("अध्याय-एक-1)
(अध्याय-तृतीय-3)
"गोलोक में गोप-गोपियों की उत्पत्ति तथा सृष्टि के विस्तार के मुख्य बिन्दु-"
(अध्याय-चतुर्थ-4)
श्रीकृष्ण (स्वराट्- विष्णु) का भूतल पर गोप( अहीर) जाति के यदुवंश में अवतार लेने प्रसंग तथा आभीर, गोप और यादव रूप में कृष्ण का निरूपण -
(अध्याय-पञ्चम-5)
यादवों के पूर्वज यदु का गोपालन करने से लोक में गोप विशेषण भी हुआ। अत: गोप, यादव तथा आभीर विशेषण एक जाति के लिए ही सम्बोधन हुए । एवं इसी अहीर जाति में आगे चलकर अनेक महामानव हुए जिस क्रम में कृष्ण सहित कुछ पौराणिक व्यक्तियों का परिचय-
(अध्याय-षष्ठम्-6 )
(अध्याय सप्तम्- 7 )-
किसान शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द "कृषाण" से हुई है। वाचस्पत्यम् के अनुसार "
(अध्याय-अष्टम 8-_)
श्रीमद्देवीभागवत पुराण तथा हरिवंश
(अध्याय नवम -9 )
(अध्याय- एकादश-11)-
(अध्याय-द्वादश-12)
"भगवती दक्षिणा का उपाख्यान" के अन्तर्गत पहले हम पाठकों की सुविधा के लिए पहले हिन्दी अनुवाद दे रहे हैं उसके बाद संस्कृत मूल पाठ दे दिया गया है। "
"(अध्याय-त्रयोदश-13)
(अध्याय-चतुर्दश-14)"
" यदुवंश में उत्पन्न सहस्रबाहु की पूजा का शास्त्रीय विधान" सहस्रबाहू का वैष्णव अंश होना तथा सहस्रबाहू अर्जुन द्वारा परशुराम का वध व रावण को दशवर्ष पर्यन्त अपने कारागार में बन्धन में रखने का पौराणिक प्रसंग-
"(अध्याय-पञ्चदश-15)"
नारद पुराण में सभी गोपों की पूजा का विधान- और उनकी प्रशंसा-
"(अध्याय-षोडश-16)"
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