"ठाकुर शब्द की उत्पत्ति व विकास-क्रम -नवीन संस्करण-
"ठाकुर शब्द की उत्पत्ति व विकास-क्रम - को दृष्टिगत रखते हुए तुर्की, आरमेनियन, और फारसी भाषा से साक्ष्य हम प्रस्तुत करेंगे-
परम्परागत रूप में आज ठाकुर शब्द राजपूत जाति का विशेषण बन गया है।
यद्यपि ब्राह्मण समाज के कुछ आँचलिक गणमान्य लोग भी यह विशेषण स्वयं के लिए लगाते हैं। जैसे -"ठाकुर" गुजरात तथा पश्चिमीय बंगाल तथा मिथिला के ब्राह्मणों की एक उपाधि है ।
इसके अतिरिक्त कुर्मी और नाई भी ठाकुर शब्द से नवाजे या सम्मानित किए जाते हैं।
संस्कृत शब्द-कोशों में इसे ठाकुर नहीं अपितु "ठक्कुर" लिखा है। जो देव मूर्ति के पर्याय के रूप में भी प्रचलन में है विशेषत: भगवान श्रीकृष्ण के लिए है।
ठाकुर शब्द का उदय भारत में तुर्की काल में भारतीय भाषाओं में स्थान पा लेता है।
द्विजोपाधिभेदे च । यथा गोविन्द- ठक्कुरःकाव्यप्रदीपकर्त्ता इसका रचना काल
चौदहवीं सदी" के लगभग सामन्तीय काल में होता है।
अनंत संहिता एक हाल ही में निर्मित ग्रन्थ है, जिसे गौड़ीय मठ के संस्थापक श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर के शिष्य अनन्त वासुदेव ने लिखा है। यह एक पंचरात्र आगम माना जाता है , जो गौड़ीय वैष्णवों के बीच सामूहिक रूप से " नारद पंचरात्र" के रूप में जाना जाने वाला पंचरात्र कोष का हिस्सा है ।
अनन्त संहिता में श्री दामनामा गोपाल: श्रीमान सुन्दर ठाकुर: का उपयोग भी किया गया है, जो भगवान कृष्ण के संदर्भ में है।
ये संस्कृत भाषा में प्राप्त ठक्कुर शब्द का अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध का विवरण है।
ये संहिता बाद की है ।
इसलिए विष्णु के अवतार की देव मूर्ति को ठाकुर कहते हैं ठाकुर नाम की उपाधि ब्राह्मण लेखकों की चौदहवीं सदी से ही प्राप्त होती है।
परन्तु बाद में राजपूत जाति की प्राकृत उपाधि ठाकुर भी इसी से निकली है। यद्यपि किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति को ठाकुर या ठक्कुर कहा जा सकता है।
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इन्हीं विशेषताओं और सन्दर्भों के रहते भगवान कृष्ण के लिए भक्त ठाकुर जी सम्बोधन का उपयोग करते रहे हैं।
विशेषकर सौलहवीं सदी में श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा स्थापित पुष्टिमार्गी सम्प्रदाय के अनुयायी द्वारा हुआ। इसी सम्प्रदाय ने कृष्णजी को ठाकुर का प्रथम सम्बोधन दिया ।
यद्यपि पुराणकारों ने कृष्ण के लिए कहीं भी ठाकुर सम्बोधन का कभी भी प्रयोग नहीं किया है। यहाँ तक कि किसी पुराण ,वेद अथवा भारतीय धार्मिक ग्रन्थ में ठाकुर शब्द का उल्लेख प्राप्त नही होता है।
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"क्योंकि ठाकुर शब्द संस्कृत भाषा का है ही नहीं अपितु तुर्की , ईरानी तथा आरमेनियन मूल का है।
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पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय में श्रीनाथजी के विशेष विग्रह के साथ कृष्ण भक्ति की जाती है।
जिसे ठाकुर जी सम्बोधन दिया गया है ।
पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय का जन्म पन्द्रहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुआ है । परन्तु बारहवीं सदी में तक्वुर शब्द का प्रवेश -तुर्कों के माध्यम से भारतीय भाषाओं में हो चुका था ।
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और ठाकुर शब्द तुर्कों और ईरानियों के साथ- साथ भारत में आया। बंगाली वैष्णव सन्तों ने भी स्वयं को ठाकुर कहा गया। ठाकुरजी सम्बोधन का प्रयोग वस्तुत स्वामी भाव को व्यक्त करने के लिए ही है । न कि जन-जाति विशेष के लिए । कृष्ण को ठाकुर सम्बोधन का क्षेत्र अथवा केन्द्र नाथद्वारा राजस्थान प्रमुखत: है।__________________________________
