अमृतं ब्राह्मणा गावो गन्धर्वाप्सरसस्तथा।
अपत्यं कपिलायास्तु पुराणे परिकीर्तितम्।1-66-52।
अपत्यं कपिलायास्तु पुराणे परिकीर्तितम्।1-66-52।
श्रीमन्महाभारते आदिपर्वणि
संभवपर्वणि षट्षष्टितमोऽध्यायः।।66।।
संभवपर्वणि षट्षष्टितमोऽध्यायः।।66।।
अनुवाद:-अमृत, ब्राह्मण, गौऐं गन्धर्व तथा अप्सराऐं- ये सब पुराण में कपिला गायों की ही संतानें वतायी गयी हैं।
अर्थात अप्सराऐं और ब्राह्मण दोनो कपिला गाय की सन्तानें हैं तो अप्सराऐं ब्राह्मणों की बहिने हुईं
यदि अप्सराऐं स्वर्ग की वेश्याऐं हैं तो वे ब्राह्मणों की बहिने ही हैं।
देवीभागवतपुराण /स्कन्धः ०९/अध्यायः ४९
देवीभागवतपुराणम् | स्कन्धः -९
सुरभ्युपाख्यानवर्णनम्
"नारद उवाच
का वा सा सुरभिर्देवी गोलोकादागता च या।
तज्जन्मचरितं ब्रह्मञ्छ्रोतुमिच्छामि यत्नतः ॥ १ ॥
"श्रीनारायणाय उवाच
गवामधिष्ठातृदेवी गवामाद्या गवां प्रसूः ।
गवां प्रधाना सुरभिर्गोलोके सा समुद्भवा ॥२॥
सर्वादिसृष्टेश्चरितं कथयामि निशामय ।
बभूव तेन तज्जन्म पुरा वृन्दावने वने ॥ ३ ॥
देवी भागवत महापुराण ( देवी भागवत)
स्कन्ध 9, अध्याय 49 -
आदि गौ सुरभिदेवीका आख्यान
नारदजी बोले - हे ब्रह्मन् ! गोलोकसे जो सुरभिदेवी आयी थीं, वे कौन थीं ? मैं ध्यानपूर्वक उनका जन्मचरित्र सुनना चाहता हूँ ॥ 1 ॥
श्रीनारायण बोले- [हे नारद!] वे देवी सुरभि गोलोकमें प्रकट हुईं। वे गौओंकी अधिष्ठात्री | देवी, गौओंकी आदिस्वरूपिणी, गौओंकी जननी तथा गौओंमें प्रधान हैं। मैं सभी गौओंकी आदिसृष्टिस्वरूपा उन सुरभिके चरित्रका वर्णन कर रहा हूँ, आप ध्यानपूर्वक सुनिये। पूर्वकालमें वृन्दावनमें सुरभिका प्रादुर्भाव हुआ था ॥ 2-3॥
अदितिर्दितिर्दनुः काला दनायुः सिंहिका तथा।
क्रोधा प्राधा च विश्वा च विनता कपिला मुनिः।
12।
प्राधा- कश्यप की एक स्त्री और दक्ष की एक कन्या का नाम। विशेष—पूराणों में इसे गंधवों और अप्सराओं की माता बतलाया गया है।
अरिष्टा:- कश्यप ऋषि की स्त्री और दक्ष प्रजापति की पुत्री जिससे गंधर्व उत्पन्न हुए थे ।
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