भारत तथा यूरोप की लगभग सभी मुख्य भाषाओं में आर्य शब्द यौद्धा अथवा वीर के अर्थ में प्राचीनत्तम काल से व्यवहृत है । नि: सन्देह यह जन-जाति विशेष का सूचक नहीं था ।
क्योंकि असीरियन संस्कृति में में भी अार्य शब्द अाल्ल रूप में प्राप्त है ।
पारसीयों के पवित्र धर्म ग्रन्थ अवेस्ता में अनेक स्थलों पर आर्य शब्द आया है जैसे: –सिरोज़ह प्रथम- के यश्त संख्या 9 पर, तथा सिरोज़ह प्रथम के यश्त संख्या 25 पर है ।
अवेस्ता में आर्य शब्द का अर्थ है । …तीव्र वाण (Arrow ) चलाने वाला यौद्धा से है ।—यश्त 9 में स्वयं ईरान शब्द आर्यन् शब्द का तद्भव रूप है ..
ईरानी असुर संस्कृति के उपासक असीरियननों से सम्बन्धित लोग थे ।
परन्तु भारतीय देव संस्कृति के लोग ---जो अपने युद्ध निपुणता के कारण स्वयं को वीर: अथवा आर्य: कहते थे ये ईरानियों के चिर सांस्कृतिक प्रतिद्वन्द्वी थे !!
ये असुर संस्कृति के उपासक आर्य थे।
देव शब्द का अर्थ भी ईरानियों की भाषाओं में निम्न व दुष्ट अर्थों में व्यवहृत है ।
…परन्तु अग्नि के अखण्ड उपासक आर्य तो ईरानी भी थे । स्वयं ऋग्वेद में असुर शब्द उच्च और पूज्य अर्थों में है :-जैसे वृहद् श्रुभा असुरो वर्हणा कृतः ऋग्वेद १/५४/३. तथा और भी महान देवता वरुण के रूप में …त्वम् राजेन्द्र ये च देवा रक्षा नृन पाहि .असुर त्वं अस्मान् —ऋ० १/१/७४ तथा प्रसाक्षितः असुर यामहि –ऋ० १/१५/४. ऋग्वेद में और भी बहुत से स्थल हैं जहाँ पर असुर शब्द सर्वोपरि शक्तिवान् ईश्वर का वाचक है |
पारसीयों ने असुर शब्द का उच्चारण अहुर के रूप में किया है |
अतः आर्य विशेषण असुर और देव दौनो ही संस्कृतियों के उपासकों का था ।
…और उधर यूरोप में द्वित्तीय महा -युद्ध का महानायक ऐडोल्फ हिटलर( Adolf-Hitler )स्वयं को शुद्ध नारादिक (nordic )आर्य कहता था;
और स्वास्तिक का चिन्ह अपनी युद्ध ध्वजा पर अंकित करता था ; विदित हो कि जर्मन भाषा में स्वास्तिक को हैकैन- क्रूज. (Haken- cruez) कहते थे !
…जर्मन वर्ग की भाषाओं में आर्य शब्द के बहुत से रूप हैं । ..ऐरे Ehere जो कि जर्मन लोगों की एक सम्माननीय उपाधि है। ..जर्मन भाषाओं में ऐह्रे (Ahere) तथा (Herr) शब्द स्वामी अथवा उच्च व्यक्तिों के वाचक थे ।
आयर लेण्ड की भाषा में आयर ire शब्द का अर्थ स्वतन्त्र (आवारा) भी है । तमिल शब्द अय्यर और संस्कृत शब्द आभीर शब्दों स्वातन्त्र्तय वीरत्व व घुमक्कड़ता का भाव निहित है ।
और इसी हर्र Herr शब्द से यूरोपीय भाषाओं में प्रचलित सर (Sir )…..शब्द का विकास हुआ ।
---जो पुल्लिंग में मैडम (madam) शब्द के समानान्तर प्रयुक्त होता है ।
और आरिश (Arisch) शब्द तथा आरिर् (Arier) स्वीडिश ,डच आदि जर्मन भाषाओं में श्रेष्ठ और वीरों का विशेषण है ।
इधर एशिया माइनर के पार्श्व वर्ती यूरोप के प्रवेश -द्वार ग्रीक अथवा आयोनियन भाषाओं में भी आर्य शब्द आर्च (Arch (तथा आर्क Arck तथा eirean के रूप मे है |
हिब्रू बाइबिल में अबीर Abeer शब्द वीर अथवा यौद्धा अथवा सामन्त का वाचक है- जिसका सम्बन्ध हिब्रू क्रिया अ- बिर( ए-बिर )से है । संस्कृत भाषा आगात अभीर शब्द का विकास भी वीर का हिब्रू करण है
क्योंकि ए (e) उपसर्ग (Prifix) का सेमेटिक भाषाओं स्वत: आगम है । जैसे संस्कृत भाषा का ब्रह्मा हिब्रू ए-ब्राह्म संस्कृत बल: हिब्रू ए-विल संस्कृत लघु ग्रीक ए-लखुस आदि रूप ..
