सोमवार, 26 मार्च 2018

अहीर क्यों बनाऐं राम मन्दिर ?

जड़ समुद्र भी राम से बाते करता है ।
और राम समु्द्र के कहने पर सम्पूर्ण अहीरों को अपने अमोघ वाण से त्रेता युग-- में ही  मार देते हैं ।
परन्तु अहीर आज भी कलियुग में  जिन्दा होकर ब्राह्मण और राजपूतों की नाक में दम किये हुए हैं ।
उनके मारने में रामबाण भी चूक गया
निश्चित रूप से यादवों (अहीरों) के विरुद्ध इस प्रकार से लिखने में ब्राह्मणों की धूर्त बुद्धि ही दिखाई देती है।
कितना अवैज्ञानिक व मिथ्या वर्णन है
जड़ समुद्र भी अहीरों का शत्रु बना हुआ है  जिनमें चेतना नहीं हैं  फिर भी ;ब्राह्मणों ने  राम को भी अहीरों का हत्यारा' बना दिया ।
राम ने अहीरों को त्रेता युग अपने राम वाण से द्रुमकुल्य देश में मार दिया  फिर भी अहीर कलि युग में जिन्दा है
अहीरों को कोई नहीं जीत सकता अहीर अजेय हैं ।
अत: अहीरों से भिड़ने वाले नेस्तनाबूद हो जाओगे ।
अहीरों को वैसे भी हिब्रू बाइबिल और भारतीय पुराणों में देव स्वरूप और ईश्वरीय शक्तियों से युक्त माना है ।

और हिन्दू धर्म के अनुयायी बने हम हाथ जोड़ कर इन काल्पनिक तथ्यों को सही मान रहे हैं। भला हो हमारी बुद्धि का जिसको मनन रहित श्रृद्धा (आस्था) ने दबा दिया ।
और मन गुलाम हो गया पूर्ण रूपेण  अन्धभक्ति का ! आश्चर्य  ! घोर आश्चर्य !
" उत्तरेणावकाशो$स्ति कश्चित् पुण्यतरो मम ।
द्रुमकुल्य इति ख्यातो लोके ख्यातो यथा भवान् ।।३२।।उग्रदर्शनं कर्माणो बहवस्तत्र दस्यव: ।
आभीर प्रमुखा: पापा: पिवन्ति सलिलम् मम ।।३३।।तैर्न तत्स्पर्शनं पापं सहेयं पाप कर्मभि: ।
अमोघ क्रियतां रामो$यं  तत्र शरोत्तम: ।।३४।।
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा सागरस्य महात्मन: ।
मुमोच तं शरं दीप्तं परं सागर दर्शनात् ।।३५।।
          (वाल्मीकि-रामायण युद्ध-काण्ड २२वाँ सर्ग)
अर्थात् समुद्र राम से बोला हे प्रभो ! जैसे जगत् में आप सर्वत्र विख्यात एवम् पुण्यात्मा हैं ।उसी प्रकार मेरे उत्तर की ओर द्रुमकुल्य नामका बड़ा ही प्रसिद्ध देश है ।३२।
वहाँ अाभीर आदि जातियों के बहुत से मनुष्य निवास करते हैं। जिनके कर्म तथा रूप बड़े भयानक हैं ; सबके सब पापी और लुटेरे हैं ।
वे लोग मेरा जल पीते हैं ।३३।
उन पापाचारियों का मेरे जल से स्पर्श होता रहता है ।
इस पाप को मैं नहीं यह सकता हूँ ।
हे राम आप अपने इस उत्तम वाण को वहीं सफल कीजिए ।३४।
महामना समुद्र का यह वचन सुनकर समुद्र के दिखाए मार्ग के अनुसार उसी अहीरों के देश द्रुमकुल्य की दिशा में राम ने वह वाण छोड़ दिया ।३।
निश्चित रूप से ब्राह्मण समाज ने राम को आधार बनाकर ऐसी मनगढ़न्त
कथाओं का सृजन किया है ।ताकि इन पर सत्य का आवरण  चढ़ा कर अपनी काल्पनिक बातें को सत्य व प्रभावोत्पादक बनाया जा सके ।
अब आप ही बताओ मूर्खों की जब राम अहीरों को त्रेता युग में अपने राम वाण से द्रुमकुल्य देश में मार देते हैं ।
केवल निर्जीव जड़ समु्द्र के ही कहने पर  फिर भी अहीर पर रामवाण भी निष्फल हो जाता है ।
फिर भी अहीर राम मन्दिर को बनाने के लिए अपना बलिदान कर दें ।
और मन्दिरों के रूप में धर्म की दुकान चलाऐं पाखण्डी कामी धूर्त ब्राह्मण ।
दान दक्षिणा हम चड़ाऐं और और ब्राह्मण उससे एश-आराम करें ।
इससे बड़ी मूर्खता क्या हो सकती है ?
  विश्लेषण---यादव योगेश कुमार 'रोहि'
भाई वी० कुमार यादव की प्रेरणाओं से ओत-प्रोत

