अहीरों को संस्कृत भाषा में अभीरः कहा
जिसका अर्थ "निडर" है ।
अहीरों को लाठी संचालको में अग्रगण्य माना जाता है क्यों कि ये भी मार्शल आर्ट का अवयव है।
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अहीरों को संस्कृत भाषा में अभीरः अथवा आभीरः संज्ञा से इस लिए अभिहित किया गया ।
क्यों कि ये जन्म-जात निर्भीक जन-जाति है ।👇
अभीर शब्द में "अण् प्रत्यय समूह अथवा सन्तति वाचक है।
इस तद्धित प्रत्यय के योग करने पर आभीर शब्द बनता है ।
परन्तु यह व्युत्पत्ति संस्कृत के विद्वानों ने ई०पू० द्वितीय सताब्दी में अहीरों की निर्भीकता की प्रवृत्ति को दृष्टि गत करके की थी ।
संस्कृत अभीर:शब्द का मूल तो वीर शब्दः है ।
जो हिब्रू भाषा में अबीर शब्द के मूल के रूप में बीर/ बिर है ।
वैसे अभीर शब्द दागिस्थानी तथा अज़रबेजान की संस्कृतियों में "अवर" (Avar) स्पेन में "आयबरी"
मध्य-अफ्रीका में "अफर" हिब्रू संस्कृतियों में "अबीर"
तथा आद्यभारोपीय भाषाओं में "आर्य्य" तमिल "आयर"
स्कॉटलेण्ड "आयर" आदि रूपों में है ।
यह एक प्रवृत्ति-मूलक विशेषण है ।
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.. संस्कृत भाषा में आभीर शब्द की व्युत्पत्ति केवल अहीरों की यौद्धिक प्रवृत्तियों को दृष्टि से अनेक प्रकार से की है : -
सबसे पहले अमरकोशः में अमरसिंह ने की इसके जो चन्द्रगुप्त द्वितीय (चौथी शब्ताब्दी) के नवरत्नों में से एक थे।
कुछ लोग अमरसिंह को विक्रमादित्य (सप्तम शताब्दी) का समकालीन बताते हैं।
कुछ भी सही !
'परन्तु सत्य पूछा जाय तो अमर सिंह कालिदास के समकालिक गर्दभिल्ल पुत्र भतृहरि के भाई विक्रमादित्य के सभा रत्नों में से एकरूपता थे ।
जिनके आधार पर ईस्वी सन् से 57 वर्ष पूर्व विक्रम संवत् का प्रचलन हुआ ।
और यही सत्य है ।
सत्य स्वीकार करना ही चाहिए !
संस्कृत में आभीरः, पुल्लिंग विशेषण शब्द है ।
(आ समन्तात् भियं भयं राति ददाति शत्रुणाम् हृत्सु इति आभीर कथ्यते आभीर (गोप:) यादव का नामान्तरण है ।
आभीर ही
आहिर इति प्राकृत भाषा में है ।
--जो सर्वत्र शत्रुओं के हृदय में भय का वातारण उत्पन्न करता है ।
"अ नास्ति भयं यस्मिन् चित्तेषु इति अभीर: और सामूहिक रूप आभीर:
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यह शब्द "अभित: ईरयति गच्छति इति अभीरः" अर्थात् चारो तरफ घूमने वाली एशिया की निर्भीक जनजाति " के रूप मे मिश्र के टैल अमरना में हबीरु भी है ।
अभि एक धातु ( क्रियामूल ) से पूर्व लगने बाला उपसर्ग (Prifix)है ।
तथा ईर् संस्कृत परस्मैपदीय धातु जिसका अर्थ "गमन करना" है ।
इस धातु में कर्तरिसंज्ञा भावे में अच् प्रत्यय के द्वारा निर्मित विशेषण शब्द अभीरः बनता है ।
अभीरः शब्द में श्लिष्ट अर्थ है जो पूर्णतः भाव सम्पूर्क है👇
(अ) निषेधात्मक उपसर्ग तथा भीरः/ भीरु तद्धित पद दौनों के संयोग से बनता है शब्दः अभीर = अर्थात् जो भीरः अथवा कायर न हो वह वीर पुरुष ।
रामकृष्ण गोपाल भण्डारकर ने 1900 वीं सदी में
अपना इतिहास के
"अ पीप इन्टू द अर्ली हिस्ट्री ऑफ़ इण्डिया' इतिहास के ग्रन्थ में लिखा।
कि अहीरों का सम्बन्ध यहूदियों की अबीर शाखा से रूप में है ।
--जो विश्व में मार्शल आर्ट के जनक हैं ।
यहूदियों को ही उन्होनें इज़राएल के यादव कहा ।
यहूदीयो की भाषा हिब्रू में भी अबीर (Abeer )शब्द का अर्थ वीर तथा सामन्त है।
यद्यपि हिब्रू बाइबिल में तो परमेश्वर के पाँच नामों में से "अबीर" भी एक नाम है ।
परन्तु अबीर का मूल अर्थ "वीर" अथवा "यौद्धा" है ।
..तात्पर्य यह कि इजराईल के यहूदी वस्तुतः यदु की सन्तानें थीं जिन्हें अबीर भी कहा जाता था ।
यद्यपि आभीरः शब्द अभीरः शब्द का ही बहुवचन समूह वाचक रूप है ।
यहूदीयों की हिब्रू बाइबिल के सृष्टि-खण्ड नामक अध्याय Genesis 49: 24 पर ---
अहीर शब्द को जीवित ईश्वर का वाचक बताया है ।
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The name Abir is one of The titles of the living god for some reason it,s usually translated( for some reason all god,s
in Isaiah 1:24 we find four names of
The lord in rapid succession as Isaiah
Reports
" Therefore Adon - YHWH - Saboath and Abir ---- Israel declares...
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Abir (अभीर )---The name reflects protection more than strength although one obviously -- has to be Strong To be any good at protecting still although all modern translations universally translate this name whith ---- Mighty One , it is probably best translated whith ---
Protector --रक्षक ।
हिब्रू बाइबिल में तथा यहूदीयों की परम्पराओं में ईश्वर के पाँच नाम प्रसिद्ध हैं :----👇
(१)----अबीर (२)----अदॉन (३)---सबॉथ (४)--याह्व्ह्
तथा (५)----(इलॉही)
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हिब्रू भाषा मे अबीर (अभीर) शब्द के बहुत ऊँचे अर्थ हैं- अर्थात् जो रक्षक है, सर्व-शक्ति सम्पन्न है
इज़राएल देश में याकूब अथवा इज़राएल--
( एल का सामना करने वाला )को अबीर
का विशेषण दिया था ।
इज़राएल एक फ़रिश्ता है जो भारतीय पुराणों में यम के समान है ।
जिसे भारतीय पुराणों में ययाति कहा है ।
ययाति यम का भी विशेषण है ।
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