यहाँ के मूल मन्दिर में कृष्ण की पूजा ठाकुर जी की पूजा ही कहलाती है। यहाँ तक कि उनका मन्दिर भी "हवेली" कहा जाता रहा है।
विदित हो कि हवेली (Mansion) और तक्वुर (ठक्कुर) दौनों शब्दों की पैदायश ईरानी भाषा से है।
कालान्तरण में भारतीय समाज में ये शब्द रूढ़ हो गये। पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय के देशभर में स्थित अन्य मन्दिरों में भी भगवान श्रीकृष्ण को ठाकुर जी ही कहने की परम्परा चल पड़ी है।
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ईरानी ,आरमेनियन तथा तुर्की भाषा से आयात "तगावोर" शब्द संस्कृत भाषा में आते आते कई वर्तनी और उच्चारण विन्यास की प्रक्रिया से गुजरा है।
जो संस्कृत भाषा में तक्वुर: (ठक्कुर) हो गया इस शब्द के जन्म सूत्र- पार्थियन (पहलवी) और आर्मेनियन व तुर्की भाषा में भी प्राप्त हैं ।____________________________________
जैसे-
मध्य-आर्मेनियाई- भाषा में इसका उच्चारण विन्यास निम्नलिखित रूप से है।
թագվոր- ( टैगवोर )
թագուոր- ( टैगोर )
"टैगोर शब्द-व्युत्पत्ति व विकास क्रम-
"यह मध्य आरमेनियन का "टैगवोर" शब्द पुराने अर्मेनियाई के թագաւոր ( t'agawor ) से विकसित होकर आया और यह पुरानी आर्मेनियन का "टगावोर शब्द भी पार्थियन भाषा से विकसित पुरानी आर्मेनियन का भाषा का है।
टैगवॉर शब्द के व्याकरणिक रूप-
संज्ञा
թագւոր =( t'agwor ), संबंधकारक - हे राजन्!
एकवचन թագւորի ( t'agwori ) = एक राजा का ।
टैगवॉर शब्द का अर्थ
दूल्हा भी है । ( क्योंकि वह विवाह के दौरान एक मुकुट धारण करता है )
"व्युत्पन्न शब्द-
թագուորանալ ( t'aguoranal )
टैग _ _ _
शब्द _ _ _
թագվորորդի _ _ _
वंशज शब्द-
विभिन्न भाषाओं में टैगवॉर शब्द-
→ अर्मेनियाई: թագվոր ( टैगवोर )
→ अरबी: تكفور ( तकफुर )
→ पुरानी कैटलन: तफूर
→ कैटलन: तफूर
→ पुराने पुर्तगाली: तफूर , तफुल
→ गैलिशियन्: तफूर
→ पुर्तगाली: (तफुल)
→ पुरानी स्पेनिश: तफूर
→ स्पेनिश: तहूर
→ फारसी: تکفور (तकफुर)
→ फ़ारसी: تکور (तक्वोर) takvor )
"सन्दर्भ ग्रन्थ :-
लाज़रीन, टी। एस ; एवेटिसियन , एचएम (2009), “ թագւոր ”, मिइन हायरेनी बारान [ डिक्शनरी ऑफ मिडिल अर्मेनियाई ] (अर्मेनियाई में), दूसरा संस्करण, येरेवन: यूनिवर्सिटी प्रेस।
Etymology ( शब्द व्युत्पत्ति)
This Word too From Middle Armenian (թագւոր) (tʿagwor),This Word too from Old Armenian թագաւոր (tʿagawor= “king”), And This Word too from Parthian *tag(a)-bar (“king”, literally “crown bearing”),
borrowed during the existence of the Armenian Kingdom of Cilicia-
Cilicia (/sɪˈlɪʃə/) is a geographical region in southern Anatolia in Turkey,
extending inland from the northeastern coasts of the Mediterranean Sea.
Noun-
→تَكْفُور • (takfūr)
→ Armenian king
Declension-
Declension of noun تَكْفُور -(takfūr)
Descendants-
→ Old Catalan:- tafur
Catalan: -tafur
→ Old Portuguese: -tafur, taful
Galician: -tafur
Portuguese: -taful
→ Old Spanish:- tafur
Spanish: -tahúr
→ Persian: تکفور -(takfur)
References-
Ačaṙean, Hračʿeay (1971–1979), “թագ”, in Hayerēn armatakan baṙaran [Armenian Etymological Dictionary] (in Armenian), 2nd edition, a reprint of the original 1926–1935 seven-volume edition, Yerevan: University Press.