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ग्रीक मूल का शब्द हीरों (Hero) भी वेरोस् अथवा वीरः शब्द का ही विकसित रूप है; और वीरः शब्द स्वयं आर्य शब्द का प्रतिरूप है | वीर शब्द का विकास पहले हुआ फिर उसी से आर्य शब्द का विकास
जर्मन वर्ग की भाषा ऐंग्लो -सेक्शन में वीर शब्द वर( Wer) के रूप में है | तथा रोम की सांस्कृतिक भाषा लैटिन में यह वीर शब्द (Vir) के रूप में है |
आर्य शब्द का अपेक्षा वीर शब्द प्राचीनत्तम है ।
ईरानी आर्यों की संस्कृति में भी वीर शब्द आर्य शब्द का विशेषण है यूरोपीय भाषाओं में भी आर्य और वीर शब्द समानार्थक रहे हैं ! हम यह स्पष्ट करदे कि आर्य शब्द किन किन संस्कृतियों में प्रचीन काल से आज तक विद्यमान है |
लैटिन वर्ग की भाषा आधुनिक फ्रान्च में…(Arien) तथा (Aryen )दौनों रूपों में …इधर दक्षिणी अमेरिक की ओर पुर्तगाली तथा स्पेन भाषाओं में यह शब्द आरियो (Ario) के रूप में है पुर्तगाली में इसका एक रूप ऐरिऐनॉ (Ariano) भी है और फिन्नो-उग्रियन शाखा की फिनिश भाषा में Arialainen ऐरियल-ऐनन के रूप में है | रूस की उप शाखा पॉलिस भाषा में (Aryika) के रूप में है।
कैटालन भाषा में (Ari )तथा (Arica) दौनो रूपों में है स्वयं रूसी भाषा में आरिजक (Arijec )अथवा आर्यक के रूप में है इधर पश्चिमीय एशिया की सेमेटिक शाखा आरमेनियन तथा हिब्रू और अरबी भाषा में क्रमशः (Ariacoi )तथा(Ari )तथा अरबी भाषा मे हिब्रू प्रभाव से म-अारि. M(ariyy तथा अरि दौनो रूपों में.. तथा ताज़िक भाषा में ऑरियॉयी (Oriyoyi )रूप. …इधर बॉल्गा नदी के मुहाने वुल्गारियन संस्कृति में आर्य शब्द ऐराइस् (Arice) के रूप में है |
वेलारूस की भाषा में (Aryeic )तथा (Aryika) दौनों रूप में..पूरबी एशिया की जापानी कॉरीयन और चीनी भाषाओं में बौद्ध धर्म के प्रभाव से आर्य शब्द .(Aria–iin)के रूप में है ।
अनुभावास्तु तत्र स्युः सहायान्वेषणादयः ।
सञ्चारिणस्तु धृतिमति- गर्वस्मृतितर्करोमञ्चाः ।
स च दानधर्मयुद्धैर्दयथा च समन्वितश्चतुर्द्धा स्यात्” ।
स च वीरः ।
दानवीरो धर्म- वीरा दयावीरो भुद्धवीरश्चेति चतुर्विधः” साहित्य दर्पण३ पृ० ।
मूल भारोपीय शब्द (wihros) विहिरॉस: - जिसके दो रूप विकसित हुए हिरॉस् तथा विर संस्कृत: - वीरा, अवेस्तान: - वीरा, लैटिन: - vir,
Umbrian: - viru, लिथुआनियाई: - वेरस, लातवियाई: - वीर, टोचिरियन: - wir, जर्मन: - wer / Werwolf, गॉथिक: - वायर, पुराना नॉर्स: -वर, अंग्रेजी: -वेर / वेयरवोल्फ, ओल्ड फ्रुशियन: -विर आयरिश: - fer / fear, वेल्श: -ग्राऊर, गोलियाँ: -इइरो-, अल्बेनियाई: - बुरे, कुर्द: -मिरो...
