ओ श्याम रे ~~ओ श्याम रे
हम बाबरे ~~ नहीं हैं बुरे
ओ श्याम रे ~~ओ श्याम रे
हम बाबरे ~~ नहीं हैं बुरे
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ओ श्याम रे ~~ओ श्याम रे
हम बाबरे ~~ नहीं हैं बुरे
ओ श्याम रे ~~ओ श्याम रे
हम बाबरे ~~ नहीं हैं बुरे
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खोजते तुमको कब मिल पाओगे !
कितने युगों का है क्रम!
खोजते तुमको कब मिल पाओगे !
कितने युगों का है क्रम!
ओ श्याम रे ~~ओ श्याम रे
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तुझसे गुजारिश है ,होती नहीं बारिश है ।
लपटें सी उठती हैं हवाओं में
विष है ।
हम कितने प्यासे हैं ।भक्तों से क्यों रिस है ।
तुझको मानने की अपनी ये कोशिश है ।
ओ श्याम रे ~~ओ श्याम रे!
हम बाबरे ~~ नहीं हैं बुरे !
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जीवन के ये पल ,आते -जाते कल
बन के गुजर जाते , नहीं पाते हैं सम्हल ।।
राहें हुईं धूमिल , दूर कहीं मंजिल
यहाँ पड़े पढ़ाबों पर , प्रभु यही मुश्किल ।।
ओ श्याम रे --ओ श्याम रे ।
हम बाबरे ~~~ नहीं हैं बुरे !!
खोजते तुमको कब मिल पाओगे
कितने युगों का है क्रम ।
खोजते हैं तुमको कब मिल पाओगे ।
कितने युगों का है क्रम।
ओ श्याम रे --ओ श्याम रे--
हम बाबरे नहीं हैं बुरे ।।
खोजते हैं तुमको कब मिल पाओगे ।
कितने युगों का है क्रम !
खोजते हैं तुमको कब मिल पाओगे । कितने युगों का है क्रम।
ओ श्याम रे --ओ श्याम रे
हम बाबरे -- नहीं है बुरे .....
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गीत यादव योगेश कुमार 'रोहि'
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