आर्य और वीर शब्दों का विकास
परस्पर सम्मूलक है ।
और पश्चिमीय एशिया तथा यूरोप की समस्त भाषाओं में ये दौनों शब्द प्राप्त हैं ।
परन्तु आर्य शब्द वीर शब्द का ही सम्प्रसारित रूप है ।
अत: शब्द ही प्रारम्भिक है ।
दौनों शब्दों की व्युपत्ति पर एक सम्यक् विश्लेषण -
यादव योगेश कुमार 'रोहि' ✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍......................
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यह लेख सांस्कृतिक और ऐैतिहासिक अवधारणाओं पर तो आधारित है ही ।
यह वर्तमान इतिहास कारों की दुराग्रहों से निर्मुक्त
एक सम्यक् गवेषणा को निर्देशित भी करता है ।
"आर्य" और "आर्यन" के अन्य उपयोगों के लिए, आर्य शब्द का प्रयोग ईरानीयों के धर्म ग्रन्थों में विशेषत: अवेस्ता ए जैन्द में देेखा जा सकता है ।
परन्तु वीर शब्द भी परवर्ती काल में आर्य शब्द को समानान्तरण प्रचलन में रहा है ।
प्रस्तुत है एक संक्षिप्त विवेचना----👇
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"आर्यन" (ग्रीक रूप ɛəriən ) एक शब्द है जिसका उपयोग भारत-ईरानी लोगों द्वारा आत्म-पदनाम के रूप में किया जाता रहा है ।
इस शब्द का उपयोग भारत में वैदिक काल के सिन्धु नदी के तटवर्ती लोगों द्वारा जातीय स्तर के रूप में किया जाता था ।
परन्तु इसको जातिगत रूप देने में पाश्चात्य इतिहास विदों का बड़ी योगेश है ।
परन्तु प्रारम्भिक सन्दर्भों में आर्य शब्द यौद्धा का वाचक था ।
और बहुत बाद में पाश्चात्य इतिहास विदों ने आर्य शब्द का प्रयोग देव संस्कृति के अनुयायी यूरोपीय इण्डो-जर्मन जन-जातियों के लिए किया ।
जो बाल्टिक सागर पर अपने आव्रजन काल से पूर्व एससाथ थे ।
असीरियन जन-जाति में प्राय: यौद्धा वर्ग स्वयं के लिए इस शब्द का प्रयोग करता था ।
और ईरानी संस्कृति में भी इसका यही रूप तीरंदाजों के अर्थ में रूढ़ हो गया ।
और कालान्ततरण में यौद्धा वर्ग के साथ-साथ भौगोलिक क्षेत्र को सन्दर्भित करने के लिए भी किया जाने लगा है।
जहांँ भारत-आर्य शब्द देव संस्कृति पर आधारित है।
निकटतम ईरानी लोगों ने अवेस्ता शास्त्र में स्वयं के लिए एक जातीय लेबल (स्तर)के रूप में आर्यन शब्द का उपयोग किया ।
और इस शब्द के आधार पर देश के ईरान नाम की व्युत्पत्ति निर्धारित हुई है।
19वीं शताब्दी में यह माना जाता था कि आर्यन भी सभी प्रोटो-इंडो-यूरोपियन द्वारा उपयोग किए जाने वाले आत्म-पदनाम थे ।
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परन्तु इस सिद्धान्त को अब पीछे छोड़ दिया गया है।
विद्वान बताते हैं कि, प्राचीन काल में भी, "आर्यन" होने का विचार धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई था, नस्लीय नहीं।
19 वीं शताब्दी में पश्चिमी विद्वानों द्वारा ऋग्वेद में गलत व्याख्या किए गए सन्दर्भों पर चित्रण करते हुए, "आर्यन" शब्द को आर्थर डी गोबिनाऊ के कार्यों के माध्यम से एक नस्लीय श्रेणी के रूप में अपनाया गया था ।✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
जिनकी विचारधारा गोरा उत्तरी यूरोपीय "आर्यों के विचार पर आधारित थी " जो स्थानीय आबादी के साथ नस्लीय मिश्रण के माध्यम से अपमानित होने से पहले, दुनिया भर में स्थानान्तरित हो गया था ।
और सभी प्रमुख सभ्यताओं की स्थापना में समाविष्ट हो गया था।
ह्यूस्टन स्टीवर्ट चेम्बरलेन के कार्यों के माध्यम से, गोबिनेउ के विचारों ने बाद में नाजी नस्लीय विचारधारा को प्रभावित किया, जिसमें "आर्यन लोग" को अन्य मूलवादी नस्लीय समूहों के लिए बेहतर रूप से श्रेष्ठ माना गया।
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इस नस्लीय विचारधारा के नाम पर किए गए अत्याचारों ने शिक्षाविदों को "आर्यन" शब्द से बचने के लिए प्रेरित किया है, जिसे ज्यादातर मामलों में "भारत-ईरानी" द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
यह शब्द अब केवल "इंडो-आर्य भाषा" के संदर्भ में दिखाई देता है।
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व्युत्पत्ति मूलक दृष्टि कोण से आर्य शब्द हिब्रू बाइबिल में वर्णित एबर से भी सम्बद्ध है ।
लैटिन वर्ग की भाषा आधुनिक फ्राञ्च में आर्य शब्द…Arien तथा Aryen दौनों रूपों में।
…इधर दक्षिणी अमेरिक की ओर पुर्तगाली तथा स्पेनिश भाषाओं में यह शब्द आरियो Ario के रूप में विद्यमान है। पुर्तगाली में इसका एक रूप ऐरिऐनॉ Ariano भी है और फिन्नो-उग्रियन शाखा की फिनिश भाषा में Arialainen (ऐरियल-ऐनन) के रूप में है।
रूस की उप शाखा पॉलिस भाषा में (Aryika) के रूप में है।
कैटालन भाषा में (Ari )तथा (Arica) दौनों रूपों में है। स्वयं रूसी भाषा में आरिजक (Arijec) अथवा आर्यक के रूप में यह आर्य शब्द है विद्यमान है। इधर पश्चिमीय एशिया की सेमेटिक शाखा आरमेनियन तथा हिब्रू और अरबी भाषा में भी यह आर्य शब्द क्रमशः Ariacoi तथा Ari तथा अरबी भाषा में हिब्रू प्रभाव से म-अारि. M(ariyy तथा अरि दौनो रूपों में है ।
. तथा ताज़िक भाषा में ऑरियॉयी (Oriyoyi )रूप में है …इधर बॉल्गा नदी मुहाने वुल्गारियन संस्कृति में आर्य शब्द ऐराइस् Arice के रूप में है।
वेलारूस की भाषा में Aryeic तथा Aryika दौनों रूप में; पूरबी एशिया की जापानी ,कॉरीयन और चीनी भाषाओं में बौद्ध धर्म के प्रभाव से आर्य शब्द .
Aria–iin..के रूप में है ।
आर्य शब्द के विषय में इतने तथ्य अब तक हमने दूसरी संस्कृतियों से उद्धृत किए हैं।
परन्तु जिस भारतीय संस्कृति का प्रादुर्भाव देव संस्कृति के उपासक आर्यों की संस्कृति से हुआ ।
उनका वास्तविक चित्रण होमर ने ई०पू० 800 के समकक्ष इलियड और ऑडेसी महाकाव्यों में ही किया है ट्रॉय युद्ध के सन्दर्भों में-
ग्राम संस्कृति के जनक देव संस्कृति के अनुयायी यूरेशियन लोग थे। तथा नगर संस्कृति के जनक द्रविड अथवा ड्रयूड (Druids) लोग ।
उस के विषय में हम कुछ कहते है ।
विदित हो कि यह समग्र तथ्य यादव योगेश कुमार 'रोहि' के शोधों पर आधारित हैं।
भारोपीय आर्यों के सभी सांस्कृतिक शब्द समान ही हैं स्वयं आर्य शब्द का धात्विक-अर्थ Rootnal-Mean ..आरम् धारण करने वाला वीर …..संस्कृत तथा यूरोपीय भाषाओं में आरम् Arrown =अस्त्र तथा शस्त्र धारण करने वाला यौद्धा ….अथवा वीरः |आर्य शब्द की व्युत्पत्ति( Etymology )
संस्कृत की अर् (ऋृ) धातु मूलक है— अर् धातु के तीन अर्थ सर्व मान्य है । १–गमन करना To go २– मारना to kill ३– हल (अरम्) चलाना …. Harrow मध्य इंग्लिश—रूप Harwe कृषि कार्य करना ।
..प्राचीन विश्व में सुसंगठित रूप से कृषि कार्य करने वाले प्रथम मानव आर्य ही थे । इस तथ्य के प्रबल प्रमाण भी हमारे पास हैं ! पाणिनि तथा इनसे भी पूर्व ..कार्तसन धातु पाठ में …ऋृ (अर्) धातु कृषिकर्मे गतौ हिंसायाम् च.. के रूप में परस्मैपदीय रूप —-ऋणोति अरोति वा .अन्यत्र ऋृ गतौ धातु पाठ .३/१६ प० इयर्ति -जाता है ।
वास्तव में संस्कृत की अर् धातु का तादात्म्य. identity. यूरोप की सांस्कृतिक भाषा लैटिन की क्रिया -रूप इर्रेयर Errare =to go से प्रस्तावित है । जर्मन भाषा में यह शब्द आइरे irre =to go के रूप में है पुरानी अंग्रेजी में जिसका प्रचलित रूप एर (Err) है …….इसी अर् धातु से विकसित शब्द लैटिन तथा ग्रीक भाषाओं में क्रमशः Araval तथा Aravalis हैं । अर्थात् कृषि कार्य.भी ड्रयूडों की वन मूलक संस्कृति से अनुप्रेरित है । देव संस्कृति के उपासक आर्यों की संस्कृति ग्रामीण जीवन मूलक है और कृषि विद्या के जनक आर्य थे । परन्तु आर्य विशेषण पहले असुर संस्कृति के अनुयायी ईरानीयों का था।
यह बात आंशिक सत्य है क्योंकि बाल्टिक सागर के तटवर्ती ड्रयूडों (Druids) की वन मूलक संस्कृति से जर्मनिक जन-जातियाँ से सम्बद्ध इस देव संस्कृति के उपासक आर्यों ने यह प्रेरणा ग्रहण की। …सर्व-प्रथम अपने द्वित्तीय पढ़ाव में मध्य -एशिया में ही कृषि कार्य आरम्भ कर दिया था।
देव संस्कृति के उपासक आर्य स्वभाव से ही युद्ध-प्रिय व घुमक्कड़ थे ।
घोड़े रथ इनके -प्रिय वाहन थे ।
ये कुशल चरावाहों के रूप में यूरोप तथा सम्पूर्ण एशिया की धरा पर अपनी महान सम्पत्ति गौओं के साथ कबीलों के रूप में यायावर जीवन व्यतीत करते थे ….यहीं से इनकी ग्राम - सभ्यता का विकास हुआ था .अपनी गौओं के साथ साथ विचरण करते हुए .जहाँ जहाँ भी ये विशाल ग्रास-मेदिनी (घास के मैदान )देखते उसी स्थान पर अपना पढ़ाव डाल देते थे । संस्कृत भाषा में ग्राम शब्द की व्युत्पत्ति इसी व्यवहार मूलक प्रेरणा से हुई।
…क्यों कि अब भी . संस्कृत तथा यूरोप की सभी भाषाओं में…. ग्राम शब्द का मूल अर्थ ग्रास-भूमि तथा घास है ।
