बुधवार, 19 अप्रैल 2017
वॉल्टेयर ...
वोल्टेयर (21 नवम्बर 1694 – 30 मई 1778) फ्रांस का बौद्धिक जागरण (Enlightenment) के युग का महान लेखक, नाटककार एवं दार्शनिक था। उसका वास्तविक नाम "फ्रांक्वा-मैरी अरेट" (François-Marie Arouet) था। वह अपनी प्रत्युत्पन्नमति (wit), दार्शनिक भावना तथा नागरिक स्वतंत्रता (धर्म की स्वतंत्रता एवं मुक्त व्यापार) के समर्थन के लिये भी विख्यात है
वोल्टेयर ने साहित्य की लगभग हर विधा में लेखन किया। उसने नाटक, कविता, उपन्यास, निबन्ध, ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक लेखन और बीस हजार से अधिक पत्र और पत्रक (pamphlet) लिखे।
यद्यपि उसके समय में फ्रांस में अभिव्यक्ति पर तरह-तरह की बंदिशे थीं फिर भी वह सामाजिक सुधारों के पक्ष में खुलकर बोलता था। अपनी रचनाओं के माध्यम से वह रोमन कैथोलिक चर्च के कठमुल्लापन एवं अन्य फ्रांसीसी संस्थाओं की खुलकर खिल्ली उड़ाता था।
बौद्धिक जागरण युग के अन्य हस्तियों (मांटेस्क्यू, जॉन लॉक, थॉमस हॉब्स, रूसो आदि) के साथ-साथ वोल्टेयर के कृतियों एवं विचारों का अमेरिकी क्रान्ति तथा फ्रांसीसी क्रान्ति के प्रमुख विचारकों पर गहरा असर पड़ा था।
प्रमुख कृतियाँ संपादित करें
Lettres philosophiques sur les Anglais (1733), जिसका नया नाम Letters on the English (सन् 1778) है।
Le Mondain (1736)
Sept Discours en Vers sur l'Homme (1738)
Zadig (1747)
Micromégas (1752)
Candide (1759)
Ce qui plaît aux dames (1764)
Dictionnaire philosophique (1764)
L'Ingénu (1767)
La Princesse de Babylone (1768)
Épître à l'Auteur du Livre des Trois Imposteurs (1770)
नाटक संपादित करें
वोल्टेयर ने पचास-साठ नाटकों की रचना की जिसमें से कुछ अपूर्ण ही रह गये। उसके प्रमुख नाटक हैं-
Œdipe (1718)
Zaïre (1732)
Eriphile (1732)
Irène
Socrates
Mahomet
Mérope
Nanine
The Orphan of China (1755)
बाहरी कड़ियाँ
Last edited 5 months ago by Jayprakash12345
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