रविवार, 22 अप्रैल 2018

पर्यावरण अध्ययन

Deled Course 505 Assignment 1 Question 1 With Answer
Deled Course 505 Assignment 1 के पहला प्रश्न का उत्तर |

Q. 1) क्या प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन सीखना महत्वपूर्ण हैं ? अपने पक्ष में उचित उदाहरणों के सहायता से तर्क दीजिए |

उत्तर :-  प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन सीखना महत्वपूर्ण हैं क्यूंकि घर या घर से बाहर बच्चे प्रयावरण में ही पलते-पढतें हैं | हमे और हमारे बच्चे को पर्यावरण से गहरा संबंध होता हैं | बिना पर्यावरण के जीना मुस्किल हैं | इसी के अंतर्गत बच्चे सिखतें हैं , इस पर आश्रित हैं , इसमे योगदान करतें है तथा इसे प्रभावित करते हैं |  जैसे की ये हमे प्रभावित करता हैं | ये प्रभाव हमारे जन्म के साथ ही शुरू हो जाता हैं तथा पूरा जीवन चलता हैं | बच्चे का संसार अपने शरीर के प्रति जागरूकता से शुरू होकर धीरे – धीरे फैलता हैं |बड़े होते चक्रों की तरह जिसमे निकटस्थ वातावरण , परिवार एवं घर से पड़ोस , विद्यालय तथा उसके पर की दुनिया होती हैं | अधिगम सबसे पहले तथा मुख्यत : घर तथा परिवार से शुरू होता हैं | जब बच्चा विद्यालय में प्रवेश ले लेता हैं अधिगम केवल विद्यालय में ही नही , घर तथा समुदाय में भी चलता रहता हैं |

बच्चे के आसपास का वातावरण एक संदर्भ हैं जिसके साथ बच्चा सबंध स्थापित करता हैं | इसमे भौतिक रचनाए तथा बाहरी स्थान नही होते बल्कि कहानियों , तयोहारो , गीतों तथा मेलो , परिवार एवं समुदाय के तयोहारो तथा अवसरों का सामाजिक एक सांस्कृतिक संसार भी होता हैं | निकटस्थ पर्यावरण के साथ अन्योन्य क्रिया के से सार्थक अधिगम होता हैं | हर दिन बच्चा प्राकृतिक पर्यावरण का अनुभव करता हैं | जैसे की ऋतुये गर्मी , बरसात , सर्दी , आकाश , सूर्य और चाँद , जल के विभिन्न आयामों का , पौधों तथा जन्तुओ का यह बहुत निराशा की बात हैं की बच्चे समय सरणी , गृहकार्य तथा परिक्षये के व्यस्त नित्क्रम में फंसे है उनके पास ये सब छानबीन कर अनुभव करने का समय और स्थान उपलब्ध नही हैं |

खासकर छोटे बच्चे को अपने आसपास के संसार को देखने और समझने की सवाभाविक इच्छा होती हैं |

यह बहुत आवश्यक है की उन्हें ऐसा पर्यावरण दिया जाए जो उनके

अधिगम में सहायक हो और उन्हें सिखने के योग्य बनाए |

राष्ट्रिय पाठ्यक्रम रुपरेखा 2005 (NCF 2005 ) ने इस लाजबाब अभिलक्षण एवं अवसर को स्वीकारा हैं |

इसीलिए प्रारंभिक वर्षो में अधिगम बच्चो की अभिरुचियों और प्राथमिकताओं के अनुसार होना चाहिए और बच्चो के अनुभव में संदर्भित होना चाहिए न की औपचारिक रूप से बनाया हुआ | बच्चो को समर्थ बनाने वाला वातावरण वह होता है जो बच्चो को विभिन्न प्रकार के अनुभाओ की दिशा में प्रेरित कर सके ,  जो बच्चो को कुछ करने और खुलकर अपने आप को अभिव्यक्त करने की अवसर प्रदान करें | साथ ही वह सामाजिक संबंधो में रचा बसा हो | जिससे उन्हें स्नेह संरक्षण एवं विश्वास की अनुभूति हो |