इसी सन्दर्भ में यह तथ्य भी प्रमाणित है कि देव संस्कृति के उपासक आर्य ही ज्ञान और लेखन क्रिया के विश्व में द्रविडों के बाद द्वित्तीय प्रकासक थे । …ग्राम शब्द संस्कृत की ग्रस् …धातु मूलक है..—–(ग्रस् मन् )प्रत्यय..आदन्तादेश..ग्रस् धातु का ही अपर रूप ग्रह् भी है ।
जिससे ग्रह शब्द का निर्माण हुआ है अर्थात् जहाँ खाने के लिए मिले वह घर है ।
इसी ग्रस् धातु का वैदिक रूप… गृभ् …है ; गृह ही ग्रास है
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अंग्रेजी शब्द "आर्यन" (मूल रूप से "एरियन" लिखा गया) संस्कृत शब्द आर्य से लिया गया था, आर्य, 18 वीं शताब्दी में और सभी के द्वारा उपयोग किया जाने वाला आत्म-पदनाम माना जाता है ।
भारत-यूरोपीय लोग प्राय: इस शब्द का अधिक प्रयोग करते रहे हैं ।
आर्य शब्द का ऐैतिहासिक प्रचलित रूप -
आर्य शब्द के सबसे शुरुआती रूप से प्रमाणित संदर्भ 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बेहिस्तून शिलालेख ईरान में प्राप्त होता है, जो स्वयं को "आर्य [भाषा या लिपि]" में लिखा गया है।
जैसा कि अन्य सभी पुरानी ईरानी भाषा के उपयोग के मामले में भी है, शिलालेख की आर्यता "ईरानी" के अलावा कुछ भी संकेत नहीं देती है।
फिलोलॉजिस्ट (भाषा वैज्ञानिक) जेपी मैलोरी का तर्क है कि "एक जातीय पदनाम के रूप में, शब्द [आर्यन] भारत-ईरानियों तक सबसे उचित रूप से सीमित है, और सबसे हाल ही में बाद वाले लोगों के लिए जहां यह अभी भी ईरान देश को अपना नाम देता है"
संस्कृत भाषा में आर्य शब्द का प्रयोग -
प्रारम्भिक वैदिक साहित्य में,(संस्कृत: आर्यावर्त, आर्यों का निवास) शब्द उत्तरी भारत को दिया गया था ।
, जहां भारत-आर्य संस्कृति आधारित थी।
मनुस्म्ति (2.22) नाम आर्यावर्त को पूर्वी (बंगाल की खाड़ी) से पश्चिमी सागर (अरब सागर) तक हिमालय और विंध्य पर्वत के बीच का मार्ग निर्धारित कर देता है।
प्रारम्भिक रूप में इस शब्द को वैदिक देवताओं (विशेष रूप से इंद्र) की पूजा करने वाले लोगों के लिए नामित करने के लिए राष्ट्रीय नाम के रूप में उपयोग किया गया था और वैदिक संस्कृति में (जैसे बलिदान, यज्ञ का प्रदर्शन) के सन्दर्भ में प्रयोग किया गया था।
प्रोटो-इंडो-ईरानी
संस्कृत शब्द प्रोटो-इंडो-ईरानी लोगों के लिए ज़ैद अवेस्ता में एयर्या के रूप में 'आदरणीय' तथा वीर के अर्थ में है ।
और पुरानी फारसी आर्य शब्द भी है ।
ईरानी भाषाओं में, मूल आत्म-पहचानकर्ता "एलन" और "आयरन" जैसे जातीय नामों पर रहता है।
इसी तरह, ईरान का नाम आर्यों की भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है।
प्रोटो-इंडो-ईरानी शब्द को प्रोटो-इंडो-यूरोपीय उत्पत्ति के लिए अनुमानित किया गया है।
जबकि स्झेमेरेनी पाश्चात्य इतिहास विद के अनुसार यह संभवतया उग्रेटिक आरी शब्द से साम्य रखता है ।
या उससे नि:सृत है ।
इसे प्रोटो-इंडो-यूरोपीय रूट शब्द को हेरोस haerós "के अर्थों के साथ" अपने स्वयं के (जातीय) समूह, सहकर्मी,स्वतन्त्र व्यक्ति "के सदस्यों के साथ-साथ आर्य के भारत-ईरानी अर्थ के साथ नियत किया गया है।
इससे व्युत्पन्न शब्द थे !
"It has been postulated the Proto-Indo-European root word is *haerós with the meanings "members of one's own (ethnic) group, peer वीर , freeman" as well as the Indo-Iranian meaning of Aryan. Derived from it were words like
the Hittite prefix arā- meaning member of one's own group, peer, companion and friend;
Old Irish aire, meaning "freeman" and "noble"
Gaulish personal names with Ario-
Avestan airya- meaning Aryan, Iranian in the larger sense
Old Indic ari- meaning attached to, faithful, devoted person and kinsman
Old Indic aryá- meaning kind, favourable, attached to and devoted
Old Indic árya- meaning Aryan, faithful to the Vedic religion.
The word *haerós itself is believed to have come from the root *haer- meaning "put together". The original meaning in Proto-Indo-European had a clear emphasis on the "in-group status" as distinguished from that of outsiders, particularly those captured and incorporated into the group as slaves. While in Anatolia, the base word has come to emphasize personal relationship, in Indo-Iranian the word has taken a more ethnic meaning.
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हित्ताइट उपसर्ग अरा- जिसका मतलब किसी के अपने समूह, साथी, साथी और मित्र का सदस्य है;
पुरानी आयरिश भाषा में आइर (आयर ), जिसका अर्थ है :- अभिजात अथवा स्वतन्त्र और "महान" Old Irish (aire), meaning "freeman" and "noble"
एरियो- के साथ व्यक्तिगत नाम गॉलिश (प्राचीन फ्राँन्स की भाषा ) में तथा ईरानीयों के धर्म-ग्रन्थ
अवेस्ता में एेर्या airya है जिसका अर्थ है आर्यन, ईरानी बड़े अर्थ में
ओल्ड इंडिक प्राचीन भारतीय भाषा में एरि-अर्थात्, वफादार, समर्पित व्यक्ति और रिश्तेदार से जुड़ा हुआ है।
माना जाता है कि हेरोस स्वयं मूल हायर-अर्थ "एक साथ रखे" से आया है।
प्रोटो-इंडो-यूरोपीय में मूल अर्थ "इन-ग्रुप स्टेटस" पर स्पष्ट जोर दिया गया था, जो बाहरी लोगों की ओर से विशिष्ट था, विशेष रूप से उन लोगों को पकड़ा गया और समूह में गुलामों के रूप में शामिल किया गया था।
अनातोलिया (एशिया-माइनर) की भाषाओं में, मूल शब्द व्यक्तिगत सम्बन्धों पर जोर देने के लिए आया है, भारत-ईरानी में इस शब्द ने अधिक जातीय अर्थ ग्रहण कर लिया है।
सम्भवतया जर्मन , हर्मन अथवा आर्यन का अर्थ भ्रातृत्व है ।
इस सन्दर्भ में कई अन्य विचारों की समीक्षा, और प्रत्येक के साथ विभिन्न समस्याओं को विश्लेषित ओसवाल्ड स्झेमेरेनी द्वारा दिया जाता है।
नाज़ियों ने नस्लीय अर्थ में लोगों का वर्णन करने के लिए "आर्यन" शब्द का प्रयोग किया।
नाजी के आधिकारिक अल्फ्रेड रोसेनबर्ग का मानना था कि नॉर्डिक जाति प्रोटो-आर्यों से निकली थी, जिन्हें उनका मानना था कि उत्तरी जर्मन मैदान पर प्रागैतिहासिक रूप से रहते थे ।
और आखिरकार अटलांटिस के खोए महाद्वीप से निकल गए थे।
नाजी नस्लीय सिद्धांत के अनुसार,"आर्यन" शब्द ने जर्मनिक लोगों का वर्णन किया।हालांकि, "आर्यन" की एक संतोषजनक परिभाषा नाजी जर्मनी के दौरान समस्याग्रस्त रही।
नाज़ियों को सबसे पुराना आर्य माना जाता है जो "नॉर्डिक रेस" भौतिक आदर्श से संबंधित हैं, जिन्हें नाजी जर्मनी के दौरान "मास्टर रेस" के नाम से जाना जाता है।
हालांकि नाजी नस्लीय सिद्धांतकारों का भौतिक आदर्श आम तौर पर लंबा था, निष्पक्ष बालों वाली और हल्की आंखों वाले नॉर्डिक व्यक्ति, ऐसे सिद्धांतकारों ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि बाल और आंखों का रंग काफी हद तक नस्लीय श्रेणियों के भीतर मौजूद था।
उदाहरण के लिए, एडॉल्फ हिटलर और कई नाजी अधिकारियों के पास काले बाल थे और उन्हें अभी भी नाज़ी नस्लीय सिद्धांत के तहत आर्यन जाति के सदस्य माना जाता था, क्योंकि किसी व्यक्ति के नस्लीय प्रकार का निर्धारण केवल एक परिभाषित करने के बजाय किसी व्यक्ति में कई विशेषताओं की पूर्वनिर्धारितता पर निर्भर करता है सुविधा।
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The Nazis used the word "Aryan" to describe people in a racial sense.
The Nazi official Alfred Rosenberg believed that the Nordic race was descended from Proto-Aryans, who he believed had prehistorically dwelt on the North German Plain and who had ultimately originated from the lost continent of Atlantis.
According to Nazi racial theory, the term "Aryan" described the Germanic peoples. However, a satisfactory definition of "Aryan" remained problematic during Nazi Germany.
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The Nazis considered the most purest Aryans to be those that belonged to the "Nordic race" physical ideal, known as the "master race" during Nazi Germany.Although the physical ideal of the Nazi racial theorists was typically the tall, fair-haired and light-eyed Nordic individual, such theorists accepted the fact that a considerable variety of hair and eye colour existed within the racial categories they recognised. For example, Adolf Hitler and many Nazi officials had dark hair and were still considered members of the Aryan race under Nazi racial doctrine, because the determination of an individual's racial type depended on a preponderance of many characteristics in an individual rather than on just one defining feature."
