कुरुक्षेत्र भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी है। विश्वास नहीं हो रहा। ये सच है। इस प्रमाण है लाओस में मिले शिलालेख में लिखा कुरुक्षेत्र का धार्मिक महत्व। पढि़ए ये खबर।...
पानीपत, [जागरण विशेष] : प्राचीन काल से ही धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र विश्व भर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। अब इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ गई है। एक और कुरुक्षेत्र नगरी और है। कहां है और क्या है उसका प्रमाण, जानने के लिए पढ़ें दैनिक जागरण ये रिपोर्ट।
विदेशी धरती लाओस में एक और कुरुक्षेत्र के प्रमाण मिले हैं। इस तीर्थ की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांचवीं शताब्दी में लाओस के राजा देवानिक ने लाओस की धरती पर कुरुक्षेत्र महातीर्थ का निर्माण किया था। लाओस में प्राचीन मंदिर, सरोवर और घाट मिले हैं।
धार्मिक महत्व के चलते बनाया नया कुरुक्षेत्र
वहां से मिले दुर्लभ शिलालेख से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि राजा देवानिक ने कुरुक्षेत्र की पवित्र धरा पर बने तीर्थों के महत्व को देखते हुए ही नया कुरुक्षेत्र बनाया है। यहां पर बाकायदा कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर की तर्ज पर एक सरोवर भी बनाया गया है, जो दो भागों में बंटा हुआ है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड में अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में तैयार की गई कॉफी टेबल बुक में इसको शामिल किया है। अब अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी बेहतर ढंग से इसे पूरे विश्व के सामने रखने की तैयारी चल रही है।
शिलालेख पर लिखा है कुरुक्षेत्र का महत्व
कुरुक्षेत्रं गमिष्यामि कुरुक्षेत्र वसाम्यहम्। य एवं सततं ब्रूयात् सर्वपापै: प्रमुच्यते।। वन पर्व महाभारत में वर्णित इस श्लोक का अर्थ मैं कुरुक्षेत्र की यात्रा करुंगा तथा कुरुक्षेत्र में निवास करुंगा, जो व्यक्ति इस प्रकार निरंतर कथन करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और यही बातें उस शिलालेख पर भी लिखी मिली हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के लाओस में मिले इस शिलालेख में कुरुक्षेत्र को त्रिलोक का सर्वोत्तम तीर्थ स्थल कहा गया है।
लाओस में कुरुक्षेत्र की तर्ज पर बनाए गए मंदिर और सरोवर
राजा देवानिक की ओर से लाओस में बनाए गए कुरुक्षेत्र महातीर्थ में कई मंदिरों का भी निर्माण करवाया गया है। इसके साथ ही मंदिरों के पास ही एक सरोवर बनाया गया है जो ब्रह्मसरोवर की तरह दो भागों में बंटा हुआ है।
स्वर्ण जयंती को लेकर तैयार कॉफी टेबल बुक में किया गया है शामिल
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि कुरुक्षेत्र की प्राचीन काल से ही अंतरराष्ट्रीय पहचान रही है। इसके प्रमाण मिलने पर उन्होंने केडीबी की कॉफीटेबल बुक में इसको शामिल किया गया है। केडीबी की स्वर्ण जयंती पर तैयार इस कॉफी टेबल बुक को देश-विदेश से आने वाले खास मेहमानों को भेंट किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को लेकर इसी कॉफी टेबल बुक को कई देशों के दूतावास में भेजा गया है।
लाओस के बारे में
दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित देश है लाओस। इसकी सीमाएं उत्तर पश्चिम में म्यांमार और चीन से, पूर्व में कंबोडिया, दक्षिण में वियतनाम और पश्चिम में थाईलैंड से मिलती है। इसे
हजार हाथियो की भूमि
भी कहा जाता है। भाषा थाई प्रकार की है, जिसमें संस्कृत, पाली तथा फ्रांसीसी शब्दों की भरमार है। फ्रांसीसी राजकाज की द्वितीय भाषा है। बौद्ध धर्म प्रमुख है। धान सर्वप्रमुख कृषि उपज है। यातायात एवं शक्ति के साधनों की कमी के कारण उद्योग कम उन्नति कर पाए हैं। राजधानी वियेंटाइन है।
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