नामोत्पत्तिसंपादित करें
पर्यावरण शब्द संस्कृत भाषा के 'परि' उपसर्ग (चारों ओर) और 'आवरण' से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ऐसी चीजों का समुच्चय जो किसी व्यक्ति या जीवधारी को चारों ओर से आवृत्त किये हुए हैं। पारिस्थितिकी और भूगोल में यह शब्द अंग्रेजी के environment के पर्याय के रूप में इस्तेमाल होता है।

अंग्रेजी शब्द environment स्वयं उपरोक्त पारिस्थितिकी के अर्थ में काफ़ी बाद में प्रयुक्त हुआ और यह शुरूआती दौर में आसपास की सामान्य दशाओं के लिये प्रयुक्त होता था। यह फ़्रांसीसी भाषा से उद्भूत है[6] जहाँ यह "state of being environed" (see environ + -ment) के अर्थ में प्रयुक्त होता था और इसका पहला ज्ञात प्रयोग कार्लाइल द्वारा जर्मन शब्द Umgebung के अर्थ को फ्रांसीसी में व्यक्त करने के लिये हुआ।

पर्यावरण
पर्यावरण सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है।
इस अनुच्छेद को विकिपीडिया लेख Ecosystem के इस संस्करण से अनूदित किया गया है।

पारितंत्र या पारिस्थितिक तंत्र एक प्राकृतिक इकाई है जिसमें एक क्षेत्र विशेष के सभी जीवधारी, अर्थात् पौधे, जानवर और अणुजीव शामिल हैं जो कि अपने अजैव पर्यावरण के साथ अंतर्क्रिया करके एक सम्पूर्ण जैविक इकाई बनाते हैं। इस प्रकार पारितंत्र अन्योन्याश्रित अवयवों की एक इकाई है जो एक ही आवास को बांटते हैं। पारितंत्र आमतौर अनेक खाद्य जाल बनाते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर इन जीवों के अन्योन्याश्रय और ऊर्जा के प्रवाह को दिखाते हैं। [1]

परिचयसंपादित करें

बजा कैलीफोर्निया रेगिस्तान, काटाविन्ना ज़िला, मेक्सिको के वनस्पति।

बिना वृक्ष के घास का मैदान गोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र, टानज़ानिया में।
पारिस्थितिकी तंत्र शब्द को 1930 में रोय क्लाफाम द्वारा एक पर्यावरण के संयुक्त शारीरिक और जैविक घटकों को निरूपित करने के लिए बनाया गया था। ब्रिटिश परिस्थितिविज्ञानशास्री आर्थर टान्सले ने बाद में, इस शब्द को परिष्कृत करते हुए यह वर्णन दिया "यह पूरी प्रणाली... न केवल जीव-परिसर है, लेकिन वह सभी भौतिक कारकों का पूरा परिसर भी शामिल हैं जिसे हम पर्यावरण कहते हैं"।[2] तनस्ले पारितंत्रों को न केवल प्राकृतिक इकाइयाँ के रूप में, बल्कि "मानसिक आइसोलेट्स" के रूप में भी मानते थे।[2] टान्सले ने बाद में[3][3][3][3] "ईकोटोप" शब्द के प्रयोग द्वारा पारितंत्रों के स्थानिक हद को परिभाषित किया।

पारिस्थितिकी तंत्र अवधारणा का मुख्य विचार यह है कि जीवित जीव अपने स्थानीय परिवेश में हर दूसरे तत्व को प्रभावित करतें हैं। यूजीन ओदुम, पारिस्थितिकी के एक संस्थापक ने कहा:" एक इकाई जिसमें सभी जीव शामिल हों (अर्थात्: " समुदाय ") जो भौतिक वातावरण को प्रभावित करें कि प्रणाली के भीतर ऊर्जा का एक प्रवाह स्पष्ट रूप से परिभाषित पोषण संरचना, बायोटिक विभिन्नता और सामग्री चक्र (अर्थात्: जीवित और निर्जीव भागों के बीच सामग्री का आदान प्रदान) एक पारिस्थितिकी तंत्र है। "[4] मानव पारिस्थितिकी तंत्र अवधारणा फिर मानव / प्रकृति द्विभाजन  के व्याख्या पर आधारित है और इस आधार पर है कि सभी प्रजातियाँ एक दूसरे के साथ और उनके बायोटोप के ऐबायोटिक अंगीभूत के साथ पारिस्थितिकता से एकीकृत हैं।