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सितंबर 19 35 में, नाज़ियों ने नूर्नबर्ग कानून पारित किया। सभी आर्यन रीच नागरिकों को अपने आर्यन वंश को साबित करने की आवश्यकता थी, एक तरह से बपतिस्मा प्रमाण पत्र के माध्यम से सबूत प्रदान करके अहनेनपास प्राप्त करना था कि सभी चार दादा दादी आर्यन वंश के थे।
दिसंबर 1 9 35 में, नाज़ियों ने जर्मनी में आर्यन जन्म दर गिरने और नाजी यूजीनिक्स को बढ़ावा देने के लिए लेबेन्सबोर्न की स्थापना की।
भारतीय / संस्कृत साहित्य में आर्य शब्द का अर्थ
संस्कृत और संबंधित भारतीय भाषाओं में, आर्य का अर्थ है "वह जो महान कर्म करता है, एक महान व्यक्ति"। Āryvarta "आर्यों का निवास" संस्कृत साहित्य में उत्तर भारत के लिए एक आम नाम है।
मनु-स्मृति (2.22) नाम "पूर्वी सागर से पश्चिमी सागर तक हिमालय और विंध्य पर्वत के बीच का क्षेत्र को आर्यावर्त" नाम दिया जाता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न संशोधनों के साथ शीर्षक आर्य का उपयोग किया गया था। लगभग 1 ईसा पूर्व की कलिंग के सम्राट खरावेला को उड़ीसा के भुवनेश्वर में उदयगिरी और खंडागिरी गुफाओं के हाथीगुम्फा शिलालेखों में एक आर्य के रूप में जाना जाता है।
10 वीं शताब्दी में गुर्जर-प्रतिहार शासकों को "आर्यवार्त के महाराजाधिराज" शीर्षक दिया गया था।
जो निश्चित रूप से जॉर्जियाई अथवा गुर्जिस्तान के निवासी थे ।
जिनका माउण्ट आबू पर राजपूत करण हुआ ।
रामायण और महाभारत में, आर्य को हनुमान समेत कई पात्रों के लिए सम्मानित माना जाता है।
परन्तु यहाँ यह नाम केवल वीरता सूचक है ।
जातिगत कदापि नहीं वैसे भी वाल्मीकि रामायण बौद्ध काल के बाद की रचना है ।
पूरे यूरोप और मध्य पूर्व में 500 ईसा पूर्व में भारत-यूरोपीय भाषाओं में आर्य शब्द मिलता है ।
यद्यपि हुर्रियन शब्द में सुर रूप अधिक ध्वनित होता है परन्तु कुछ विद्वान इसे आर्यन शब्द का तद्भव मानने के पक्षधर हैं ।
ईरानी साहित्य आर्य शब्द-
पुरानी इंडो-आर्य में आर्य से जुड़े कई अर्थों के विपरीत, पुरानी फारसी शब्द का केवल जातीय अर्थ है।
यह भारतीय उपयोग के विपरीत है, जिसमें कई माध्यमिक अर्थ विकसित हुए हैं, अर्थात् आत्म-पहचानकर्ता के रूप में अर्थ का अर्थ ईरानी उपयोग में संरक्षित है, इसलिए "ईरान" शब्द है।
The Avesta clearly uses airya/airyan as an ethnic name (Vd. 1; Yt. 13.143-44, etc.), where it appears in expressions such as airyāfi; daiŋˊhāvō "Iranian lands, peoples", airyō.šayanəm "land inhabited by Iranians", and airyanəm vaējō vaŋhuyāfi; dāityayāfi; "Iranian stretch of the good Dāityā", the river Oxus, the modern Āmū Daryā.
Old Persian sources also use this term for Iranians. Old Persian which is a testament to the antiquity of the Persian language and which is related to most of the languages/dialects spoken in Iran including modern Persian, the Kurdish languages, and Gilaki makes it clear that Iranians referred to themselves as Arya.
The term "Airya/Airyan" appears in the royal Old Persian inscriptions in three different contexts:
एयरी का अर्थ "ईरानी" था, और ईरानी anairya मतलब था और "गैर-ईरानी" का मतलब है। आर्य को ईरानी भाषाओं में एक नृवंशविज्ञान के रूप में भी पाया जा सकता है, उदाहरण के लिए, एलन और फारसी ईरान और ओस्सेटियन इर / आयरन यह नाम आर्यन के समतुल्य है, ।
जहां ईरान का मतलब है "आर्यों की भूमि," और सस्सिद काल के बाद से उपयोग में हैं
पुरानी फारसी जो फारसी भाषा की पुरातनता का प्रमाण है और जो आधुनिक फारसी, कुर्द भाषा और गिलकी समेत ईरान में बोली जाने वाली अधिकांश भाषाओं / बोलियों से संबंधित है ।
यह स्पष्ट करती है कि ईरानियों ने स्वयं को आर्य के रूप में संदर्भित किया है।
"एयर्या / एयरयान" शब्द शाही पुराने फारसी शिलालेखों में तीन अलग-अलग संदर्भों में दिखाई देता है:
बेहिस्तून में दारा प्रथम के शिलालेख के पुराने फारसी संस्करण की भाषा के नाम के रूप में
पर्शिपोलिस से शिलालेख में नकम-ए-रोस्तम और सुसा (डीएनए, डीएसई) और ज़ेरेक्स I
में शिलालेखों में दारा प्रथम की जातीय पृष्ठभूमि के रूप में वर्णित है ।
(Behistun )वहिस्तून शिलालेख के (Elamite )एलम भाषा संस्करण में, आर्यों के भगवान, अहुरा मज्दा की परिभाषा के रूप में।
उदाहरण के लिए डीएनए और डीएस दारा और जेरेक्स में खुद को "एक अमेमेनियन, एक फारसी का एक फारसी पुत्र और आर्यन स्टॉक के आर्यन" के रूप में वर्णित किया गया है।
यद्यपि दारा ने अपनी भाषा को आर्य भाषा कहा, आधुनिक विद्वान इसे पुराने फारसी के रूप में संदर्भित करते हैं क्योंकि यह आधुनिक फारसी भाषा की पूर्वज है।
ग्रीक स्रोतों द्वारा पुरानी फारसी और अवेस्ता के साक्ष्य की पुष्टि की गई है।
यूनानी इतिहास कार हेरोडोटस ने अपने इतिहास में ईरानी Medes मदीयन के बारे में टिप्पणी की है कि: "इन Medes को सभी लोगों द्वारा ईमानदारी से बुलाया गया था;"पृष्ठ संख्या (7.62)।
अर्मेनियाई स्रोतों में, पार्थियन, मेडीयन और फारसियों को सामूहिक रूप से आर्यों के रूप में जाना जाता है।
[रोड्स के यूडेमस दमसियस के साथ (प्लैटोनिस परमेनिडेम 125 बीआईएस में डबिटेशंस एट सॉल्यूशंस)
यह "मागी और ईरानी (एरियन) वंशावली के सभी लोगों को संदर्भित करता है; डायोडोरस सिकुलस (1.94.2) ज़ोरोस्टर (ज़थ्रास्टेस) को अरियानो में से एक मानता है।
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भूगोलकार स्ट्रैबो, अपनी भूगोल में, मेद, फारसी, बैक्ट्रीशियन और सोग्डियन की एकता का उल्लेख करते हैं:
एरियाना का नाम फारस और मीडिया के एक हिस्से के साथ-साथ उत्तर में बैक्ट्रियन और सोग्डियनों तक भी बढ़ाया गया है;
इनके लिए लगभग एक ही भाषा बोलती है, लेकिन थोड़ी भिन्नताएं होती हैं।
- भूगोल, पृष्ठ संख्या (15.8)
शापुर के आदेश द्वारा निर्मित त्रिभाषी शिलालेख हमें एक और स्पष्ट विवरण देता है।
इस्तेमाल की जाने वाली भाषा पार्थियन, मध्य फारसी और ग्रीक हैं। ग्रीक में शिलालेख कहता है:
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"... tou Arianon ethnous eimi despotes" जो अनुवाद करता है! "मैं आर्यों का राजा हूं"।
मध्य फारसी शापौर में कहते हैं: "मैं ईरान शहर का भगवान हूं" और पार्थियन में वह कहता है: "मैं आर्यन शहर का स्वामी हूं"।
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रब्बाक में कुषाण साम्राज्य के संस्थापक कनिष्क द ग्रेट का बैक्ट्रियन भाषा (एक मध्य ईरानी भाषा)में शिलालेख, जिसे 1993 में बागानान के अफगानिस्तान प्रांत में एक अप्रत्याशित स्थान में खोजा गया था।
स्पष्ट रूप से इस पूर्वी ईरानी भाषा को आर्य के रूप में संदर्भित करता है।
इस्लामिक युग के बाद भी 10 वीं शताब्दी के इतिहासकार हमज़ा अल-इस्फाहनी के काम में आर्यन (ईरान) शब्द का स्पष्ट उपयोग देख सकता है।
अपनी मशहूर पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ़ प्रोपेट्स एंड किंग्स" में, अल-इस्फहानी लिखते हैं, "आर्यन जिन्हें पार भी कहा जाता है, इन देशों के बीच में है और इन छह देशों में इसका चारों ओर घिरा हुआ है ।
क्योंकि दक्षिण पूर्व चीन, उत्तर में है तुर्कों में, मध्य दक्षिण भारत है, मध्य उत्तर रोम है, और दक्षिण पश्चिम और उत्तर पश्चिम सूडान और बर्बर भूमि है "।
इन सब सबूतों से पता चलता है कि आर्य "ईरानी" नाम सामूहिक परिभाषा थी, जो लोगों को इंगित करता था (गीजर, पीपी 167 एफ।, श्मिट, 1978, पृष्ठ संख्या 31)
जो एक जातीय भाषा से संबंधित थे, एक आम भाषा बोलते थे , और एक धार्मिक परंपरा है जो अहुरा (असुर महत्) मज़दा की पंथ पर केंद्रित है।
ईरानी भाषाओं में, मूल आत्म-पहचानकर्ता "एलान", "आयरन" जैसे जातीय नामों पर रहता है।
इसी प्रकार, ईरान शब्द आर्य के भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है।
यूरोपीय भाषाओं में आर्य शब्द का प्रचलित रूप
"आर्यन" शब्द का उपयोग नव खोजी गई इंडो-यूरोपीय भाषाओं के लिए, और विस्तार से, उन भाषाओं के मूल वक्ताओं के लिए किया गया था। और 19वीं शताब्दी में, "भाषा" को "जातीयता" की संपत्ति माना जाता था, और इस प्रकार भारत-ईरानी या भारत-यूरोपीय भाषाओं के वक्ताओं को "आर्यन जाति" कहा जाता था।
जैसा कि उन्हें क्या कहा जाता था, "सेमिटिक रेस"।
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, कुछ लोगों के बीच, "आर्यन जाति" की धारणा नॉर्डिसिज्म से निकटता से जुड़ी हुई थी, जिसने अन्य सभी लोगों पर उत्तरी यूरोपीय नस्लीय श्रेष्ठता को जन्म दिया। इस "मास्टर रेस" आदर्श ने नाजी जर्मनी के "आर्यननाइजेशन" कार्यक्रमों को दोनों में शामिल किया, जिसमें "आर्यन" और "गैर-आर्यन" के रूप में लोगों का वर्गीकरण सबसे अधिक जोरदार रूप से यहूदियों को छोड़ने के लिए निर्देशित किया गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध 1944 के अंत तक, 'आर्यन' शब्द नाज़ियों द्वारा नस्लीय विचारधाराओं और अत्याचारों के साथ कई लोगों से जुड़ा हुआ था।
