शनिवार, 7 अक्टूबर 2017
चमत्कारी श्लोक :-- यादव योगेश कुमार'रोहि'
असुरों के दुष्कर्म को आप निम्न दो श्लोकों के उदहारण से आसानी से समझ लीजिये।
एक सुभाषित श्लोक हैं ----
केशवं पतितं दृष्ट्वा पाण्डवा: हर्षनिर्भरा:।
रोदन्ति सर्वे कौरवा: हा हा केशव केशव ॥
इसका प्रथम दृष्टया अर्थ मुझे और आपको यही समझ आयेगा कि "केशव (कृष्ण) का पतन (मृत्यु) देखकर पाण्डव हर्ष से भर गये और सारे कौरव 'हा केशव' कहकर रोने लगे" क्या ये इसका वास्तविक अर्थ हुआ ?????
कृष्ण का पतन देखकर पाण्डव कैसे हर्ष से भर जाएंगे और कौरव क्योंकर दुःख मनाने लगेंगे !!!!!!!
लेकिन श्लोक का महाभारत युद्ध, कृष्ण, पाण्डव या कौरवों से दूर दूर तक क्या कहीं भी कुछ भी सम्बन्ध नहीं हैं।
इसका अर्थ है -
के (क) - पानी में
शवं - लाश को
पतितं - गिरते
दृष्टवा - देखकर
पाण्डवाः - मछली या बागळ,
हर्षनिर्भराः - हर्ष से भर गए
रोदन्ति - रोने लगे
सर्वे - सारे
कौरवाः - कौवे
हा केशव - हाय शव पानी में
शव को पानी में गिरते देख जलीय मछलियाँ हर्ष से भर गयी और सारे कौवे रोने लगे की हाय शव पानी में गया।
अब बताइये असुर अर्थ क्या अनर्थ कर सकता है smile emoticon
अच्छा एक अगला श्लोक भी देखिये -
हतो हनुमतारामो सीता सा हर्षनिर्भरा। रुदन्ति राक्षसास्सर्वे हाहारामो हतो हतः॥
हनुमान ने राम को मार डाला जिससे सीता हर्ष से भर उठी, और सारे राक्षस रोने लगे की हाय राम को मार डाला।
अब हैं ना ये सत्यानाशी अर्थ smile emoticon
राम किस प्रकार मारे जायेंगे ??? उनकी मृत्यु के समाचार से भगवती सीता माँ कैसे हर्ष मनाएंगी ?? मारेगा भी कौन, हनुमानजी !!!!!!!!! और राम के मारे जाने के समाचार से राक्षस दुःखी होंगे !!!!!!!
भेरी फन्नी smile emoticon smile emoticon
हनुमत+आरामः =हनुमतारामः - हनुमान ने जहाँ आराम पाया = अशोक वाटिका
हनुमान ने अशोक वाटिका को नष्ट-भ्रष्ट किया ये देखकर श्रीसीताजी हर्ष से भर गई और अपनी वाटिका का हनन देखकर सारे राक्षस दुःख से हाय हमारा आराम (बागीचा) कहकर रोने लगे।
ये श्लोक तो लौकिक संस्कृत के हैं इनमें ही असावधानी पे अर्थ का अनर्थ सम्भाव्य हैं।
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