वीरम्, क्ली, (अज् + “स्फायितञ्चिवञ्चीति ।” उणा० १ । १३ । इत्यादिना रक् । अजे- र्वीभावः । वीर + अच् वा ।) शृङ्गी । नडः । इति मेदिनी । रे, ६७ ॥ मरिचम् । पुष्कर- मूलम् । काञ्जिकम् । उशीरम् । आरूकम् । इति राजनिर्घण्टः ॥ वीरशब्दो मेदिन्यां पव- र्गीयवकारादौ दृष्टोऽपि वीरधातोरन्तःस्थवका- रादौ दर्शनादत्र लिखितः ॥
वीरः, पुं, (वीरयतीति ।
वीर विक्रान्तौ + पचा- द्यच् । यौद्वा, विशेषेण ईरयति दूरीकरोति शत्रून् ।
वि + ईर + इगुपधात् कः ।
यद्वा, अजति क्षिपति शत्रून् ।
अज + स्फायितञ्चीत्यादिना रक् ।
अजेर्व्वीः शौर्य्यविशिष्टः । तत्पर्य्यायः । शूरः २ विक्रान्तः ३ । इत्यमरः कोश । २ । ८ । ७७ ॥ गण्डीरः ४ तरस्वी ५ । इति जटाधरः ॥ (यथा, महाभारते । १ । १४१ । ४५ । “मृगराजो वृकश्चैव बुद्धिमानपि मूषिकः ।
निर्ज्जिता यत्त्वया वीरास्तस्माद्वीरतरो भवान् ॥
” यथा च ऋग्वेदे । १ । ११४ । ८ । “वीरान्मानो रुद्रभामितो वधीर्हविष्यन्तः सद्मि त्वा हवामहे ॥
” “वीरान् वीक्रान्तान् ।” इति सायणः ॥ पुत्त्रः । यथा, ऋग्वेदे । ५ । २० । ४ । “वीरैः स्याम सधमादः ॥” “वीरैः पुत्त्रैश्च सधमादः सहमाद्यन्तः स्याम तथा कुरु ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥ *
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परन्तु सुमेरियन हुर्रीयन (हुर्री) शब्द का विकास अवेस्ता में लिखित (हुर) शब्द से है जो संस्कृत (सुर) शब्द का प्रतिरूप है।
अरब़ी मूल में आज़र भी इसी से सम्बन्धित है
यद्यपि ये भी देव संस्कृति से सम्बद्ध थे ।
….. आर्य शब्द के विषय में इतने तथ्य अब तक हमने दूसरी संस्कृतियों से उद्धृत किए हैं…. परन्तु जिस भारतीय संस्कृति का प्रादुर्भाव देव संस्कृति से हुआ |
आधुनिक इतिहास कारों ने आर्य शब्द जन-जाति विशेष के अर्थ मे रूढ़ कर दिया है ।
_________________________________________ उस के विषय में हम कुछ कहते हैं ।
विदित हो कि यह समग्र तथ्य" 📖" "यादव योगेश- कुमार 'रोहि' " के शोधों पर आधारित हैं | भारोपीय आर्यों के सभी सांस्कृतिक शब्द समान ही हैं ।
जैसा कि निम्न तथ्यों में दिग्दर्शन किया गया है। स्वयं आर्य शब्द का धात्विक-अर्थ :- Rootnal-Mean .."आरम् धारण करने वाला वीर ।
संस्कृत तथा यूरोपीय भाषाओं में आरम् Arrown =अस्त्र तथा शस्त्र धारण करने वाला यौद्धा अथवा वीरः । आर्य शब्द की व्युत्पत्ति Etymology संस्कृत की अर् (ऋृ) धातु मूलक है—अर् धातु के तीन प्राचीनत्तम हैं .. १–गमन करना To go २– मारना to kill ३– हल (अरम्) चलाना (Harrow ) मध्य इंग्लिश—रूप Harwe कृषि कार्य करना |
प्राचीन विश्व में सुसंगठित रूप से कृषि कार्य करने वाले प्रथम मानव आर्य ही थे । इस तथ्य के प्रबल प्रमाण भी हमारे पास हैं ! पाणिनि तथा इनसे भी पूर्व ..कात्स्न्र्यम् धातु पाठ में :-ऋृ (अर्) धातु कृषिकर्मे गतौ हिंसायाम् च..परस्मैपदीय रूप :-ऋणोति अरोति वा अन्यत्र ऋृ गतौ धातु पाठ .३/१६ प० इयर्ति -जाता है वास्तव में संस्कृत की अर् धातु का तादात्म्य (identity.) यूरोप की सांस्कृतिक भाषा लैटिन की क्रिया -रूप इर्रेयर Errare =to go से प्रस्तावित है जर्मन भाषा में यह शब्द आइरे irre =togo के रूप में है पुरानी अंग्रेजी में जिसका प्रचलित रूप एर Err है। इसी अर् धातु से विकसित शब्द लैटिन तथा ग्रीक भाषाओं में क्रमशःAraval तथा Aravalis हैं ;अर्थात् कृषि कार्य.सम्बन्धी देवों की संस्कृति ग्रामीण जीवन मूलक है और कृषि विद्या के जनक देव संस्कृति के आर्य ही थे …सर्व-प्रथम अपने द्वित्तीय पढ़ाव में मध्य -एशिया में ही कृषि कार्य आरम्भ कर दिया था ।
आर्य स्वभाव से ही युद्ध-प्रिय व घुमक्कड़ थे कुशल चरावाहों के रूप में यूरोप तथा सम्पूर्ण एशिया की धरा पर अपनी महान सम्पत्ति गौओं के साथ कबीलों के रूप में यायावर जीवन व्यतीत करते थे ।
यहीं से इनकी ग्राम - सभ्यता का विकास हुआ था । अपनी गौओं के साथ साथ विचरण करते हुए .जहाँ जहाँ भी ये विशाल ग्रास-मेदिनी(घास के मैदान ) देखते और उसी स्थान पर अपना पढ़ाव डाल देते थे । संस्कृत तथा यूरोप की सभी भाषाओं में ग्राम शब्द का मूल अर्थ ग्रास-भूमि तथा घास है । __________________________________
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