हिन्दी भाषान्तरण-
यह "तगावोर" शब्द भी मध्य अर्मेनियाई भाषा (թագւոր) (tʿagwor) से है, यह शब्द भी पुराने अर्मेनियाई के (թագաւոր)- (t'agawor, "राजा") से यहाँ आया है, और यह शब्द भी पार्थियन * टैग (ए) -बार (tag(a)-bar )="राजा /शासक", से व्युत्पन्न है ।
शाब्दिक रूप से इसका अर्थ "क्राउन बियरिंग" मुकुटधारी) से है ”)
सिलिसिया के अर्मेनियाई साम्राज्य के अस्तित्व के दौरान इस शब्द को उधार लिया गया था।
सिलिसिया (/ sɪˈlɪʃə/) तुर्की के दक्षिणी अनातोलिया( एशिया माइनर) में एक भौगोलिक क्षेत्र है, जो भूमध्य सागर के उत्तरपूर्वी तटों से अंतर्देशीय तक फैला हुआ है।
यहाँ सामान्य लोगों की भाषा तुर्की आर्मेनिया और फारसी आदि हैं।
संज्ञा-
تَكْفُور ़़
अर्मेनियाई राजा
संज्ञा का अवक्षेपण تَكْفُور (तकफूर)
वंशज-
→ पुराना कैटलन: तफूर।
कैटलन: तफूर
→ पुराने पुर्तगाली: तफूर, तफुल।
गैलिशियन्: तफूर।
पुर्तगाली: तफुल (tafu)
→ पुरानी स्पेनिश: तफूर
स्पेनिश: तहूर
→ फारसी: تکفور (तकफुर)
संदर्भ-
एकेन, ह्रेके (1971-1979), "թագ", हायरेन आर्मटाकन बरन [अर्मेनियाई व्युत्पत्ति संबंधी शब्दकोश] (अर्मेनियाई में), दूसरा संस्करण, मूल 1926-1935 सात-खंड संस्करण का पुनर्मुद्रण, येरेवन: यूनिवर्सिटी प्रेस।
ठाकुर शब्द के मूल सूत्र मूल भारोपीय स्थग् धातु में निहित हैं । इसी स्थगित से "ठग" शब्द भी विकसित हुआ है।
यद्यपि ठग और ठाकुर शब्द का जन्म स्थान एक ही है ।
भारोपीय मूल सा शब्द स्थग्- आवरण करना आच्छादित करना।
दरअसल ठग सच्चाई को छुपा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करता है ।
(स्थगति संवृणोति आत्मानमिति स्थग भाषायां ठग:
( स्थग् + अच् ) धूर्त्तः । यथा - “ स्थगश्च निर्लज्जः पटुः पाटविकोऽपि च ॥ “ इति शब्दरत्नावली त्रिकाण्डशेषश्च ॥
कन्नड़-अंग्रेजी शब्दकोश
कन्नड़ शब्दावली में तगा (ತಗ):—[संज्ञा] धोखा देने या धोखा दिए जाने का कार्य या उदाहरण।
स्रोत : अलार: कन्नड़-अंग्रेजी संग्रहकन्नड़ एक द्रविड़ भाषा है (इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार के विपरीत) जो मुख्य रूप से भारत के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में बोली जाती है। परन्तु तगा शब्द इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार के प्रभाव से ही पहुंचा है।
स्थगन का संस्कृत भाषा में एक अर्थ आवरण भी है। यह आवरण सिर पर प्रतिष्ठित होकर ताज बन जाता है।
और फारसी का तक्वोर शब्द तगा=ताज + वर ( भर)= तगावर से विकसित = फारसी रूपान्तरण है ।
फारसी का "तगा शब्द संस्कृत "स्थग (आवरण) का रूपान्तरण है। तुर्की भाषा में यह "टेक' है। भारोपीय और अन्य संक्रमित भाषाओं में यही संस्कृत का स्थग शब्द इन रूपों में विद्यमान है।
अब स्थग् धातु भारोपीय और ईरानी वर्ग की धातु ( क्रिया मूल) है। जिसकी व्युत्पत्ति नीचे है।
"Etymology Of (Steg-स्थग्)
From Parthian [script needed] (tāg), attested in 𐫟𐫀𐫡𐫤𐫀𐫃 (xʾrtʾg /xārtāg/,
“crown of thorns”) कांटों का ताज" , ultimately from Proto-Indo-European *(s)teg- स्थग्=संवरणे स्थगति सकता है /
छुपाता है। (“to cover”)
Related। अरबी देगा (ठगाई -छुपाव) शब्द संस्कृत स्थग-ठग का विकसित रूप है)
to Arabic تَخْت (taḵt तख्त-, “bed, couch,..” भी इसी से सम्बन्धित है।),
also an Iranian borrowing; and to Aramaic תָּגָא (tāḡā).