राम का वर्णन 10 वे मंडल में ऋग्वेद के है उसका संस्कृत पाणिनीय समकालीन है उसी में पुरुष सुक्त है जो वर्ण की बात करता है जबकी उसी ऋग्वेद मे एक प्राचीन ऋचा है जो वर्ण व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने के लिये बहुत है।" कारूरहम् ततो भिषग् प्रक्षिणी नना"

पुरुष सूक्त, मनुस्मृति ,रामायण ,रामचरितमानस इन सभी ने  धर्म की संस्कृति को नष्ट कर डाला है ।
भारत की अखण्डता के लिए ये खतरा हैं ।
इसका ध्यान रखो

कर्म प्रधान होता है कहने वाले हरामखोर ढकोसली उपाख्यानों और दान पर जीवन जीने वाले ब्राह्मण श्रेष्ठ कैसे ? ☺ शोषण और व्यभिचार करने वाला क्षत्रिय ब्राह्मणों के बाद श्रेष्ठ है ।
ये क्षत्रिय किसी भी गरीब की सुन्दर लड़कियों को बल पूर्वक अपनी रखैल बना लेते थे ।
और हेराफेरी करने वाला वैश्य भी क्षत्रियों के वाद श्रेष्ठ है ।
परन्तु मेहनत और इन तीनों की सेवा करने वाला  शूद्र और अछूत है जिसे ब्राह्मणों ने शिक्षा और संस्कार के लिए निषिद्ध घोषित कर दिया हो ।
ये कौन सा धर्म है । ये हिन्दू धर्म है ।
भाई वी० कुमार यादव की प्रेरणाओं से ओत-प्रोत
ये कौन सा ईश्वर कहता है?

अवश्य !
राम का युद्ध यद्यपि अहीरों से कभी नहीं हुआ । परन्तु पुष्यमित्र सुंग कालीन पाखण्डी ब्राह्मणों नें जड़ चेतना हीन समु्द्र के राम से यह करने पर कि पापी अहीर मेरा जल पीकर मुझे अपवित्र करते हैं । ---हे राम आप उनका वध कर दो ! यह कहा परन्तु
राम का अमोघ वाण भी अहीरों पर निष्फल हो गया !
देखें--- वाल्मीकि-रामायण में

