रूस और यूक्रेन विवाद क्या है
बात साल 2014 की है। जब रूस ने यूक्रेन में स्थित क्रिमिया को हमला कर के अपनी सीमा में मिला लिया था। इसके बाद से रूस और यूक्रेन संबंधों में तनाव आ गए। आपको बता दे कि यूएसएसआर से साल 1991 में अलग होने के बाद भी यूक्रेन रूस के पक्ष में खड़ा रहता था।
______रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे वर्तमान विवाद की मुख्य वजह नाटो है। 4 अप्रैल,1949 को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो का जन्म हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने इस संगठन को अमेरिका द्वारा बारह देशों के समर्थन से बनाया गया था। मूलतः नाटो वेस्टर्न कंट्रीज और यूएसए के बीच बना एक सैन्य गठबंधन है। इसका मूल उद्देश्य सोवियत संघ के खिलाफ एकजुट रहना और सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना था।
अब मौजूदा हालत ये है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने की इच्छा रखता है पर रूस इस बात के विरुद्ध है। रूस का कहना है कि ये उसके लिए नागवार है कि उसका पड़ोसी राष्ट्र नाटो की सदस्यता ग्रहण करे।
नाटो क्या है-
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो अमेरिका, ब्रिटेन जैसे 30 देशों का एक सैन्य समूह है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने इसकी नींव रखी थी।
तब इसका मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना था।
वर्तमान स्थिति ये है कि लातविया, इस्तोनिया जैसे देश नाटो में शामिल हो चुके हैं।
अब यूक्रेन के नाटो से जुड़ जाने से रूस के लिए चुनौती बढ़ जाएगी। अमेरिका समेत पश्चिमी देश उस पर दवाब बना पाएंगे।
गौर करने वाली बात ये भी है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ा तो इस संगठन के समझौते के तहत इसके सभी सदस्य यानि तीस देश यूक्रेन को सैन्य बल देंगे और एक साथ मिल कर रूस पर हमला भी कर पाएंगे।
यूक्रेन के नाटो से जुड़ने की इच्छा के पीछे एक बड़ी वजह है। यूक्रेन कभी भी अपने बलबूते रूस का सामना नहीं कर पाएगा।
यूक्रेन के पास रूस जैसी विशाल सेना और आधुनिक हथियार मौजूद नहीं हैं। 2.9. मिलियन से अधिक सैन्य बल वाले रूस का सामना करने के लिए यूक्रेन के पास साधन नही हैं।
इसलिए अपनी स्वतंत्रता की खातिर यूक्रेन नाटो का सदस्य बनना चाहता है।
रूस और यूक्रेन विवाद में अमेरिका की भूमिका -
रूस और यूक्रेन संबंधित विवाद में अमेरिका की बड़ी भूमिका है।
रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका ने तीन हज़ार सैनिक यूक्रेन की धरती पर भेजा है।
कहा जा रहा है कि अमेरिका ने यूक्रेन की मदद करने की बात की है।
कुछ सूत्रों की माने तो अमेरिका अफगानिस्तान और ईरान में मिली नाकामी को भुनाने के लिए इस मुद्दे को तूल दे रहा है।
अफगानिस्तान से सेना बुलाने के बाद अमेरिका के सुपर पावर इमेज को धक्का लगा है। इस प्रकरण के बाद अमेरिका अपनी छवि सुधारने में लगा है।
जैसा की हमने आपको बताया की रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे विवाद में अमेरिका का भी भूमिका है. दरअसल हालही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने विश्व को संबोधित करते हुए ये कहा है कि रूस अब वेस्ट कंट्रीज के साथ व्यापार नहीं कर सकता है, और वहां से उसे जो सहायता मिलती है वह भी मिलनी बंद हो जाएगी. और साथ ही रूस की 2 वित्तीय संस्थानों में प्रतिबध भी लगा दिया गया है. और साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि रूस पीछे नहीं हटता है तो वह अगले फैसले के लिए तैयार रहे.
रूस और यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति
रूस यूक्रेन से 28 गुना ज्यादा बड़ा है। जनसंख्या के मामले में भी यूक्रेन रूस से मात खाता है। रूस और यूक्रेन दोनो ही गैस और तेल संबंधी रिसोर्सेज में धनी हैं। यूक्रेन बेलारूस, ब्लैक सी, सी ऑफ अजोव, हंगरी, मोल्दोवा, रोमानिया, रूस, पोलैंड और स्लोवाकिया से अपनी सीमाएं बांटता है।
- यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है। 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था।
- रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। जबकि उन्हें रूस का समर्थन था।
- यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा।
- इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।
- 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था।
- इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ।
- 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया।
- हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती गांठना शुरू किया। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हैं। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी 'उत्तर अटलांटिक संधि संगठन' बनाया गया था। यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी।
- अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।
- आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर गुरुवार को यूक्रेन पर हमला बोल दिया। अब तक तो नाटो, अमेरिका व किसी अन्य देश ने यूक्रेन के समर्थन में जंग में कूदने का एलान नहीं किया है।
- वे यूक्रेन की परोक्ष मदद कर रहे हैं, ऐसे में कहना मुश्किल है कि यह जंग क्या मोड़ लेगी। यदि यूरोप के देशों या अमेरिका ने रूस के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की तो समूची दुनिया के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है।
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