क्या मूल्य हैं जहाँ किसी की शहादत के 'रोहि'
अपनों के द्वारा अपनों की इज्जत को
जब नीलाम किया जाता है ।।
रिश्तो का रोहि दरख़्त !
रहता है हरा और सख्त !!
जब लगता मुलाकातों
का पानी !
अनुभूतियों की धूप, छाया सी यादें पुरानी ।।
और उपहारों का खाद
मेहमानी के वक्त !
देश आज फिर घायल है ।
झूँठे अपवाह विवादों में ।।
ऊँच नीच और छुआछूत ।
है अहंकार संवादों में ।
हिन्दू हो या मुसलमान ,
अब नेकी नहीं इरादों में ।
सब एक वृक्ष के पौधे थे ।
था एक सूत्र परदादों में ।।
विचार ,उम्र और , समान सम्पदा ।
ये सम्बन्ध सफल है सर्वदा ।।
समय ,परिस्थिति और देश में ,
उसूल बदल जाते हैं सदा ।
मेरी है अपनी एक तमन्ना ,
सम्बन्ध हो सीधे सादों में ।।
जाति पाँति और छुआछूतू ,
ये शुमार हैं सब उन्मादों में ।
मेल करो अपने जैसों से ,
हर चीज नहीं मिलती पैसों से ।।
उमर ,विचार और समाज का स्तर ।
मिल जाऐं तो चुनो हमसफर ।।
हम ये प्रयोग करके देखेंगे ,
चाहें गिने जाऐं बर्बादों में ।।
आज अपने मन की भी सुना दूँ ।
क्यों रूढ़ियों का भार 'मैं लादूँ ।।
बस कुछ समय बाद ऐसा ही होगा।
कोई सार नहीं हैं फसादों में ।
'मैं मुरीद उन इन्सानों का हूँ ।
अमन है जिनकी फरियादों में।।
वे रुकसत नहीं होंगे दुनियाँ से ।
जो जिन्दा हैं हमारी यादों में ।। _______________________________
यादव योगेश कुमार 'रोहि' संवाद सूत्र:-8077160219
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