बुधवार, 24 मई 2017

ओ३म् एक विश्व व्यापी ध्वनि जिसे भारतीय उपनिषदों में नाद- ब्रह्म का स्वरूप माना ...नाद- ब्रह्म

वाल्टिक सागर के तटवर्ति कैल्ट जन जाति के धर्म साधना के रहस्य मयी अनुष्ठानों में इसी कारण से आध्यात्मिक और तान्त्रिक क्रियाओं को प्रभावात्मक बनाने के लिए ओघम् ogham शब्द का दृढता उच्चारण विधान किया जाता था । उनका विश्वास था कि इस प्रकार Ow- ma अर्थात् भारतीय आर्यों का ओ३म् ---- साहित्य और कला के ज्ञान का उत्प्रेरक और रक्षक बनता है । अर्थात् सम्पूर्ण भाषा की आक्षरिक सम्पत्ति ( syllable prosperity ) यथावत् रहती है !!!
कैल्ट जन जाति के लोग ओ३म् का उच्चारण एक विशेष अक्षर- विन्यास के द्वारा करते थे ।
जैसे यहूदी यहोवा का या:वे के रूप में करते थे ।
वस्तुत: यहोवा कैन्नानाइटी संस्कृति के यम: का रूप था ।
जिसे भारतीय संस्कृति में भी यथावत स्वीकार किय गया ।
ओघम् का मूर्त प्रारूप ***🌞 सूर्य के आकार के सादृश्य पर था , वास्तव में ओघम् ogham से बुद्धि उसी प्रकार  नि:सृत होती है , जैसे सूर्य से प्रकाश 🌞☀⚡☀⚡⛅☁प्राचीन मध्य मिश्र के लीबिया प्रान्त में तथा थीब्ज में यही आमोन् ( ammon ) ra रवि के रूप में अत्यधिक पूज्य था ।
प्रारम्भिक रूप में अमोन तथा रॉ
अलग अलग देवता थे ।
क्यों की प्राचीन मिश्र के लोगों की मान्यता थी कि अमोन -- रा ही सारे विश्व में प्रकाश और ज्ञान

का कारण है मिश्र की परम्पराओ से ही यह शब्द मैसोपोटामिया की सैमेटिक हिब्रु परम्परओं में प्रतिष्ठित हुआ जो क्रमशः यहूदी ( वैदिक यदुः ) के वंशज थे !!
इन्हीं से ईसाईयों में Amen तथा अ़रबी भाषा में यही आमीन् !! (ऐसा ही हो ) होगया है ।
अरबी में रब़अथवा हिब्रू परम्पराओं मे रब्बी -( धर्म - गुरु जैसे शब्दो का विकास हुआ रब़ का अर्थ महान होता है ।

इतना ही नहीं जर्मन आर्य भी ओ३म् का सम्बोधन( omi )ओमी के रूप में अपने ज्ञान के देव वोडेन ( woden) के लिए करते थे ।
इसी वुधः का दूसरा सम्बोधन ouvin ऑविन् भी था यही woden अंग्रेजी मेंgoden बन गया ।
जिससे कालान्तरण में गोड(god )शब्द बना है ।
जो फ़ारसी में ख़ुदा के रूप में प्रतिष्ठित हुआ ..
सीरिया की सुर संस्कृति में  ओ३म् यह शब्द ऑवम् ( aovm ) हो गया है ************************* वेदों में ओमान् शब्द बहुतायत से रक्षक ,के रूप में आया है ************************* भारतीय संस्कृति में मान्यता है कि शिव ( ओ३म्) ने ही पाणिनी को ध्वनि निकाय ( अक्षर- समाम्नाय  के रूप में चौदह माहेश्वर सूत्रों की वर्णमाला प्रदान की !
जिससे सम्पूर्ण भाषा व्याकरण का निर्माण हुआ *******"*"* **************************** पाणिनी पणि अथवा ( phoenici) पुरोहित थे जो मेसोपोटामिया की सैमेटिक शाखा के लोग थे जिन्होने इस वर्णमाला को द्रविडों से ग्रहण किया था ।
वर्तमान में लेबनॉन जॉर्डन तथा सीरियायी और इज़राएल की भूमि प्राचीन काल में फॉनिशी अथवा पणियों की कर्म- स्थली थी ।
द्रविड लोग यहाँ पर द्रुज़ के रूप में यहूदीयों के सहवर्ती थे ।आत्मा की अमरता तथा पुनर्जन्म और कर्म वाद में उनकी दृढ़ मान्यता थी ।
और आज भी है ।
सम्भवत:ये लोग बलोचिस्तान से होते हुए आर्यों से पूर्व ही भारत में प्रतिष्ठित हो गये थे ।

