सोमवार, 30 अक्टूबर 2023

दातव्यमिति यद्दानं

दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।17.20।।
(श्रीमद्भगवद्गीता १७/२०)

अनुवाद:-
 "दान देना ही कर्तव्य है" - इस भाव से जो दान  देश, काल को देखकर ऐसे (योग्य) पात्र (व्यक्ति) को दिया जाता है, जिससे प्रत्युपकार की अपेक्षा नहीं होती है, वह दान सात्त्विक माना गया है।१७।

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