Attested as 𐢞𐢄 (tj तज), “crown”) (Nabatean script) in the 4th-century Namara inscription.[1]
"Pronouciation-
"noun-
تَاج • (tāj) m (plural تِيجَان (tījān)तजन)
crown
الصِّحَّةُ تَاجٌ عَلَى رُؤُوسِ الْأَصِحَّاءِ لَا يَرَاهُ إِلَّا الْمَرْضَى.
aṣ-ṣiḥḥatu tājun ʿalā ruʾūsi l-ʾaṣiḥḥāʾi lā yarāhu ʾillā l-marḍā.
Health is a crown on the heads of the healthy, that only the ill can see.
Declension
▼Declension of noun تَاج (tāj)
Descendants
Andalusian Arabic: تَاج[1]
Maltese: tieġ
→ Chagatai: تاج (taj)
Uyghur: تاج (taj)
Uzbek: toj
→ English: taj
→ Persian: تاج (tâj)
→ Baluchi: تاج (táj)
→ Bashkir: таж (taj)
→ Bengali: তাজ (taj)
→ Chechen: таж (taž)
→ Kazakh: тәж (täj)
→ Punjabi: ਤਾਜ (tāj)
→ Turkish: taç
→ Urdu: تاج (tāj) / Hindi: ताज (tāj)
→ Ottoman Turkish: تاج (tac)
Turkish: taç
→ Serbo-Croatian: tȁdž/та̏џ
→ Swahili: taji
References-
↑ 1.0 1.1 علی صیادانی، وامواژههای فارسی دیوان ابن هانی؛ شاعر شیعه اندلس, پژوهشهای زبانشناسی تطبیقی، ص ۱۵۵
Baluchi-
Etymology-
From Persian تاج (tâj).
Noun-
تاج • (táj)
crown
Ottoman Turkish
Etymology-
From Arabic تَاج (tāj).
Noun-
تاج • (tac, taç)
crown, diadem
regal power, the position of someone who bears a crown
(figuratively) reign
a headdress worn by various orders of dervishes, a mitre
corolla of a flower
chapiteau of an alembic
the تاج التواریخ (tac üt-tevarih, “Crown of Histories”) by Sadeddin, a model for the ornatest style of literature
Descendants-
Turkish: taç
→ Serbo-Croatian: tȁdž/та̏џ
Persian-
تاج -ताज
Etymology-
From Arabic تَاج (tāj), from Parthian [Manichaean needed] (tʾg /tāg/, “crown”), attested in 𐫟𐫀𐫡𐫤𐫀𐫃 (xʾrtʾg /xārtāg/, “crown of thorns”), from Old Iranian *tāga-, ultimately from Proto-Indo-European *(s)teg- (“to cover”).
Related to Persian تخت (taxt, “bed, throne”), and akin to Old Armenian թագ (tʿag), Arabic تاج (tāj), and Aramaic תָּגָא (tāḡā), Iranian borrowings.
Pronunciation-
(Classical Persian): : /tɑːd͡ʒ/
(Dari): : /tɒːd͡ʒ/
(Iranian Persian): : /tɒːd͡ʒ/
(Tajik): : /tɔːd͡ʒ/
Noun
Dari تاج
Iranian Persian
Tajik тоҷ (toj)
تاج • (tâj) (plural تاجها (tâj-hâ))
crown
tuft
Descendants-
→ Baluchi: تاج (táj)
→ Bashkir: таж (taj)
→ Bengali: তাজ (taj)
→ Chechen: таж (taž)
→ Kazakh: тәж (täj)
→ Punjabi: ਤਾਜ (tāj)
→ Turkish: taç
→ Urdu: تاج (tāj) / Hindi: ताज (tāj)
Urdu-
Etymology-
From Persian تاج (tâj).
