हर काल में इतिहास पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर लिखीं गया आधुनिक इतिहास हो या प्राचीन इतिहास या पौराणिक आख्यानकों में अहीरों को (Criminal tribe ) अापराधिक जन-जाति के रूप में दुर्दान्त हत्यारे और लूटेरे ही कहा गया है।
पता नहीं इतिहासकारों की कौन सी भैंस अहीरों ने चुरा ली थी ।
इतिहास कार भी विशेष समुदाय वर्ग के ही थे ।
अहीरों के विषय में ऐसा ऐैतिहासिक विवरण पढ़ने वाले गधों से अधिक कुछ नहीं हैं।
अहीर क्रिमिनल ट्राइब कदापि नही हैं अपितु विद्रोही ट्राइब अवश्य रही है ; वो भी अत्याचारी शासन व्यवस्थाओं के खिलाफ ,
क्योंकि इतिहास भी शासन के प्रभाव में ही लिखा जाता था। और कोई शासक विद्रोहियों को सन्त तो कहेगा नहीं परन्तु जनता क्यूँ सच मान लेती है ये सारी काल्पनिक बाते यही समझ में नहीं आता ?
ऐसी ऊटपटांग बातें आजादी के बाद यादवों के बारे में वर्ण-व्यवस्था के अनुमोदकों ने ही पूर्व-दुराग्रहों से ग्रसित होकर लिखीं ।
परन्तु यथार्थोन्मुख सत्य तो ये है कि यादवों ने ना कभी कोई अापराधिक कार्य अपने स्वार्थ या अनुचित माँगों को मनवाने के लिए किया हो !
कोई तोड़ फोड़ कभी की हो ! और ना ही -गरीबों की -बहिन बेटीयों को सताया हो ।
केवल कुकर्मीयों , व्यभिचारीयों के खिलाफ विद्रोह अवश्य किया, वो भी हथियार बन्ध होकर ,
यादवों का विद्रोह शासन और उस शासक के खिलाफ रहा हमेशा से , जिसने समाज का शोषण किया ना की आम लोगों के खिलाफ !
जनता को सोचना-समझना चाहिए ! न कि बोगस लोगो के कहने पर विश्वास करने चाहिए
जिस प्रकार से आज समाज में अहीरों के खिलाफ सभी रूढ़ि वादी समुदाय एक जुट हो गये हैं ।
यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है
जय श्री कृष्णा !
विचारक :- वी० कुमार यादव
वञ्चित समाज के उत्थान में अहर्निश संघर्ष करने वाले
साम्यवादी मसीहा ! हमारा मसीहा
प्रेषक :- यादव योगेश कुमार 'रोहि'
ग्राम-आज़ादपुर
पत्रालय- पहाड़ीपुर
जनपद- अलीगढ़---उ०प्र०
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