घर घर की घटना अजब ।
अजब बनी हालात ।
एक बार कोई महानुभाव ।
कोलेब में रहते गात ।
स्टार मेकर पर करते ।
 महिलाओं संग मुलाकात ।
सुना रहे थे पत्नी को 
अपने स्वरों की सौगात ।
पत्नी जरि कौयला भई ,
सुन पर तिरियन की बात ।
कोलर पकड़ रगड़ पति को 
धरि दीनी दो लात ।
और पूछती इतनी देर तक
कहाँ बिताते रात ।
कई दिनों से दूर दूर तुम ,
पका रहे ये खिचड़ी गुमसुम ।
आ ! मैं खबाऊँ तोय भात ।
कभी हम्हें नहीं बताया कुछ भी 
कहाँ कहाँ हो जात ।
इतनी बड़े दोखे में मुझको 
दिया बड़ा आघात ।
बैकाबू पत्नी हो आई 
'रोहि' बिगड़ गये हालात ।
पोल खुली बन कटपुटली 
पति करै निहोरे पात ।
पाँय पकड़ लीने पत्नी के 
फिर जोड़ रहा वह हाथ ।।
(यादव योगेश कुमार 'रोहि')
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