अपने प्रारम्भिक चरण में ये लोग वाल्टिक सागर पर कैल्ट वेल्स तथा ब्रिटों के पुरोहितों के रूप में ड्रयूड कहलाते थे ।
जो पश्चिमीय दुनिया में प्रथम तत्व- वेत्ता कहलाते थे ।

ब्राहुई भाषाऐं द्रविड परिवार की हैं ।

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द्रविड अपने समय के सबसे बडे़ द्रव्य - वेत्ता और तत्व दर्शी थे।
विश्व इतिहास में ये बाते सर्वविदित हैं ।

योगेश कुमार रोहि ने विश्व इतिहास के इन गूढ़ तथ्यों पर मौलिक रूप से उद्घाटन किया है।
जो सर्वथा नवीन है।

भारतीय सन्दर्भ में भी वे इस शब्द पर कुछ व्याख्यान करते हैं जो संक्षिप्त ही है *********************** ऊँ एक प्लुत स्वर है ।यही सृष्टि का आदि कालीन प्राकृतिक ध्वनि रूप है जिसमें सम्पूर्ण वर्णमाला समाहित है !!
इसके अवशेष एशिया - माइनर की पार्श्व- वर्ती आयोनिया ( प्राचीन यूनान ) की संस्कृति में भी प्राप्त हुए हैं।
यूनानी आर्य ज्यूस ( द्योस) और पॉसीडन ( पूषण ) की साधना के अवसर पर अमोनॉस ( amonos) के रूप में ओमन् अथवा ओ३म् का उच्चारण करते थे !!!!!!!भारतीय सांस्कृतिक संन्दर्भ में भी औ३म् शब्द की व्युत्पत्ति परक व्याख्या आवश्यक है ।
वैदिक ग्रन्थों विशेषतः ऋग्वेद में यह शब्द ओमान् के रूप में भी है ।
संस्कृत के वैय्याकरणों के अनुसार ओ३म शब्द धातुज ( यौगिक) है |
जो अव् घातु में मन् प्रत्यय करने पर बना है।
पाणिनीय धातु पाठ में अव् धातु के अनेक अर्थ हैं |
अव् = १ रक्षक २ गति ३ कान्ति४ प्रीति ५ तृप्ति ६ अवगम ७ प्रवेश ८ श्रवण ९ स्वामी १० अर्थ११ याचन १२ क्रिया १३ इच्छा १४ दीप्ति १५ अवाप्ति १६ आलिड्.गन १७ हिंसा १८ आदान १९ भाव वृद्धिषु ( १/३९
भाषायी रूप में ओ३म् एक अव्यय ( interjection) है जिसका अर्थ है -- ऐसा ही हो ! ( एवमस्तु !) it be  so अरबी़ तथा हिब्रू रूप है आमीन् 
वैदिक ऋचाओं में ओ३म् अव्यय के रूप में व्यापक रूप से प्रयुक्त है ।👇
“ओम् तस्माद्यज्ञात्सर्व हुत” (ऋग्वेद् १०।९०।९,यजुर्वेद् ३१।७) अर्थात् “ओ३म् से ही सारी सृष्टि और चारों वेदों का प्रादुर्भाव हुआ है ऐसा भारतीयों की मान्यता है ।”
“एतदनुज्ञाक्षरं”(छान्दोग्योपनिषद् १।१।८) अर्थात् “ओ३म् ही अनुज्ञा(अनुमति/स्वीकृति का द्योतक है।”
“ओमित्येदनुकृतिर्ह”(तैत्तिरीयोपनिषद् १।८।१) अर्थात् “ओ३म् अनुकृति(अनुकरण/सम्मति) सूचक शब्द है।”
“ओमिति ब्रह्म ओमितिदं सर्वम्।।”अर्थात् “ओ३म् में ब्रह्म ही नहीं सभी देव समाहित् हैं।”
“तत्प्रविश्य देवा अमृता अभया अभवन्”(छान्दोग्योपनिषद् १।४।४)अर्थात् “ओ३म् में प्रवेशकर ही सभी देवोंने अमृतत्व/अभयत्व प्राप्त किया।”अत: एक ओ३म् के उच्चारण मात्रसे सभी देवी-देवताओंका एकसाथ स्मरण होजाता है।
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लौकिक संस्कृत में ओमन् ( ऊँ) का अर्थ--- औपचारिकपुष्टि करण अथवा मान्य स्वीकृति का वाचक है मालती माधव ग्रन्थ में १/७५ पृष्ट पर-- ओम इति उच्यताम् अमात्यः" तथा साहित्य दर्पण --- द्वित्तीयश्चेदोम् इति ब्रूम १/"" हमारा यह संदेश प्रेषण क्रम अनवरत चलता रहेगा ।
मैं योगेश कुमार रोहि निवेदन करता हूँ !! कि इस महान संदेश को सारे संसार में प्रसारित कर दो !!!
आमीन्.   .... सम्पर्क- सूत्र -----8077160219

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