Noun-
تاج • (tāj) m (Hindi spelling ताज)
crown
" आद्य-भारोपीय -
"मूल-
*(रों)तेग- (अपूर्ण )
कवर करने के लिए
-व्युत्पन्न शब्द-
प्रोटो-इंडो-यूरोपियन रूट *(s)teg- (कवर) से प्राप्त शर्तें
*(स)तेग-ए-ती ( मूल उपस्थित )
हेलेनिक:
प्राचीन यूनानी: στέγω ( स्टेगो )
प्रोटो-इंडो-ईरानी: *stʰágati
प्रोटो-इंडो-आर्यन: *स्तगति
संस्कृत: स्थिरि ( स्थागति )
प्रोटो-इटैलिक: *tego
लैटिन: टेगो
*stog-éye-ti ( प्रेरक )
प्रोटो-इंडो-ईरानी: *स्टगायति
प्रोटो-इंडो-आर्यन: *स्तगायति
संस्कृत: स्थगयति ( स्थागयति )
*तेग-दलेह₂
इटैलिक:
लैटिन: तेगुला ( आगे के वंशजों के लिए वहां देखें )
*तेग-मन
इटैलिक:
लैटिन: टेगमेन , टेगिमेन , टेगुमेन ( एपेंटेटिक -आई--यू- के साथ )
*तेग-नहीं-
प्रोटो-इटैलिक: * टेग्नोम
लैटिन: टिग्नम
*स्टेग-नो
प्रोटो-हेलेनिक: *स्टेग्नोस
प्राचीन यूनानी: στεγανός ( स्टेग्नोस )
⇒ अंग्रेजी: स्टेग्नोग्राफ़ी
*(रों)टेग-ओएस
प्रोटो-अल्बानियाई: * टैगा
अल्बानियाई: tog
अल्बानियाई. : toger
प्रोटो-सेल्टिक: * टेगोस
प्रोटो-हेलेनिक: *(s)tégos
Ancient Greek: στέγος (stégos), τέγος (tégos)
⇒ English: stegosaur, stegosaurus
*teg-ur-yo-
Italic:
Latin: tugurium, tegurium, tigurium
*tég-us (“thick”)
*tog-eh₂-
Italic:
Latin: toga
*tog-o-
Proto-Celtic: *togos (“roof”)
Brythonic:
Breton: to
Welsh: to
Goidelic:
From Old Irish tech, from Proto-Celtic *tegos, from Proto-Indo-European *(s)tég-os (“cover, roof”). Cognate with English thatch.
Proto-Germanic: *þaką, *þakjaną, *þakinō (see there for further descendants)
Unsorted formations:
Proto-Balto-Slavic: *stāgas
Old Prussian: stogis
Latgalian: stogs
Lithuanian: stogas
Proto-Slavic: *stogъ (see there for further descendants)
Proto-Indo-Iranian: *táktas
Proto-Iranian: *táxtah
Middle Persian: tʾht' (taxt) (see there for further descendants)
Khotanese: 𐨟𐨿𐨟𐨁𐨌 (ttī, “abode, covered place, nest”)
>? Proto-Indo-Iranian:
Proto-Iranian: *tāgah (“arch, vault”)
Middle Iranian: *tāk
→ Arabic: طَاق (ṭāq)
Middle Persian: tʾg (/tāg/)
Persian: طاق, تاق (tâq)→ Armenian: թաղ (tʿał)→
★Root-
*(s)teg-
pole, stick, beam
"dDerved terms-
Terms derived from the Proto-Indo-European root *(s)teg- (pole)
*stog-eh₂
Proto-Germanic: *stakô (see there for further descendants)
*stog-nos
Proto-Germanic: *stakkaz (see there for further descendants)
*teg-slom
Proto-Italic: *texlom
Latin: tēlum (see there for further descendants)
*teg-nom
Proto-Italic: *tegnom
Latin: tīgnum
★Refereces-
पोकोर्नी, जूलियस (1959) Indogermanisches etymologisches Wörterbuch [ इंडो-यूरोपियन व्युत्पत्ति संबंधी शब्दकोश ] (जर्मन में), खंड 3, बर्न, मुन्चेन: फ्रेंकी वेरलाग, पृष्ठ 1013
बेली, एचडब्ल्यू (1979) खोतान साका का शब्दकोश , कैम्ब्रिज, लंदन, न्यूयॉर्क, मेलबोर्न: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, पृष्ठ 127
→
