- "यदोर्वंशस्यान्तर्गते देवक्षत्रस्यमहातेजा पुत्रो मधु: तस्यनाम्ना मधोः पुर वसस्तथा। आसीत् पुरवसः पुत्रः पुरुद्वान् पुरुषोत्तमः।४४।
(मत्स्य- पुराण अध्याय- 44 श्लोक- 44)
अनुवाद:-"मथुरा का पूर्व नाम मधुपर था। यादव राजा देवक्षत्र के पुत्र मधु के नाम पर यह नाम प्रचलित हुआ" यही वास्तविकता है। हरिवंश पुराण में मधुरा को शत्घ्न से जोड़ना क्षेपक ही है।
मत्स्य पुराण के अनुसार यादव राजा देवक्षत्र के पुत्र मधु थे । मधु ने ब्रजभूमि में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर एक राज्य की स्थापना की, जिसका नाम उनके नाम पर मधुपुर रखा गया। बाद में इसे मथुरा के नाम से जाना गया । उनसे पुरवस नामक पुत्र उत्पन्न हुआ । ये पुरवस बाद वाले पुरुद्वान के पिता थे । पुरुद्वान् का जन्तु नाम का एक पुत्र था । जंतु (अँशु) की पत्नी ऐक्ष्वाकि से सात्वत नामक पुत्र उत्पन्न हुआ । सात्वत मधु के पांचवें उत्तराधिकारी थे। सात्वत के उत्तराधिकारियों को भी सात्वत के नाम से ही जाना जाता था । सात्वत के पुत्र भजिन, भजमान ,दिव्य , देववृध, अन्धक , महाभोज , वृष्णि आदि थे।
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- आसीत्कुरुवशात्पुत्रः पुरुहोत्रः प्रतापवान्अंशुर्जज्ञेथ वैदर्भ्यां द्रवंत्यां पुरुहोत्रतः।२८।
28. कुरुवश से एक वीर पुत्र पुरुहोत्र का जन्म हुआ। पुरुहोत्र से वैदर्भी नामक पत्नी में अंशु नामक पुत्र हुआ।
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- वेत्रकी त्वभवद्भार्या अञ्शोस्तस्यां व्यजायत७सात्वतः सत्वसम्पन्नः सात्वतान्कीर्तिवर्द्धनः।२९।
29-. अंशु की पत्नी वेत्रकी से सात्वत हुआ जो ऊर्जा से संपन्न और बढ़ती प्रसिद्धि वाला था।
- इमां विसृष्टिं विज्ञाय ज्यामघस्य महात्मनःप्रजावानेति सायुज्यं राज्ञः सोमस्य धीमतः।३०।
30- महाराज ज्यामघ की इन संतानों को जानकर कोई भी सन्तान वाला व्यक्ति पुत्र जोड़कर, सोम के साथ एक रूपता प्राप्त करता है।
- "सात्वतान्सत्वसंपन्ना कौसल्यां सुषुवे सुतान्तेषां सर्गाश्च चत्वारो विस्तरेणैव तान्शृणु।३१।
31-. कौशल्या में सत्व सम्पन्न सात्वत से चार पुत्रों को जन्म हुआ उन्हें विस्तार से सुनो
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- कुकुरं भजमानं च श्यामं कंबलबर्हिषम्कुकुरस्यात्मजो वृष्टिर्वृष्टेस्तु तनयो धृतिः।४५।
45- ये चार पुत्र थे (कुकुर , भजमान, श्याम और कम्बलबर्हिष) । कुकुर के पुत्र वृष्टि हुए और वृष्टि के पुत्र धृति थे।
"सात्वत वंश के यादव"
📚: सात्वत् (सात्वत्)। - यदु वंश के एक राजा और देवक्षत्र के पुत्र थे। सात्वत के सात पुत्र थे जिनमें -भज, भजी, दिव्य, वृष्णि, देववृध,अन्धक और महाभोज शामिल थे।
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