शनिवार, 13 मई 2017

यदु वंश का पौराणिक वर्णन

यदु वंश का वर्णन कर पाना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है।
तथापि विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथों के अध्ययन के बाद यहाँ संक्षिप वंश-वृक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है जिससे आगामी पृष्ठों पर वर्णित यदुकुल से सम्बंधित विस्तृत लेख समझने में आसानी रहे।
परमपिता स्वयम्भू नारायण को सृष्टि का रचयिता माना गया है। अतः विशाल यादव वंशावली को दर्शाने का यह कार्य भी उनसे आरम्भ किया गया है, जो निम्नलिखित है:- परमपिता स्वयम्भू नारायण से ब्रह्मा ब्रह्मा के सात मानस पुत्र हुए 1. मारीचि, 2. अत्रि 3.पुलस्त्य 4. पुलह 5. क्रतु 6.वशिष्ठ 7.कौशिक | चंद्रमा | बुध | पुरुरवा | आयु | नहुष | य़यति महाराजा ययाति के दो रानियाँ थीं 1.देवयानी 2.शर्मिष्ठा देवयानी से दो पुत्र हुए शर्मिष्ठा से तीन पुत्र हुए 1. यदु 2.तुर्वशु 1.दुह्यु 2.अनु 3.पुरु महाराज यदु से यादव वंश चला। उनके कितने पुत्र थे इस विषय में विभिन्न धर्म ग्रन्थ एकमत नहीं हैं। कई ग्रंथों में उनकी संख्या पाँच बताई गई है तो कई में चार। श्रीमदभागवत महापुराण के अनुसार यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टा, नल और रिपु नामक चार पुत्र हुए। उनका वंश वृक्ष नीचे दिया गया है:- यदु के चार पुत्र 1. सहस्त्रजित 2. क्रोष्टा 3.नल 4. रिपु (सहस्त्रजित के तीन पुत्र) | 1. हैहय, 2.वेणुहय, 3. महाहय वृजिनवान | | धर्म श्वाही | | नेत्र रुशेकु | | कुन्ति चित्ररथ | | सोह्जी शशविंदु | | महिष्मान पृथुश्रवा | | भद्रसेन धर्म | | धनक उशना | | कृतवीर्य रुचक | | अर्जुन ज्यामघ | | जयध्वज विदर्भ | (विदर्भ के तीन पुत्र ) तालजंघ 1 कश, 2. क्रुथ 3. रोमपाद | | | बीतिहोत्र कुन्ति बभ्रु | | | मधु धृष्टि कृति | | निर्वृति उशिक | | दर्शाह चेदि | व्योम | जीमूत | विकृत | भीमरथ | नवरथ | दशरथ | शकुनि | करम्भि | देवरात | देवक्षत्र | मधु | कुरूवश | अनु | पुरुहोत्र | आयु | सात्वत सात्वत के सात पुत्र हुए 1. भजमान, 2. भजि , 3. दिव्य, 4.वृष्णि , 5. देवावृक्ष, 6. महाभोज , 7. अन्धक | | वृष्णि के दो रानियाँ थीं | 1. गांधारी 2. माद्री | गांधारी के एक पुत्र माद्री के चार पुत्र | सुमित्र 1.युधर्जित, 2.देवमीढुष,3.अनमित्र, 4.शिनि | (अनमित्र) | | | | | | | | | | | निघ्न पृष्णि | | निघ्न के दो पुत्र पृष्णि के दो पुत्र | | 1.प्रसेन 2.सत्राजित | | | | | | | | 1.श्रफल्लक 2.चित्रक | | | | | | अक्रूर पृथु व अन्य | | | | | | | | देवमीढुष के दो रानियाँ थीं | 1. मदिषा 2. वैश्यवर्णा | | | | शूरसेन पर्जन्य | | | | | धरानंद,ध्रुव, नन्द आदि | | आदि दस पुत्र हुए | | | वसुदेव देवभाग पृथा श्रुतश्रवा | | | | | | | उद्धव पाण्डव .शिशुपाल | | | | अन्धक वंश ) बलराम श्रीकृष्ण अन्धक के चार पुत्र हुए | 1.कुकुर, 2.भजमन, 3.शुचि, 4.कम्बल्बहिर्ष प्रद्युम्न | | बह्नी अनिरुद्ध | | बिलोम ब्रजनाभि | कपोतरोमा | अनु | अन्धक | दुन्दुभी | अरिद्योत | पुनर्वसु | आहुक आहुक के दो पुत्र हुए 1.देवक 2.उग्रसेन | | देवकी आदि कंस आदि वंशावली से सम्बंधित कुछ तथ्य:- 1.यदुवंशियों का ऋषि गोत्र 'अत्रि ' है और वे चंद्रवंशी क्षत्रिय हैं। 2 . महाराजा ययाति के पाँच पुत्रो से जो वंशज चले उनका विवरण निम्नलिखित है:- i. यदु से यादव ii. तुर्वसु से यवन iii. दुह्यु से भोज iv. अनु से म्लेक्ष v. पुरु से पौरव 3 . महाराज यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टा,नल और रिपु नामक चार पुत्र थे। उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम सहस्त्रजित था। सहस्त्रजित के वंशज हैहयवंशी यादव क्षत्रिय कहलाये। इस वंश में आगे चलकर सहस्त्र भुजाओं से युक्त अर्जुन नामक एक राजा हुए, जो बहुत बलशाली थे। उनकी जीवन गाथा इस ब्लाग के पृष्ठ संख्या 9 पर वर्णित है। यदु के दूसरे पुत्र का नाम क्रोष्टा था। क्रोष्टा के वंश में आगे चलकर सात्वत नामक एक राजा हुए। सात्वत के भजमान,.भजि , दिव्य, वृष्णि , देवावृक्ष, महाभोज ,और अन्धक नामक सात पुत्र थे । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार वृष्णि वंश में और उनकी माता देवकी का जन्म अन्धक वंश में हुआ था। सात्वत के सात पुत्रों में से वृष्णि और अन्धक के वंशजों ने बहुत ख्याति प्राप्त की। 4. वसुदेव और नन्द दोनों वृष्णि वंशी यादव थे तथा दोनों चचेरे भाई थे। अक्रूर भी वृष्णि -वंशी यादव थे। वे भगवान कृष्ण के चाचा थे।
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