19वीं सदी के अंत में और 20 वीं शताब्दी के शुरुआती नस्लीयवाद के रूप में "आर्यन जाति" के पश्चिमी विचारों में प्रमुखता बढ़ी, जो कि नाज़ीवाद द्वारा विशेष रूप से गले लगाए गए विचार थे।
नाज़ियों का मानना था कि "नॉर्डिक लोग" (जिन्हें "जर्मनिक लोग" भी कहा जाता है) आर्यों की एक आदर्श और "शुद्ध जाति" का प्रतिनिधित्व करते हैं जो उन लोगों के मूल नस्लीय स्टॉक का शुद्ध प्रतिनिधित्व रूप है ।
जिन्हें बाद में प्रोटो-आर्यों कहा गया था ।
नाजी पार्टी ने घोषणा की कि "नॉर्डिक्स" शुद्ध आर्य थे क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि वे "आर्यन लोगों" कहलाए जाने वाले अन्य लोगों की तुलना में अधिक "शुद्ध" (कम नस्लीय मिश्रित) थे।
इतिहास ---
अवेस्ता में वर्णित शब्द आर्य का प्रयोग प्राचीन फारसी भाषा ग्रंथों में किया जाता है, उदाहरण के लिए 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से बेहिस्तून के शिलालेख में, जिसमें फारसी राजा दारायस द ग्रेट( दारा प्रथम) और ज़ेरेक्स को "आर्यन स्टॉक के आर्यों" (आर्य आर्य चिसा) के रूप में वर्णित किया गया है।
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इस शिलालेख में देवता अहुरा मज़दा को "आर्यों का देवता" और प्राचीन फारसी भाषा के रूप में "आर्यन" के रूप में संदर्भित किया जाता है।
इस अर्थ में शब्द भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं सहित प्राचीन ईरानियों की कुलीन संस्कृति को भी संदर्भित करता है।
इस शब्द में जोरोस्ट्रियन धर्म का एक केंद्रीय स्थान भी है जिसमें "आर्यन विस्तार" (एयर्याना वेजाह) को ईरानी लोगों के पौराणिक मातृभूमि और दुनिया के केंद्र के रूप में वर्णित किया गया है। जो वस्तुत: आज का अजर-बेजान है ।
सॉवियत रूस का सदस्य देश
वैदिक साहित्य में आर्य शब्द-
ऋग्वेद में 34 ऋचाओं में आर्य शब्द का प्रयोग 36 बार किया जाता है।
तलगेरी के अनुसार (2000, ऋग् वेद ए हिस्टोरिकल एनालिसिस) "ऋग्वेद के विशेष वैदिक आर्य इन पुरूषों में से एक वर्ग थे, जिन्होंने खुद को भारत कहा।" इस प्रकार, तालगेरी के अनुसार, यह संभव है कि एक बिंदु पर आर्य ने एक विशिष्ट जनजाति का उल्लेख किया था।
जबकि शब्द अंततः एक जनजातीय नाम से प्राप्त हो सकता है, पहले से ही ऋग्वेद में यह एक धार्मिक भेदभाव के रूप में प्रकट होता है, जो उन लोगों को अलग करता है जो ऐतिहासिक वैदिक धर्म से संबंधित नहीं हैं, बाद में हिंदू धर्म में उपयोग का प्रस्ताव देते हैं, जहां शब्द धार्मिक धार्मिकता या पवित्रता को दर्शाने के लिए आता है।
ऋग्वेद 9.63.5 में, आर्य "महान, पवित्र, धर्मी" का उपयोग अरवन के विपरीत "उदार, ईर्ष्यापूर्ण, शत्रुतापूर्ण" के विपरीत नहीं किया जाता है:
संस्कृत महाकाव्य में आर्य शब्द आमतौर पर नैतिक अर्थो में प्रयुक्त है ।
आर्य और अनार्य मुख्य रूप से भारतीय महाकाव्य में नैतिक भावना के सन्दर्भ में उपयोग किए जाते हैं।
लोगों को आम तौर पर आर्य या अनार्य को उनके व्यवहार के आधार पर कहा जाता है।
आयरिश भाषा में भारतीयों के समान अनार्य या अनाड़ी
शब्द प्रचलित है 👇
Irish Etymology
1 From an- + airí.
Noun-
anairí f (genitive singular anairí, nominative plural anairithe)
undeserving, ungrateful, person
Declension
genitive singular feminine of anaireach (“heedless, careless, inattentive”)
comparative degree of anaireach
Mutation
Irish mutation
RadicalEclipsiswith h-prothesiswith t-prothesis
anairín-anairíhanairínot applicable
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आर्य आमतौर पर धर्म का अनुसरण करते हैं।
यह ऐतिहासिक रूप से भारत वर्षा या विशाल भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए लागू होता है। महाभारत के अनुसार, एक व्यक्ति का व्यवहार (धन या शिक्षा नहीं) निर्धारित करता है कि क्या वह आर्य कहा जा सकता है।
आयरिश भाषा में और भी पौराणिक समानताऐं हैं
Surviving Irish tales – resemblances – themes, stories, names in sagas of Indian Vedas [Sanskrit – start of 1st millennium BC]. Being – emerges as Mother Goddess of Celts = Danu (Anu in Old Irish) cognate with Don (Old Welsh). Emerges in literature of Vedas, Persia, Hittites.
Danu = ‘divine waters’.
European rivers acknowledge her. Story associated with Danuvius = first great Celtic river. Thus >myths about Boyne (from goddess Boann). and Shannon (from the goddess Sionan). Hindu goddess Ganga – Ganges.
Celts plus Hindus – worshipped in sacred rivers + votive offerings. Vedic myth = Danu – appears in deluge story = The Churning of the Ocean.
Resemblances – Irish culture and Hindu culture. Language – Old Irish law texts (the Fenechus or Brehon Laws) and the Vedic Laws of Manu. The Vedas = 4 books 1000-500 BC. Sanskrit root – vid + ‘knowledge’. Old Irish = vid = ‘0bservation’, ‘perception’, ‘knowledge’. Therefore roots of – compared Celtic druid = dru-vid – ‘thorough knowledge’.
Similarities – Old Irish and Sanskrit. Arya (freeman) = Sanskrit, and aire (a noble) in Old Irish. Naib (good) in Sanskrit, and noeib (holy) in Old Irish. Therefore – naomh = saint. Minda (physical defect) – Sanskrit > menda (one who stammers) – Old Irish. Namas (respect) – Sanskrit > nemed (respect, priviledge) – Old Irish. Badhura (deaf) – Sanskrit > bodhar (deaf) – Old Irish. Borrowed by 18th century English = ‘bother’.
Raj (king) > Irish ri > continental rix > Latin rex.
Germanic group – developed another word – i.e., cyning, Koenig, king. But – retained in English as reach = Indo-European cconcept of king as one who – reaches or stretches out his hand to protect his people. This concept = found in many Indo-European myths.😂
Rig Vedas – sky god Dyaus = stretches forth his long hand. Cognate – Latin deus, Irish dia, Slavonic devos. Means – ‘the bright one’. A sun-deity significance. Dyaus = Dyaus-Pitir = Father Dyaus. In Greek > Zeus. In Latin > Jovis-Pater (Father Jove). Julius Caesar observed Celts had a Dis–Pater (a father god). Irish reference = Ollathair = the All Father. Ollathair = sky god, the role given to Lugh.
Lugh – in Welsh myth = Lleu (Bright One). Lugh Lamhfada = Irish (Lugh of the Long Hand) = stretching and reaching. Llew Llaw Gyffes = Welsh (Lleu of the Skilfull Hand).
Boann – goddess = ‘cow-white’ > River Boyne. Mother to Aonghus Og – love god = guou-vinda (cow finder). Vedic name – Govinda = epithet for Krishna. Hindu name today. Motifs – sacred cow/bull = easily found in Celtic (particularly Irish) + Vedic/Hindu myths. Gualish god – Esus > equates with Asura (the powerful) and as Asvopati = epithet for Indra. Gualish – Ariomanus > cognate with Vedic Aryaman.
Horse rituals – once common with Indo-Europeans > Irish myth and ritual + Vedic sources. “The kingship ritual of symbolic union of horse and ruler survives in both.” Dates – when Indo-Europeans domesticated horses – thus helped commence expansions. Horses = power. Therefore proficient – agriculture, pastoralism, warriors.
Ireland – ritual of symbolic union of mare and king – mentioned by Geraldus Cambrensis [Typographica Hibernia]. = 11th century. India – similar symbolic ritual of stallion and queen = myth of Saranyn in Rig Veda.
The ‘Act of Truth’. Ancient Irish text Auraicept Moraind – could be mistaken for a passage in the Upanishad. [See: Dillon, M. ‘The Hindu Act of Truth in Celtic Tradition’, Modern Philology, Feb 1947].
Symbolism – Irish myth = Mochta’s Axe (when heated in a fire of blackthorn, would burn a liar but not the opposite), or – Luchta’s iron (= same quality), or Cormac mac Art’s cup (= 3 lies and it fell apart) – 3 truths > whole again. All = counterparts in the Chandagya Upanishad.
Cosmological terms =comparisons – Celtic, Vedic culture. Similarities – Hindu, Celtic calendar, e.g., Coligny Calendar. Original computation + astronomical observations + calculation, therefore put at 1100 BC.
