शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

"आयौ घोष बड़ौ व्यौपारी"

घोषम्, क्ली, (घोषति शब्दायते इति । घुष विशब्दने + अच् ।) कांस्यम् । इति राजनिर्घण्टः ॥ घोषः, पुं, (घोषन्ति शब्दायन्ते गावो यस्मिन् । घुषिर् विशब्दने + “हलश्च ।” ३ । ३ । १२१ । इति घञ् ।) आभीरपल्ली । (यथा, रघुः । १ । ४५ । “हैयङ्गवीनमादाय घोषवृद्धानुपस्थितान् । नामधेयानि पृच्छन्तौ वन्यानां मार्गशाखिनाम् ॥” घोषति शब्दायते इति । घुष + कर्त्तरि अच् ।) गोपालः । (घुष + भावे घञ् ।) ध्वनिः । (यथा, मनुः । ७ । २२५ । “तत्र भुक्त्वा पुनः किञ्चित् तूर्य्यघोषैः प्रहर्षितः । संविशेत्तु यथाकालमुत्तिष्ठेच्च गतक्लमः ॥”) घोषकलता । कांस्यम् । मेघशब्दः । इति मेदिनी । षे । ११ ॥ मशकः । इति त्रिकाण्ड- शेषः ॥ (वर्णोच्चारणवाह्यप्रयत्नविशेषः । यदुक्तं शिक्षायाम् । २० । “संवृतं मात्रिकं ज्ञेयं विवृतं तु द्बिमात्रिकम् । घोषा वा संवृताः सर्व्वे अघोषा विवृताः स्मृताः ॥”) कायस्थादीनां पद्धतिविशेषः । (यथा, कुलदीपि- कायाम् । “वसुवंशे च मुख्यौ द्वौ नाम्ना लक्षणपूषणौ । घोषेषु च समाख्यातश्चतुर्भुजमहाकृती ॥”) अमरकोशः
व्रज में गोप अथवा आभीर घोष कहलाते हैं ।
संज्ञा स्त्री०[संघोष + कुमारी] गोपबालिका । गोपिका । उ०—प्रात समै हरि को जस गावत उठि घर घर सब घोषकुमारी ।—(भारतेंदु ग्रं० भा० २, पृ० ६०६ )
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संज्ञा पुं० [सं०] [स्त्री० आभीरी] १. अहीर । ग्वाल । गोप — आभीर जमन किरात खस स्वपचादि अति अघ रुप जे । (राम चरित मानस । ७ । १३० )
तुलसी दास ने अहीरों का वर्णन भी विरोधाभासी रूप में किया है ।कभी अहीरों को निर्मल मन बताते हैं तो कभी अघ ( पाप ) रूप देखें -
"नोइ निवृत्ति पात्र बिस्वासा । निर्मल मन अहीर निज दासा- (राम चरित मानस, ७ ।११७ )
विशेष—ऐतिहासिकों के अनुसार भारत की एक वीर और प्रसिद्ध यादव जाति जो कुछ लोगों के मत से बाहर से आई थी ।
इस जातिवालों का विशेष ऐतिहसिक महत्व माना जाता है । कहा जाता है कि उनकी संस्कृति का प्रभाव भी भारतीय संस्कृति पर पड़ा । वे आगे चलकर आर्यों में घुलमिल गए । इनके नाम पर आभीरी नाम की एक अपभ्रंश (प्राकृत) भाषा भी थी । य़ौ०—आभीरपल्ली= अहीरों का गाँव । ग्वालों की बस्ती । २. एक देश का नाम । ३. एत छंद जिसमें ११ । मात्राएँ होती है और अंत में जगण होता है । जैसे—यहि बिधि श्री रघुनाथ । गहे भरत के हाथ । पूजत लोग अपार । गए राज दरबार । ४. एक राग जो भैरव राग का पुत्र कहा जाता है ।
संज्ञा पुं० [सं० आभीर] [स्त्री० अहीरिन] एक जाति जिसका काम गाय भौस रखना और दूध बेचना है । ग्वाला ।
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     यादव योगेश कुमार'रोहि'ग्राम-आज़ादपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़ --

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