संस्कृत भाषा की 1865 धातुओं( शब्द तथा क्रिया के मूल रूपों) में गुप्- एक नामधातु है जिसका विकास गोप शब्द से हुआ गो+पा = गाय पालना
प्रचीन काल नें गाय पालना अत्यधिक कठिन कार्य था गायें भारतीय अर्थ व्यवस्था की ही आधार स्तम्भिका नहीं अपितु विश्व अनेक संस्कृतियों में जीवन और जीविका उत्स थीं ।
इस सन्दर्भ में भाषाविज्ञान को आधार बनाकर हम कुछ तथ्यों का प्रकाशन कर रहे हैं।
गोप "अहीर" जाति का व्यवसाय मूलक विशेषण है।
अहीर लोग वैदिक काल से ही गोपालन करते हैं ।
अत: वेद में गोप गोधुक् और अभीरु: शब्द उपलब्ध हैं ।
पाश्चात्य संस्कृतियों में जो वैदिक संस्कृति के समानान्तर विकसित हुईं विशेषत: ग्रीक लैटिन और जर्मन की संस्कृतियाँ उनमें भी गो शब्द विद्यमान हैं इन रूपों में
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