Celts = astrology – based on 27 lunar mansions = naks😂
-ईरानी तथा संस्कृत भाषा में प्रचलित शब्द वीर यूरोपीय भाषा में प्रचलित( wiHrás )से प्रोटो-इंडो-यूरोपीय रूप से नि: सृत है ।
wiHrós से संस्कृत वीर ( vīrá ) से आयात किया हुआ है। ग्रीक रूप ʋiːɾ उइर/ वीर • ( vīr ) वीर , नायक , सेनानी , जो बहादुर है ।
wiHrás से , प्रोटो-इंडो-ईरानी * wiHrás से , प्रोटो-इंडो-यूरोपीय wiHrós से । अवेस्तान ( वीरा ) , लैटिन वीर ( " पुरुष " ) , लिथुआनियाई výras विरास, पुरानी आयरिश फेर , पुराना नॉर्स verr , गोथिक ( वेयर ) , ओस्सेटियन ир इर ओस्सेटियन " ) के साथ संज्ञेय , पुरानी अंग्रेज़ी wer (कहां अंग्रेजी wer )।
1700 ईसा पूर्व - 1200 ईसा पूर्व ,ऋग्वेद में नायक या पति के अर्थ में ।
पाली: भाषा में वीरा सौरसानी प्राकृत: ( वीरा ) हिंदी: बीर ) → हिन्दी: वीर ( वीर ) → इंडोनेशियाई: विरा → जावानीज: विरा → कन्नड़: विवेर ( वीरा ) → मलय: विरा → मराठी: वीर ( वीर )
लेडो-लेमोस द्वारा प्रस्तावित 'वर्जिन शब्द' की व्युत्पत्ति भी वीरांगना का तद्भव।
"uiH-ro- (आदमी) और * gʷén-eH₂- (महिला)" से एक यौगिक के रूप में वर्जिन शब्द बनता है।
, लेकिन * wir- 'युवा, युवा' ('आदमी' नहीं!) और '* gʷén-' महिला ' ।
इस परिकल्पना के अनुसार, लेट। कन्या एक परिसर के रूप में उभरा जिसका मूल अर्थ "युवा महिला" था (जैसे जर्मन जुंगफ्राउ 'युवा महिला> कुंवारी') के रूप में सन्दर्भित किया जा सकता है ।।
यदि लेडो-लेमोस परिकल्पना सच है, तो प्रतिक्रिया है: दोनों शब्द आईई से आए थे। जड़ जिसका अर्थ 'युवा, युवा' था।
लैटिन यूर का मतलब है "पुरुष", और यह भी माना जाता है कि यह शब्द अन्य भारतीय-यूरोपीय भाषाओं (पुरानी आयरिश फेर, गोथिक वायर इत्यादि) में दिखाता है। हालांकि, यह मानने का एक अच्छा कारण है कि इस तत्व का मूल मूल्य "युवा" था:
कुछ के अनुसार, * wiHrós क्रिया से weyh₁- ("शिकार करने के लिए" से लिया गया है।
WiHrós --
आदमी
पति
योद्धा, नायक
कर्ताकारक * wiHrós
संबंधकारक * wiHrósyo
विलक्षण दोहरी बहुवचन
कर्ताकारक * wiHrós * wiHróh₁ * wiHróes
सम्बोधन * wiHré * wiHróh₁ * wiHróes
कर्म कारक * wiHróm * wiHróh₁ * wiHróms
संबंधकारक * wiHrósyo *? * wiHróoHom
विभक्ति * wiHréad *? * wiHrómos
संप्रदान कारक * wiHróey *? * wiHrómos
स्थानीय * wiHréy, * wiHróy *? * wiHróysu
वाद्य * wiHróh₁ *? * wiHrṓys
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जर्मनिक, सेल्टिक, और इटालिक रूपों को रूट लारेंजियल के नुकसान के साथ एक छोटा रूप इंगित करता है, जिसे संस्कृत और लिथुआनियाई (बाल्टो-स्लाविक तीव्र, हर्ट के कानून द्वारा रूट स्वर में वापस ले जाने) के आधार पर पुनर्निर्मित किया जाता है।
अर्मेनियाई:
(संभवतः) पुरानी अर्मेनियाई: ամուրի (अमुरी, "पतिहीन")
बाल्टो-स्लाव: * व्यारास ("पति, आदमी")
लातवियाई: वीर
लिथुआनियाई: výras विरास
ओल्ड प्रशिया: विजर
सेल्टिक: * विरोस (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
जर्मनिक: * वेराज़ (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
हेलेनिक: [टर्म?]
(संभवतः) प्राचीन ग्रीक: * ϝῑρος (* विरोस, "हॉक, ईगल")
प्राचीन यूनानी: * ϝῑρᾱξ (* विरैक्स)
प्राचीन यूनानी: ἱέρᾱξ (hiérāx)
इंडो-ईरानी: * wiHrás (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
इटालिक: * विरोस (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
Tocharian: [टर्म?]
Tocharian ए: wir ("युवा, युवा, ताजा")
देखें संस्कृतियों भाषा में वीर शब्द के सन्दर्भ -
↑वीर = शौर्य्ये । इति कविकल्पद्रुमः ॥
(अदन्तचुरा०-आत्म०-अक०-सेट् ) ङ, अविवीरत ।
शौर्य्यमुद्यमः । इति दुर्गादासः निरुक्त भाष्य॥
वीरम्=, (अज् धातु + “स्फायितञ्चिवञ्चीति ”
उणादि सूत्र १।१३ ।
अर्थात् वी धातु का अज् आदेश होने पर इत्यादिना रक् प्रत्यय ।
अजे- र्वीभावः ।
वीर + अच् वा ) शृङ्गी । नडः ।
इति मेदिनी । ६७ ॥ मरिचम् ।
पुष्कर- मूलम् ।
काञ्जिकम् ।
उशीरम् ।
आरूकम् । इति राजनिर्घण्टः ॥
वीरशब्दो मेदिन्यां पवर्गीयवकारादौ दृष्टोऽपि वीरधातोरन्तःस्थवकारादौ दर्शनादत्र लिखितः ॥
वीरः, पुं० (वीरयतीति । वीर विक्रान्तौ + पचाद्यच् । यद्वा, विशेषेण ईरयति दूरीकरोति शत्रून् ।
वि + ईर + इगुपधात् कः ।
यद्वा, अजति क्षिपति शत्रून् ।
अज + स्फायितञ्चीत्यादिना रक् ।
अजेर्व्वीः आदेश ) शौर्य्यविशिष्टः ।
तत्पर्य्यायः ।
१ -शूरः २ -विक्रान्तः ३ -। इत्यमरः कोश । २ । ८ । ७७ ॥ गण्डीरः ४ तरस्वी ५ ।
इति जटाधरः ॥ (यथा, महाभारते । १ ।१४१ ।४५ । “मृगराजो वृकश्चैव बुद्धिमानपि मूषिकः । निर्ज्जिता यत्त्वया वीरास्तस्माद्वीरतरो भवान् ॥
वेदों में वीर शब्द का प्रयोग -
यथा च ऋग्वेदे । १ । ११४ । ८ ।
“वीरान्मानो रुद्रभामितो वधीर्हविष्यन्तः सद्मि त्वा हवामहे ॥” “वीरान् वीक्रान्तान् ।” इति सायणः भाष्य॥
पुत्त्रः । यथा, ऋग्वेदे । ५ । २० । ४ । “वीरैः स्याम सधमादः ” “वीरैः पुत्त्रैश्च सधमादः सहमाद्यन्तः स्याम तथा कुरु ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥
पतिः ।
पुत्त्रश्च । यथा, मार्कण्डेये । ३५ । ३१ ।
“न चालपेज्जनद्विष्टां वीरहीनां तथा स्त्रियम् । गृहादुच्छिष्टविण्मूत्रपादाम्भांसि क्षिपेद्बहिः ॥
यथा च अवीरा निष्पतिसुता ।
इत्यमरदर्शनाच्च ॥
दनायुदैत्यपुत्त्रः । यथा, महाभारते । १ । ६५ । ३३ । “दनायुषः पुनः पुत्त्राश्चत्त्वारोऽसुरपुङ्गवाः ।
विक्षरो बलवीरौच वृत्रश्चैव महासुरः )
जिनः । नटः । इति हेमचन्द्रः ॥
विष्णुः । यथा, वीरोऽनन्तो धनञ्जयः ।
इति विष्णु सहस्रनाम ॥
शृङ्गाराद्यष्टरसान्तर्गतरसविशेषः ।
तत्पर्य्यायः । उत्साहवर्द्धनः २ । इत्यमरः ॥
“उत्तमप्रकृतिर्वीर उत्साहस्थायिभावकः ।
महेन्द्रदैवतो हेमवर्णोऽयं समुदाहृतः ॥
उत्साहं वर्द्धयति इति उत्साहवर्द्धनः नन्द्यादित्वादनः । दानधर्म्मयुद्धेषु जीवानपेक्षोत्साहकारी रसो वीरः । वीरयन्ते अत्र वीरः ।
वीर तङ्कत् शौर्य्ये घञ् स्फीततयैव स्वाद्यते इति सर्व्व- रसलक्षणं कटाक्षितम् ।
इति भरतः ॥ तान्त्रिकभावविशेषः ।
यथा, -- “तत्रैव त्रिविधो भावो दिव्यवीरपशुक्रमः । दिव्यवीरैकजः प्रोक्तः
वीरः, त्रि, श्रेष्ठः । इति हेमचन्द्रः ॥ (कर्म्मठः । यथा, ऋग्वेदे । ८ । २३ । १९ । “इमं धा वीरो अमृतं वीरं कृण्वीतमर्त्त्यः ॥
“वीरः कर्म्मणि समर्थः ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥ यथा च । तत्रैव । ६ । २३ । ३ ।
“कर्त्ता वीराय सुष्वय उलोकं दाता वसु स्तुवते कीरये चित् ॥” “वीराय यज्ञादि कर्म्मसु दक्षाय ”
इति तद्भाष्ये सायणः ॥
प्रेरयिता । यथा, तत्रैव । ६ । ६५ । ४ ।
“इदा हि वो विधते रत्नमस्तीदा वीराय दाशुष उषासः
“वीराय प्रेरयित्रे ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥)
_________________________________________
वाचस्पत्यम्
'''वीर'''
नपुंसकलिंग रूप वीर--अच्।
१ शृङ्गिणि
२ नडे मेदि॰
३ गरिचे
४ पद्म-मूले
५ काञ्चिके
६ उशीरे
७ आरूके राजनि॰।
८ शौर्य्यवि-शिष्टे शूरे त्रि॰ अमरः।
९ जिने
१० नटे पु॰ हेमच॰।
११ विष्णौ पु॰ विष्णुस॰।
तन्त्रोक्ते
१२ कुलाचारयुते त्रि॰ कुलाचारशब्दे पृ॰ दृश्यम्।
१३ तण्डुलीये
१४ वराहकन्दे
१५ लताकरञ्जे
१६ करवीरे
१७ अर्जुने पु॰ राजनि॰
१८ यज्ञाग्नौ भरतः वीरहा।
१९ उत्तरे
२० सुभटे च मेदि॰।
२१ श्रेष्ठे त्रि॰ हेमच॰।
२२ पत्यौ
२३ पुत्रे च
“अवीरानिष्पति सुता” अमरः कोश।
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The etymology of 'virgo' proposed by Ledo-Lemos, and rejected by Vaan (without further explanations), does not explain Lat. virgo as a compound from "*uiH-ro- (man) and *gʷén-eH₂- (woman)", but from *wir- 'young, youthful' (not 'man'!) and '*gʷén- 'woman'. According with this hypothesis, Lat. virgo originated as a compound whose original meaning was "young lady" (like German Jungfrau 'young lady > virgin').
Regarding the question asked here, the second segment of the word virgo is not the most important (i.e., if -go originate or not from I.E. *gwen- 'woman'). The pertinent to the subject at hand is if the first segment of virgo (uir-) was or not related with Lat. vir 'man'. If Ledo-Lemos hypothesis is truth, the response is: both words came from an I.E. root whose meaning was 'youthful, young'.
In a paper published in 2003, Birgitt Anette Olsen reached a very similar conclusion ["Fresh shoots from a vigorous steam: IE wih1ró-, Language in Time and Space: A Festschrift for Werner Winter on the Occasion of His 80th Birthday (Walter de Gruyter) pp. 313-330].
The following is the explanation as it appears in the article published by Ledo-Lemos in Indogermanische Forschungeng:
In Latin uir means “male”, and the same could be said of the vast majority of cognates that this word shows in other Indo-European languages
(Old Irish fer, Gothic waír, etc.).
However, there is a good reason to suppose that the original value of this element was “young”: in Tocharian A, the corresponding cognate (wir) precisely meant “young, juvenile”
__________________________________________
[cf. A.J. Van Windekens: 1976 1979, vol. I, pp. 574 575)].
