गुरुवार, 27 मार्च 2025

इन प्रवृत्तियों का पोषण करने के लिए हमारे मन में इच्छाओं का जन्म होता है।

प्रवृत्तियाँ हम्हें जाति गत रूप में जन्म से ही मिलती है।
इन प्रवृत्तियों का पोषण करने के लिए  हमारे मन में इच्छाओं का जन्म होता है। और इच्छाओं से कर्म के फल का निश्चय होता है। 


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चित्त मन का वह हिस्सा होता है जो चेतना से जुड़ा होता है.

चित्त, स्मृति और संस्कार का भंडार होता है.
चित्त, हमेशा चालू रहता है.
चित्त, आपको आपकी चेतना से जोड़ता है.
चित्त, आपको जीवित रखता है.

अनु- सन्धानात्मिकान्तःकरणवृत्तिः । इति वेदान्तः
चित प्राणी के पूर्वजन्म के कर्म कर्म संस्कारों का संचित कोश है।

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