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पार्थियन भाषा, जिसे अर्ससिड पहलवी और पहलवानीग के नाम से भी जाना जाता है, एक विलुप्त प्राचीन उत्तर पश्चिमी ईरानी भाषा है। यह एक बार पार्थिया में बोली जाती थी, जो वर्तमान उत्तरपूर्वी ईरान और तुर्कमेनिस्तान में स्थित एक क्षेत्र है। परिणाम स्वरूप यह तुर्की और फारसी शब्दों का भी साझा स्रोत है। पार्थियन अर्ससिड पार्थियन साम्राज्य (248 ईसा पूर्व - 224 ईस्वी)तक की राज्य की भाषा थी, साथ ही अर्मेनिया भी अर्सेसिड वंश की नामांकित शाखाओं की भाषा थी।
अत: तुर्की उतर-पश्चिमी ईरानी भाषा का अर्मेनियाई लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जिसकी शब्दावली का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से पार्थियन से उधार लेने से बना था; इसकी व्युत्पन्न आकारिकी और वाक्य रचना भी भाषा संपर्क से प्रभावित थी, लेकिन कुछ हद तक। इसमें कई प्राचीन पार्थियन (पहलवी) शब्द संरक्षित किए गए थे, और अब केवल अर्मेनियाई में ही जीवित हैं।
ठाकुर शब्द भी यहीं निकल कर भारतीय भाषाओं ठक्कुर; तो कहीं ठाकुर और कहीं ठाकरे तथा टैंगोर रूप में विस्तारित हुआ है।
वर्गीकरण-★
भारतीय भाषाओं का ठाकुर शब्द का जन्मस्थान यही पार्थियन भाषा है । परन्तु इस शब्द का विकास और विस्तार आर्मेनिया और तुर्की और फारसी में होते हुए हुआ अरबी भाषा तक हुआ।
तुर्किस्तान में यह ठाकुर (तेकुर अथवा टेक्फुर ) के रूप में परवर्ती सेल्जुक तुर्की राजाओं की उपाधि थी।
यहाँ पर ही इसका विस्तार शासकीय रूप में हुआ। यद्यपि संस्कृत भाषा में इसके जीवन अवयव उपलब्ध थे। परन्तु जन्म तुर्की आरमेनिया और फारसी भाषाओं में ही हुआ है।
यदि इसका जन्म संस्कृत में होता तो यह (स्थग= आवरण भर=धारण करने वाला)= स्थगभर= से (ठगवर) हो जाता। और ठग का सजातीय हो जाता -
आवरण धारण करने वाला अर्थ देने वाला शब्द पार्थियन भाषा में टगा (मुकुट) अथवा शिरत्राण तथा वर -धारक का वाचक हो गया है। अर्थात तगा धारी ही ठाकुर होता था।
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इसके सन्दर्भ में समीपवर्ती उस्मान खलीफा के समय का उल्लेख किया जा सकता है जो तुर्की राजा स्वायत्त अथवा अर्द्ध स्वायत्त होते थे वे ही तक्वुर अथवा ठक्कुर कहलाते थे।
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तब निस्संदेह इस्लाम धर्म का आगमन इस समय तक तुर्की में नहीं हो पाया था और मध्य एशिया में वहाँ सर्वत्र ईसाई विचार धारा ही प्रवाहित हो रही थी , केवल जो छोटे ईसाई राजा होते थे। यही स्थानीय बाइजेण्टाइन ईसाई सामन्त (knight) अथवा माण्डलिक जिन्हें तुर्की भाषा में इन्हें तक्वुर (ठक्कुर) कहा जाता था। मुकुट धारी या पगड़ीधारी होते थे।
वहीं से तुर्कों के साथ यह तक्वुर शब्द भारत में आया । तुर्को का उल्लेख भारतीय पुराण भी करते है।
इस समय एशिया माइनर (तुर्की) और थ्रेस में ही इस प्रकार की शासन प्रणाली होती थी जिसमें सामन्त या निकट राजा का अधिकारी तक्वुर कहलाता था।
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तुर्की में तैकफुर
ओटोमन तुर्की में है जो Tekfur تكفور , अरबी से تَكْفُور ( तकफुर ) , मध्य अर्मेनियाई में թագւոր ( tʿagwor ) और , पुराने अर्मेनियाई թագաւոր ( t'agawor , “ राजा ) है।
ये पार्थियन *टैग(ए) -बार ( “ राजा ” ) विकसित हुआ, शाब्दिक रूप से जिसका अर्थ है “ जिसकी ताजपोशी की गयी हो ” )
यह उस समय शासकीय शब्दावली में, अर्मेनियाई साम्राज्य के सिलिसिया के दौरान उधार लिया गया शब्द था ।
उच्चारण
टेकफर
संज्ञा
टेकफुर ( निश्चित अभियोगात्मक टेकफुरु , बहुवचन टेकफुरलर )
बीजान्टिन युग के दौरान अनातोलिया और थ्रेस में एक ईसाई समान्त का पद नाम