♦ Deled Course 505 Assignment 1 Question 2 With Answer
Deled Course 505 Assignment 1 के  दूसरा  पश्न का उत्तर |

Q. 1) पर्यावरण अध्ययन शिक्षण अधिगम हेतु आप अपनी कक्षा में दैनिक जीवन से संबंधित अधिगम की रुपरेखा किस प्रकार तैयार करेंगे ?

उत्तर :- कक्षा में बच्चे को पर्यावरण अध्ययन शिक्षण अधिगम के लिए आनेवाले समय में होनेवाला अधिगम का रूपरेखा को समझना बहुत आवश्यक हैं | हम इस प्रकार जानतें है की पर्यावरण का मूल जानकर पर्यावरण का अध्ययन बच्चे को सही मायने समझने और इसको सिखने में आनंद की अनुभूति करवाता हैं | क्यूंकि इससे बच्चे निकस्थ पर्यावरण के साथ , प्राकृतिक समुदाय तथा संसार के साथ जुड़तें हैं | पर्यावरण अध्ययन के मुख्या केंद्र विन्दुओ में से एक हैं | बच्चो को वास्तविक संसार जिसमे वे रहतें हैं से परिचित करवाना पर्यावरण अध्ययन की परिस्थितियाँ तथा अनुभव उन्हें अपने प्राकृतिक एवं मानव निर्मित प्रतिवेश की छानबीन करने तथा उससे जुड़ने में सहायता करतें हैं | पर्यावरण अध्ययन बच्चो को पर्यावरण में होनेवाली घटनाओ एवं क्रियाकलाप के बारे में अपनी समझ का विकास करता हैं |

हम अपने आसितत्व और जीवन की निरंतरता के लिए अपने पर्यावरण पर निर्भर हैं |

इसमे कोई संदेह नही है की हममे से प्रत्येक पर्यावरण को प्रभावित करता हैं तथा उससे प्रभावित होता हैं |

हमे अपनी पर्यावरण की रक्षा एवं परिरक्षापन करना चाहिए |

हमे अपनी सोंच और कार्यो से इस ग्रह से अच्छा तथा सुरक्षित बनाने में सहायता करनी चाहिए |

केवल वर्तमान पीढ़ी ही नही वल्कि आनेवाली कई पीढियों के लिए भी |

ऐसा करने के लिए इस बात की समझ आवश्यक हैं | की हमारे पर्यावरण की संरचना क्या हैं |

पर्यावरण अध्ययन बच्चो के अपने आसपास तथा उसके पर जिसमे उसका घर का पर्यावरण ,

पडोस , मुहल्ला तथा देश भी आता हैं |

पर्यावरण अध्ययन इस प्रकार के बच्चो को यह समझ प्रदान करता है की हम किस प्रकार से अपने भौतिक ,

जैविक सामाजिक तथा सांस्कृतिक पर्यावरण के साथ परस्परिक क्रियाकलाप करतें हैं |

तथा उसके द्वारा प्रभावित होतें हैं | बच्चो को सामाजिक सांस्कृतिक पर्यावरण सहित ,

सम्पूर्ण पर्यावरण के समझ का विकाश में सहायता करता हैं |

बच्चो को पर्यावरण से संबंधित मुद्दों तथा समस्याओं को समझने में बहु अनुशासनिक परिपेक्ष्य बनाए रखने में सहायता करता हैं

तथा हमारी दैनिक के क्रियाओं का इसकी संपूर्णता पर क्या असर पड़ता हैं यह समझने में सहायता करता हैं |

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