istaevones the lngavones"" ............******

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हम पूर्व में इस बात को कह चुके हैं , कि क्रीट मिथकों में माइनॉस्(Minos )ज्युस तथा यूरोपा की प्रथम सन्तान है ।
यूनानीयों का ज्यूस ही वैदिक संहिताओं में (द्यौस् )के रूप में वर्णित है विदित हो कि यूरोप महाद्वीप की संज्ञा का आधार यही यूरोपा शब्द ही है.. ...यहाँ एक तथ्य विद्वानों से निवेदित है कि--------------📝📄📝📄📝📗📕मिथकों में वर्णित घटनाऐं और पात्र प्राचीन होने के कारण परम्परागत रूप से सम्वहन होते होते अपने मूल रूप से प्रक्षिप्त (बदली हुई ) हो जाती है ,
परन्तु उनमें वर्णित पात्र और घटनाओं का अस्तित्व अवश्य होता है ।
किसी न किसी रूप में.. मनु के विषय में यूरेशिया की बहुत सी संस्कृतियाँ वर्णन करती हैं ।
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🐬🐳🐋🐬🐳🐋🐬🐳🐋🏊🏄🐟.....

पाश्चात्य पुरातत्व वेत्ता - डॉ० लियो नार्ड वूली ने पूर्ण प्रमाणित पद्धति से सिद्ध किया है ।
. एशिया माइनर के पार्श्वर्ती स्थलों का जब उत्खनन करवाया , तब ज्ञात हुआ कि जल -प्रलय की विश्व -प्रसिद्ध घटना सुमेरिया और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में हुई थी ।
सुमेरियन जल - प्रलय के नायक सातवें मनु वैवस्वत् थे
जल प्रलय के समय मत्स्यअवतार विष्णु रूप में भगवान् ने इसी मनु की रक्षा की थी ...इस घटना का एशिया-माइनर की असीरी संस्कृति (असुरों की संस्कृति ) की पुरा कथाओं में उल्लेख है कि मनु ही जल- प्रलय के नायक थे ।
....📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖भारतीय ग्रन्थ शतपथ ब्राह्मण के अनुसार अपने इष्ट को वलि समर्पण हेतु मनुः ने असीरियन द्रविड पुरोहितों का आह्वान किया था "" असुरः ब्राह्मण इति आहूत "
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मानव संज्ञा का आधार प्रथम स्वायंभुव मनु थे ।
उधर नार्वे की पुरा कथाओं में मनु की प्रतिष्ठा मेनी (Mannus )के रूप में है|
जे जर्मनिक जन-जातियाँ के आदिम रूप हैं ।
.पश्चिमीय एशिया की हिब्रू जनजाती के धर्म ग्रन्थ ऑल्ड-टेक्सटामेण्ट(पुरानी बाइबिल ) जैनेसिस्(उत्पत्ति) खण्ड के पृष्ठ संख्या ८२ पर वर्णित है "" कि नूह (मनुः) ने ईश्वर के लिए एक वेदी बनायीऔर उसमें पशु पक्षीयों को लेकर यज्ञ- अग्नि में उनकी बलि दी इन्हीं कथाओं का वाचन ईसाई तथा इस्लामीय ग्रन्थों में किया गया है.. मनु के सन्दर्भ में ये कुछ प्रमाणिक तथ्य थे •••••••• •√•√इस श्रृंखला की यह प्रथम कणिका है !

    🙏🙏👏🙏👏☝🙏☝👏🙏☝👏

      विचार-विश्लेण---योगेश कुमार रोहि ग्राम आजा़दपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़---
उ०प्र०......
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