तुलसी दास जी भी इसी पुष्य मित्र सुंग की परम्पराओं का अनुसरण करते हुए लिखते हैं । कि  राम और समुद्र के सम्वाद रूप में..
. "आभीर यवन किरात खल अति अघ रूप जे "
अर्थात् हीर अर्थात् अहीर यवन ( यूनानी ) और किरात ये दुष्ट और पाप रूप हैं ! ---हे राम इनका वध कीजिए !
वाल्मीकि-रामायण में राम और समुद्र के सम्वाद रूप में वर्णित युद्ध-काण्ड सर्ग २२ श्लोक ३३पर समुद्र राम से निवेदन करता है कि आप अपने अमोघ वाण उत्तर दिशा में रहने वाले अहीरों पर छोड़ दे-- जड़ समुद्र भी राम से बाते करता है ।
कितना अवैज्ञानिक व मिथ्या वर्णन है .😇😇😇😇😇😇😇😇...............
जड़ समुद्र भी अहीरों का शत्रु बना हुआ है ।
राम समु्द्र के कहने पर अहीरों पर अपना अमोघ वाण छोड़ते भी हैं ।परन्तु राम का वह अमोघ वाण भी अहीरों पर निष्फल हो जाता है ।
राम वाण का मतलब अचूक मान लिया गया है ।मुहावरों मे परन्तु राम का वाण तो अहीरों पर भी निष्फल हो गया
देखें--- मूल संस्कृत प्रमाण वाल्मीकि-रामायण से -----
---------------------------------------------उत्तरेणावकाशो$स्ति कश्चित् पुण्यतरो मम ।
द्रुमकुल्य इति ख्यातो लोके ख्यातो यथा भवान् ।।३२।।
उग्रदर्शनं कर्माणो बहवस्तत्र दस्यव: ।
आभीर प्रमुखा: पापा: पिवन्ति सलिलम् मम ।।३३।।
तैर्न तत्स्पर्शनं पापं सहेयं पाप कर्मभि:
अमोघ क्रियतां रामो$यं  तत्र शरोत्तम: ।।३४।।
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा सागरस्य महात्मन: ।
मुमोच तं शरं दीप्तं परं सागर दर्शनात् ।।३५।।
          (वाल्मीकि-रामायण युद्ध-काण्ड २२वाँ सर्ग)
_____________________________
अर्थात् समुद्र राम से बोल प्रभो ! जैसे जगत् में आप सर्वत्र विख्यात एवम् पुण्यात्मा हैं ।
उसी प्रकार मेरे उत्तर की ओर द्रुमकुल्य नामका बड़ा ही प्रसिद्ध देश है ।३२।
वहाँ अाभीर आदि जातियों के बहुत से मनुष्य निवास करते हैं ।
जिनके कर्म तथा रूप बड़े भयानक हैं सबके सब पापी और लुटेरे हैं ।
वे लोग मेरा जल पीते हैं ।३३।
उन पापाचारियों का मेरे जल से स्पर्श होता रहता है ।
इस पाप को मैं नहीं यह सकता हूँ ।
हे राम आप अपने इस उत्तम वाण को वहीं सफल कीजिए ।३४।
महामना समुद्र का यह वचन सुनकर समुद्र के दिखाए मार्ग के अनुसार उसी अहीरों के देश द्रुमकुल्य की दिशा में राम ने वह वाण छोड़ दिया ।३।
_____________________________
निश्चित रूप से ब्राह्मण समाज ने राम को आधार बनाकर ऐसी मनगढ़न्त कथाओं का सृजन किया है ।
जो अवैज्ञानिक ही नहीं अपितु मूर्खता पूर्ण भी है ।

ब्राह्मण समाज ने राम को आधार बनाकर ऐसी मनगढ़न्त कथाओं का सृजन इस कारण से किया  है । कि अहीरों को लोक मानस में हेय व दुष्ट घोषित किया जा सके !
परन्तु त्रेता युग में जिस राम ने रावण जैसे- वीर पुरुष को मार दिया हो ! और वही राम अहीरों का कुछ न बिगाड़ पाए हों !
तो निश्चित रूप अहीरों की वीरता रावण से भी अधिक रही होगी । और समु्द्र भी जिन्हें न डुबा पाया हो !
वो अहीर साधारण नहीं हो सकते ।
पुराणों में तथा यहूदीयों की हिब्रू बाइबिल में अहीरों को ईश्वरीय सत्ता स्वीकार किया गया है ।

15 टिप्‍पणियां:

  1. Ramayana mein AHIR nahi ABHIR bola gya hai. Wo baan ABHIR k liye chalate hain..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Abe chutium sulphate,
      ABHEER koi jaat nhi hoti blki,ek Kabila tha jo ki bharat me bahar se aakar base aur local jaatio me merge ho gaye.Aaj bhi abheer brahmin,kshatriya,sunar,farmer kai tarh ke hote hai.abheer sabd se hi aheer,ahar,Aveer, ya Heer shabd nikla hai samjha.