It is fairly easy to understand that the adjective “young” would finally mean “male”. A parallel semantic evolution can be seen in the protoform that Pokorny [1959, p. 738] reflects as *merio (with the value of “young”, just as it still appears —among many other possible examples— in Greek μεῖραξ), but in Indo-Iranian it also acquired other values that closely remind us of the ones uir has in Latin: thus, in Sanskrit márya means “young, male, lover (masculine), free man” and the Sanskrit word maryaká and the Middle Persian mērak mean “male”.
The fact that the semantic value of the etymological group of the word uir would originally be “young” has interesting etymological consequences for other words, although studying them in depth would divert our immediate objectives and so we must limit ourselves to giving a brief outline. Since Schulze, it is generally admitted that there is some kind of relationship between the etymological group of the Latin form uir and the form uīs.
[NOTE: W. Schulze (1924), A. Ernout & A. Meillet (1959, words uir and uīs), A. Ernout (1954, p. 196). Also J. Pokorny (1959, pp. 1123-1124) seems to accept this relationship. However, this author also compiles a very unlikely etymology which connects uīs with uia.]
Of course, this approach still remains very likely but now we may be able to indicate that the etymological group of uīs would be better placed in the semantic field of “a vigour characteristic of youth” (by the way, this semantic value is still kept as such in the Sanskrit form váyas ).
Assuming this semantic value of “a vigour characteristic of youth” we can easily understand which is the origin of the Latin word uireō or the form uiridis for that matter.
[NOTE: G.R. Solta (1966, especially p. 47) has pointed out the morphological isolation of uiridis with regard to the rest of the Latin adjectives of colour: “Lat. viridis ist ein Außenseiter der Farbterminologie in formaler und semantischer Hinsicht, da es außer dem Farbinhalt auch andere Bedeutungskomponenten enthält”. Those “andere Bedeutungskomponenten” are of course, the meanings of “vigorous, young, healthy”. The subtle but important morphological diff
Etymology----
According to some, *wiHrós is derived from the verb *weyh₁- (“to hunt”) (cf. Sanskrit वेति वी धातु मूलक रूप(véti), Lithuanian výti etc.), which would render the reconstruction as *wih₁rós, with *h₁ at the place of otherwise unreconstructable laryngeal *H, and the original meaning of "hunter".
Noun----
*wiHrós m (non-ablauting)
man
husband
warrior,
hero
Inflection
Comment
Germanic, Celtic, and Italic forms point to a short *i, with loss of the root laryngeal, which is reconstructed on the basis of Sanskrit and Lithuanian (Balto-Slavic acute, retracted to the root vowel by Hirt's law) forms.
Descendants-----
Armenian:
(possibly) Old Armenian: ամուրի (amuri, “husbandless”)
Balto-Slavic: *wīˀras (“husband, man”)
Latvian: vīrs
Lithuanian: výras
Old Prussian: wijrs
Celtic: *wiros
(see there for further descendants)
Germanic: *weraz
(see there for further descendants)
Hellenic: [Term?]
(possibly) Ancient Greek: *ϝῑρος (*wīros, “hawk, eagle”)[1]
Ancient Greek: *ϝῑρᾱξ (*wīrāx)
Ancient Greek: ἱέρᾱξ (hiérāx)
Indo-Iranian: *wiHrás (see there for further descendants)
Italic: *wiros (see there for further descendants)
Tocharian: [Term?]
Tocharian A: wir (“youthful, young, fresh”)
References
________________________________________
↑ 1.0 1.1 Beekes, Robert S. P. (2010), “ἱέραξ”, in Etymological Dictionary of Greek (Leiden Indo-European Etymological Dictionary Series; 10), with the assistance of Lucien van Beek, Leiden, Boston: Brill, pages 579-580
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🔼The name Abir in the Bible/
The name Abir is one of the titles of the Living God. For some reason it's usually translated (for some reason all God's names are usually translated and usually not very accurate), and the translation of choice is usually Mighty One, which isn't very accurate. Our name occurs six times in the Bible but never alone; five times it's coupled with the name Jacob and once with Israel.
In Isaiah 1:24 we find four names of the Lord in rapid succession as Isaiah reports: "Therefore Adon YHWH Sabaoth Abir Israel declares..". Another full cord occurs in Isaiah 49:26:
All flesh will know that I, the Lord, am your Savior and your Redeemer, the Abir Jacob," and the identical is noted in Isaiah 60:16.
The full name Abir Jacob was first spoken by Jacob himself. At the end of his life, Jacob blessed his sons, and when it was Joseph's turn he spoke to him of blessings from the hands of Abir Jacob (Genesis 49:24). Many years later, the Psalmist remembered king David, who swore by Abir Jacob that he would not sleep until he had found a place for YHWH; a dwelling place for Abir Jacob (Psalm 132:2-5).
🔼Etymology of the name Abir
The name Abir comes from the root אבר ('br) 'बर , which roughly means to be strong:
Abarim Publications' online Biblical Hebrew Dictionary
אבר
The root אבר ('br) is a remarkable root that occurs all over the Semitic language spectrum. The root itself doesn't occur as verb in the Bible but in Assyrian it means to be strong or firm. There are obviously many words in Hebrew that have to do with strength, but this one denotes a specific kind of strength, namely that of a bird's pinions or flight-feathers.
It's not immediately clear how the ancients saw the feather (or why they named it a "strong one"), but it stands to reason that they recognized it as one of two epidermal growths with which a creature may be naturally covered, the other one being hair (and not counting exoskeletons).
Perhaps the ancients saw hair as the "weak one" and the feather as the "strong one" because of their obvious structural qualities, but it should also be noted that the Hebrew word for hair, namely שער (s'r) is part of a cluster of words that all have to do with an intense emotional experience (and for a closer look at this, see our riveting article on Hair in the Bible). When a hairy creature experiences fear, it can only fight or run for its life; a feathered creature can just lift up and sail off.
The spiritual aspect of a bird's ability to rise up from the earth and fly towards heaven didn't escape the Hebrew poets; some angels are reported to have bird-like wings with which they fly (Isaiah 6:2), and even God Himself has wings (Psalm 91:4).
But since angels usually have a human appearance and humans are made in God's image, it stands to reason that humans have wings too. And that means that:
The physical limbs of birds are merely bodily manifestations of a much more general quality, and
The wings of God, angels and humans are non-physical wings which bring about the same thing as physical wings do for birds.
Now, what might that "same thing" be?
The ancients observed creation with much greater care than we do today, and they noted that flight is not necessarily the most defining function of a wing. In fact, the Hebrew word for wing is כנף (kanap), and the associated verb is כנף (kanep), which doesn't mean to fly but rather to hide or enclose. Isaiah's seraphim have six wings, but only two are used for flight and four are used for covering and protecting. Hence Isaiah speaks of YHWH protecting Jerusalem like a hen its chicks (Isaiah 31:5) and the Psalmist of seeking refuge under God's wings (Psalm 91:4).
Winged creatures such as birds and insects were collectively known as עוף ('op), after the similar verb עוף ('op), but an associated noun עפעף ('ap'ap) means eyelid; the organ that covers and protects the eye.
In other words: wings are essentially instruments with which to hide or protect, and flight is a mere side effect of having wings. Things with wings are things that are designed to protect whatever can get under those wings, that is, whatever can get within that thing's range of defensive operation (like, say, a city's defense walls or a soldier's protective armor)
. That is why things with wings are naturally and per definition strong. Not because they might take off to the skies.
Our root's Biblical derivations are:
The masculine noun אבר ('eber), meaning pinion(s), wings or the ability to do what you can do with wings. This noun occurs three times: In Psalm 55:6 David fearfully observes a plethora of horrors, and wishes someone would give him אבר like the dove (יונה, yona), so he could fly (עוף, 'op) and settle down (שכן, shakan) [in peace?]. The prophet Isaiah famously declared that those who wait for YHWH will ascend (עלה, 'ala) with אבר like eagles do (Isaiah 40:31).
And Ezekiel received a riddle from Dabar YHWH, which obviously depicted the Babylonian empire as a great eagle with great wings (כנפים, kanapim), with long pinions (אבר) and full plumage (נוצה, nosa) and different colors (Ezekiel 17:3).
The feminine equivalent אברה ('ebra), meaning the same and used four times: In Job 39:13 an ostrich flaps joyously with the אברה and plumage of love. In the difficult Psalm 68:13
"she who remains at home,"
after an apparent battle, lies down in a safety that has to do with dove's silver wings and gold אברה. Significantly, in Deuteronomy 32:11, the Lord is equated to an eagle who caught Jacob (= Israel) in its אברה, while hovering over him and caring for him and guarding him like the apple of its eye.
Something similar, but without the simile, happens in Psalm 91:4, where one who trusts in the Lord may seek refuge under His wings and He will cover him with His אברה.
The denominative verb אבר ('abar), which means: to use pinions/wings. It's used only once, in Job 39:26. Most translations assume that the Lord asks Job if it's by his understanding that the hawk soars, but obviously our verb is not limited to flight.
The adjective אביר ('abbir), meaning strong (the way a feather is strong), and this is where our root becomes even more interesting:
The adjective אביר ('abbir) literally means feathery, which obviously means something else in English than in Hebrew. In Hebrew this word reflects the rigidity and resilience of a flight-feather as well as the protective qualities of the feather and its ability to spirit the bearer and possible guests to safety. This word frequently appears in military contexts (mighty-ones; Job 24:22, Jeremiah 46:15, Lamentations 1:15), and here at Abarim Publications we wonder whether it perhaps also served as generic term for a type of soldier, comparable to David's "mighty-men" (which is a different word, from גבר, geber).
Most strikingly, this word is also used as a personal name of God, namely Abir, meaning the Mighty One. The Masoretes insisted on a minute difference between the pronunciation of our adjective 'abbir and this Name 'abir, but this difference didn't exist until 1,500 years after this word was first written.
In plural, this word mostly appears to denote a collective military force, and note that in Hebrew a plural may also denote a degree of intensity in stead of a literal multitudinousness.
In Judges 5:22, the judge Deborah and general Barak sing about how they marched against the Canaanite general Sisera's army, and how the horses' (סוס, sus) thunderous hoofs dashed as his dashing אבירי. A similar connection between אבירי and cavalry is made in Jeremiah 8:16 and 47:3.
In Psalm 22:12, on the other hand, we read the familiar statement "Many bulls [plural of פר, par] have encircled me, the אבירי of Bashan have surrounded me". The bull-theme appears to be carried on to Psalm 50:13, where אבירים is used juxtaposed with עתוד ('attud), meaning he-goat. In Psalm 68:30, it appears alalong עגל ('egel), meaning male calf. In Isaiah 34:7 it appears again next to פר (par), meaning young bull.
All this strongly suggests that this particular group of words reflects a theological idea that also existed in Assyria and Babylon, which there was depicted as the famous winged bull named lamassu or sedu (and which in turn might be related to the name divine Shaddai).
The Hebrew scholars of the kingdom years weren't operating in a cultural vacuum, but lavishly borrowed stories, imagery and terminology from their colleague scholars of neighboring cultures. The same thing obviously happens today, when a Christian apologist might try to drive the gospel home while using time-bound terms such as evolution theory, search engine, server (or even: opportunity cost, target audience, swarm intelligence, and so on). The name Leviathan reflects another example of Yahwism being discussed in terms of Babylonian imagery. And the phrases King of Kings, Lord of Lords, Savior of the World and even Son of God came straight from Roman imperial theology and were hijacked by the apostle Paul to allow the citizens of the Roman world to discuss the mystery of the Messiah.
