सोमवार, 18 नवंबर 2024

नाकृत्वा प्राणिनां हिंसां मांसमुत्पद्यते क्व चित् - मनुस्मृति में माँस का निषेध-

नाकृत्वा प्राणिनां हिंसां मांसमुत्पद्यते क्व चित् ।
न च प्राणिवधः स्वर्ग्यस्तस्मान् मांसं विवर्जयेत् ॥ ४८ ॥
अनुवाद:-
प्राणियों की हत्या किये बिना मांस कभी प्राप्त नहीं होता; तथा प्राणियों की हत्या से स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती; अतः मनुष्य को मांस का त्याग कर देना चाहिए।—(४८)

 



मनुस्मृति- अध्याय-(5) श्लोक(48)

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