यह शब्द 13 वीं शताब्दी में फ़ारसी या तुर्की में लिख रहे इतिहासकारों द्वारा इस्तेमाल किया जाने लगा था , जिसका अर्थ है "बीजान्टिन प्रभुओं या एनाटोलिया ( तुर्की) के बीथिनीया, पोंटस) और थ्रेस में कस्बों और किले के गवर्नरों (राजपालों )के निरूपण करना से था। यह शब्द प्रायः बीजान्टिन सीमावर्ती युद्ध के नेताओं, अकराति के कमांडरों, तथा बीजान्टिन राजकुमारों और सम्राटों को भी निरूपित करता है ", उदाहरण के लिए, कॉन्स्टेंटिनो में पोर्कफिरोजनीटस के पैलेस के तुर्की नाम, "टेक्फुर सराय" के मामले में
( देखें--- तुर्की लेखक "मोद इस्तानबूल "के सन्दर्भों पर आधारित तथ्य) इस प्रकार इब्न बीबी ने भी सिल्किया के अर्मेनियाई राजाओं को (टेक्विर) के रूप में संदर्भित किया है।
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सातवीं से बारहवीं सदी के बीच में मध्य एशिया से तुर्कों की कई शाखाएँ यहाँ भारत में आकर बसीं। इससे पहले यहाँ से पश्चिम में भारोपीय भाषी (यवन, हेलेनिक) और पूर्व में कॉकेशियाइ जातियों का पढ़ाब रहा था। विदित हो कि तुर्की में ईसा के लगभग ७५०० वर्ष पहले मानवीय आवास के प्रमाण मिल चुके हैं।अत: यहीं
हिट्टी साम्राज्य की स्थापना (१९००-१३००) ईसा पूर्व में हुई थी। ये भारोपीय वर्ग की भाषा बोलते थे । १२५० ईस्वी पूर्व ट्रॉय की लड़ाई में यवनों (ग्रीक) ने ट्रॉय शहर को नेस्तनाबूद (नष्ट) कर दिया और आसपास के क्षेत्रों पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया।
१२०० ईसापूर्व से तटीय क्षेत्रों में यवनों का आगमन भी आरम्भ हो गया।
छठी-सदी ईसापूर्व में फ़ारस के शाह साईरस (कुरुष) ने अनातोलिया पर अपना अधिकार कर लिया।
इसके करीब २०० वर्षों के पश्चात ३३४ ई० पूर्व में सिकन्दर ने फ़ारसियों को हराकर इस पर अपना अधिकार किया। बस !
ठक्कुर अथवा ठाकुर शब्द का इतिहास भारतीय संस्कृति में यहीं से प्रारम्भ होकर आज तक व्याप्त है ।
कालान्तरण में सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक पहुंच गया था।
तब तुर्की और ईरानी सामन्त तक्वुर का लक़ब उपाधि(title) लगाने लग गये थे ।
भारत में तुर्की शासनकाल में तुर्की शब्दावली से भारतीय शासन शब्दावली में यह तक्वोर शब्द ठक्कुर: ठाकुर शब्द बनकर समाहित हो गया ।
यहीं से भारतीय राजपूतों ने इसे अपने शाही रुतवे के लिए के ग्रहण किया ।
ईसापूर्व १३० ईसवी सन् में अनातोलिया (एशिया माइनर अथवा तुर्की ) रोमन साम्राज्य का अंग बन गया था । ईसा के पचास वर्ष बाद सन्त पॉल ने ईसाई धर्म का प्रचार किया और सन ३१३ में रोमन साम्राज्य ने ईसाई धर्म को अपना लिया।
इसके कुछ वर्षों के अन्दर ही कान्स्टेंटाईन साम्राज्य का अलगाव हुआ और कान्स्टेंटिनोपल इसकी राजधनी बनाई गई।
सन्त शब्द भी भारोपीय मूल से सम्बद्ध है ।
यूरोपीय भाषा परिवार में विद्यमान (Saint) इसका प्रति रूप है ।
रोमन इतिहास में सन्त की उपाधि उस मिसनरी missionary' को दी जाती है । जिसने कोई आध्यात्मिक चमत्कार कर दिया हो ।
छठी सदी में बिजेन्टाईन साम्राज्य अपने चरम पर था पर १०० वर्षों के भीतर मुस्लिम अरबों ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया।
बारहवी सदी में धर्मयुद्धों में फंसे रहने के बाद बिजेन्टाईन साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया।
सन् १२८८ में ऑटोमन साम्राज्य का उदय हुआ ,और सन् १४५३ में कस्तुनतुनिया का पतन।