The reader should realize by now that ancient people had completely different feelings when they saw wings or bulls or a statue of a winged bull than do modern people. Whatever caused the various associations of the ancients, as far as we can tell, the Assyrian winged bull depicted a protecting spirit, a house-spirit, that which the Romans later called a genius or daemon. There were small ones for the regular household and big ones for cities, kingdoms and empires.
Obviously, when people tried to explain Yahwism in a world that was organized around the idea of this house-spirit, YHWH became the "house-spirit" of all creation. And since the Lord's "house-spiritual" covenant began with (the house of) Abraham, then passed onto the house of Jacob and then onto the house of Israel, and will eventually pass on to all the families of the earth, in the Bible He is at times referred to as Abir Israel (Isaiah 1:24) or Abir Jacob (Genesis 49:24, Psalm 132:2 and 132:5, Isaiah 49:26 and 60:16).
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🔼 बाइबिल में अबीर नाम की उत्पत्ति मूलक अवधारणा ।
अबीर नाम जीवित अथवा अस्तित्वमान् ईश्वर के खिताब में से एक है।
किसी कारण से इसका आमतौर पर अनुवाद किया जाता है (किसी कारण से सभी भगवान के नाम आमतौर पर अनुवादित होते हैं ।
और आमतौर पर बहुत सटीक नहीं होते हैं), और पसंद का अनुवाद आमतौर पर ताकतवर होता है, जो बहुत सटीक नहीं होता है। अवर( our )नाम बाइबल में छह बार होता है लेकिन कभी अकेला नहीं होता; पांच बार यह जैकब नाम और एक बार इज़राइल के साथ मिलकर है।
यशायाह 1:24 में हमें तेजी से उत्तराधिकार में भगवान के चार नाम मिलते हैं क्योंकि यशायाह ने रिपोर्ट की: "इसलिए 1-अदन, 2-(यह्व )YHWH ,3-सबाथ ,4-अबीर इज़राइल घोषित करता है ।
यशायाह 49:26 में एक और पूर्ण कॉर्ड होता है:
सभी मांस (आदमी )यह जान लेंगे कि मैं, हे प्रभु, आपका उद्धारकर्ता और आपका उद्धारक, अबीर याकूब हूं, "और जैसा यशायाह 60:16 में समान है।
पूरा नाम अबीर याकूब स्वयं पहली बार याकूब द्वारा बोला जाता था।
अपने जीवन के अंत में, याकूब ने अपने बेटों को आशीर्वाद दिया, और जब यूसुफ की बारी थी तो उसने अबीर याकूब (उत्पत्ति 49:24) के हाथों से आशीर्वादों से बात की।
कई सालों बाद, स्तोत्रवादियों ने राजा दाऊद को याद किया, जिन्होंने अबीर जैकब द्वारा शपथ ली थी कि वह तब तक सोएगा जब तक कि उसे (YHWH )के लिए जगह नहीं मिली; अबीर याकूब के लिए एक निवास स्थान (भजन 132: 2-5)।
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अबीर नाम की भाषिक व्युपत्ति
अबीर नाम हिब्रू धातु उबर ('बर ) से आता है, जिसका मोटे तौर पर अर्थ होता है मजबूत
सन्दर्भ:-
अबारीम प्रकाशन 'ऑनलाइन बाइबिल हिब्रू शब्दकोश
אבר
रूट אבר ('br) एक उल्लेखनीय जड़ है !
जो सभी सेमिटिक भाषा स्पेक्ट्रम पर होती है। मूल रूप से बाइबल में क्रिया के रूप में नहीं होता है लेकिन अश्शूर (असीरियन भाषा )में इसका अर्थ मजबूत या दृढ़ होना है।
हिब्रू में स्पष्ट रूप से कई शब्द हैं जिन्हें ताकत के साथ प्रयोग करना हुआ है, लेकिन यह एक विशिष्ट प्रकार की शक्ति को दर्शाता है।
अर्थात् पक्षी के पंख या फ्लाइट-पंखों का।
यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि पूर्वजों ने पंख को कैसे देखा (या उन्होंने इसे "मजबूत" क्यों नाम दिया), लेकिन इसका कारण यह है कि उन्होंने इसे दो एपिडर्मल विकासों में से एक के रूप में पहचाना जिसके साथ एक प्राणी स्वाभाविक रूप से कवर किया जा सकता है, दूसरा बाल होने (और exoskeletons गिनती नहीं)। शायद पूर्वजों ने बालों को "कमज़ोर" और पंख को उनके मजबूत संरचनात्मक गुणों के कारण "मजबूत" के रूप में देखा होगा ।
लेकिन यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बालों के लिए हिब्रू शब्द, अर्थात् शियर (सर ) का हिस्सा है ।शब्दों का एक समूह जो सभी को एक गहन भावनात्मक अनुभव के साथ करता है (और इस पर नज़र डालने के लिए, बाइबल में बालों पर
riveting लेख देखें)।
जब एक बालों वाले प्राणी को डर लगता है, तो यह केवल अपने जीवन के लिए लड़ सकता है या दौड़ सकता है; एक पंख वाले प्राणी बस उठा सकते हैं और निकल सकते हैं।
पृथ्वी से उठने और स्वर्ग की तरफ उड़ने की एक पक्षी की क्षमता का आध्यात्मिक पहलू हिब्रू कवियों से नहीं बच पाया; कुछ स्वर्गदूतों को पक्षियों की तरह पंख होते हैं जिनके साथ वे उड़ते हैं (यशायाह 6: 2)।
और यहां तक कि भगवान स्वयं भी पंख रूप हैं ।(भजन 91: 4)। लेकिन चूंकि स्वर्गदूतों के पास आमतौर पर मानव उपस्थिति होती है और मनुष्य ईश्वर की छवि में बने होते हैं, इसलिए इसका कारण यह है कि मनुष्यों के पंख भी होते हैं। और इसका मतलब है कि:
पक्षियों के भौतिक अंग केवल एक सामान्य गुणवत्ता के शारीरिक अभिव्यक्तियां मात्र हैं, और
भगवान, स्वर्गदूतों और मनुष्यों के पंख गैर भौतिक पंख हैं जो भौतिक पंख पक्षियों के लिए समान चीज लाते हैं।
अब, वह "एक ही चीज़" क्या हो सकती है?
पूर्वजों ने आज की तुलना में बहुत अधिक देखभाल के साथ सृजन का निरीक्षण किया, और उन्होंने ध्यान दिया कि उड़ान एक पंख का सबसे परिभाषित कार्य नहीं है। वास्तव में, पंख के लिए हिब्रू शब्द כנף (कानप) है, और संबंधित क्रिया כנף (कानप) है।
जिसका मतलब उड़ना नहीं है बल्कि छुपा या संलग्न करना है। यशायाह के सेराफिम में छह पंख हैं, लेकिन केवल दो उड़ान के लिए उपयोग किए जाते हैं और चार को कवर और संरक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसलिए यशायाह YHWH की यरूशलेम की रक्षा करता है जैसे कि यरूशलेम की रक्षा उसकी चोंच (यशायाह 31: 5) और भगवान के पंखों के नीचे शरण लेने के स्तोत्रवादी (भजन 91: 4)।
पंखों और कीड़ों जैसे पंख वाले जीव सामूहिक रूप से इसी तरह के क्रिया के बाद ףף ('op) के रूप में जाना जाता था, लेकिन एक संबद्ध संज्ञा עפעף (' ap'ap) का अर्थ पलक है; वह अंग जो आंख को ढकता है और उसकी रक्षा करता है।
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दूसरे शब्दों में: पंख अनिवार्य रूप से वाद्य यंत्र होते हैं जिनके साथ छिपाने या सुरक्षा करने के लिए, और उड़ान पंखों का एक मात्र दुष्प्रभाव है। पंखों वाली चीजें ऐसी चीजें हैं जो उन पंखों के नीचे जो कुछ भी प्राप्त कर सकती हैं, उनकी रक्षा करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, यानी, जो कुछ भी रक्षात्मक संचालन
(जैसे कहें, एक शहर की रक्षा दीवार या एक सैनिक के सुरक्षात्मक कवच) की उस सीमा के भीतर हो सकती है। यही कारण है कि पंख वाली चीजें स्वाभाविक रूप से और प्रति परिभाषा मजबूत हैं। ऐसा नहीं है क्योंकि वे आकाश तक उतर सकते हैं।
हमारी जड़ बाइबिल के व्युत्पन्न हैं:
मासूम संज्ञा אבר ('eber), जिसका मतलब पिनियन (पंख), पंख पर या पंखों के साथ आप क्या कर सकते हैं करने की क्षमता। यह संज्ञा तीन बार होता है:
भजन 55: 6 में दाऊद भयभीत रूप से भयभीत करता है, और चाहता है कि कोई उसे कबूतर की तरह देगा (योना, योना), तो वह उड़ सकता है (עוף, 'op) और बसने (שכן , शाकन) [शांति में?]। भविष्यवक्ता यशायाह ने मशहूर रूप से घोषित किया कि जो लोग YHWH की प्रतीक्षा करेंगे वे आगे बढ़ेंगे (अल्लाह, 'एला) जैसे ईगल्स की तरह (यशायाह 40:31)।
और यहेज्केल ने डाबर YHWH से एक पहेली प्राप्त की,
जिसने स्पष्ट रूप से बेबीलोन साम्राज्य को महान पंखों (कन्फिम्स, कानापीम) के साथ एक महान ईगल के रूप में चित्रित किया, जिसमें लंबे पंख (उबेर) और पूर्ण पंख (नोवा, नोसा) और विभिन्न रंग (यहेजकेल 17: 3) )।
स्त्री समकक्ष אברה ('ebra), जिसका अर्थ है और चार बार उपयोग किया जाता है: अय्यूब 3 9:13 में शुतुरमुर्ग प्यार और प्यार के पंख के साथ खुशी से flaps।
मुश्किल स्तोत्र में 68:13 "वह जो घर पर बनी हुई है," एक स्पष्ट लड़ाई के बाद, एक सुरक्षा में निहित है जो कबूतर के चांदी के पंख और सोने के साथ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यवस्थाविवरण 32:11 में, यहोवा एक ईगल के बराबर है जिसने याकूब (= इज़राइल) को अपने अल्लाह में पकड़ा, जबकि उसके ऊपर घूमते हुए और उसकी देखभाल की और उसकी आंखों के सेब की तरह उसकी रक्षा की।
कुछ समान है, लेकिन अनुकरण के बिना,
भजन 91: 4 में होता है, जहां कोई व्यक्ति जो भगवान पर भरोसा करता है वह अपने पंखों के नीचे शरण ले सकता है और वह उसे अपने स्वामी के साथ ढकेलगा।
Denominative verb אבר ('abar), जिसका अर्थ है: पिनियंस / पंखों का उपयोग करना। यह नौकरी 3 9: 26 में केवल एक बार उपयोग किया जाता है। अधिकांश अनुवाद मानते हैं कि भगवान अय्यूब से पूछता है कि क्या यह उसकी समझ से है कि हॉक उगता है, लेकिन जाहिर है कि हमारी क्रिया उड़ान तक ही सीमित नहीं है।
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विशेषण אביר ('abbir) आवीर, आभीर जिसका अर्थ मजबूत है (जिस तरह पंख मजबूत है), और यह वह जगह है जहां हमारी जड़ और भी दिलचस्प हो जाती है:
विशेषण אביר ('abbir) का शाब्दिक अर्थ है पंख, जिसका अर्थ हिब्रू की तुलना में अंग्रेजी में कुछ और है। हिब्रू में यह शब्द एक पंख-पंख की कठोरता और लचीलापन के साथ-साथ पंख के सुरक्षात्मक गुणों और वाहक और संभावित मेहमानों को सुरक्षा के प्रति अपनी क्षमता को प्रतिबिंबित करता है।
यह शब्द अक्सर सैन्य संदर्भों में प्रकट होता है (पराक्रमी, नौकरी 24:22, यिर्मयाह 46:15, विलाप 1:15), और यहां अबारीम प्रकाशनों में हम आश्चर्य करते हैं कि क्या यह शायद एक प्रकार के सैनिक के लिए सामान्य शब्द के रूप में भी कार्य करता है, तुलनीय डेविड के "पराक्रमी पुरुष" (जो एक अलग शब्द है, गेबर, गेबर से)।
सबसे ज़ोरदार बात यह है कि इस शब्द का प्रयोग ईश्वर के व्यक्तिगत नाम के रूप में भी किया जाता है, अर्थात् अबीर, जिसका अर्थ ताकतवर है।
Masoretes हमारे विशेषण 'abbir और इस नाम' abir के उच्चारण के बीच एक मिनट के अंतर पर जोर दिया, लेकिन इस शब्द को पहली बार लिखा था के बाद 1500 साल तक यह अंतर मौजूद नहीं था।
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बहुवचन में, यह शब्द अधिकतर सामूहिक सैन्य बल को दर्शाता है!
