श्रीकृष्ण मंत्र
श्रीराधा कृष्ण पूजन विधि
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सभी श्लोकों को ✍️ बनाना है
१- हे परमेश्वर श्रीकृष्ण ! इस मायानगरी में किसको गुरु मानें किसको नहीं, यह मेरी समझ से परे है। अतः सभी को त्यागकर, आप ही मेरे गुरु हैं ऐसा मानकर अपना यह कार्य सिद्ध करने जा रहा हूं, कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।
२- हे गोपेश्वर ! इस कर्मभूमि पर आपके शिवाय मेरा न तो कोई गुरु है और न ही कोई परमेश्वर है। इसलिए आप अपने चरणों में स्थान देकर सदैव गुरु के रूप में मार्गदर्शन करते रहें।
३- हे गोपेश्वर श्रीकृष्ण ! आपसे यही विनती है कि जब भी मैं आपका स्मरण करूं, आप अपनी प्राणप्रिया श्रीराधा के साथ ही आना। क्योंकि आप दोनों के बिना मेरा एक भी कार्य सिद्ध नहीं हो सकता।
४- हे गोपेश्वर श्रीकृष्ण ! आप के अतिरिक्त मुझे और किसी की भक्ति नहीं चाहिए, क्योंकि आप काल के भी काल और विधाता के भी विधाता हैं। अतः मैं आपके शरण में आना चाहता हूं कृपया मुझे भक्ति प्रदान करें।
५- हे परमेश्वर ! संसार की समस्त वस्तुएं आप ही की हैं। इस बात को ध्यान में रखकर और अपने समस्त अहंकारों को त्याग कर इस समय जो भी आपको अर्पण कर रहा हूं उसे सहर्ष स्वीकार करें।
विशेष जानकारी- (१) यज्ञ और हवन के समय - प्रत्येक मंत्रोच्चारण के उपरांत- "ॐ श्रीकृष्ण नैवेद्यं समर्पण्यामि स्वाहा" के साथ नैवेद्य अर्पित करें। किंतु ध्यान रहे उपरोक्त पांचों मंत्रों को किसी पुरोहित से न पढ़वा जाय और नाही उनसे कुछ करवाया जाय क्योंकि इन मंत्रों को केवल कृष्ण भक्त गोप ही सिद्ध और सफल कर सकते हैं बाकी कोई नहीं।
[इसके बारे में विस्तृत जानकारी अध्याय- (१) के भाग-(२) में दी गई है वहां से अपने संशय को दूर कर सकते हैं।]
(२)- बाकी हवन-यज्ञ के अतिरिक्त सुबह-शाम श्रीकृष्ण पूजा, आराधना, या आरती इत्यादि के समय पांचों मंत्रों से श्रीकृष्ण का बार-बार स्तुति करें। यदि कोई भक्त संस्कृत का श्लोक नहीं पढ़ सकता तो वह मंत्रों को भक्ति भाव से हिंदी अनुवाद में पढ़कर श्रीकृष्ण की आराधना कर सकता है ऐसा करने से उसे कोई दोष नहीं होगा।
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