लोकतंत्र के वृक्ष में
घोटालों की दींम ।
भ्रष्टाचार की आंधी में
हिल गई जिसकी नींम ।
चोर लुटेरे भ्रष्टों ने
थामी सत्ता की डोर ।
घूसखोर अधिकारी बैठे ,
मंत्री घपला खोर ।
भ्रष्टाचार का तीव्र विकिरण
और घोटलों का भूकंप ।
व्यभिचारों का विकट सुनामी ,
आज लोकतंत्र हुआ डम्प ।
जीवन मूल्यों में आया प्रदूषण घनघोर
संस्कृति की आड़ में नंग- नाच चहु ओर ।।
दोगले विधान शासन अपंग ।
और अंधा काना कानून ।
बहता सड़कों पर पानी सा ।
"रोहि" मजलूमों का खून ।।
अब अद्भुत देश की हालातें !
हर तरफ करो 'ना की बातें ।।
हवन धवन करते हैं भक्त
और मौलाना पढ़ते नातें ।
एक निमोनिया रहस्यमय !
भक्तों में छाया अधिक भय ।।
पूजा पाठ और तन्त्र- मन्त्र !
गुप चुप रचते षड्यन्त्र ।।
साधु-सन्त कुछ महातमा ।
विज्ञान ज्ञान से हुए तमा ।।
चिलम भाँग की मण्डली ।
मची हुई है खलबली ।
हर तरफ देख लो हैं पापी ।
मारा मारी आपा धापी -
पाप करम करने में रत
सम्मानित होते अभिशापी ।
कुछ भक्त तेज चिल्ला उठे
बात कह दी लगी लगी ।
मुलायम राज में दूध मिले
अखिलेश राज में घी पगी ।
योगी राज में गोमूत्र मिले
भक्त नाक दबाकर के पी ।।
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भक्त जो कहते फेक न्यूज
वह करें देख इसको फिर यूज ।।
दासों का दास भक्तों के पास ।
यादव योगेश कुमार 'रोहि
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