      हटाएं
    2. Abhir/Aheer/Ahir ek hi h ye sab yadav community ki hi padwiya h. Lekin ye chutiya apni mandbuddhi se ghatiya kahani bna rha h,ayesi koi sentence nhi Sri Ramayan me. Balki khud Ramayan me yah likha huwa h ki "निर्मल मन ही अहीर है" aur ye tab likha gya jab pure sansaar me Ramcharitmanas k liye koi b nirmal man ka praani nhi dikhta tab Tulsidas Ji ko Yadavo par nazar pdi tbhi se अहीरों को निर्मल मन ka उदाहरण दिया गया

      हटाएं
  2. यहाँ पर बाल्मिकी रामायण मे आभीर का मतलब अहिर नही है आभीर नाम का व्यक्ति था वो जो पापाचारी था

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. गधे,अाभीर शब्द से ही अहीर,अहर या हीर निकला है
      समझा।अहिर कुछ नहीं होता कुछ पूरबिए बोल नहीं पाते हैं इसलिए अहिर कहते है।

      हटाएं
  3. अरे मूर्ख भगवान राम कृष्णावतार में यादवों के यहाँ जन्मे अगर तेरे हिसाब से आभीर यादव थे तो फिर क्या भगवान पापियों के कुल में जन्म लेंगे हिन्दू धर्म में फूट डालने की कोशिश मत कर तेरा प्रयास कभी सफल नहीं होगा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जय हो जैन बने रहो ज्यादा हिंदू बनने की कोशिश मत करो या तो हिंदू बन जाओ महावीर को मारना छोड़ो

      हटाएं
    2. Abe feku jain hindu koi dharm nhi hai chutiye,aur krishna ko ved me asur kaha gya hai.Ja kr phle padh kuchh. jhoothi Id bnakr baatein chod rha hai,aur jaino ko badnam kar rha hai.

      हटाएं
  4. वाह भोसडी के ऐसी कहानी बनाते तनिक सोचा भी नहीं की मूर्ख सभी को मूर्ख नहीं बना सकता

    जवाब देंहटाएं
  5. If you will not remove this fake content about yadav community then strict action will be taken against you (owner). Hope you understand well

    जवाब देंहटाएं
  6. मंदिर बनाने पर कोई आपत्ति नहीं है,
    परन्तु ब्राह्मणों का प्रभाव रहा है और उन्होंने रामायण और अन्य पुस्तकों में अर्थ को अनर्थ करने का भरसक प्रयास किया है। आर्टिकल मुझे लगता है गहन अध्ययन के फलस्वरूप लिखा गया है। जिसने भी लिखा है उसमे ग्रंथो का अध्ययन खुले नेत्रों से किया है निश्चित रूप से आपकी शास्त्रों पर कड़ी पकड़ होगी। परन्तु मेरा एक विचार है कि यवनों को भी आभीर कहा जा सकता है, क्योंकि की जवेस्ता में ययाती को भी अभीर् बोला गया है। जबकि ऋग्वेद में भी बहुत से ऐसे श्लोक जिनमें इन्द्र से प्रार्थना की गई है कि यदि और तुर्वसू के नगरों को नष्ट करे। परन्तु ये भी हो सकता है कि यह भी पुष्यमित्र शुंग के समय में ही परिवर्तित किया गया हो

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जावेस्ता की जगह आवेस्ता होगा। गूगल ऑटोटाइपिंग के कारण गलत हो गया।

      हटाएं
  7. Ahir yadav is #1, In Rigveda only Yaduvanshi yadav are mentioned. There are no suryavanshi. Krishna is greatest. Ram is a minor incarnation of God Krishna. All Thakurs are shudra.

    जवाब देंहटाएं
  8. Ahir shabd k two means h..... we are krishanan vansam .....dev Ahir h ....Jese ravan v pandit tha but vo danav tha......
    Ramayan said about danav Ahir... not dev abhir..

    जवाब देंहटाएं