और ध्यान दें कि हिब्रू में एक बहुवचन एक शाब्दिक बहुतायत के स्थिरता में तीव्रता की डिग्री को भी दर्शा सकता है।
न्यायाधीशों 5:22 में, न्यायाधीश दबोरा और जनरल बराक गाते हैं कि उन्होंने कनानी जनरल सीसरा की सेना के खिलाफ कैसे मार्च किया, और कैसे घोड़ों (सूस, ससुरा) के घबराहट के रूप में उनके डैशिंग एबरी के रूप में डैश किया गया।
यिर्मयाह 8:16 और 47: 3 में अब्रीरी और घुड़सवार के बीच एक समान संबंध बनाया गया है।
दूसरी तरफ, भजन 22:12 में, हम परिचित बयान पढ़ते हैं, "कई बैल [पीआरएआर के बहुवचन] ने मुझे घेर लिया है, बाशान के अहिरी ने मुझे घेर लिया है"। बैल-थीम को भजन 50:13 पर ले जाया जाता है, जहां अहिरीम का उपयोग अब्दुद ('अटुद) के साथ जुड़ा हुआ होता है, जिसका अर्थ है वह बकरी।
भजन 68:30 में, यह alalong עגל ('egel), जिसका अर्थ पुरुष बछड़ा है।
यशायाह 34: 7 में यह फिर से (पैरा) के बगल में दिखाई देता है, जिसका अर्थ है युवा बैल।
यह सब दृढ़ता से सुझाव देता है कि शब्दों का यह विशेष समूह एक धार्मिक विचार को दर्शाता है जो अश्शूर और बाबुल में भी अस्तित्व में था।
जिसे लमासु या sedu नामक प्रसिद्ध पंख वाले बैल के रूप में चित्रित किया गया था ।
(और जो बदले में दैवीय शद्दाई नाम से संबंधित हो सकता है)।
साम्राज्य के वर्षों के हिब्रू विद्वान सांस्कृतिक निर्वात में काम नहीं कर सके थे, लेकिन पड़ोसी संस्कृतियों के अपने सहयोगी विद्वानों से भारी कहानियों, इमेजरी और शब्दावली उधार लेते थे।
एक ही बात स्पष्ट रूप से आज होती है, जब एक ईसाई माफी विज्ञानी विकास सिद्धांत, खोज इंजन, सर्वर (या यहां तक कि: अवसर लागत, लक्षित दर्शकों, झुंड की खुफिया जानकारी आदि जैसे समयबद्ध शर्तों का उपयोग करते समय सुसमाचार घर चलाने की कोशिश कर सकती है) ।
लीविथान नाम बेबीलोनियन इमेजरी के संदर्भ में याहूविज़्म के एक और उदाहरण पर चर्चा करता है। और राजाओं के राजा, लॉर्ड ऑफ लॉर्ड्स, विश्व के उद्धारक और यहां तक कि भगवान के पुत्र भी रोमन साम्राज्य धर्मशास्त्र से आए थे और प्रेषित पौलुस द्वारा अपहरण कर लिया गया ताकि रोमन दुनिया के नागरिकों को मसीहा के रहस्य पर चर्चा करने की अनुमति दी जा सके।
पाठक को अब तक एहसास होना चाहिए कि प्राचीन लोगों की तुलना में पंखों या बैल या पंख वाले बैल की मूर्ति को देखते हुए प्राचीन लोगों की पूरी तरह से अलग भावनाएं थीं।
जो कुछ भी पूर्वजों के विभिन्न संगठनों के कारण होता है, जहां तक हम कह सकते हैं, अश्शूर के पंख वाले बैल ने एक रक्षात्मक भावना, एक घर की भावना का चित्रण किया, जिसे बाद में रोमनों ने प्रतिभा या डेमन कहा।
नियमित घरों और शहरों, और साम्राज्यों के लिए बड़े लोगों के लिए छोटे थे।
जाहिर है, जब लोगों ने इस घर-आत्मा के विचार के आसपास आयोजित की गई दुनिया में याहूवाद को समझाने की कोशिश की, तो (YHWH )सभी सृष्टि का "घर-आत्मा" बन गया।
और चूंकि यहोवा का "घर-आध्यात्मिक" वाचा इब्राहीम के घर से शुरू हुआ, तब वह याकूब के घर और फिर इस्राएल के घराने के पास गया, और अंततः पृथ्वी के सभी परिवारों को बाइबल में भेज दिया उन्हें कभी-कभी अबीर इज़राइल (यशायाह 1:24) या अबीर याकूब (उत्पत्ति 49:24, भजन 132: 2 और 132: 5, यशायाह 49:26 और 60:16) कहा जाता है।
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Were and wer are archaic terms for adult male humans and were often used for alliteration with wife as "were and wife" in Germanic-speaking cultures,
and in the Old English construction werman, paired with the parallel wifman, denoting males and females respectively, which share structure with the current English woman.
(Old English: were, Old Dutch: wer, Gothic: waír, Old Frisian: wer, Old Saxon: wer, Old High German: wer, Old Norse: verr).
Look up Reconstruction:Proto-Germanic/weraz in Wiktionary, the free dictionary.
The word has cognates in various other languages, for example, the words vir (as in virility) and fear (plural fir as in Fir Bolg) are the Latin and Gaelic for a male human.
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Gothic has a word translating kosmos, not derived from the same stem: faírhvus, used by Ulfilas in alternation with manasêþs. The corresponding West Germanic term is werold "world", literally wer "man" + ald "age".
Gothic faírhvus is cognate to Old High German fërah, Old English feorh, terms expressing "lifetime" (aevum).
वयस्क पुरुष मनुष्यों के लिए पुरातन शब्द Were and wer अक्सर जर्मन भाषा बोलने वाली संस्कृतियों में थे !
और पत्नी" के रूप में पत्नी के साथ गठबंधन के लिए उपयोग किए जाते थे, और पुराने अंग्रेजी निर्माण वर्मैन में, क्रमशः पुरुषों और महिलाओं को दर्शाते हुए समानांतर विफमैन के साथ जोड़ा गया था, वर्तमान अंग्रेजी महिला के साथ कौन सा हिस्सा संरचना का है । (पुरानी अंग्रेज़ी: वेरे (were), ओल्ड डच: वेर, गॉथिक: वाइर, पुरानी फ़्रिसियाई: वेर, ओल्ड सैक्सन: वेर, ओल्ड हाई जर्मन: वेर, ओल्ड नॉर्स: वर्र)।
देखो पुनर्निर्माण: विकिपीडिया में प्रोटो-जर्मनिक / वेराज़, मुफ्त शब्दकोश।
शब्द विभिन्न अन्य भाषाओं में संज्ञेय है, उदाहरण के लिए, शब्द वायर (कुरकुरापन के रूप में) और डर (फ़िर बोल्ग में बहुवचन फ़िर) पुरुष के लिए लैटिन और गैलेक्सी हैं।
गोथिक में एक शब्द है जो कोसमॉस का अनुवाद करता है, जो एक ही स्टेम से नहीं लिया गया है: फेरिवस, जो मोनसैस के साथ उलफिलस द्वारा उपयोग किया जाता है। इसी तरह के पश्चिमी जर्मन शब्द का शब्द "दुनिया" है, सचमुच "आदमी" + एल्ड "आयु" है।
गोथिक फेरहुस पुरानी हाई जर्मन फेरा, पुरानी अंग्रेज़ी फेरह, "जीवनकाल" (एवीम) व्यक्त करने वाली शर्तों के लिए संज्ञेय है।
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'''वर''' शब्द संस्कृतियों भाषा में ईप्से अदादि , चुरादि उभय पदीय सक॰ सेट् है ।
वरयति ते अववरत् त।
'''वर'' न॰ व्रियते वृ--कर्मणि अप् वरि-अच् वा।
१ कुङ्कुमे
२ मनागभीष्टे अमरः कोश
“वरं प्राणान् परित्यक्ष्ये” इति तन्त्रम्।
मावे अप् अच् वा।
३ इच्छायाम्
४ याचने
५ आवरणे
६ वेष्टने च।
वृ--कर्मणि अप्।
७ अभीष्टे
८ श्रेष्ठे च त्रि॰अमरः।
९ जारे
१० जामातरि शब्दरूप
११ गुग्गुलौ शब्दच॰
१२ पत्यौ च पु॰ हेमचन्द्र कोश।
“तपोभिरिष्यते यस्तु देवेभ्यःस वरोमतः”
इत्युक्ते
१३ पदार्थे ।
उपर्युक्त उद्धृत शब्दों की श्रृंखला में वर का अर्थ पति तथा जामाता भी है ।
एफेर ( हिब्रू : עֵ֫פֶר ' Êp̄er ) जनरल 25: 4 के अनुसार इब्राहीम का पोता था, जिसका वंशज, यहूदी इतिहासकार फ्लेवियस जोसेफस ने दावा किया था, ने लीबिया पर हमला किया था । जोसेफस ने यह भी दावा किया कि एफेर का नाम महाद्वीप अफ्रीका का व्युत्पत्ति जड़ था। बाइबिल के अनुसार, वह मिडियन का पुत्र था
हिब्रू बाइबिल से संबंधित यह लेख एक स्टब है ।
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