((एकलव्य का परिचय ) इतिहास के पृष्ठों पर
विचार - विश्लेषण
योगेश कुमार रोहि
ग्राम आज़ादपुर पत्रालय पहाड़ीपुर
जनपद अलीगढ.
-- _____"_____________"___ एकलव्य(Eklavya) का नाम तो आपने सुना ही होगा।
एकलव्य महाभारत का एक महान और अभिभूत पात्र है। जिसे इतिहास ने पूर्ण रूपेण नजरंदाज कर दिया।
बहुत से लोग सिर्फ इतना जानते है की किस तरह द्रोणाचार्य ने गुरुदक्षिणा में एकलव्य का अंगूठा मांग लिया ताकि एकलव्य कभी भी ठीक से धनुष ना चला पाए और अर्जुन विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी बन जाए।
लेकिन इसके बाद एकलव्य(Eklavya) का क्या हुआ ? इसके बारे मे शायद कतिपय लोग ही जानते हैं । क्या आप जानते है की एकलव्य श्री कृष्ण का चचेरा भाई था। एकलव्य वासुदेव(कृष्ण के पिता) के भाई देवाश्रवा का पुत्र था। देवाश्रवा ये भील जन जाति के नायक हुए.. देवमीढ़ इनके पूर्वज थे ...अत: इतिहास कारों नें कहीं कहीं भील तथा आभीरों को एक माना है ! परन्तु पुराणों में भी बड़ा विरोधाभास है ! इसका कारण पुष्यमित्र काल ई०पू० १८४-४८ के समकक्ष में हुई विकृति !
पश्चिमीय एशिया की स्केण्डिनेवियन पुरातन संस्कृतियों में आयर ( अाभीर) तथा वेल्स ( भिल्लस्) द्रविड या ड्रयूड( Druids)जन जातियों से सम्बन्धित हैं ! इन्ही कथ्यों को पुराणों में कुछ विकृति पूर्ण विरोधाभासी रूप से कहानीयों के रूप में लिखा गया । एक कथा के अनुसार एकलव्य(Eklavya) वन में खो गया था ! जो श्रुतश्रवा का पुत्र था !
और वो निषादराज हिरण्यधनु को मिल गया था, तभी से वो निषाद वंश का कहलाया जाता है।
परन्तु भील जन जाति का प्रादुर्भाव यदुवंश से हुआ है ! इनके पूर्व - पुरुष देवमीढ़ थे !
जो वसुदेव तथा नन्द के भी पूर्वज थे
परन्तु अर्जुन से भीलों का एकलव्य के अर्जुन द्वारा तिरस्कार करने के का कारण मत- भेद होगया था
एकलव्य अपना अंगूठा दान करने के बाद अपने पिता हिरण्यधनु के पास चला आता है और भगवान श्री कृष्ण के कट्टर विरोधी जरासंध का सेनापति बन जाता है।
हरिवंशपुराण और विष्णु पुराण के अनुसार रुक्मणी के स्वयंवर के समय जरासंध की सेना की तरफ से एकलव्य(Eklavya) कृष्ण सेना पर आक्रमण कर देता है जिसके कारण कृष्ण सेना मे खलबली की स्थिति पैदा हो जाती है !
और श्री कृष्ण द्वारा युद्ध में अपने प्राण त्याग देता है। बाद मे उसका बेटा केतुमान भीम के हाथों मारा जाता है । "__ बाद में इसी एकलव्य(Eklavya) का द्रौपदी के भाई Dhrishtadyumna(धृष्टद्युम्न) के रूप मे जन्म हुआ !
जिसने महाभारत मे द्रोणाचार्य का वध किया और अपने पिछले जन्म में द्रोणाचार्य द्वारा किए गए छल का बदला लिया। वस्तुतत: यह तथा पूर्णत: काल्पनिक रूप से निबद्ध की गये हैं ---- जैसे वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड में शम्बूक के वध की राम के द्वारा करने की काल्पनिक कथा --- न तो राम ने सम्बूक वध किया ! क्योंकि जो राम शम्बरी ( शम्बर के वंशज की भीलनी के उच्छिष्ठ ( झूँठे ) बैर खाने वाले थे । वे एक शूद्र की वध केवल तप करने पर ही कर देते हैं यह तो विरोधाभासी स्थिति है ! इस प्रकार कृष्ण के पूर्वज यदु को स्वयम् ऋग्वेद में १०/६२/१० में दास (शूद्र) घोषित किया है --- उत् दासा परिविषे स्मत्दिष्टी गोपरीणसा यदुस्तुर्वश्च च मामहे .... ___"_____"__"__"""_""___ इधर वाल्मीकि रामायण में अयोध्या काण्ड के १०९ वें सर्ग में राम के समय में बुद्ध भी प्रकट हो गये 👇
" यथा हि चौर: स तथा हि बुद्धस्तथागतं नास्तिकमत्र विद्धि
कहाँ ७००० हजार वर्ष पूर्व राम तथा कहाँ ई०पू० ५६३ के समकक्ष तथागत गौतम बुद्ध दौनों के समय में कितना अन्तर है ? _______________________
योगेश कुमार रोहि विचार - विश्लेषण
क्रमश :---------
प्रणाम महोदय कृष्ण एकलव्य के युद्ध का वर्णन कहाँ है?
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