परन्तु भारतीय समाज आज भी
कुछ रूढ़िवादी पुरोहितों की शह पर
बन्दरिया के मरे हुए बच्चे के समान
समाज पर उन्हीं घिसी पिटी और फटी हुई परम्पराओं को लादने का प्रयास कर रहे हैं ।
जो हम्हें और पीछे धकेल रही है
वे पण्डे पुरोहित आज भी सतीप्रथा , बाल विवाह , दहेज प्रथा व त्रयोदशी संस्कार( तैंरहीं) को सनातन धर्म कह कर पोषित कर रहे हैं ।
ऐसे पाखण्ड के खण्डन में यह एक सार्थक पहल होनी चाहिए ...
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यादव योगेश कुमार 'रोहि'
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