पुराणों मे जिस महापुरुष की सर्वाधिक इज्जत उतारी गयी है वह है "श्रीकृष्ण"
श्रीकृष्ण से पौराणिक न जाने क्यों इतने चिढ़े थे कि उनके साथ-साथ उनके परिवार वालों पर भी आक्षेप लगाने से नही चूके...
पहले रासलीला की अश्लीलता से कृष्ण को बदनाम किया, फिर उनके पुत्र साम्ब से उनकी तमाम पत्नियों के सम्बन्ध बताकर उनके परिवार पर भी लांक्षन लगा दिया!
मत्स्यपुराण जहाँ स्पष्ट कहता है कि कृष्ण के पुत्र साम्ब के सम्बन्ध उनकी पत्नियों से थे, तो वही वराहपुराण अध्याय-120 मे लिखा है कि एक बार नारद कृष्ण के पास आये और बोले कि प्रभु मै आपको एकान्त मे कुछ बताना चाहता हूँ। आपके नवयुवक पुत्र साम्ब से आपकी पत्नियों को क्षोभ है, और वो उसको देखकर भी क्षुब्ध हो जाती है!
हे प्रभु! इस कारण सत्यलोक मे आपकी बड़ी निन्दा हो रही है!
नारद ने यह भी कहा कि आप अगर चाहो तो साम्ब और अपनी पत्नियों को बुलाकर इसका परीक्षण भी कर लो...
कृष्ण ने नारद की बात मान ली, और अपनी पत्नियों तथा साम्ब को अपने पास बुलाया! इसके बाद कृष्ण ने देखा कि उनकी पत्नियाँ उनके सामने ही साम्ब को देखकर मतवाली होने लगी!
फिर क्रोध मे आकर कृष्ण ने अपने ही पुत्र साम्ब को श्राप दिया कि तू अभी रूपहीन हो जाये, तुझे कुष्ठरोग हो जाये।
यही कथा जरा विस्तार से भविष्यपुराण (हिन्दी साहित्य प्रकाशन, प्रयाग) ब्रह्मपर्व, अध्याय-73 श्लोक-8-46 मे मिलती है!
एक दिन की बात है, नारद ने कृष्ण से कहा कि हे प्रभु! आपकी 16 पत्नियां आपके ही पुत्र साम्ब से प्रेम करती है।
कृष्ण ने सोचा कि नारद की बात तो झूठ नही हो सकती! वैसे भी स्त्रियों का मन चपल होता ही है, अतः मुझे इसका परीक्षण करना चाहिये।
एक दिन श्रीकृष्ण अपनी तमाम पत्नियों के साथ सरोवर मे जलक्रीडा कर रहे थे! कृष्ण ने पहले खुद भी मदिरा पिया और बाद मे अपनी पत्नियों को भी मदिरा पिलाया! इसके बाद जब स्त्रियां मद्यपान से बेसुध हो गयी, तब नारद ने साम्ब से आकर कहा-
हे कुमार! तुम्हे श्रीकृष्ण बुला रहे हैं, तुम अभी सरोवर के पास जाओ।
साम्ब बिना कुछ सोचे सरोवर के पास पहुँच गया, जहाँ कृष्ण और उनकी पत्नियाँ मद्यपान करके क्रीड़ा कर रही थी।
साम्ब सरोवर पर पहुँचा, और रूपवान साम्ब को देखकर कृष्ण की पत्नियों की योनि तर (भीग) हो गयी, और जब वो खड़ी हुई तो उनका वीर्य (रज) स्खलित हो गया, तथा कुछ बूँदे पत्तों पर गिर पड़ी!
यह देखकर कृष्ण क्रोधित हो गये और उन्होने अपनी पत्नियों को श्राप दिया कि तुमने मुझे त्यागकर पर-पुरुष की कामना की! मै तुम सबको श्राप देता हूँ कि तुम्हे पतिलोक और स्वर्ग से भ्रष्ट होकर चोरों को अधीन रहना पड़ेगा, और वैश्यावृत्ति भी करनी पड़ेगी।
कृष्ण ने साम्ब को भी कुरूप होने और कुष्ठरोगी होने का श्राप दे दिया!
कृष्ण के श्राप के कारण ही जब श्रीकृष्ण स्वर्गवासी हुये, तब अर्जुन से चोरों ने लड़कर कृष्ण की पत्नियों का हरण कर लिया था!
अब जरा स्वयं विचार करें कि लिखने वाले ने इस पुराण मे किस तरह चुनकर अश्लील शब्दों का इस्तेमाल किया है!
कहानी यहीं नही खत्म होती है, आगे भी कृष्ण ने कहा है कि तुम लोग वैश्या बनकर जब प्रतिदिन अपने ग्राहक मे मेरा ही चिंतन करके उसे संतुष्ट करोगी, तब मरणोपरान्त तुम्हे स्वर्ग की प्राप्ति होगी!
ऐसी ही न जाने कितनी अश्लील बातें इस पुराण मे लिखी है। लोग पुराणों का कितना आदर करते हैं यह तो मै नही जानता, पर मै पुराणों का सदैव खण्डन करता रहूँगा।
कम से कम मेरे प्रयास से किसी की चेतना जागे और इस पुराण-मण्डली को आग लगाना शुरू कर दे।
पवन प्रजापति
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