इस घटना ने यूरोप में पुनर्जागरण लाने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
विशेष- कोन्स्तान्तीनोपोलिस, बोस्पोरुस जलसन्धि और मारमरा सागर के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो रोमन, बाइज़ेंटाइन, और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी थी। 324 ई. में प्राचीन बाइज़ेंटाइन सम्राट कोन्स्टान्टिन प्रथम द्वारा रोमन साम्राज्य की नई राजधानी के रूप में इसे पुनर्निर्मित किया गया, जिसके बाद इन्हीं के नाम पर इसे नामित किया गया।
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वर्तमान तुर्क पहले यूराल और अल्ताई पर्वतों के बीच बसे हुए थे। जलवायु के बिगड़ने तथा अन्य कारणों से ये लोग आसपास के क्षेत्रों में चले गए।
लगभग एक हजार वर्ष पूर्व वे लोग एशिया माइनर में बसे। नौंवी सदी में ओगुज़ तुर्कों की एक शाखा कैस्पियन सागर के पूर्व बसी और धीरे-धीरे ईरानी संस्कृति को अपनाती गई। ये सल्जूक़ तुर्क ही जिनकी उपाधि (title) तेगॉर थी भारत में लेकर आये। और ईरानियों में भी तेगुँर उपाधि नामान्तर भेद से प्रचलित थी।
बाँग्ला देश में आज भी टेंगौर शब्द के रूप में केवल ब्राह्मणों का वाचक है । मिथिला में भी ठाकुर ब्राह्मण समाज की उपाधि है।
यद्यपि ठाकरे शब्द महाराष्ट्र के कायस्थों का वाचक है, जिनके पूर्वजों ने कभी मगध अर्थात् वर्तमान विहार से ही प्रस्थान किया था ।
यद्यपि इस ठाकुर शब्द का साम्य तमिल शब्द (तेगुँर )से भी प्रस्तावित हैै ।
तमिल की एक बलूच शाखा है बलूच ईरानी और मंगोलों के सानिध्य में भी रहे है । जो वर्तमान बलूचिस्तान की ब्राहुई भाषी है ।
संस्कृत स्था धातु का सम्बन्ध भारोपीयमूल के स्था (Sta )धातु से है ।
संस्कृत भाषा में इस धातु प्रयोग --प्रथम पुरुष एक वचन का रूप तिष्ठति है ,
तथा ईरानी असुर संस्कृति के उपासक आर्यों की भाषा में हिस्तेति तथा ग्रीक भाषा में हिष्टेमि ( Histemi ) लैटिन -Sistere ।
तथा रूसी परिवार की लिथुअॉनियन भाषा में -Stojus जर्मन भाषा (Stall) गॉथिक- Standan ।
स्थग् :--- हिन्दी रूप ढ़कना, आच्छादित करना आदि। भारतीय इतिहास एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा पूर्व-आग्रहों (pre solicitations )से ग्रसित होकर ही लिखा गया । आज आवश्यकता है इसके यथा स्थिति पर पुनर्लेखन की ।
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सन्दर्भ -
Ačaṙean, Hračʿeay (1973), “ թագ ”, Hayeren armatakan baṙaran [ अर्मेनियाई व्युत्पत्ति शब्दकोश ] (अर्मेनियाई में), खंड II, दूसरा संस्करण, मूल 1926-1935 सात-खंड संस्करण का पुनर्मुद्रण, येरेवन: यूनिवर्सिटी प्रेस, पृष्ठ 136
डैंकॉफ़, रॉबर्ट (1995) अर्मेनियाई लोनवर्ड्स इन टर्किश (टरकोलॉजिका; 21), विस्बाडेन: हैरासोवित्ज़ वेरलाग, § 148, पृष्ठ 44
पारलाटिर, इस्माइल एट अल। (1998), “ टेकफुर ”, तुर्की सोज़्लुक में , खंड I, 9वां संस्करण, अंकारा: तुर्क दिल कुरुमु, पृष्ठ 163बी।
Tekfur was a title used in the late Seljuk and early Ottoman periods to refer to independent or semi-independent minor Christian rulers or local Byzantine governors in Asia Minor and Thrace.
"This is a research -Thesis whose overall facts is explored "by Yadav Yogesh Kumar 'Rohi"
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